अर्थशास्त्र का परिचय अर्थ, परिभाषा । Introduction Of Economics, Meaning, Definition In Hindi

नमस्कार दोस्तों , आज हम अर्थशास्त्र का परिचय अर्थ, परिभाषा Introduction Of Economics, Meaning, Definition In Hindi में अर्थशास्त्र विषय के संबंध में विस्तार से अध्ययन करने वाले है। यहाँ हम अर्थशास्त्र का अर्थ परिभाषा क्या है इतिहास महत्व प्रकृति व क्षेत्र को पढ़ेगे।

विद्यालयों में बच्चों को एक विषय के रूप में अर्थशास्त्र का अध्ययन करवाया जाता हैं. यह अर्थ, वाणिज्य, व्यापार  तथा बाजार के सम्बन्ध में जानकारी देती हैं.

चाणक्य ने अपनी पुस्तक अर्थशास्त्र में सर्वप्रथम अर्थशास्त्र शब्द का प्रयोग किया था. इसका अर्थ समझने के लिए संधि विच्छेद करने पर यह अर्थ +शास्त्र बनता हैं जिसका आशय हैं धन मुद्रा का ज्ञान देने वाले शास्त्र.

Introduction Of Economics, Meaning, Definition In Hindi

अर्थशास्त्र का परिचय अर्थ, परिभाषा । Introduction Of Economics, Meaning, Definition In Hindi

अर्थशास्त्र परिचय इनट्रोडक्शन इन हिंदी : मानव सभ्यता के आरम्भ से ही मानव की भिन्न भिन्न प्रकार की आजीविकाओं पर निर्भरता रहती आई है। आदि मानव का जीवनयापन आखेटन पर आधारित था।

पशुपालन व कृषि आजीविकाओं का रूप लेकर आज अधिकांश लोगों की रोजी रोटी का साधन है। कालांतर में औद्योगिक क्रांति के बाद संसार के कई देशों में आजीविकाओं का रूप बदला।

आज उद्योग, व्यापार एवं अन्य वाणिज्यिक क्रियाएं विकसित हो गई है। वाणिज्यिक क्रियाएं अधिकतर लोगों के रोजगार व आय के साधन बन गयी है।

इस प्रकार आर्थिक क्रियाओं के स्वरूप में विकास एवं परिवर्तन हुआ। इसी तरह आर्थिक क्रियाओं से सम्बन्धीत आर्थिक विचारों, सिद्धांतों व नियमों का साहित्य समृद्ध होकर अर्थशास्त्र के नाम से लोकप्रिय है।

अर्थशास्त्र नाम का उल्लेख भारत के प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। कृषिपालन पालय वाणिज्यम च वार्ता में वार्ता शब्द का प्रयोग आर्थिक क्रियाओं के लिए हुआ है।

बृहस्पति शुक्र व कौटिल्य इत्यादि द्वारा कृषि, पशु पालन, दुग्ध उत्पादन एवं वाणिज्य से संबंधित आर्थिक क्रियाओं के लिए वार्ता शब्द का प्रयोग किया गया।

अर्थशास्त्र से सम्बंधित भारत के विचारकों में स्वामी दयानंद सरस्वती, दादा भाई नौरोजी, महादेव गोविंद रानाडे, गोपाल कृष्ण गोखले, रमेश चन्द्र दत्त, एम एन रॉय प्रमुख हैं।

बाद के भारत के विचारकों में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, राममनोहर लोहिया, प्रो जे के मेहता, पंडित दीन दयाल उपाध्याय एवं अमर्त्य सेन प्रमुख है।

अर्थशास्त्र की परिभाषाएं Definition of economics in Hindi

विश्व में अर्थशास्त्र का जनक एडम स्मिथ को जाना जाता है। एडम स्मिथ की पुस्तक an enquiry into the nature and causes of the wealth of nations सन 1776 में प्रकाशित हुई।

