इंदिरा गांधी नहर परियोजना के बारे में जानकारी | Indira Gandhi Canal In Hindi

Indira Gandhi Canal In Hindi | इंदिरा गांधी नहर परियोजना के बारे में जानकारी : इंदिरा गांधी नहर परियोजना पश्चिमी राजस्थान की एक महत्वपूर्ण परियोजना है.

इस परियोजना को क्रियान्वित करने का मुख्य उद्देश्य थार के मरुस्थल में पेयजल की आपूर्ति, व्यर्थ भूमि के उपयोग तथा अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर आबादी बसाना था.

यह एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित नहर है. वर्तमान में इस परियोजना को बाड़मेर के गडरा रोड़ तक बढ़ा दिया है.

इंदिरा गांधी नहर परियोजना के बारे में जानकारी | Indira Gandhi Canal In Hindi

इंदिरा गांधी नहर परियोजना के बारे में जानकारी | Indira Gandhi Canal In Hindi
प्राचीन नामराजस्थान नहर
निर्मातामहाराजा गंगा सिंह
स्थापना1927
लाभान्वित क्षेत्रचुरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर, बाडमेर और नागौर
राज्य में लम्बाई470 किलोमीटर
उद्घाटन2 नवंबर 1984
प्रवेशमासितावाली हैड
अंतिम बिंदुगड़रारोड़ – बाडमेर
सिंचित क्षेत्र16.17 लाख हेक्टेयर

योजना का क्रियान्वयन

इंदिरा गांधी नहर को राजस्थान नहर के नाम से भी जाना जाता है. इस नहर को बनाने का सुझाव सर्वप्रथम 1948 में बीकानेर के तत्कालीन सिंचाई इंजीनियर कंवरसेन ने दिया था.

इस परियोजना को केंद्र सरकार की स्वीकृति मिलने के पश्चात 1952 में सतलज व व्यास के संगम पर हरिके बैराज नामक बाँध का काम शुरू हुआ.

इस बाँध से इंदिरा गांधी नहर को निकाला गया. इस नहर की कुल लम्बाई 649 किलोमीटर है जिसमें से 169 किमी पंजाब में 14 किमी हरियाणा में तथा शेष राजस्थान में है.

इस नहर का प्रारम्भिक नाम राजस्थान नहर था. जिसे बाद में इंदिरा गांधी नहर कर दिया गया. इस नहर से राजस्थान के 9 जिलों, 29 कस्बों तथा 3461 गाँवों को पेयजल की आपूर्ति होती है. इस नहर को दो चरणों में पूरा किया गया था.

राजस्थान फीडर नहर और मुख्य नहर

राजस्थान फीडर नहर- यह प्रथम चरण के अंतर्गत निर्मित इंदिरा गांधी नहर का भाग है. जो हरिके बैराज से लेकर गंगानगर के मसीतावली हेड तक निर्मित किया गया था.

प्रथम चरण में कुल 204 किलोमीटर लम्बी राजस्थान फीडर नहर का निर्माण किया गया था. जिसमें से 169 किमी पंजाब में 14 किमी हरियाणा में व केवल 21 किमी भाग राजस्थान में निर्मित किया गया था.

मुख्य नहर

इसे द्वितीय चरण के अंतर्गत निर्मित किया गया. इसमें कुल 445 किमी लम्बी नहर बनाई गई जो मसीतावली से मोहनगढ़ के अंतिम बिंदु तक निर्मित है. मुख्य नहर पुर्णतः राजस्थान में है.

इस मुख्य नहर से मरुस्थलीय भाग को सिंचाई करने के लिए ७ लिफ्ट नहरें भी निकाली गई है जो इस नहर के पूर्व में मिलती है जबकि पश्चिमी भाग में अनेक शाखाएं निकाली गई है.

परियोजना का प्रभाव

इंदिरा गांधी नहर के द्वारा 17.41 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जा रहा हैं. इस परियोजना से प्रभावित क्षेत्र वर्तमान में राजस्थान का मुख्य खाद्यान्न व फल उत्पादक क्षेत्र बनता जा रहा है.

इस नहर से कृषि उपज में वृद्धि, अकाल पर रोक, विद्युत् उत्पादन, मत्स्य उद्योग, यातायात विकास रेगिस्तान प्रसार में रुकावट व वृक्षों के विकास जैसी दशाएं उत्पन्न हुई है. इन दशाओं के कारण राजस्थान का यह मरुस्थलीय भाग एक आबाद प्रदेश बन गया हैं.

इंदिरा गांधी नहर की विशेषताएं

  • इंदिरा गांधी नहर की विशेषताएं इस प्रकार हैं,
  • यह एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित नहर है.
  • इस नहर ने पश्चिमी राजस्थान की दशा व दिशा दोनों को बदल दिया है.
  • इस नहर के माध्यम से 17.41 करोड़ हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जाएगा.
  • यह नहर राजस्थान में मरुस्थल की गंगा सिद्ध हुई है.
  • इंदिरा गांधी नहर ने अनेक लोगों को रोजगार प्रदान क्या हैं.

इंदिरा गांधी नहर का नाम बदलने की हो रही मांग

देश में कई ऐतिहासिक धरोहरों के नाम बदलने की प्रक्रिया कई वर्षों से चली आ रही हैं, भारतीय जन महासभा ने अब इंदिरा गांधी नहर परियोजना का नाम बदलकर इसका पूर्व नाम गंग नहर रखे जाने की मांग की हैं.

महासभा के अनुसार इस नहर का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने निर्माण करवाया था मगर 1984 में अचानक इसका पूरा श्रेय इंदिरा गांधी को दे देना दुखद हैं.

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