घर पर सुविचार अनमोल वचन | Home Quotes In Hindi

Home Quotes In Hindi (घर सुविचार) : छोटा हो या बड़ा हो घर तो घर ही होता है जहाँ अपनों के प्यार का प्यार बसा होता हैं. अपने पूर्वजों की भावनाएं जुड़ी होती हैं, सभी  को अपना घर ही स्वर्ग लगता है चाहे वो कच्चा हो या पक्का.

हर व्यक्ति के मन  चैन घर आकर ही मिलता हैं. अपने आशियाने से तो पशु पक्षियों को भी लगाव होता है फिर हम तो जिन्दादिल इन्सान है हमें भला लगाव क्यों नही होगा,

आज हम घर पर सुविचार शायरी (Home Quotes Hindi) में दार्शनिकों के घर के बारे में थोट्स यहाँ पढ़ेगे, और जानेगे कि हाउस, होम, घर क्या होता हैं.

घर पर सुविचार अनमोल वचन | Home Quotes In Hindi

घर पर सुविचार अनमोल वचन | Home Quotes In Hindi

1#. हम भले ही विलास सामग्रियों से युक्त राजभवनों में परिभ्रमण करें, परन्तु साधारण से साधारण होने पर भी अपने घर के समान कोई स्थान नहीं होता हैं.


2#. जो व्यक्ति, वह राजा हो अथवा किसान, अपने घर में शान्ति प्राप्त करता है, वह सबसे अधिक सुखी हैं.


3#. तुम्हारा घर तुम्हारे चरित्र की कसौटी हैं, जो कुछ तुम घर में हो, वही सर्वत्र समझे जाते है, तुम अपने इस रूप का प्रदर्शन करो अथवा न करो.


4#. किसी पारिवारिक जीवन के सुखी होने का प्रथम संकेत है उसकों अपने घर से प्यार.


5#. अपना घर शब्द का अर्थ घर शब्द के अर्थ से बहुत कुछ अधिक होता हैं.


6#. अपने घर की बुराइयों के साक्ष्य अन्य वस्तुओं की तुलना में अधिक आसानी एवं जल्दी से नष्ट होते है क्योकि वे हमारे मन को प्रभावी रूप से चुरा लेते हैं.


7#. संसार पर शासन करने वाले कि बजाय मैं अपने खेत का स्वामी बनना चाहूँगा.


8#. सुख शान्ति एवं हाथों से निर्मित घर इतने महंगे भी नही होते कि कभी खरीदे ना जा सके.


9#. घर वहां नही होता जहाँ आप बसते है बल्कि जहाँ आपकों समझते है वही घर होता हैं.


10#. एक खाली घर बिना प्राण के मानव जैसा है.


11#. सभी प्रकार के तूफानों से बसने की शरणस्थली घर ही हैं.


12#. घर हमेशा बसने के लिए बनाये जाते है ना कि दुनियां को दिखाने के लिए नही इसलिए उसके स्वरूप की बजाय उपयोग पर ध्यान दीजिये.


13#. अब घर भी नहीं घर की तमन्ना भी नहीं है
मुद्दत हुई सोचा था कि घर जाएँगे इक दिन


14#. धर्म की रक्षा धन से होती है, ज्ञान की रक्षा निरंतर अभ्यास से होती हैं, राजा की रक्षा मैत्रीपूर्ण शब्दों से होती है और घर की रक्षा एक कुशल गृहणी से होती हैं.


15#. मर चूका है रावण का शरीर, स्तब्ध है सारी लंका, सुनसान है किले का परकोटा, कही कोई उत्साह नही जल रहा है दिया, विभीषण के घर को छोड़ कर.


16#. जब तुम घर जाओ, उन्हें हमारे बारे में बताना और कहना उनके भविष्य के लिए हमने अपना वर्तमान दे दिया हैं. भारतीय सेना.


17#. एक घर का मालिक होना स्म्रद्धता का प्रतीक हैं जो वित्त सम्रद्धि एवं भावनात्मक सुरक्षा दोनों को दर्शाता हैं.

