हेमाराम चौधरी का जीवन परिचय Hemaram Choudhary Biography In Hindi मारवाड़ की जाट राजनीति के विश्वसनीय चेहरे के रूप में विधायक हेमाराम जी चौधरी को जाना जाता हैं.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए गुडामालानी से 6 बार विधायक रह चुके, केबिनेट के कई अहम पदों पर कार्य कर चुके हैं. चौधरी विधानसभा के प्रतिपक्ष के नेता भी रह चुके हैं.
राजनीति के 45 सालों के सफर में ये क्षेत्र की राजनीति का केंद्र बने रहे हैं, पायलट के समर्थन के बाद, अशोक गहलोत से इनकी दूरियां भी सभी के सामने आई, अपने पद से इस्तीफा भी दिया, मगर बाद में केबिनेट में भी हेमाराम चौधरी को शामिल किया गया.
हेमाराम चौधरी का जीवन परिचय Hemaram Biography In Hindi
जन्म | 18 जनवरी 1948 |
गाँव | बायतु चिमनजी |
पिता का नाम | मूलाराम चौधरी |
शिक्षा | बीकॉम, एलएलबी |
राजनैतिक जीवन | 1978- |
आयु | 73 वर्ष |
पुत्र पुत्री | सुनीता, वीरेन्द्र (स्वर्गीय) |
निवास | नेहरू नगर बाड़मेर |
पत्नी | भीखीदेवी |
18 जनवरी 1948 को बायतु भीमजी में इनका जन्म मूलाराम जी धतरवाल के घर हुआ था. 73 वर्षीय हेमाराम चौधरी ने वकालत से शुरुआत की, बाड़मेर में वकालत से शुरुआत करते है इन्होने कई बड़े मुद्दों को बड़ी तेजी से सुलझाकर अपने कद को बढ़ाया.
वर्ष 1971 में इनका विवाह भीखी देवी से हुआ, एक बेटे और बेटी को जन्म दिया. चौधरी के बेटे वीरेन्द्र का देहांत हो चूका हैं. पत्नी भीखी देवी अपने गाँव बायतु भीमजी से लगातार 30 वर्षों से निर्दलीय सरपंच चुनी गई हैं.
हेमाराम चौधरी का राजनैतिक सफर
किसान जाट परिवार से सम्बन्ध रखने वाले श्रीमान हेमाराम चौधरी विगत 45 वर्षों से राजनीति में हैं. इन्होने सक्रिय राजनैतिक जीवन की शुरुआत 1978 में वार्ड पंच के पद से की थी.
बाद में 1980, 1985, 1998, 2003, 2008 और 2018 तक कुल मिलाकर 7 बार राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं. चौधरी को विधानसभा चुनाव 2013 में गुडामालानी से हार का सामना भी करना पड़ा था.
राज्य सरकार में हेमाराम चौधरी को परिवार कल्याण ( स्वतंत्र प्रभार), कृषि राज्यमंत्री का पदभार मिला. बाद में ये केन्द्रीय सहकारी बैंक बाडमेर के अध्यक्ष तथा जिला कांग्रेस (आई) कमेटी के महामंत्री भी रहे.
12वीं राज्य विधान सभा में 23 अक्टूबर, 2007 से प्रतिपक्ष नेता के रूप में भूमिका अदा की. बाद में चौधरी राजस्व, उपनिवेशन, सैनिक कल्याण विभाग मंत्री पदों पर भी रहे.
मोहभंग और पायलट पक्ष
राजस्थान के कद्दावर और सबसे उम्रदराज राजनेताओं में शामिल हेमाराज चौधरी ने 2020-21 में कांग्रेस की आपसी खेमेबाजी में सचिन पायलट पक्ष का खुलकर समर्थन भी किया.
18 मई 2020 को अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को देकर राजनीतिक भूचाल ला दिया था. मगर बाद में उच्च नेतृत्व की समझाइश के बाद वे सरकार में बने रहे, हाल ही में चौधरी गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल में हैं.
स्वर्गीय वीरेंद्र
हेमाराम जी के पुत्र वीरेन्द्र चौधरी का बहुत छोटी आयु में सात वर्ष पूर्व लम्बी बीमारी के बाद देहावसान हो गया था. वीरेंद्र बीकानेर इंजीनियरिंग कालेज में प्रोफ़ेसर थे. इनके दो बेटियां हैं.
इनकी स्मृति में डॉ. वीरेन्द्र चौधरी मेमोरियल ट्रस्ट बनाया गया हैं. वीरेंद्र का कम उम्र में निधन न केवल हेमाराम जी के लिए बल्कि उनके चाहने वालों के लिए एक बड़ा सदमा था. हेमाराम जी की एक बेटी है जिनका नाम सुनीता चौधरी है जो पेशेवर वकील हैं.
भीखी देवी
मारवाड़ में चौधरी परिवार आजीवन जन सेवा के लिए जाना जाता हैं. हेमाराम चौधरी 7 बार के विधायक रहे है तो इतनी ही बार इनकी पत्नी श्रीमती भीखिदेवी निर्दलीय सरपंच रह चुकी हैं, हाल ही में ये वीरेन्द्रनगर से सरपंच हैं. भीखी देवी चवा गाँव के अभोणी सारण घराने से ताल्लुक रखती हैं.
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आय /सम्पति
चल संपत्ति | रु 4,875,169 |
अचल संपत्ति | रु 40,300,000 |
संपत्ति | रु 45,175,169 |
कुल आय | रु 1,063,391 |
अन्य तथ्यात्मक जानकारी
जाति | धतरवाल |
शौक | कबड्डी, वॉलीबाल व शतरंज |
शिक्षा स्थान | बालोतरा एवं जोधपुर से जोधपुर विश्वविद्यालय से बी.कॉम |
विवाह वर्ष | 1971 |
हेमाराम चौधरी का व्यक्तित्व
एक MLA के रूप में अपने सातवें कार्यकाल को लगभग पूरा कर चुके चौधरी हेमाराम का जीवन अपने क्षेत्र के लोगों को समर्पित रहा. जनता को भगवान कहने वाले विधायक साहब सरल, मधुर और मिलनसार स्वभाव के हैं. अमूमन इन्हें सामजिक कार्यक्रमों और लोगों के बीच देखा जाता हैं.
राजनीति से अधिक जनहित को वरीयता देने वाले हेमाराम जी की अशोक गहलोत से अनबन और इस्तीफे का कारण उनके क्षेत्र की समस्याओं को न सुना जाना तथा विकास कार्य न होने बताया था. ये अपने निवास पर भी आमजन की समस्याओं की सुनवाई करते हैं.