दिवाली का महत्व क्यों मनाते हैं Importance Of Diwali Festival In Hindi: दीपावली हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक हैं जिन्हें रोशनी का पर्व अथवा दीपौत्सव के नाम से भी जाना जाता हैं.
यह कार्तिक अमावस्या का दिन होता है जो अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार अक्टूबर या नवम्बर माह में पड़ता हैं. यदि आप नही जानते कि 2023 में दिवाली कब है तो आपको बता दे इस साल 10 नवम्बर को धनतेरस एवं इसके दो दिन बाद दीपावली का उत्सव मनाया जाता हैं.
घर घर में खुशियों के दीपक इस पर्व पर जलाकर अन्धकार पर प्रकाश एवं असत्य पर सत्य की विजय का संदेश दिया जाता हैं.
यदि आप दिवाली का महत्व नही जानते तो यहाँ आपकों Diwali Importance Essay In Hindi में दीपावली के इतिहास, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक एवं वैज्ञानिक महत्व के बारे में बता रहे हैं.
दिवाली का महत्व क्यों मनाते हैं Importance Of Diwali Festival In Hindi
वैसे तो दिवाली को हिन्दुओं का पर्व ही माना जाता है मगर भारत में इसे लगभग सभी धर्म एवं सम्प्रदायों के लोग मनाते आ रहे हैं,
2 शब्दों से मिलकर बने दीपावली शब्द का अर्थ होता है दीपो की पंक्ति अथवा कतार क्योंकि इस दिन बड़ी संख्या में घी के दिये जलाकर घर की चौखट या मुख्य द्वार पर एक लाइन में सजाया जाता हैं. धन सुख सम्पति एवं एश्वर्य की प्रदाता माँ लक्ष्मी का यह पर्व माना जाता हैं.
समय के बदलाव के साथ साथ दिवाली को मनाने के तरीके में भी पर्याप्त बदलाब आ गया हैं. पहले इसे मनाने के लिए लोग घरों को दीयों की रोशनी से सजाते थे.
मगर अब समय में काफी बदलाव आ गया हैं. लोग अपने घरों को दीपकों के स्थान पर मोमबत्तियों और विद्युत् बल्बों से सजाते हैं. हालाँकि गाँवों में आज भी मिट्टी के बने दियों के साथ इस परम्परा को जीवित बनाए रखा हैं.
दिवाली मनाने का कारण (History about diwali in hindi)
इस त्यौहार को मनाने के पीछे भगवान राम से जुडी हुई एक कथा है जिनके अनुसार उनके पिता दशरथ द्वारा जब इन्हें 14 वर्ष का वनवास मिला था तो वे इसी दिन अपने वनवास की अवधि पूर्ण कर, रावण का अंत कर सीता व लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे.
अयोध्या की जनता ने प्रभु श्रीराम का घी के दिए जलाकर स्वागत किया. इस तरह से अमावस्या की अंधकार भरी रात्री में चारो ओर दीपकों की रोशनी से सारी अयोध्या नगरी जगमगा उठी थी. तब से आज तक हम इस प्र्काशोउत्स्व को हर साल मनाते आ रहे हैं.
वही दीपावली का पहला दिन धनतेरस मनाने के पीछे की कथा के अनुसार इस दिन समुद्रमंथन से माँ लक्ष्मी का जन्म हुआ था, इसी कारण उनकी पूजा की जाती हैं.
साथ ही इस दिन आयुर्वेद के ज्ञाता भगवान धन्वन्तरी का जन्म भी इसी दिन हुआ था. इस कारन इन्हें के नाम पर इस पर्व को धन तेरस अथवा धन त्रयोदशी के रूप में मनाया जाता हैं.
दिवाली का सामजिक महत्व (Social Significance Of Diwali)
यह पर्व ऐसे समय में मनाया जाता है जब किसान अपनी खरीफ की फसल को प्राप्त कर चुके होते हैं. चार महीनों की मेहनत के बाद फसल कटाई के बाद उनके पास हर्ष और उल्लास का काफी समय रहता हैं.
जिन्हें वो इस तरह के त्योहारों के द्वारा पूर्ण करते हैं. लोग अपने घरो को साफ़ सुथरा बनाते है नयें नयें कपड़े खरीदते है.
धनतेरस के दिन बर्तन सोने चादी के आभूषण आदि की खरीद भी की जाती हैं. इस तरह से सभी जगहों पर हंसी ख़ुशी का साफ़ सुथरा माहौल दिवाली का त्योहार ला देता हैं.