घर पर सुविचार

घर रूपी मंदिर में ईश्वर का वास होता है।


परिवार से घर बनता है जो बाहरी थकान से आराम दिलाता है। घर में सुकून के पल आपसी प्रेम भावना से मिलते हैं।


घर मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है जिसको पाने के लिए मनुष्य कड़ी मेहनत करता है। जिसका घर नहीं उसके दर्द का आभास घर की ज़रूरत बता देती है।


अगर घर में सुकून नहीं मिलता है तो मनुष्य उस सुकून को पाने के लिए बाहरी दुनिया में विचरण करता है लेकिन उसे घर जैसा सुकून नहीं मिलता है।


घर में खुशहाली, परिवार में एकता बरकरार रखने रहने व प्रेम भाव से रहने पर मिलती है।


अपना घर छोटा या बड़ा नहीं होता बल्कि प्यारा और अच्छा होता है जो प्यार से बसाया हो तो जन्नत सा लगता है।


बाहर की अशांति का निवारण घर की शांति से मिलता है।


कड़ी मेहनत से बना अपना घर अनेक भावनाओं से जुड़ा स्वर्ग से कम नहीं होता है, जहाँ चैन का बसेरा होता है फिर घर के कच्चे या पक्के होने से फर्क नहीं पड़ता है, छोटे या बड़े से कोई अंतर नहीं आता है अपना घर अपना ही महसूस होता है।


मनुष्य को अगर अपने घर में शांति नसीब हो जाती है फिर शांति के लिए कोई और जगह पसंद नहीं आती है।


मनुष्य अपने घर में अपने वास्तविक व्यक्तित्व का प्रदर्शन करता है भले बाहरी दुनिया में बनावटी पन दिखा दे लेकिन व्यक्ति का असली चरित्र उसके अपने घर में ही दिखता है।


जीवन सुख प्राप्त करने के लिए अपने घर से प्यार होना आवश्यक है।


किसी मनुष्य का यह कहना कि मैं घर में रहता हूँ और मैं अपने घर में रहता हूँ फर्क पड़ता है घर में रहना सुख दे ना दे लेकिन अपने घर में सुख प्राप्ति होती है और अगर अपने घर में सुखानुभूति नहीं महसूस होती तो फिर अन्य जगह भी सुख महसूस नहीं होगा।


सिर्फ घर में रहने से कोई घर अपना नहीं हो जाता है जहाँ आपसी समझ व प्यार का भाव महसूस होता है वहीं घर जैसा महसूस होता है।


घर में अगर कोई ना रहे तो घर घर नहीं रहता खंडहर बन जाता है। घर में अपनों से ही चहल-पहल रहती है।


बाहर से थका हारा  इंसान अपने घर में आकर सुकून पाता है तो वह घर उसके लिए सुखद अनुभूति का साधन है।


घर अगर दिखावे के लिए बनाया जाए तो सिर्फ दिखावा लगता है लेकिन घर अगर बसने के लिए बनाया जाए तो घर लगता है। घर के स्वरूप से ज्यादा उपयोग महत्वपूर्ण होता है।


मनुष्य को जिस घर में राहत की सांस आती है। सुकून, चैन, प्यार अपनेपन का मिलाजुला आभास होता है वह उसका प्यारा घर होता है।


मनुष्य अगर अपना घर बनाने की काबिलियत रखता है तो उसे कहीं और जाने की ज़रूरत नहीं, बल्कि अपना घर बना कर वह अच्छे से रहता है।


मनुष्य को वास्तविक खुशी अपना घर बनाकर होती है जहाँ वह सुकून से रह पाता है।


सबसे अच्छा स्थान मनुष्य के लिए उसका घर होता है जहाँ उसकी थकान मिट जाती है।


मनुष्य के घर में अगर शांति का माहौल होता है, परिवार आपस में प्रेम भाव से रहता है तो वहाँ ईश्वर का वास होता है।


घर परिवार में अगर शांति का माहौल नहीं होता है तो वास्तव में घर की अनुभूति नहीं होती है।


व्यस्तता मनुष्य की ज़िन्दगी को इस मुकाम पर ले जाती है कि वह अपने घर को बनाने में अपनी पूरी जिंदगी लगा देता है लेकिन समय का खेल ऐसा होता है कि वह कुछ पल भी चैन से अपने घर में बिता नहीं पाता है।


अगर घर के मामले में पैसों का किस्सा आता है, आपसी रिश्तों में पैसे से फर्क पड़ता है फिर घर में एकत्व की भावना नहीं दिखती है, रिश्ते बँट जाते हैं और बस पैसे दिखते हैं।


