हिंदी दिवस 2021 – Hindi Diwas : 14 सितम्बर 1949 मातृभाषा हिंदी को समर्पित इस दिन को यादगार बनाने के लिए हर साल हम हिंदी दिवस मनाते हैं. 1953 से हर साल नेहरु जी की सरकार से हिंदी दिवस मनाना शुरू किया था. भारत के संविधान द्वारा 14 सितम्बर को ही Hindi Diwas को राजभाषा का दर्जा दिया था.
हिंदी दिवस 2021 – Hindi Diwas in Hindi
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When Is Hindi Diwas 2021 Date In India Why We Celebrate Hindi Diwas On 14 September: हिंदी दिवस 2021 कब है इसे क्यों मनाया जाता हैं. 14 September के दिन ही इसे मनाने के पीछे क्या कारण हैं. ये सारे सवाल आपके जेहन में जरुर आते होंगे. When Is Hindi Diwas (हिंदी दिवस कब हैं 2021) और हिंदी दिवस की डेट (Hindi Diwas Date 2021) जानने से पहले हम सभी हिंदीभाषियों को इस दिन को मुबारकबाद देते हैं. इसे मनाने के लिए देशभर के विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में कई तरह के कार्यक्रमों व प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता हैं.
भारत में इस साल हिन्दी दिवस 2021, का आयोजन 14 सितंबर शुक्रवार को मनाया जाएगा, देश भर में हिंदी को लेकर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.
क्या आपकों पता है कि हर साल 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाता हैं. यदि आपकों नही पता कि 14 सितम्बर को ही हिंदी भाषा दिवस क्यों मनाया जाता हैं. तो इस लेख को अंत तक पढ़ते रहिए यहाँ आपकों Hindi Diwas 2021 Date और इतिहास की जानकारी दी जा रही हैं.
राष्ट्रीय हिंदी दिवस कब मनाया जाता है Rashtriya Hindi Diwas date In 2021
अब अंग्रेजों को लगा कि अब भारत में शासन करने के उनके दिन पूरे हो गये है. तब इन्होने भारत छोड़ने की बात कह दी थी. इसके बाद भारतीय बुद्धिजीवियों ने भारत के लिए एक संविधान तैयार करने बाबत संविधान निर्मात्री सभा का गठन किया था. 9 दिसम्बर 1946 को गठित इस संविधान सभा का अध्यक्ष डोक्टर राजेन्द्र प्रसाद को बनाया गया था.
संविधान सभा की एक प्रारूप समिति बनाई गई, जिनकें अध्यक्ष बाबाराव भीमराव अम्बेडकर बनाए गये थे. भारतीय संविधान 2 वर्ष 11 माह एवं 18 दिन की अवधि में 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था. जिसे आजादी के पश्चात 26 जनवरी 1950 को सम्पूर्ण भारत में लागू किये जाने का निर्णय किया गया था.
संविधान बनने में लम्बा समय लगा इसकी वजह कई कानूनों व विषयों पर सहमति व असहमति भी था. जिनमें एक बड़ा विषय भारत की राष्ट्रभाषा का था. जिस पर अधिकतर सदस्य हिंदी- Hindi Diwas को भारत की राजभाषा बनाने के पक्ष में थे. मगर दक्षिणी राज्यों का एक तबका इसका विरोध करता रहा. आखिरी में एक समन्वय का सूत्र निकलकर सामने आया, जिसके तहत हिंदी व अंग्रेजी दोनों को भारत की राजभाषा स्वीकार कर लिया था.
यह ऐतिहासिक दिन 14 सितम्बर 1949 का था. इसी दिन को यादगार बनाने के उद्देश्य से हम हर साल 14 सितम्बर को ही Hindi Diwas मनाते हैं. इस भाषा के विषय पर एक बात गौर करने योग्य हैं. जब अंग्रेजी को हिंदी की सहयोगिनी भाषा के रूप में स्थान दिया गया तो यह कहा गया था. कि अगामी 15 वर्षों तक ही अंग्रेजी राज-काज की भाषा रहेगी. इसके पश्चात इसे हटाकर हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दे दिया जाएगा.
मगर यह घड़ी इतिहास बन चुकी थी. हिंदी को जिस देवनागरी लिपि को स्वीकार किया गया, उसके बारे में कहा जाता है कि यह दुनियां की सबसे सरल भाषा लिपियों में से हैं. नेहरु कार्यकाल में हिंदी के विकास व उत्थान के लिए हर साल हिंदी दिवस Hindi Diwas 14 सितम्बर को मनाने का निर्णय 1953 में किया गया था.
इसी नेहरु कार्यकाल में हिंदी को अपने इतिहास का सबसे बड़ा झटका झेलना पड़ा, जब 1963 में राजभाषा अधिनियम के द्वारा देश के जन जन की भाषा हिंदी के महत्व को नकारते हुए अंग्रेजी को हिंदी से अधिक वरीयता दी और अनिश्चित काल के लिए इसे भारत की राज भाषा के रूप में स्वीकार किया गया.
भारत सरकार के इस हिंदी विरोधी निर्णय की एक वजह यह भी थी, कि जब अंग्रेजी को राजभाषा से हटाने की बात आई तो दक्षिण भारत में हिंदी के विरोध में प्रबल आन्दोलन होने लगे. कुछ नेताओं ने अपने निजी स्वार्थ के लिए हिंदी के विरुद्ध लोगों को इतना भड़का दिया कि हिंसक आन्दोलन का रूप देखने को मिला, जिसके पश्चात भारत सरकार को झुकना पड़ा था.
हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है ?
हिंदी भारत की सबसे बड़ी भाषा हैं, संविधान ने इसे राजभाषा का दर्जा भी दिया हैं. मगर हम निरंतर इसे महत्व को भूलते जा रहे हैं. इंडो यूरोपियन परिवार से सम्बन्ध रखने वाली यह हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हैं. हिंदी की अपनी व्याकरण एवं शब्दावली बेहद सम्रद्ध है. साथ ही इसकी देवनागरी लिपि समझने और पढ़ने में भी सरल हैं. भारत के अतिरिक्त 10 अन्य देशों में भी हिंदी को बोला और समझा जाता हैं. इसे 100 करोड़ के आस-पास लोग दुनियाभर में समझते और बोलते हैं.
14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में मनाया जाता हैं. भारतीय संविधान के उस प्रावधान के उपलक्ष्य में इस दिन को मनाया जाता हैं. जब राजभाषा के रूप में भारत की सम्पर्क भाषा हिंदी को राजभाषा (शासन कार्य/ प्रयोजन हेतु प्रयुक्त) के रूप में अपनाया गया था. संविधान के अनुच्छेद 343 में भाषा के सम्बन्ध में पूरा एक अध्याय दिया गया हैं. जिसमें प्रारम्भ में हिंदी के साथ अंग्रेजी को भी आरम्भिक 15 वर्षों के लिए राजभाषा बनाया गया था. जिसे 1963 में राजभाषा अधिनियम के द्वारा अनिश्चित काल के लिए जारी रखा गया.
हिंदी दिवस के कार्यक्रम
ये भाषा सम्मान दिवस देशभर के हर स्कूल, महाविद्यालय, सरकारी कार्यालयों तथा अन्य शिक्षण संस्थाओं में मनाया जाता हैं. इस दिन कई तरह के आयोजन किये जाते हैं. जिनमें हिंदी दिवस कविता, कहानी, निबंध व भाषण प्रतियोगिता. कई शहरों में इस दिन हिंदी कवि सम्मेलनों का आयोजन भी किया जाता हैं. बहुसंख्यक भारतीयों की संवाद भाषा के रूप में प्रतिस्थापित हिंदी के प्रचार व प्रसार के लिए, उत्कृष्ट योगदान देने वाले साहित्यकारों, पाठकों, हिंदी प्रेमियों को पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं. राष्ट्रपति द्वारा इस दिन राष्ट्रीय हिंदी दिवस का नेशनल लेवल के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होते हैं.
राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजभाषा गौरव पुरस्कार ये दो बड़े सम्मान इस दिन सभी विभागों, मंत्रालयों एवं बैंकों के उन लोगों को राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किये जाते हैं, जो हिंदी के लिए उत्कृष्ट सेवा कार्य कर रहे हैं. पूर्व में इन सम्मानों को राजीव गाँधी एवं इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार के नाम से जाना जाता था. जिसे 2015 की एनडीए सरकार ने नाम बदल दिए हैं.
हिंदी दिवस का उत्सव
देशभर में हिंदी दिवस का उत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं. यह मातृभाषा के सम्मान का दिन हैं. इस दिन राजकीय अवकाश तो नही होता है. मगर सभी सरकारी एवं निजी शिक्षण संस्थानों व कार्यशालाओं में विविध गतिविधियों के आयोजन के द्वारा मुख्य रूप से शिक्षक विद्यार्थी वर्ग द्वारा इसे व्यापक रूप दिया जाता हैं.
हिंदी दिवस के महत्व को जन जन तक पहुचाने के लिए आयोजित कार्यक्रमों में आमजन को आमन्त्रण दिया जाता हैं. तथा इस उत्सव में सभी विद्यार्थियों को हिंदी दिवस पर कविता शायरी संदेश भाषण आदि बोलने के लिये कहा जाता हैं. हिंदी के महान कवियों एवं साहित्यकारों के विचारों को जन जन तक पहुचाकर उनके ह्रदय में हिंदी के प्रति सम्मान जगाने का कार्य हिंदी दिवस करता आ रहा हैं.
