हिन्दू नव वर्ष का इतिहास | Hindu New Year History In Hindi

हिन्दू नव वर्ष का इतिहास Hindu New Year History In Hindi: आप सभी पाठकों को हिन्दू न्यू ईयर 2080 की हार्दिक शुभकामनाएं. 22 मार्च 2023 से नव संवत् शुरू हो रहा हैं.

देश भर में विक्रम संवत की प्रथमा तिथि को गुड़ी पड़वा और उगादी आदि नामों से उत्सव के रूप में भी मनाया जाता हैं. यहाँ आपकों भारतीय संवत अर्थात पंचाग और हिन्दू पंचाग यानि विक्रम संवत् का मूलभूत अंतर समझना चाहिए.

भारत का राष्ट्रीय पंचाग शक संवत है वहीँ हिन्दू तीज, त्यौहार, पर्व जयंतिया आदि विक्रम संवत् के अनुसार मनाए जाते हैं.

Hindu New Year History In Hindi

हिन्दू नव वर्ष का इतिहास | Hindu New Year History In Hindi

नव संवत्सर का इतिहास और महत्व: आज की हमारी जीवन शैली पर पश्चिम दुनियां का गहरा असर हैं. हम वजन, मुद्रा और गणना से लेकर तिथि और काल गणना भी पाश्चात्य परिपाटी के मुताबिक़ करते हैं.

हम में से अधिकतर लोग 1 जनवरी को ही नववर्ष मनाते हैं. जबकि भारतीय अथवा हिन्दू कलैंडर के मुताबिक़ चैत्र शुक्ला प्रतिपदा से नव संवत्सर यानि नवरोज की शुरु आत होती हैं जो अंग्रेजी माह के मुताबिक़ मार्च के तीसरे सप्ताह में होता हैं.

विक्रम संवत समेत सभी भारतीय पंचाग की काल गणना सूर्य एवं चन्द्रमा के आधार पर होती हैं. किसी न किसी रूप में विश्व के लगभग सभी कैलेंडर भारतीय पंचाग का अनुगमन करते नजर आते हैं.

भारत का सबसे प्राचीन पंचाग सप्तर्षि संवत माना जाता हैं जो सड़सठ सौ ई.पू. में निर्मित था. मगर सर्वाधिक लोकप्रिय एवं वर्तमान चलन में विक्रम संवत् ही है जो हिन्दू कलैंडर के रूप में जाना जाता हैं.

हिन्दू नव वर्ष भी विक्रम संवत् के मुताबिक़ ही मनाया जाता हैं. हिन्दू कलैंडर की शुरुआत महान शासक वीर विक्रमादित्य द्वारा की गई थी. जिसमें एक वर्ष में बारह माह तथा एक सप्ताह में सात दिनों का विधान किया गया था.

विक्रम संवत को नवसंवत्सर के नाम से भी जाना जाता हैं. संवत्सर पांच तरह का होता है जिसमें सौर, चंद्र, नक्षत्र, सावन और अधिमास सम्मिलित होते हैं.

हिन्दू पंचाग में सौर वर्ष में बारह राशियों पर ही बारह महीने रखे गये हैं. जिसमें एक वर्ष 365 दिन का होता हैं. चंद्र वर्ष के मास चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ महीने है जिनके नाम सौर नक्षत्रों के आधार पर ही रखा गया हैं.

वही चद्र वर्ष को 354 दिन की अवधि का माना जाता हैं. सौर वर्ष की तुलना में इसमें दस दिनों की वृद्धि हो जाती हैं तथा इन बढ़े हुए दिनों को अधिमास के नाम से जाना जाता हैं.

आज भले ही हम अपने कलैंडर एवं काल गणना को छोड़कर ग्रेगोरियन कलैंडर अपनाते जा रहे हैं. मगर इसका महत्व कतई कम नहीं हुआ हैं. हमारे समस्त शुभ कार्य चाहे वह पर्व त्यौहार, विवाह, आदि कोई भी कर्म या मुहूर्त हो वह हिन्दू कलैंडर के मुताबिक़ ही होता हैं.