अर्थशास्त्रियों द्वारा अर्थशास्त्र की अलग अलग परिभाषाएं दी गई है। अलग अलग परिभाषाओ में प्रमुखतः धन प्रधान, कल्याण प्रधान, सीमितता प्रधान, विकास प्रधान व आवश्यकता विहीनता की स्थिति पर आधारित हैं।

एडम स्मिथ ने अर्थशास्त्र को धन का अध्ययन बताया । अर्थशास्त्री अल्फ्रेड मार्शल ने अर्थशास्त्र को आर्थिक कल्याण के अध्ययन के रूप में परिभाषित किया । उपर्युक्त विचारों की कटु आलोचना करते हुए लार्ड लियोनिल रॉबिन्स ने अर्थशास्त्र को सीमित आवश्यकताओं व सीमित साधनों से सम्बंधित बताया ।

लार्ड लियोनिल रॉबिन्स के अनुसार असीमित आवश्यकताओं की सीमित साधनों द्वारा पूर्ति हेतु चयन प्रक्रिया से सम्बंधित अध्ययन परिभाषित किया ।

अर्थशास्त्र को विकास से संबंधित करते हुए पॉल ए सेम्युलसन ने आर्थिक क्रियाओं के गत्यात्मक विश्लेषण पक्ष पर जोर दिया है। प्रो जे के मेहता ने अर्थशास्त्र को एक व्यक्ति में आवश्यकताओं की विहीनता की स्थिति प्राप्त करने में मदद करने वाला अध्ययन बताया । प्रो मेहता के विचार महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित रहे है।

एना कुतसोयानीस के अनुसार आर्थिक सिद्धांत का उद्देश्य एक व्यक्तिगत इकाई के आर्थिक व्यवहार तथा उसका एक दूसरे पर प्रभाव का वर्णन करने वाला मॉडल बनाना है, जिससे एक क्षेत्र, देश या सम्पूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था बनती है।

अर्थव्यवस्था सामाजिक विज्ञान से सम्बंधित होता हैं अर्थशास्त्र में समाज व परिवार के सदस्य के रूप में एक व्यक्तिगत इकाई अथवा उसके समूहों एवं देशों के आर्थिक व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। ये सभी अपनी असीमित व प्रतिस्पर्धी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए सीमित व वैकल्पिक उपयोग वाले साधनों का चुनाव करते हैं।

सरल शब्दों में अर्थशास्त्र व्यक्तियों या देशों के द्वारा साधनों की सीमितता के कारण उत्पन्न चुनाव से सम्बंधित समस्याओं का अध्ययन का विज्ञान व उनके समाधान की कला है।

इस प्रकार अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की एक शाखा है, अर्थशास्त्र में व्यक्ति या देशों की अर्थव्यवस्था के व्यवहार के आर्थिक पक्ष का अध्ययन किया जाता है। अर्थशास्त्र असीमित व प्रतिस्पर्धी आवश्यकताओं के सीमित व वैकल्पिक उपयोग वाले साधनों के चुनाव द्वारा हल निकालने से सम्बंधित है।

अर्थशास्त्र का अर्थ | What Is Economics In Hindi

प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवनकाल में जन्म से मृत्यु तथा अपनी दैनिक जीवनचर्या में प्रातकाल: जगाने के लिए रात्रि को सोने तक विभिन्न प्रकार के कार्यों को संपादित करना है. इन सभी मानवीय क्रियाओं को दो भागो में विभाजित किया जा सकता है.

अर्थशास्त्र की परिभाषा व अर्थ (Definition and Meaning  of economics)

मनुष्य की आवश्यकताएं असीमित होती है परन्तु इन आवश्यकताओं को संतुष्ट करने हेतु उपलब्ध साधन सिमित होते है. अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु मनुष्य को विभिन्न प्रकार की आर्थिक व अनार्थिक क्रियाएं करनी पड़ती है. व्यक्ति व समाज के आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन करने वाला शास्त्र अर्थशास्त्र (Economics) कहलाता है. दूसरे शब्दों में अर्थशास्त्र (arthashastra) मनुष्य द्वारा संपन्न की जाने वाली आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन ही अर्थशास्त्र है.

