भारत रूस संबंध पर निबंध | Indo Russian Relations Essay In Hindi

भारत रूस संबंध पर निबंध Indo Russian Relations Essay In Hindi: दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद विश्व दो महाशक्तियों में बंट चुका था,

उस समय भारत ने किसी शक्ति के साथ न मिलकर एक थर्ड वर्ल्ड के रूप में गुटनिरपेक्षता के साथ विकासशील देशों के साथ मधुर संबंध बनाए.

एक गुट का नेतृत्व पूंजीवादी अमेरिका कर रहा था, दूसरे की बागडोर सोवियत रूस के हाथ में थी.

भारत रूस संबंध पर निबंध Indo Russian Relations Essay In Hindi

भारत रूस संबंध पर निबंध | Indo Russian Relations Essay In Hindi

भले ही भारत ने गुटनिरपेक्षता की निति अपनाई, मगर भारत के रूस के साथ अच्छे संबंध (indo russian relations) थे. जिसके पीछे कई राजनितिक व आर्थिक कारण थे.

न केवल सोवियत संघ ने भारत के साथ मित्रतापूर्ण संबंध रखे बल्कि समय समय पर रूस ने भारत की आर्थिक व सामरिक रूप से भरपूर मदद भी की. इस वजह से भारत अमेरिका ताल्लुकात खराब होते गये, जबकि रूस के साथ भारत के संबंध और नया रूप लेते गये.

सोवियत संघ ने गुटनिरपेक्ष देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंध की निति अपनाई, इसलिए भारत के साथ उसने अच्छे संबंध कायम रखे.

पहली बार इतिहास में भारत रूस सम्बन्धों की शुरुआत 1955 में भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु और सोवियत रूस के नेता ख्रुश्चेव के भारत दौरे के बाद नई शुरुआत हुई.

सोवियत रूस ने विश्व पटल पर कश्मीर विवाद पर न सिर्फ भारत का समर्थन किया बल्कि आर्थिक व सैन्य सहायता भी दी. 1965 के भारत पाक युद्ध में रूस ने मध्यस्था कर दोनों देशों के बिच ताशकंद समझौता करवाया.

अगस्त 1971 में दोनों देशों ने शान्ति, मित्रता एवं सहयोग सम्बन्धी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसके फलस्वरूप भारत को 1971 में भारत पाक युद्ध में काफी सहायता मिली.

बदले में भारत ने भी सोवियत रूस की नीतियों का समर्थन किया. 1979 में जब रूस ने अफगानिस्तान पर हमला किया, तब भी भारत एक मित्र होने के नाते सोवियत रूस के समर्थन में खड़ा नजर आया.

दिसम्बर 1991 में सोवियत रूस के विघटन के बाद रूस की स्थति अपेक्षाकृत कमजोर हो गईं. इसलिए रूस के लिए यूरोप के देशों से बेहतर संबंध रखना उसके आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से आवश्यक हो गया.

और उसने ऐसा ही किया. इस दौरान भारत से उसके संबंध सामान्य रहे, किन्तु रुसी व्यापार एवं संबंध केंद्र में यूरोप के विकसित राष्ट्र एवं एशिया के जापान व चीन विकसित देश थे.

भारत रूस संबंध का इतिहास

1993 में जब रूस के तत्कालीन राष्ट्रपति भारत की यात्रा पर आए, तो उन्होंने 1971 में हुए भारत सोवियत रूस समझौते का नवीनीकरण किया. यदपि इस नवीनीकरण में सुरक्षा सम्बन्धी पक्षों को हटा लिया गया.

फिर भी इस समझौते से दोनों देशों के सम्बन्धों में सहायता मिली. इसके बाद 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव रूस की यात्रा पर गये एवं दोनों देशों के आपसी सहयोग को मजबूत करने के लिए मास्को घोषणापत्र पर रुसी राष्ट्रपति येत्सिन के साथ हस्ताक्षर किए.

इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के अंतर्राष्ट्रीय एवं द्विपक्षीय सद्भावना में वृद्धि हुई तथा रूस की ओर से भारत को सैन्य उपकरणों का पुनः निर्यात शुरू हुआ. इसके अतिरिक्त दिसम्बर 1994 में दोनों देशों के बिच 8 अन्य समझौतों पर हस्ताक्षर हुए.

जिनसे भारत रूस सम्बन्धों में और अधिक निकटता आई. इन समझौतों में सैन्य एवं तकनीकी सहयोग, जहाजरानी, द्विपक्षीय निवेशों की सुरक्षा, व्यापार व अन्तरिक्ष सहयोग सम्बन्धी समझौते शामिल थे.

मार्च 1955 में दोनों देशों ने हथियारों के गैर कानूनी व्यापार और नशीले पदार्थों को रोकने सम्बन्धी समझौते पर हस्ताक्षर किए.

सोवियत संघ के विघटन के बाद पश्चिमी देशों से संबंध रूस की आवश्यकता थी, किन्तु जब पश्चिमी देशों से रूस को आवश्यक सहयोग उसकी उम्मीद के अनुरूप नही मिला, अब उन्हें फिर से भारत की तरफ कदम बढ़ाना आवश्यक था.

भारत के साथ पुरानें सम्बन्धों को एक बार फिर से नई शुरुआत मिली. भारत तथा रूस दोनों की समय के परिवर्तन के साथ परिस्थतियाँ बदल चुकी थी, इसलिए दोनों ने एक बार फिर से नयें सिरे से सम्बन्धों की शुरुआत की.

भारत रूस रक्षा सौदा

वर्ष 2000 में जब रूस के राष्ट्रपति भारत की यात्रा पर आए तो भारत अपने पुराने मित्र की तसल्ली करना चाहता था. कई मुद्दों पर भारत को अपने पुराने साथी से सहयोग की उम्मीद थी, जिनमें राजनितिक अवसरवाद, संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनाने का विषय मुख्य रूप से थे.

इस यात्रा पर इस तरह के 10 आपसी मुद्दों पर सहमती बनी. इस घोषणा पत्र में भारत रूस सम्बन्धों के सभी पक्षों जैसे राजनितिक, रक्षा, अर्थ व वाणिज्य, विज्ञान तकनीकी तथा सांस्कृतिक विषयों पर दीर्घकालीन बात कही गईं.

वर्ष 2001 में भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी रूस की यात्रा पर गये, 21 वी सदी में भारत रूस सम्बन्धों का यह नया अध्याय शुरू हुआ.

इसके एक साल बाद 2002 में रुसी राष्ट्रपति पुतिन दूसरी बार भारत की यात्रा पर आए थे. इस यात्रा कके दौरान दोनों देशो के मध्य प्रतिरक्षा, सहभागिता तथा द्विपक्षीय रिश्ते मजबूत करने हेतु एक घोषणापत्र तैयार हुआ.

वर्तमान में भारत और रूस के मध्य संबंध

दोनों देशों के नेताओं की इस बैठक में राजनितिक, प्रतिरक्षा, आर्थिक, वैधानिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अनेक महत्वपूर्ण समझौतों पर सहमती बनी.

दोनों देशों के मध्य 2007 में व्यापार, निवेश एवं आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए इण्डिया रशिया फॉर्म ओन ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट का गठन किया गया था. जिसकी पहली बैठक १२-१३ फरवरी २००७ को नई दिल्ली में हुई.

रुसी प्रधानमंत्री मेदवदेव की दिसम्बर 2008 में भारत की यात्रा और भारतीय pm डॉक्टर मनमोहन सिंह की रूस यात्रा से दोनों देशों के सम्बन्धों और और मधुरता आई.

दोनों देशों के आपसी सांस्कृतिक सम्बन्धों को मजबूती प्रदान करने के लिए भारत में 2008 में रूस का वर्ष मनाया गया. इसके बाद 2009 में भी रूस में भारत का दिवस मनाया गया.