कोई मनुष्य अपनी मेहनत से अपने लिए घर तो बना लेता है लेकिन किसी के दिल में अपने लिए घर बनाना कठिन होता है क्योंकि दिल का घर स्वभाव, सोच, व्यवहार से बनता है जबकि बाहरी घर कंकरीट, पत्थर, बालू, मिट्टी ईंट से बनते हैं।


जिस घर में माता-पिता का साथ हो, आपसी प्यार का भाव हो वह घर मंदिर समान ही है।


घर अपनों से बसता है और अपनेपन से साथ का आभास होता है वरना अकेलापन का भाव महसूस कराता है, वीरान सा लगता है।


अपने घर की जिम्मेदारियाँ जीवन में अनेक सीख देती हैं।


अगर मनुष्य के पास रहने के लिए घर है तो जीवन की एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी निभा ली जाती है।


घर में रहते हुए अगर रिश्तों में मिठास नहीं है तो रिश्तो में खुशियाँ नहीं प्राप्त की जा सकती हैं।


घर में माता-पिता का साथ अपनापन महसूस कराता है। लेकिन घर में माता पिता की अनुपस्थिति विरान का आभास कराती है।


घर परिवार में माँ बाप का साया सुरक्षा कवच के समान है। जहाँ आपकी यादें बसी हों वह घर कभी दिल से नहीं जाता है।


घर की मज़बूती वहाँ रहने वालों के आपसी रिश्ते पर निर्भर करती है अगर रिश्ते मज़बूत हैं तो घर कैसा भी हो अच्छा लगता है लेकिन अगर रिश्तों में आपसी खटास है, कच्चापन है तो घर चाहे बड़ा या शानदार ही क्यों ना हो घर सिर्फ ढाँचा समान होता है वास्तव में घर नहीं लगता है।


जिस घर में माँ बाप का साया होता है, खुशियाँ व सच्चा प्यार मिलता है वहाँ स्वर्ग का आभास होता है।


घर की कमी तब ज्यादा पता चलती है जब अपने घर से दूर रहना पड़ता है। संसार की ठोकरे घर की अहमियत बता देती हैं।


कठिन से कठिन परिस्थितियों को झेल लेते हैं जब पता होता है कि घर पहुँचकर सुखानुभूति होगी।


अपने घर में ही सुकून मिलता है। हर वक्त और हालात में अपने घर का ही साथ मिलता है।


एक कुशल पत्नी अपनी समझदारी से घर को वास्तव में रहने लायक जन्नत समान बना देती है।


जब मनुष्य बाहरी संसार से दुखी होता है और थकान महसूस करता है तब अपने घर में ही उसे चैन मिलता है।


जिनके घर नहीं होते उनके दर्द का एहसास तब होता है जब अपने घर से दूर अधिक समय तक किसी और के घर रहना पड़ता है।


मनुष्य को अपना घर खूबसूरत बनाना चाहिए। सुख का दीप जलाना चाहिए लेकिन दूसरों का घर कभी नहीं तोड़ना चाहिए क्योंकि दूसरों के घर में परेशानी उत्पन्न करने वालों के घर परेशानी स्वयं उत्पन्न हो जाती है।


अपने घर की नींव बनाए रखनी चाहिए लेकिन दूसरे के घर को तोड़ना महापाप है।


घर की ज़िम्मेदारियाँ मनुष्य को जीवन जीने की सीख देती हैं।


उम्र के हर पड़ाव में अपने घर की चाहत रहती है और घर जैसा अपनापन व सुकून किसी और जगह प्राप्त नहीं होता है।


मनुष्य के लिए अपने घर की यादें उसके बुढ़ापे का सहारा बन जाती हैं।


मनुष्य को भले दूसरों का घर आकर्षित करें और कुछ दिन रह कर अच्छा भी लगे लेकिन अपने घर में अगर अपनों का सच्चा प्यार हो, माता-पिता का अपनत्व हो तो अपने घर जैसा कोई घर नहीं लगता है।


बेघर लोगों के लिए घर की महत्वपूर्णता कितनी अधिक होती होगी जब उन्हें हर परेशानियों का सामना खुले आसमान के नीचे करना पड़ता है, हर मौसम हर परिस्थितियों का परिणाम सहना पड़ता है।


घर दौलत से भले बनता हो लेकिन बसता प्यार भरे आपसी रिश्तों से ही है।

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