Gavri Devi Biography In Hindi | गवरी देवी का जीवन परिचय
मांड गायन शैली को देश विदेश में ख्याति दिलाए वाली लोकगायिका गवरी देवी का जन्म 1920 ई में जोधपुर में हुआ. संगीत इन्हें विरासत में मिला था. इनके माता पिता दोनों बीकानेर दरबार में संगीत प्रतिभाएं थी.
गवरी देवी को संगीत की विविधता की शिक्षा मिली. बीस वर्ष की आयु में विधवा होने पर गवरी देवी पूरी तरह संगीत में डूब गई. श्रोताओं के मर्म को छूती उनकी गायन शैली ने जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर, जयपुर, बूंदी, झालावाड़ आदि राजघरानों से उन्हें सम्मान दिलाया.
गवरी देवी ने राजस्थान संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित अन्तर्राज्यीय सांस्कृतिक आदान प्रदान योजना के अंतर्गत उड़ीसा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल, गोवा आदि में अपनी स्वर लहरियां बखेरी. मास्कों में आयोजित भारत महोत्सव में गवरी देवी ने मांड गायिकी से श्रोताओं को सम्मोहित किया.
गवरी देवी पूर्व राष्ट्रपतियों डॉ राधाकृष्णन, डॉ जाकिर हुसैन, ज्ञानी जैलसिंह तथा आर वेंकटरामन द्वारा सम्मानित हुई. 28 जून 1988 को जोधपुर में इनका निधन हो गया. राजस्थान सरकार ने 15 अगस्त 2013 को इन्हें द्वितीय राजस्थान रत्न सम्मान देने की घोषणा की.
गवरी देवी ने अपनी गायिकी के जादू को देश विदेश में हर जगह बिखेरा खनकदार गायकी से संगीत के क्षेत्र में एक विशिष्ठ स्थान प्राप्त किया. गवरी देवी को मरु कोकिला के नाम से जाना जाता हैं. इनके पिताजी का नाम बंशीलाल पवार तथा माता का नाम जमुना देवी पवार था.
आपका विवाह जोधपुर के जागीरदार मोहन लाल गामेटी के साथ सम्पन्न हुआ. ठुमरी, भजन तथा ग़ज़ल इत्यादि शैलियों में इन्होने गायन किया. उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल तथा महाराष्ट्र इन राज्यों में भी गवरी देवी ने अपनी प्रस्तुती दी.
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