दोनों देश आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए हमेशा साथ रहने का वादा किया हैं. 7 नवम्बर 2009 को भारत ने रूस के साथ नाभिकीय समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे दोनों देशों के संबंध और भी बेहतर हुए हैं.

भारत-रूस संबंध 2018

राष्ट्रपति पुतिन के बुलावे पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले चार साल में चौथी बार रूस यात्रा पर गये हैं. पुतिन ने लगातार चौथी बार रूस के राष्ट्रपति के रूप में हाल ही में कार्यभार संभाला हैं.

वे पुतिन के साथ औपचारिक शिखर वार्ता करेगे. मोदी और पुतिन के बिच ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने के प्रभाव, आइएस, सीरिया, अफगानिस्तान और न्यूक्लियर पॉवर के लेकर बातचीत हुई.

भारत और रूस के शीर्ष नेताओं के मध्य शिखर वार्ता की शुरुआत वर्ष 2000 में शुरू हुई थी. ये बैठके बारी बारी से मास्को और नई दिल्ली में आयोजित की जाती हैं.

ब्लादिमीर पुतिन ने कई अहम मुद्दों पर वार्ता के लिए मोदी को रूस आने का न्योता दिया था. दोनों देश भविष्य में रूस की प्राथमिकताएँ, विदेश निति और आपसी सम्बन्धों पर बातचीत करेगे.

अब भारत रूस से पनडुब्बी लीज पर लेना चाह रहा हैं. रूस से 40,000 करोड़ रूपये की लागत पर वायु प्रतिरक्षा मिसाइल प्रणाली खरीदने पर भी समझौता हुआ हैं.

रूस भारत को कम कीमत में सुखोई टी-50 लड़ाकू जेट देने की पेशकश कर चुका हैं. भारत रूस के हथियार का सबसे बड़ा खरीददार देश हैं. 70 फीसदी सैन्य हार्डवेयर भारत रूस से ही खरीदता हैं.

न्यूक्लियर पॉवर के क्षेत्र में रूस भारत में 2030 तक 18 प्लांट लगाने की घोषणा कर चूका हैं. रूस गैस एवं तेल के मामले में सबसे सम्रद्ध देश हैं.

अमेरिका, चीन के बाद भारत सबसे अधिक गैस व तेल का आयात करता हैं. रूस के इन 18 न्यूक्लियर पॉवर प्लांट में हरेक की क्षमता 1000 मेगावाट हैं, एक रिएक्टर की कीमत 17 हजार करोड़ रूपये हैं.

भारत रूस सम्बन्ध 2021

वर्ष 2021 में एक तरफ भारत अमेरिका के अधिक करीब होता जा रहा है दूसरी ओर अपने पुराने सहयोगी रूस के साथ भी मैत्री सम्बन्ध बनाए रखे हैं. दोनों देशों के बीच सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक स्तर पर अच्छे सम्बन्ध हैं.

रोबोटिक्स, नैनोटेक, बायोटेक, खनन, कृषि-औद्योगिक एवं उच्च प्रौद्योगिकी, हथियार, हाइड्रोकार्बन, परमाणु ऊर्जा तथा हीरे के व्यापार में दोनों देशों के बीच अच्छे माहौल में व्यापार हो रहा हैं.

वर्ष 2021 में ही रूस द्वारा निर्मित S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली को भारत को सुपुर्द किया जाना हैं. भारत ने अपने कई घनिष्ठ मित्र देशों अमेरिका, इजराइल आदि के उन्नत तकनीक के डिफेन्स सिस्टम होने के बावजूद रूस के साथ करार किया हैं.

पाकिस्तान और चीन के साथ रूस के बढ़ते सम्बन्ध भारत के लिए चिंता के विषय हैं. भारत के साथ तनाव पैदा करने में दोनों देशों ने विगत वर्षों में अपनी बदनीयत को दिखाया हैं. ऐसे में रूस थर्ड पार्टी के रूप में रूस भारत का अच्छा मित्र देश हैं.

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