इस्लाम क्या है इसका इतिहास निबंध कहानी Islam Kya Hai History Essay In Hindi: भारत, बंगलादेश, इंडोनेशिया, साउदी अरब इत्यादि दुनिया के अनेक देशों में इस्लाम धर्म के अनुयाई रहते है,
अतः कई बार गैर मुस्लिम इस्लाम धर्म के विषय पर जानकारी पाने हेतु इंटरनेट पर इस्लाम धर्म क्या है? सर्च करते है।
इस्लाम क्या है इसका इतिहास निबंध Islam Kya Hai History Essay In Hindi
आज के इस लेख के माध्यम से हमारा प्रयास उन सभी को इस्लाम धर्म की सभी महत्वपूर्ण जानकारियां आसान शब्दों में पहुंचाना है। जिससे उन्हें इस्लामिक धर्म से जुड़ी सभी जानकारियां पाने के लिए किसी अन्य लेख को ना पढ़ना पड़े तो आइए शुरुआत करते है।
इस्लाम क्या है? What Is Islam In Hindi
इस्लाम दुनिया के सबसे बड़े धर्मों में से एक माना जाता है। जिसका अर्थ है दुनिया में हर ५ में से एक व्यक्ति मुसलमान है दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा धर्म होने के बावजूद इस धर्म के प्रति ग़ैर मुसलमानों के साथ साथ मुसलामों में भी कई गलतफहमियां हैं।
ऐसा माना जाता है की इस्लाम की स्थापना हजरत मुहम्मद ने की थी लेकिन गहराई से बात करें तो इस्लाम की स्थापना हज़रत आदम ने की थी जिन्हें इस दुनिया का पहला इंसान और मुसलमानों के पहले नबी (Prophet) माना जाता है। और यही से धीरे धीरे इस्लाम का विस्तार हुआ।
इस्लाम धर्म में केवल अल्लाह को ईश्वर माना जाता है और केवल उसी की इबादत और उसके हुक्मों का पालन करने के लिए कहा जाता है।
अगर कोई मुसलमान अल्लाह के सिवा किसी और को ईश्वर मानता है तो उसे शिर्क (शरीक करना) कहा जाता है जिसकी इस्लाम में बहुत बड़ी सज़ा है।
इस्लाम शब्द का अर्थ Meaning Of Islam In Hindi
इस्लाम शब्द अरबी भाषा का शब्द है जो कि दो शब्दों सलाम और सिलम के मिलन से बना है। इसमें सलाम का अर्थ है शान्ति और सिलम का मतलब है एक अल्लाह (ईश्वर ) के सामने बिना किसी शर्त के नतमस्तक (झुक) जाना।
इस तरह इस्लाम का अर्थ हुआ बिना किस शर्तों के अल्लाह के आगे नतमस्तक हो जाना और उसके दिए हुक्मों का पालन करना।
इस प्रकार देखा जाए तो मुसलमान वो है जिसने अपने आप को अल्लाह को समर्पण कर दिया यानिकि इस्लाम धर्म के नियमों का पालन करने लगा।
एक सच्चा मुसलमान उसे माना जाता है जो ये मानता हो की अल्लाह का कोई दूसरा साथी या ईश्वर नहीं है और हज़रत मोहम्मद साहब अल्लाह के आखरी नबी हैं।
नमाज़ क्या है?
नमाज़ अल्लाह की इबादत करने का एक ज़रिया है। इस्लाम में इसे इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक का दर्जा दिया गया है। मुसलमान पर दिन के 5 वक्त की नमाज़ फ़र्ज़ की गयी है। नमाज़ परहेज़गारी सिखाती है और ये अल्लाह से मांगने का एक ज़रिया है।
नमाज़ को सलाह या सलात भी कहा जाता है। इस्लाम में औरतों और मर्दों दोनों पर नमाज़ फ़र्ज़ है। कुरआन शरीफ में भी इसका बार बार ज़िक्र किया गया है।
औरतें अपने घर में और मर्द मस्जिद में नमाज़ अदा करते हैं हालांकि कुछ स्थितयों में मर्द नमाज़ घर पर या जहां पर हैं वहां से अदा कर सकते हैं।
नमाज़ पढ़ने के कुछ उसूल होते हैं जिसके बिना नमाज़ नहीं हो सकती। नमाज़ के लिए हम जिस जगह नमाज़ पढ़ रहे हैं वो स्वच्छ होनी चाहिए, शरीर का स्वच्छ होना चाहिए और वुज़ू भी किया होना चाहिए। इसके साथ साथ व्यक्ति की नमाज़ के लिए नीयत भी साफ होनी चाहिए।
इस्लाम के अनुयायियों के लिए नमाज एक अहम क्रियाकलाप है जिन्हें दिन में पांच वक्त अदा किया जाता हैं. आज का निबंध नमाज क्या है सच्ची नमाज कैसे पढ़ते है क्या पढ़ते है आयत और सीखने का तरीका हिंदी में दिया गया हैं.
