यदि मैं डॉक्टर होता निबंध | If I Were A Doctor Essay In Hindi

प्रिय विद्यार्थियों आज के विषय If I Were A Doctor Essay In Hindi में हम आपके लिए यदि मैं डॉक्टर / चिकित्सक होता तो पर हिंदी निबंध लेकर आए हैं.

डॉक्टरी एक सम्मानित पेशा है जो प्रत्यक्ष तौर पर समाज सेवा से जुड़ा हुआ हैं. हमारे समाज में एक चिकित्सक न केवल अपने जीवनकाल में बहुत से लोगों के जीवन को बचाता है बल्कि उन्हें स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी बनाता हैं.

यदि मैं डॉक्टर होता निबंध | If I Were A Doctor Essay In Hindi

यदि मैं डॉक्टर होता निबंध | If I Were A Doctor Essay In Hindi

आज हम If I Were A Doctor Essay In Hindi में डॉक्टर बनने के काल्पनिक विषय पर आपके साथ हिंदी निबंध शेयर कर रहे हैं. स्टूडेंट्स अपनी कक्षा के हिसाब से शब्दसीमा के अनुसार एस्से के अनुभाग को चुन सकते हैं.

संसार में अनेक प्रकार के आजीविका के साधन है. उनमें से कई साधन तो मानवीय दृष्टि से बड़े ही संवेदनशील हुआ करते हैं. जिनका सीधा सम्बन्ध मनुष्य की भावनाओं, उसके प्राणों तथा सारे शरीर से जुड़ा हुआ करता हैं.

चिकित्सक का धंधा कुछ इसी तरह का पवित्र मानवीय संवेदनाओं से युक्त, प्राण दान और जीवन रक्षा की दृष्टि से ईश्वर के बाद दूसरा परन्तु कभी कभी तो ईश्वर के समान ही माना जाता हैं.

क्योंकि ईश्वर तो मनुष्य को जन्म देकर संसार में भेजने का काम करता हैं जबकि चिकित्सक के जिम्मे पर उनके सारे जीवन की रक्षा का भार पड़ा होता हैं. इन बातों को ध्यान में रखकर मैं प्रायः सोचा करता हूँ कि यदि मैं भी चिकित्सक होता तो.

मैं अपने जीवन में क्या बनना चाहता हूँ यानि अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद मैं क्या बनने का सपना रखता हूँ. मैं विज्ञान का छात्र हूँ भौतिकी, रसायन शास्त्र एवं जीव विज्ञान में मेरी गहरी रूचि हैं.

मेरे घर में एक छोटी सी प्रयोगशाला भी हैं विज्ञान विषय का स्कूल में जो कुछ मुझे पढाया जाता है उसका घर आकर लैब में मैं उसकों दोहराता हूँ.

डॉक्टर के पेशे में ईमानदारी बहुत मायने रखती है बहुत से लोग इसे ताक पर रखकर अपने सपनों को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए अंग फरोख्त जैसे अपराधों में लग जाते हैं.

यदि मैं डॉक्टर होता तो इस तरह के राह भ्रमित लोगों में एक मानवीय सोच जगाने का प्रयत्न करता. कम से कम मैं जिस अस्पताल में कार्य करता वहां इस तरह की कोई हरकत नही होने देता, जो इस पेशे को शर्मसार करने वाली हो.

आज भी हमारा देश अपने नागरिकों को पूर्ण रूप से स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने में नाकाम रहा हैं. इस कारण दूर दराज के इलाकों में बेरहम डॉक्टर का चोला पहने व्यापारी बैठे है जो गरीब जनता का पैसा लूटकर उन्हें मौत बेचते हैं.

निर्धन लोगों के कोटे की निशुल्क दवाई को वे क्लिनिक वाले से साठ गाठ कर बेच देते है तथा मरीज को दवाई के नाम पर एक लम्बी रसीद थमा दी जाती हैं.

धनाभाव में कई बार लोग महंगी कीमतों की दवाई खरीद पाने में समर्थ नही होते है इस कारण अपनी अस्वस्थता के बावजूद भी चिकित्सालय की ओर नहीं आते हैं.

यदि ऐसे इलाकों में मैं डॉक्टर होता तो इस तरह के जरूरतमद लोगों की मदद के लिए कार्य अवधि से अधिक समय तक अस्पताल में रूककर उनकी मदद करता, तथा असहाय लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें लुटने वाले लुटेरों से बचाना का हर संभव प्रयास करता.

साथ ही मेरी यह कोशिश रहती कि सरकार द्वारा चलाएं जा रहे विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों एवं योजनाओं को लोगों तक पहुचाने का पूरा प्रयास करते तथा उन्हें अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने की सलाह भी देता.

कोरोना की वैश्विक महामारी ने सिद्ध कर दिया कि हेल्थ वर्कर्स और केवल डॉक्टर ही इस हमारे जहाँ पर फरिश्तें हैं, जब पूरी दुनियां घरों में कैद हो गई, लोगों ने मौत से भयभीत होकर मरते इंसान को पानी तक देने से गुरेज किया, ऐसे में डॉक्टर 24 घंटे अपनी सेवाएं देकर लोगों की जान बचा रहे थे.

सही मायनों में पीड़ितों और दीन दुखियों की सेवा का कोई मार्ग है तो यह चिकित्सीय क्षेत्र ही हैं. एक डॉक्टर अपने जीवनकाल में हजारों लोगों को जीवन दान देता हैं.

मैं भी बड़ा होकर एक ही समाज सेवी डॉक्टर बनना चाहूँगा जो गरीबों, वंचितों और पीड़ित लोगों के जीवन को निरोगी बनाने में अपना आंशिक योगदान दे सके.

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