अर्थशास्त्र के प्रकार (TYPES OF Economics In Hindi)

आर्थिक क्रियाएं-

मनुष्य द्वारा संपादित वह क्रियाएं जिनका मुद्रा के रूप में मापन संभव है, आर्थिक क्रिया कहलाती है. किसान द्वारा खेती करना, श्रमिक द्वारा उद्योगों में सेवा देना, अध्यापक द्वारा कक्षा में पढ़ाना, कर्मचारी में कार्य करना आदि सभी आर्थिक क्रिया है, जिन्हें जीविकोपार्जन के के उद्देश्य से संपादित किया जाता है.

अर्थशास्त्र की विषय सामग्री के अनुरूप प्रमुख आर्थिक क्रियाएँ निम्न भागों में बांटी जाती है.

  • उत्पादन (production)– कच्चे माल का निर्मित माल में रूपांतरित जिससे आवश्यकताओं की पूर्ति किया जा सके, उत्पादन कहलाता है. दूसरे शब्दों में उपयोगिता का स्रजन करना ही उत्पादन है. लाभ अर्जित करने के उद्देश्यों से वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन करने वाला उत्पादाक कहलाता है. उदहारण के लिए किसान द्वारा खेती करना. इसका उदाहरण में किसान एक उत्पादक है एवं खेती का कार्य उत्पादक है.
  • उपभोग (Consumption)– आवश्यकताओं की प्रत्यक्ष संतुष्टि हेतु वस्तुओं व सेवाओं का प्रयोग करना उपभोग कहलाता है. आवश्यकताओ की संतुष्टि हेतु वस्तुओं व सेवाओं का उपभोग करने वाला उपभोक्ता कहलाता है. उदहारण के लिए सचिन द्वारा खेलने के लिए बाजार से खरीदी गई फुटबाल. इस उदहारण में सचिन एक उपभोक्ता है फुटबाल का क्रय उपभोग है.
  • विनिमय (Exchange)- विनिमय का अर्थ है अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए स्वयं द्वारा उत्पादित वस्तुओं व सेवाओं द्वारा दूसरें व्यक्तियों व सेवाओं को दूसरे व्यक्तियों को देकर बदले में दूसरों द्वारा उत्पादित वस्तुओं सेवाओं प्राप्त करना विनिमय करना विनिमय कहलाता है. अन्य शब्दों में उपभोक्ताओं व उत्पादकों द्वारा बाजार में वस्तुओं व सेवाओं का किया गया क्रय विक्रय विनिमय कहलाता है. उदहारण के लिए कर्मचारी द्वारा कंपनी में सेवा देना तथा सेवा के बदले कंपनी से वेतन प्राप्त करना. इसी प्रकार किसी उपभोक्ता द्वारा बाजार से गेहू खरीद्ना तथा बदले में उसकी कीमत का भुगतान करना आदि विनिमय है.
  • वितरण (Delivery)- वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन के लिए उत्पादक को उत्पादन के विभिन्न साधनों की आवश्यकता होती है. उत्पति के साधन पांच प्रकार के होते है. भूमि, पूंजी, श्रम, प्रबंध एवं साहस. उत्पति के सभी साधनों में संयुक्त व सम्मिलित प्रयास से ही वस्तुओं का उत्पादन होता है. उत्पादन का उत्पति के विभिन्न साधनों में विभाजन ही वितरण कहलाता है. अन्य शब्दों में उत्पादन विनिमय से प्राप्त आय का उत्पति के विभिन्न साधनों में विभाजन वितरण कहलाता है.
  • गैर आर्थिक क्रियाएँ (Non economic activities)– सनेह, प्रेम, सामाजिक एवं धार्मिक कर्तव्य, शारीरिक आवश्यकता देश प्रेम आदि भावनाओं से प्रेरित होकर संपादित किया जाने वाला कार्य, लोगों द्वारा मंदिर में की जाने वाली प्रार्थना आदि, की जाने वाली क्रियाएं गैर आर्थिक क्रियाएं कहलाती है. इस प्रकार की गतिविधियाँ का मौद्रिक मूल्यांकन संभव नही होता है. उदहारण के लिए बच्चों का खेल खेलना, गृहणी द्वारा स्वयं के परिवार के लिए किया जाने वाला कार्य, लोगों द्वारा मन्दिर में की जाने वाली प्रार्थना व्यक्ति द्वारा सामाजिक कार्य में योगदान आदि.