हिन्दू नववर्ष अर्थात कलैंडर का पहला दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा होती हैं इस दिन बासन्तीय नवरात्र भी शुरू होते हैं जिसमें देवी दुर्गा का पूजन किया जाता हैं इसके अतिरिक्त देश के अन्य भागों यथा महाराष्ट्र में यह गुडी पड़वा तथा आंध्र प्रदेश में यह उगादी के रूप में मनाया जाता हैं.

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जब ब्रह्माजी ने हमारी सृष्टि के निर्माण की शुरुआत कि तो उसी दिन से हमारे जगत का प्रथम दिन माना जाता हैं.

पुराणों के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही देवी देवताओं के कार्यों का विभाजन हुआ था तथा सभी ने शक्ति से सृष्टि संचालन के लिए आशीर्वाद माँगा था. यही वजह है कि हिन्दू धर्म में इस दिन का बड़ा महत्व है तथा इसी दिन से हिन्दू वर्ष की शुरुआत मानी गई.

भारतीय नवसंवत्सर विक्रम संवत 2077 की शुरुआत 25 मार्च 2020 से हो रही हैं. विक्रम संवत 2078 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि 13 अप्रैल 2021 मंगलवार को शुरू हुआ था. इस नयें वर्ष की शुरुआत बुधवार के दिन हो रही है इसी कारण बुध को इसका स्वामी माना गया हैं.

गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय इसे संवत्सर पड़वो के रूप में मनाते हैं कर्नाटक में यह पर्व युगाड़ी, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में गुड़ी पड़वा को उगाड़ी, कश्मीरी हिंदू इस दिन को नवरेह तथा मणिपुर में यह दिन सजिबु नोंगमा पानबा या मेइतेई चेइराओबा के रूप में मनाया जाता हैं.

हिन्दू नव वर्ष का इतिहास विक्रमादित्य के साथ जुड़ा हुआ हैं. आज से तकरीबन दो हजार वर्ष पूर्व विक्रमादित्य ने शको के भारत पर निरंतर हमलों को रोकने के लिए सभी राज्यों को एकता के सूत्र में बांधा और सन 57 ई पू में शकों को उनके ही घर अरब में मात देकर अभूतपूर्व विजय प्राप्त की थी.

इन्ही वीर विक्रमादित्य की विजय की याद में यह पंचाग चला जो कालान्तर में दिल्ली सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समय तक चलता रहा, मुगलों और अंग्रेजों ने अपने अपने कलैंडर भारत पर थोपे.

आजादी के बाद तत्कालीन सरकार ने भी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हजारों वर्ष प्राचीन वैज्ञानिक एवं सटीक कलैंडर की अवहेलना कर शक संवत् को राष्ट्रीय पंचाग घोषित किया. सरकार की जो भी मंशा रही हो, भारतीय जनमानस और उनकी परम्परा एवं इतिहास आज भी विक्रम संवत् के साथ जुड़ी हुई हैं.

2023 Me Hindu Nav Varsh Kab Hai

हिन्दुओं के नव वर्ष की शुरुआत होली के अगले दिन से होती हैं, इसी दिन से नया विक्रम संवत आरम्भ हो जाता हैं. अगर हम हिन्दू नव वर्ष विक्रम संवत् 2080 की बात करें तो यह चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा को 22 मार्च 2023 के दिन से आरम्भ हो रहा हैं.

नववर्ष का पहला दिन वासन्ती नवरात्र का प्रथम दिन होता हैं. भारतीय पर्व, विवाह तथा अन्य मुहूर्त तथा बैंक और अन्य कई सरकारी विभागों में भी हिन्दू नव वर्ष के साथ नयें सत्र का आगाज होता हैं.

यह भी पढ़े

उम्मीद करता हूँ दोस्तों Hindu New Year History In Hindi में हिन्दू नववर्ष 2080 इतिहास के बारें में दी गई संक्षिप्त जानकारी आपकों पसंद आई होगी, यदि आपकों ये लेख पसंद आया हो तो नीचे दिए गये शेयर बटन से सोशल मिडिया पर शेयर जरुर करें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *