घर पर शायरी स्टेटस House Status Shayari In Hindi

घर पर शायरी स्टेटस House Status Shayari In Hindi : मित्रों अपना अपना घर सभी को प्रिय होता है चाहे वह कच्चा हो या पक्का मगर स्वर्ग से बढ़कर ही होता हैं. आज हम सोशल मिडिया फेसबुक व्हात्सप्प आदि से आपके लिए घर शायरी नये घर पर स्टेटस, सोशल हाउस स्टेटस शायरी हिंदी में शेयर कर रहे हैं. हम उम्मीद करते हैं आपकों यह कलेक्शन जरुर पसंद आएगा.

House Status Shayari In Hindi

घर पर शायरी स्टेटस House Status Shayari In Hindi

Best Status Shayari On My House Home: Hey Friends Here is A Short Collection of Few Lines On Home, You Can Add Your Creativity By Comment Section, We Appreciate Your New Status On House.

अपना घर आने से पहले
इतनी गलियाँ क्यूँ आती हैं


आरज़ू ले के कोई घर से निकलते क्यूँ हो
पाँव जुलते हैं तो फिर आग पे चलते क्यूँ हो


घर का झगड़ा आया जो बटवारे पर,
बाबू जी दीवार पकड़ के बैठ गए।।


घर होता हूँ
खाने को माँ की मनौनी के बाद ही गले से उतारता हूँ
जब शहर होता हूँ
वही माँ का खाना याद आता है
पर फिर वो उनका प्यार से खिलाना याद आ जाता है मेरे नखरों के बाद भी
मैं उन नखरों की स्मृतियों में बैठ कर माँ के हाथ का खाना चाहता हूँ
एक बार नही
दो बार नही
हर बार।


जिस दिन बरसात होती है उस दिन
दुनिया की प्रार्थना स्वीकार होती है,
और जिस दिन नहीं होती उस दिन उनकी,
जिनके घरों की छत कमज़ोर होती हैं।


मैं घर से निकल के… शहर हो गया … ~ घर से शहर ?


यूँ पुरखों की जमीन बेचकर
शहर मे ना जाया करो
.
.
ना जाने कब लौटना पड़े .. गाँव मे भी एक घर बनाया करो… ?


सपनो के पीछे निकले थे घर से , हकीकत को ही सपना बना बैठे।


मरने के लिए हररोज जीना पड़ता है,
जीने के लिए हररोज मरना पड़ता है।
जिंदगी तो हरवक्त इक‌ साया मांगती है,
उसके लिए इक घर बनाना पड़ता है।
घर तो बनजाता है मोहब्बत की आड़ में,
घर चलाने को मगर पैसा कमाना पड़ता है।


घर वो जगह है जहां आप दीवारों से बात कर सकते है


नसीब-ए-इश्क़-ए-वफ़ा कुछ यूं निभा जाएंगे,
तुम्हें यूं ही मनाते रहे तो खुद से रूठ जाएंगे,
किसी को गम-ए-जुदाई बताने से तो बेहतर हैं,
हम यूँही ग़मो पर पर्दा कर यहाँ से गुज़र जाएंगे।


जो ईंट पत्थर से बना हो वो मकान होता है और जो उसमे रहने वाले इंसानों के भावों से बना हो उसको घर कहते हैं।

घर परिवार शायरी कविता पोएम स्टेटस इन हिंदी न्यू social house shayari

Lakh sajaya maine ghar ko… Par kiraye ki chize khud ki nhi ho paati…❤️


जान सम्भाल कर कदम थाम कर दूर कुछ दिन सफर से रहिये सभी को नसीब ये रहमत नही आपको मिली है इसलिये घर में रहिये??


Ghar ko chalenewali
ghruhini ka matlab h “
GHAR par jiska “run” h
wo grhuihini”


अपने घरों में है ख़ुदा भी है
तन्हा, सभी कोशिश में है
घर बचाने को, फैला है
डर हवा में इस क़दर,
आदमी लगा हुआ है आदमी से,
ख़ुद को बचाने को।


जलेगा जंगल तो शहर भी साथ जलेगा
जलाई गर बस्ती तो घर भी साथ जलेगा


शहर में रोजगार करने से अच्छा
मैं गांव में दुकान खोलूंगा,
फूलों की, किसी दिन
जों तुम मेरे पास अाई तो
मैं तुम्हे अमरूद का पौधा दूंगा
और तुम्हे कहुंग की तुम इसे लगाओ।
भविष्य में तुम रहो या ना रहो
मै तुम्हे सही नहीं इन पेड़ो को
तो गले लगा ही सकता हूं।


हर घर की एक कहानी होती है
और हर कहानी में एक घर होता है


माँ के बिना घर …
घर नही लगता❤️


परिवार तो अब भीतर ही भीतर टूट जाते हैं………..
मगर घर खड़े रह जाते हैं बेशरमों के तरह.


माँ तेरे एक का होना क्या से क्या कर देता है।
बेजुबां छत दीवारों को “घर” कर देता है।


देश मेरा, एक घर हो जाए,
सुना हैं तू घर को नहीं आता…


कच्चा आंगन , टूटी झोपड़ी , बूढ़ी मां ,
पक गया हूं मैं कोई शहर ले चल ।
पैसों की होड़ ,जिंदगी की दौड़ , रिश्ते बेजोड़ ,
थक गया हूं मैं कोई घर ले चल ।।

short Poetry On home In Hindi For Kids

तुमसे दूर मैं कैसे जाउं,
घरसे दुर भला कोई कितनी देर दुर रहे।❤


घर से निकलने से घर तक पोहचने तक
एक लम्बी मंजिल होती है जो जिंदगी कहलाती है.


Ma ka aanchal he ghar.
Pita ki dat he ghar.
Bahan ka pyar he ghar.
Bhai ka dular he ghar.


नींव बिछाई, दीवार चढ़ाई,
छत ने डाला डेरा और घर बन गया मेरा❤️


Sare gam asaan lagne lagte hai,,
jab ghar me apne tham lete hai,,
ulzhano wali dor ko sul
zhana asaan ho jata hai,
jab ghar ka koi sath beth jata hai,,


संसार हरा भरा लगता है पर
परिवार बिना संसार खाली लगता है


घर क्या होता है? कविता

माँ की गोद
या कभी आराम भरी दोपहर बिताने की जगह
कभी कभी फ़क़त इक वीरान कोना जहा सुबक कर रो सके
कही कही तो सफ़र ही घर होता है
कभी माशूक की बाहें, और कभी जिगरी के कंधे
क्या कभी किसी अजनबी में बनाया है घर?
ये सारे घर छूट क्यो जाते है
हर बार हम घर से महरूम क्यो हो जाते है
हम अपना घर खुद में क्यो नही बनाते?


भटक आता हूं पूरी दुनिया में…
थक हार कर एक ही मंज़िल की तलाश रहती है!
ज़िन्दगी न जाने क्यों आजकल मुझसे इतनी हताश रहती है!
मुझे सुकून तब तक किसी पहर नहीं मिलता…
जब तक मुझे मेरा घर नहीं मिलता!
आनंद मिलता है अक्सर, नये सफ़र में…
पर चैन मुझको किधर नहीं मिलता…
जब तक मुझे मेरा घर नहीं मिलता!
मिलता है यारों का साथ मुझे दफ्तर में…
सड़कों पर भीड़ का शोर भी मैं सहता हूं!
घर लौटता हूं तो मां पूछतीं है कि,
बेटा तेरे लहज़े में असर नहीं मिलता!
मैं कहता हूं माँ थका हारा हुआ हूँ!
वक़्त-हालात का मारा हुआ हूँ!
ये घर भी तेरे ही आंचल सा सुखद है…
मां मुझको तब तक सुकूँ नहीं मिलता…
कि जब तक तेरे हाथों तले मेरा सर नहीं मिलता…
और जब तक मुझे मेरा घर नहीं मिलता!

Ghar Par Shayari 2 Line In hindi


समझ के आग लगाना हमारे घर में तुम
हमारे घर के बराबर तुम्हारा भी घर है ?


कभी पड़ोसी भी घर का हिस्सा हुआ करते थे..
आज एक ही घर में ना जाने कितने पड़ोसी हैं..


हमने घर की सलामती के लिए…….
ख़ुद को घर से निकाल रखा है??


वक्त की धूप में भागता ही रहा,
दो पल ठहरने को साया ना मिला….
जब तलक घर को चले,
दीवारें तो वही मिली मुझे,
मगर वो घर ना मिला…


सुकून है जहां, अपने हैं जहां,
ममता का आंचल और पिता का साया है जहां,
बच्चों के साथ खेलते हैं जहां,
हर खुशी और हर गम का किस्सा है
जो घर है वो.❤️


घर वो है जो मुझसे नहीं जिससे मैं हूँ
जिसमे सब है मगर मैं सबकी रूह हूँ
जो मेरे हर सवाल का उत्तर है जो मुझे बताता है
कि मैं क्यों हूँ
घर वो है जो जब हम ना रहेंगे तब भी वहीं रहेगा
जब मैं धुंधला पड़ जाऊंगा तब भी आने जाने
वालों को मेरी कहानियाँ कहेगा


अपने ही घर से झांकने को डरता हूँ..
उधार की मुसीबतें दरीचों तक लाया हूँ..!


मकान बहुत आसानी से बन जाते हैं “जनाब” घर बनाना बड़ा मुश्किल है.


मेरा घर तो,वही है जहाँ मेरी माँ है! . जब माँ घर नहीं होती तो,घर -घर नहीं लगता!!?


अजीब है यह घर।।
बाहर जा कर याद आता है।
और बापिस आकर खाली लगता है।।।


सफ़र का पता नहीं चलता साहब
बस वो रास्ता घर का होना चाहिए….

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