अर्थशास्त्र की उत्पत्ति के साधन (what is economics)

उत्पादन एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है. किसी भी वस्तु के उत्पादन को अनेक चरणों से होकर गुजरना पड़ता है. उत्पादन प्रक्रिया के सम्पदान हेतु विभिन्न उत्पादक साधनों की आवश्यकता पडती है.

किसी भी वस्तु को उत्पादित मात्रा उसके उत्पादन में प्रयोग किये गए साधनों की मात्रा पर निर्भर करती है, हम इन उत्पादकीय साधनों को निम्न भागों में बाट सकते है.

उत्पादन के साधन एवं उनका पुरस्कार (Means of production and their award)

  • भूमि- लगान
  • श्रम- मजदूरी
  • साहसी(उद्यमी)- लाभ
  • पूंजी- ब्याज

प्राचीन दृष्टिकोण के अनुसार भूमि, प्रकृति का निशुल्क उपहार है. अर्थशास्त्र में भूमि शब्द का अर्थ मात्र मिट्टी या धरातल नही है. भूमि में भूमि के अतिरिक्त प्राकृतिक संसाधन, जलवायु, वनस्पति, पर्वत, जल, खाने आदि सम्मिलित है. उपलब्धता की दृष्टि से भूमि की आपूर्ति स्थिर है.

भूमि उत्पादन का एक अचल घटक है क्योंकि बहुमु को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित नही किया जा सकता है. भूमि अपनी उत्पाद्कीय शक्ति (उर्वरा शक्ति) के उपयोग के आधार पर अलग अलग श्रेणी की होती है. उत्पादन प्रक्रिया में भूमि के प्रयोग के बदले भूस्वामी को दिया जाने वाला फल लगान कहलाता है.

अर्थशास्त्र में श्रम की परिभाषा (Definition of labor in economics)

वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन हेतु मनुष्य द्वारा किया गया शारीरिक व मानसिक प्रयास श्रम कहलाता है. प्रेम, सद्भावना व मनोरंजन के उद्देश्य से किया गया प्रयास या परिश्रम अर्थशास्त्र में श्रम नही माना जाएगा. केवल उस परिश्रम को ही श्रम माना जाएगा, जो उत्पत्ति के उद्देश्य से किया जाए एवं जिससे आर्थिक प्रतिफल की आशा हो.

उदहारण के लिए गृहणी की सेवा श्रम नही मानी जाएगी जबकि नौकर की सेवाएं श्रम है. श्रम उत्पत्ति का एक साधन है जो प्रत्यक्ष रूप से मनुष्य से जुड़ा है. जबकि अन्य साधन प्रत्यक्ष रूप से मनुष्य से सम्बन्धित नही है.

श्रम की उत्पति का एक गतिशील साधन है. सभी श्रम उत्पादक नही होते है. अर्थात यह आवश्यक नही है कि श्रम के द्वारा उत्पति हो, क्योंकि उत्पादन प्रक्रिया में कई बार प्रयास करने पर भी इच्छित परिणामों की प्राप्ति नही होती है. उत्पादन प्रक्रिया में श्रमिक को श्रम के बदले प्राप्त होने वाला प्रतिफल मजदूरी कहलाता है.