राष्ट्रीय भाषा दिवस हिंदी मेरी पहचान, निज भाषा उन्नति अहै, मैं हिंदी हूँ जैसी कालजयी रचनाओं के द्वारा छात्रों के दिलों में हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रति प्यार ज्ग्गाने का कार्य किया जाता हैं. शोध में रूचि रखने वाले स्टूडेंट्स के लिए हिंदी के विकास की समस्याओं एवं उनके निदान पर खोज विषय दिए जाते हैं.
इस तरह हर साल 14 सितम्बर का हिंदी दिवस विद्यार्थियों, शिक्षकों और नागरिकों के लिए उत्सव की तरह आता हैं. हिंदी को अपनाने के संकल्प और अगले दिन फिर से पुराने ढर्रे पर चलने की यह परम्परा पिछले 70 सालों से देखने को मिल रही हैं. हम आशा करते हैं. 2021 का हिंदी दिवस उत्सव औचित्यपूर्ण होगा, न सिर्फ हम एक दिन के लिए हिंदी के प्रति कोरा प्रेम जाहिर करेगे बल्कि हमारी मातृभाषा को हमेशा के लिए अपने ह्रदय में सजोकर रखेगे.
हिंदी दिवस क्यों मनाना चाहिए इसका महत्व क्या हैं.
यदि कोई कहे कि आपकों अपनी मातृभाषा का सम्मान करना चाहिए, आपकों अपनी मातृभूमि से प्यार करना चाहिए. तो यकीनन हमें उनका यह सुझाव बहुत बुरा भी लगेगा. क्योंकि एक स्वाभिमानी इंसान नैसर्गिक रूप से अपनी चीजों को प्यार करता हैं. इसके लिए उसे बताना या टोकना उन्हें बुरा भी लगता हैं. मगर शायद हमारे साथ कुछ उल्टा ही चल रहा हैं. हम गर्व से कहते है हम हिंदी भाषी हैं. हिंदी हमारी मातृभाषा हैं.
मगर हमारी हकीकत यह है कि यदि हम टूटी फूटी अंग्रेजी भी जानते है. तो जिस भाषा को बोलने में हम पूर्ण सक्षम है उसे छोड़कर उस टूटी फूटी भाषा को बोलकर स्वयं को गौरान्वित महसूस करते हैं. दूसरा उदाहरण हमारे बच्चों की शिक्षा से जुड़ा है बहुत से लोग अपने बेटे बेटियों को अंग्रेजी माध्यम की स्कूल में भेजना चाहते हैं. यदि उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी है तो वो ऐसा करते भी हैं.
ये हमारी धरातलीय सत्यता है भले ही हम इसे स्वीकार करे अथवा नही करे. वें ही लोग हिंदी दिवस पर हिंदी को अपनाने और उसके प्रति प्रेम जताने की बात करते है तो दिल आहत होता हैं. भाई आप भारत में रह रहे हैं. यहाँ सबसे उच्च सरकारी सेवा IAS है जिसे हिंदी मीडियम व अंग्रेजी दोनों वाला भी पास कर सकता हैं.
फिर यह ढिंढोरा क्यों कि हिंदी में जॉब के स्कोप नही हैं. मातृभाषा सीखने से कोई सरल भाषा नही हैं. हमें अपनी संस्कृति व सभ्यता की प्रतीक हिंदी भाषा को ही अपनाना चाहिए तथा इसी में ही शिक्षा प्राप्त कर देश का नाम ऊँचा करना चाहिए.
हिंदी दिवस 2021 को हमें यह समझना होगा, कि अंग्रेजी न कभी इस देश की भाषा थी ना कभी होगी. जिस जुबान के लोगों की सैकड़ों साल हमने गुलामी झेली है.
अब उसे और बर्दास्त नही किया जाना चाहिए. हिंदी को कभी प्रश्रय नही मिला. फिर भी हमारे साहित्यकारों ने अपने दम पर इसे जीवित रखा. भारत के इतिहास में पृथ्वीराज चौहान के काल से अंग्रेजों के काल तक हिंदी कभी इस देश की शासन की भाषा नही बन सकी, इतने संघर्ष के बावजूद भी आज वों हम में और आप में जिन्दा है तो इस भाषा की यह अनुपम जीवन्तता है.
भारत में हिंदी ही एकमात्र ऐसी भाषा हैं जो सम्पूर्ण देश को जोड़कर रखने का सामर्थ्य रखती हैं. उत्तर हो या दक्षिण, पूर्व हो या पश्चिम हर कोने में इसे बोलने और समझने वाले लोग रहते हैं. देश की राष्ट्रीय एकता का असली सूत्र तो हिंदी हैं.
विभिन्नता में एकता की कहावत को केवल हिंदी ही चरितार्थ कर सकती हैं. हम सभी को मिलकर हिंदी दिवस मनाना चाहिए तथा इसे अपना उचित हक़ दिलाने के लिए अब आगे आना चाहिए.
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