भारत बहुधार्मिक देश है जहाँ सभी नागरिकों को अपनी इच्छा के मुताबिक धर्म के पालन करने की स्वतंत्रता हैं भारत में करीब 20 करोड़ मुस्लिम धर्म अनुयायी रहते हैं इस्लाम मानने वाले एक ही ईश्वर अर्थात अल्लाह में विश्वास करते है तथा उन्ही की इबादत करते हैं.
कुरान उनकी सबसे पवित्र धार्मिक किताब हैं जिनका वे जीवन में अमल करते हैं. अपने ईश्वर की इबादत के लिए एक मुसलमान दिन में पांच बार नमाज अदा करता हैं. इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान अर्थात फर्ज में से नमाज भी एक हैं.
इस्लाम में नमाज पढ़ने की प्रथा शुरुआत से मानी जाती हैं. कहते है जब 7 वीं सदी में इस्लाम का प्रदुर्भाव हुआ तभी से ही नमाज पढ़ी जाती हैं. यह एक उर्दू शब्द है जिसका आशय होता है सलाह.
सलाह अरबी शब्द है जो कुरान में बार बार प्रयुक्त किया जाता हैं. सामान्य तौर पर नमाज अदा करने का स्थान मस्जिद को ही माना जाता हैं तथापि व्यक्ति अपने घरों में भी दिन की पाँचों नमाज अदा करते हैं कुरान के मुताबिक़ अल्लाह उन्हें भी कबूल मानता हैं.
नमाज अदा करने का उपयुक्त स्थान घर अथवा मस्जिद ही होता हैं. अल्लाह के फरमान के मुताबिक़ स्वयं की सम्पति पर ही नमाज अदा की जा सकती हैं.
फिर चाहे वो आपका खेत हो या घर मगर जबरन किसी सार्वजनिक स्थल जैसे सड़क या पार्क को बंदी बनाकर नमाज अदा करना दीन के खिलाफ माना जाता हैं.
नमाज से कुछ वक्त पहले मौलवी मस्जिद से अजान देता हैं जिसका तात्पर्य सभी इस्लाम बन्धुओं को नमाज पढ़ने के लिए तैयार हो जाने का संकेत हैं. यदि आस पडौस में मस्जिद है तो लोग वहां के लिए प्रस्थान करते है ताकि वहां संयुक्त रूप से नमाज अदा की जा सके.
स्त्री और पुरुष दोनों को ही नमाज पढ़ने की स्वीकृति हैं नमाज पढ़ने से पूर्व वजू करना जरूरी माना जाता हैं. वजू का आशय नमाज पढ़ने से पूर्व हाथ, पाँव, हथेलियाँ, नाक, कान और मुहं धोकर सिर पर गीले हाथ फेरकर कुल्ला करना माना जाता हैं
जहाँ जल की कमी होती है वहां बिना जल के वजू का भी प्रावधान हैं.नमाज के लिए मस्जिद में जाने से पूर्व सभी मुसलमान वजू करते हैं. इसके बाद ही सभी एक साथ बैठकर नमाज पढ़ते हैं.
प्रत्येक मुसलमान के लिए प्रति दिन पाँच वक्त की नमाज अदा करने का विधान हैं सवेरे की पहली नमाज को नमाज़ -ए-फ़ज्र कहा जाता है जो सूर्य उदय के पूर्व ही पढ़ी जाती हैं.
नमाज-ए-ज़ुहर दिन की दूसरी नमाज है जो दोपहर के समय पढ़ी जाती हैं इसके बाद तीसरी नमाज सूर्यास्त से पूर्व पढ़ी जाती है जिन्हें नमाज -ए-अस्र कहा जाता हैं
चौथी नमाज सूर्यास्त के समय होती है जिन्हें नमाज-ए-मग़रिब कहते हैं. नमाज-ए-ईशा रात की एकमात्र नमाज है जो सूर्यास्त के ठीक डेढ़ घंटे बाद पढ़ी जाती हैं.