दिवाली त्योहार का धार्मिक महत्व (Religious Significance Of Diwali Festival)
देशभर में मनाए जाने वाले इस पर्व को पश्चिम बंगाल में काली पूजा अथवा दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता हैं. इस दिन बड़े बड़े पंडालों एवं पूजा स्थलों में शक्ति की प्रतीक देवी दुर्गा की मूर्तियों की स्थापना कर पूजा अनुष्ठान के कार्य सम्पन्न किये जाते हैं.
माँ दुर्गा का पूजन करने के पीछे मान्यता यह है कि सर्वशक्तिमान देवी हमारे सम्पूर्ण दुखों का हरण करे तथा इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा इसलिए की जाती हैं ताकि वो धन दौलत प्रदान कर जीवन की दरिद्रता का नाश करे, जीवन को साधन सुखमय बनाएं.
दीपावली का आर्थिक महत्व (Economic significance of Deepawali)
सभी पर्व एवं उत्सवों के अपने सामाजिक धार्मिक एवं आर्थिक महत्व होते है दिवाली को मनाने का भी आर्थिक महत्व हैं.
कार्तिक अमावस्या की लक्ष्मी पूजा के बाद ही व्यापारी लोग अपने नये बही खाते की शुरुआत करते हैं. सेठ साहूकारों द्वारा इस दिन तक अपने वर्ष भर के उधारी हिसाब किताब को पूरा करने का यत्न किया जाता हैं.
धनतेरस से ही बाजार की सभी दुकाने पटाखे, मिठाइयों तथा कपड़ों से सज धज जाती हैं. दुकानदार तथा कम्पनियां ग्राहकों को आकर्षक ऑफर देती हैं.
इस तरह से सोने चांदी, वाहनों, कपड़े तथा मिठाई में साल भर की सबसे अधिक बाजार में तेजी दीवाली के उत्सव पर ही होती हैं.
दिवाली का वैज्ञानिक महत्व (Scientific significance of diwali)
दिवाली का बड़ा धार्मिक महत्व हैं. यह वर्षा ऋतू की समाप्ति एवं सर्द ऋतु के आगमन के समय मनाया जाता हैं. इस समय तक वातावरण कीट पतंगो से भर जाता हैं. कई हानिकारण जीवाणु कीटाणु बरसात कीचड़ तथा घास फूस के कारण जन्म ले लेते हैं.
घरों के आस-पास घास व झाड़ियाँ उग जाती है जो मच्छरों को प्रश्रय देती हैं. इस तरह से इस पर्व पर सफाई करने से पूरा माहौल साफ़ सुथरा हो जाता है तथा बीमारियाँ फैलने की संभावना कम हो जाती हैं.
दीपक की रोशनी से भी सैकड़ो हानिकारण कीट पतंग मर जाते हैं इस तरह से दीपावली के समय एक बड़ा स्वच्छता अभियान अनायास ही चल पड़ता हैं. जो हमारे पर्यावरण को साफ़ सुथरा रखने में हमारी मदद भी करता हैं.
What Is Diwali In Hindi And Why We Celebrate दिवाली क्या है कब और क्यों मनाई जाती है
एक हिन्दू फेस्टिवल है.आपकों बता दे वर्ष 2023 में यह दीपोत्सव 12 नवम्बर को मनाया जाना हैं. सम्पूर्ण भारत में मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक दीपावली को रोशनी का पर्व अर्थात फेस्टिवल ऑफ लाइट्स के नाम से भी जाना जाता हैं.
नेपाल, भारत, श्रीलंका, म्यांमार, मारीशस, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया ये उन देशों के नाम है जहाँ दीपावली का राजकीय अवकाश रहता हैं.
अंधकार पर प्रकाश की, अन्याय पर न्याय की जीत के रूप में इसे मनाया जाता हैं. हमारे उपनिषद् में वर्णित संस्कृत श्लोक तमसो मा ज्योतिर्गमय की व्याख्या दिवाली का पर्व करता है जिसका तात्पर्य है अंधकार से उजाले की ओर.
यह पर्व हिन्दुओं के अतिरिक्त बौद्ध सिख एवं जैन धर्म के अनुयायी भी मनाते हैं. उनकी धार्मिक आस्था के अनुसार सिख धर्म के इतिहास में दिवाली के दिन ही स्वर्ण मंदिर की नीव रखी गई थी
और इसी दिन छठे सिक्ख गुरु हरगोविंद सिंह जी को जेल से रिहाई भी मिली थी. जैन धर्म के लोग इन्हें निर्वाण दिवस के रूप में मनाते है उनके चौबीसवें तीर्थकर महावीर स्वामी ने दीपावली के दिन ही निर्वाण प्राप्त किया था.