समस्त वस्तुएं एवं मानवीय योग्यताएं जो कि वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन में उपयोगी होती है, एवं जिसके मूल्य की प्राप्ति होती है. सम्पति कहलाती है. सम्पति का कुछ भाग व्यर्थ पड़ा रहता है तथा कुछ भाग आगे और सम्पति के उत्पादन के लिए प्रयुक्त किया जाता है.

पूंजी मनुष्य की सम्पति का वह भाग है जो आगे उत्पति करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है. पूंजी उत्पादन का ही एक उत्पादित घटक है. जिसे प्राकृतिक साधनों के साथ उपयोग करके मनुष्य के द्वारा अर्जित किया जाता है. पूंजी को उत्पादन का मानवीय उपकरण भी कहा जा सकता है. मशीन, उपकरण, कारखाने, यातायात आदि पूंजी के उदहारण है.

पूंजी और उत्पादन (Capital and production)

उत्पादन प्रक्रिया में भूमि, पूंजी व श्रम का गतिशीलन करने वाला साहसी अथवा उद्यमी कहलाता है. साहसी उत्पति के सभी साधनों का उचित अनुपात निर्धारित कर उत्पादन करता है. उद्यमी जोखिमों को सहन कर उत्पादन करता है, अतः इसे साहसी भी कहा जाता है.

बिना जोखिम उठाएं उत्पत्ति हो ही नही सकती. अतः साहसी का काम उत्पादन कार्य प्रारम्भ करना व उसकी जोखिमों को सहन करना माना जाता है.

साहसी की प्रबंधक, संगठनकर्ता भी कहा जाता है. साहसी का पुरस्कार उत्पादन का वह भाग होता है जो उत्पति के सभी साधनों को भुगतान करने के बाद शेष रहता है.

इसे अर्थशास्त्र में लाभ कहा जाता है. परन्तु लाभ निश्चित नही होता है. उत्पादन प्रक्रिया में साहसी लाभ भी कमा सकता है और उसे हानि का सामना भी करना पड़ सकता है.

अर्थशास्त्र की प्रकृति व क्षेत्र Nature and field of economics in Hindi

अर्थशास्त्र की प्रकृति व क्षेत्र के बारे में अर्थशास्त्ररियों के विचार में बहुत कम समानता पाई जाती है। जॉन नेविल्ले किन्स ने अर्थशास्त्र की प्रकृति व क्षेत्र का विस्तार पूर्वक उल्लेख किया है।

जॉन नेविल्ले कीन्स ने अर्थशास्त्र की विषय वस्तु में अर्थशास्त्र की प्रकृति, अन्य विषयों से सम्बन्ध व आर्थिक नियमों की कमियों का समावेश किया है।

आजकल अर्थशास्त्र की विषयवस्तु के अंतर्गत व्यक्तिगत इकाई का अध्ययन व्यष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत करते है। इसी प्रकार व्यक्तिगत इकाइयों के समूहों का आर्थिक व्यवहार के स्तर का अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र में किया जाता है।

सर्वप्रथम सन 1933 में रेगनर फ्रिश ने व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र का प्रयोग किया। माइक्रो और मैक्रो अंग्रेजी भाषा के शब्द है जिनकी उत्त्त्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द मिक्रोस तथा मैक्रोज़ से हुई।

माइक्रो तथा मैक्रो का अर्थ क्रमश सूक्ष्म व व्यापक है। व्यष्टि अर्थशास्त्र एवं समष्टि अर्थशास्त्र के बारे में एन ग्रेगोरी मेंकिव की निम्न परिभाषा महत्वपूर्ण हैं।

व्यष्टि अर्थशास्त्र वह अध्ययन है कि कैसे परिवार व व्यावसायिक फर्में निर्णय लेते है तथा वे विशेष बाजारों में आपस मे अंतःक्रिया करते है। समष्टि अर्थशास्त्र में सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था में फैली हुई घटनाओं का अध्ययन है।

