विश्व बाघ दिवस पर निबंध | International Tiger Day 2023 Essay In Hindi

International Tiger Day 2023 Essay In Hindi विश्व बाघ दिवस पर निबंध: world tiger day 2023  के अवसर पर आज हम आपके लिए tiger day information में Hindi Essay स्पीच लेकर आए हैं. global tiger day 5, 10, 15 लाइन का छोटा बड़ा निबंध आपके लिए यहाँ दिया गया हैं.

International Tiger Day Essay In Hindi

विश्व बाघ दिवस पर निबंध | International Tiger Day 2023 Essay In Hindi

Short 10 Line Essay On World Tiger Day 2023

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हर साल 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस को मनाकर तेजी से लुप्त हो रहे बाघों का संरक्षण करने का महत्व समझाया जाता हैं.

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वर्ष 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग में सम्पन्न हुए बाघ सम्मलेन के बाद हर साल 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाने का निर्णय हुआ.

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अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने का उद्देश्य यह हैं कि लुप्त हो रहे बाघों के प्रति जनजागरूकता से इन्हें बचाया जाए.

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2016 में WWF की ओर से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि विश्व में कुल 6 हजार बाघ है जिनमे 4 हजार अकेले भारत में हैं.

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प्रथम अंतर्राष्ट्रीय बाघ सम्मेलन में १३ देशों द्वारा यह निर्णय लिया गया कि वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या दुगुनी हो.

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दुनियां में कई प्रजातियों के बाघ पाए जाते हैं जिनमें साइबेरियन बाघ, बंगाल बाघ, इंडोचाइनीज बाघ, मलायन बाघ, सुमात्रा बाघ और साउथ चाइना बाघ ये छः मुख्य हैं.

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विगत आठ दशकों में बाघ की तीन प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं शेष लुप्त होने की कगार पर हैं.

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बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु हैं इसके संरक्षण के लिए 48 बाघ उद्यान बनाए गये हैं.

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अपनी कुल आबादी के 98 प्रतिशत बाघ खत्म हो चुके हैं. बाघों की कमी का मुख्य कारण अवैध शिकार हैं.

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बाघ के जीवन के लिए उनके दांत बेहद महत्वपूर्ण होते हैं उनके टूटने की स्थिति में बाघ की मृत्यु भी हो सकती हैं.

विश्व बाघ दिवस पर निबंध Essay on world tiger day 2023 In Hindi

हर साल विश्व भर में 29 जुलाई के दिन विश्व बाघ दिवस मनाया जाता हैं. विगत कुछ वर्षों से जिस तेजी से बाघों की संख्या घटी हैं उसे देखते हुए बाघ संरक्षण के उद्देश्य से विश्व बाघ दिवस मनाया जाता हैं.

ताकि लोगों में जानवरों के जीवन की समझ विकसित हो. WWF के अनुसार वर्तमान में समूचे संसार में महज तीन हजार बाघ ही हैं जिनमें से अधिकाँश भारत में हैं. भारत में बाघों के संरक्षण की महती आवश्यकता हैं.

वर्ष 2010 में रूस में आयोजित हुए टाइगर सम्मिट में हर वर्ष 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाने का निर्णय किया गया, इस सम्मेलन में 13 राष्ट्र सम्मिलित थे. इस आयोजन में वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या को दुगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था.

1973 में शुरू किए गये टाइगर प्रोजेक्ट में अगले 50 वर्षों के दौरान बाघों के संरक्षण पर काम करने की योजना बनाई गई थी. उस समय भारत में बाघों की संख्या २६८ थी. अप्रैल २०२४ में टाईगर प्रोजेक्ट के ५० वर्ष पुरे होने पर बाघों की संख्या बढ़कर 3167 हो चुकी हैं.

जहाँ बाघ है वहां शाकाहारी जीव हैं, जंगल के स्वास्थ्य का प्रतीक बाघ को माना जाता हैं. कई देश बाघ संरक्षण की दिशा में काम कर रहे हैं. भारत में भी टाइगर प्रोजेक्ट पर काम हो रहा हैं, मगर इसे अधिक तेजी से किए जाने की आवश्यकता हैं.

जंगलों की कटाई और अवैध शिकार के चलते बाघों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा हैं. जिस तेजी से बाघों की तादाद में कमी हो रही हैं. यदि कुछ समय और ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन यह बाघ रहित हो जाएगी.

भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ हैं. बाघ को शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि और धैर्य का प्रतीक माना जाता हैं. लगभग सभी प्रकार के वनों में यह जीवित रहने में सक्षम हैं. भारत में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत बाघों के संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाएं बनी.

बाघ संरक्षण की दिशा में टाइगर प्रोजेक्ट की स्थापना और सही तरीके से संचालन एक बड़ा कदम हैं. वर्ष 1973 में भारत में टाइगर प्रोजेक्ट अभियान शुरू किया गया था,

वर्तमान में देश में कुल 48 बाघ उद्यान हैं जिनकी निगरानी के लिए भी वन विभाग सतर्क रहता हैं. बाघ उद्यानों में शिकार पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध हैं. बंगाली टाइगर भारत में पाई जाने वाली एक श्रेष्ठ बाघों की प्रजाति हैं.

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