क्यों मनाते है दिवाली महत्व (Why We Celebrate Diwali In Hindi)
इस त्यौहार को मनाने के पीछे की कई कहानियां है मगर प्रमुखतया इसका मूल सम्बन्ध भगवान् श्रीराम की कथा से जुड़ा हुआ हैं. रामायण के अनुसार अयोध्या नगरी के राजा दशरथ हुआ करते थे,
उनके द्वारा एक समय अपनी रानी कैकेयी को दिए गये एक वरदान के अनुसार पिता दशरथ को अपने प्रिय राजकुमार श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास देना पड़ा.
राम जी के वन गमन के समय उनके साथ पत्नी सीता एवं भाई लक्ष्मण भी थे. वन वास की अवधि के दौरान ही लंका नरेश रावण द्वारा सीता का हरण हो जाता है तथा वह उनके लंका ले जाता है.
जब रामचन्द्र जी को इस घटना का पता लगता है तो वे सीता की खोज में सुग्रीव की वानर सेना के साथ लंका जाते है तथा अत्याचारी रावण से युद्ध कर उन्हें मारकर अयोध्या लौट आते हैं. कहा जाता है कि कार्तिक अमावस्या की रात्री को भगवान् राम अयोध्या पहुचे थे.
अमावस्या की अँधेरी रात्रि में 14 वर्ष बाद पहुचे अपने प्रिय राजा को देखने के लिए लोग ललायित थे. जब उनके पहुचने की खबर उनकों लगी तो सभी ने घी के दीपक जलाकर प्रभु श्रीराम का स्वागत किया.
चारों ओर दीयों की रोशनी के साथ जनमानस में खुशी का ठिकाना नही था. दिवाली मनाने की परम्परा की शुरुआत यही से हुई है तब से लेकर आज तक हम दीपोत्सव दिवाली को मनाते आ रहे हैं.
दिवाली कब है 2023 में
यदि हम बात करे दीपावली 2023 की तो आपकों बता दे आगामी 12 नवम्बर को दीपोत्सव है. हर वर्ष दिवाली का यह पर्व अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर माह में पड़ता है. हिन्दू पंचाग के अनुसार यह कार्तिक महीने की अमावस्या (15 वी) तिथि को मनाया जाता हैं.
दीपावली को पांच दिवसीय पर्व के रूप में मनाया जाता है, जिसका पहला दिन धनतेरस कहलाता है जो कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है.
2023 में धनतेरस का यह उत्सव 10 नवम्बर को हैं. इसके अगले दिन को रूप चौदस के रूप में मनाते है जो कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को पड़ता है इस साल रूप चौदस 2023 की तिथि ११ नवम्बर हैं.
रूप चौदस का अगला दिन लक्ष्मी पूजन यानि दीपावली का होता है. 2023 में दिवाली का त्योहार 12 नवम्बर को है. दिवाली का अगला दिन गौवर्धन पूजा एवं अंतिम दिवस भाई दूज कहलाता है जो 14 नवम्बर के दिन हैं.
यह हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्योहार है. इस अवसर पर विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों को साल की सबसे लम्बी छुट्टियाँ भी मिलती हैं. सभी लोग अपने परिवारजनों एवं मित्रों के साथ इसे बड़ी धूमधाम के साथ मनाते है.
लोग अपने घरों की सफाई करते है. सजी धजी बाजारों से गहनों बर्तनों आदि की खरीददारी की जाती है. बच्चें दिवाली के पटाखें एवं मिठाइयों का लुप्त उठाते है. शुभ मुहूर्त में माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है.
दिवाली का ज्योतिष महत्व
हिंदू धर्म के अंदर आने वाले हर त्यौहार का ज्योतिष महत्व होता है। कहा जाता है कि अलग-अलग त्योहारों पर ग्रहों की दिशा और विशेष योग इंसानी समुदाय के लिए लाभदायक होते हैं।
हमारे हिंदू धर्म में दीपावली का दिन किसी भी अच्छे काम को शुरू करने के लिए या फिर किसी भी वस्तु की खरीदारी करने के लिए सही माना जाता है।
दीपावली के आसपास चंद्रमा और सूर्य तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में मौजूद होते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा और सूर्य की यह स्थिति अच्छा फल देने वाली होती है।
तुला राशि एक संतुलित भाव रखने वाली राशि है। यह राशि न्याय का प्रतिनिधित्व करती है। तुला राशि के स्वामी शुक्र होते हैं, जो भाईचारे के कारक होते हैं। इसीलिए अगर तुला राशि में सूर्य और चंद्रमा एक साथ होते हैं तो यह शुभ संयोग माना जाता है।