व्यष्टि अर्थशास्त्र

व्यष्टि अर्थशास्त्र को कीमत सिद्धांत भी कहते है। व्यष्टि अर्थशास्त्र में। व्यक्तिगत इकाई का अध्ययन किया जाता है। यह अध्ययन कीमत को ध्यान में रखकर किया जाता है। जैसे एक उपभोक्ता द्वारा एक निश्चित कीमत और निश्चित आमदनी की स्थिति में उसकी सन्तुष्टि को अधिकतम करना ।

इसी प्रकार एक उत्पादक द्वारा एक वस्तु या सेवा की निश्चित कीमत की स्थिति में उसके उत्पादन को अधिकतम करना । इसी प्रकार एक फर्म द्वारा समान फर्मों के समूह उद्योग में निश्चित कीमत पर लाभ व उत्पादन को अधिकतम करना इत्यादि।

इन सभी व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन कीमत को ध्यान में रखकर किया जाता है। वितरण के सिद्धांत के अंतर्गत भी साधनों की कीमत को ध्यान में रखकर अध्ययन किया जाता है।

जैसे श्रम की कीमत, मजदूरी, पूंजी के उपयोग की कीमत, ब्याज, भूमि के उपयोग की कीमत, लगान, उद्यमशीलता के उपयोग की कीमत लाभ इत्यादि। साधनों की कीमत को साधनों के प्रतिफल के रूप में रखकर अध्ययन किया जाता है।

व्यष्टि अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत इकाई का आंशिक व कुल व्यष्टिगत अर्थशास्त्रीय अध्ययन होता है। वस्तु की कीमत को परिवर्तनशील तथा अन्य कारकों जैसे उपभोक्ता की आय इत्यादि को स्थिर मानकर किया जाने वाला अध्ययन आंशिक अध्ययन कहा जाता है। किंतु जब सभी कारक परिवर्तनशील होते हक तो उसको कुल व्यष्टिगत अध्ययन किया जाता है।

व्यष्टिगत अर्थशास्त्रीय अध्ययन जब कीमत इत्यादि आर्थिक चरो को स्थिर मानकर होता है। तो उसे व्यष्टिगत स्थैतिक अध्ययन कहते है। इसी प्रकार जब दो स्थिर अवस्थाओं की तुलना करते है उसे व्यष्टिगत तुलनात्मक अध्ययन कहते है।

आर्थिक चरो को निरन्तर गतिशील अवस्था मे मानकर किया गया अध्ययन व्यष्टिगत प्रावैगिक अध्ययन कहलाता है।

समष्टि अर्थशास्त्र

समष्टि अर्थशास्त्र में अध्ययन व्यापक अथवा समग्र स्तरों के संदर्भ में किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत राष्ट्रीय आय के स्तर रोजगार के स्तर देश मे विनियोग का स्तर, सामान्य कीमत का स्तर, आर्थिक विकास व वृद्धि में उतार चढ़ाव आदि का अध्ययन किया जाता है।

व्यापक एवं समग्र स्तरों के संदर्भ में किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र को सामान्य आय व रोजगार का सिद्धांत भी कहा जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र से सम्बंधित जॉन मिनार्ड किन्स की सन्न 1936 में दी गयी जनरल थ्योरी पुस्तक प्रकाशित हुई।

इसके बाद समष्टि अर्थशास्त्र के सिद्धांत अधिक वैज्ञानिक तरीके से विकसित होने लगे।

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दोस्तों उमीद करता हूँ अर्थशास्त्र का परिचय अर्थ, परिभाषा । Introduction Of Economics, Meaning, Definition In Hindi का यह लेख आपको पसंद आया होगा, यदि आपको अर्थशास्त्र के परिचय में दी गयी जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।

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