नमाज अदा करने की अलग विधि विधान हैं मस्जिद में पढ़ी जाने वाली नमाज में एक व्यक्ति आगे खड़े होकर सभी को विधि वत नमाज पढवाता हैं. नमाज में कुरान की पहली सूरा को पढ़ा जाना जरुरी माना गया हैं.
प्रत्येक व्यक्ति नमाज पढ़ते समय मक्का की ओर मुख करके खड़ा होता है तथा विधान के मुताबिक़ झुककर सिर टेककर जमीन चूमता है इसे रूकू कहते हैं कुरान के मुताबिक़ नमाज बेहयाई और गुनाह से बचाने के साथ ही मोमिन की इच्छाओं को अल्लाह से मांगने का एकमात्र जरिया माना गया हैं.
इस्लाम में दिन की पांच नमाज को छोड़कर कुछ अन्य नमाजों के विधान भी हैं जिनमें शुक्रवार के दिन की नमाज को जुम्मे की नमाज कहा जाता हैं. यह सूर्यास्त के समय पढ़ी जाती है इसमें मस्जिद के इमाम का भाषण होता है जिन्हें खुतबा कझा जाता हैं
इसके अतिरिक्त ईदुलफितर की नमाज विशेष है जो रमजान पूर्ण होने पर पढ़ी जाती हैं. सभी नमाजों में तहज्जुद नमाज़ को विशेष महत्व प्राप्त हैं नमाज़ जनाज़ा किसी मुसलमान की अंतिम यात्रा के समय पढ़ा जाता है.
कुरान शरीफ क्या है?
कुरान शरीफ इस्लाम धर्म का सर्वोच्च ग्रंथ है। इसे दुनिया में सबसे ज़्यादा पढ़ी जाने वाली किताबों में गिना जाता है। इस किताब में इस्लाम के अनुसार ज़िंदगी के जीने के तरीकों और अल्लाह के द्वारा बताये गए निर्देशों के पालन करने के तरीकों के बारे में बताया गया है।
इससे पहले भी इस्लाम धर्म में कई ग्रंथ आ चुके हैं लेकिन कुरान शरीफ को सबसे अंतिम और सर्वोच्च माना जाता है। इसे पूरा होने में लगभग 23 साल का समय लगा था। कुरान शरीफ में 30 पारे (पाठ), 114 सूरतें (अध्याय) और 6666 आयतें (श्लोक) हैं।
काफी सारे मुसलमान इसे अरबी में पढ़कर रख देते हैं लेकिन इसे हम किसी भी भाषा में पढ़ सकते हैं ताकि हम इसमें लिखी गयी बातों को अच्छे से समझ सकें और उनपर अमल कर सकें। इसे पहली बार हज़रत मोहम्मद को हीरा नाम की गुफा में सुनाया गया था।
शिया और सुन्नी कौन हैं?
मुख्य रूप में इस्लाम धर्म दो समुदायों में बंटा हुआ है जिसमें शिया और सुन्नी शामिल हैं। असल में हज़रत मोहम्मद के इस दुनिया से जाते ही मुसलमानों में विवाद पैदा हो गया जिसके कारण मुसलमान दो भागों में बंट गए। शिया और सुन्नियों के बीच में ये नफरत तब से लेकर अब तक चली आ रही है।
जब हज़रत मोहम्मद इस दुनिया से गए तो कुछ लोगों को लगा अब उत्तराधिकारी हज़रत मोहम्मद के चचेरे भाई और दामाद अली को होना चाहिए वहीं दूसरी तरफ लोगों का मानना था कि उनका नेतृत्व अबू बकर को करना चाहिए।
ज़्यादा लोग उस समय अबू बकर के पक्ष में थे इसलिए अबू बकर को खलीफा बनाया गया। माना जाता है बाद में कर्बला की जंग में हज़रत इमाम की दोस्तों और परिवार के साथ हत्या कर दी गयी जिसके दुख में शिया लोग मोहर्रम के दिन मातम मनाते हैं।
सुन्नियों की संख्या 90 से 95 प्रतिशत है और शिया केवल 5 से 10 प्रतिशत ही हैं लेकिन फिर भी अज़रबैजान, ईरान और इराक जैसे देशों में शिया समुदाय की बहुमत है।
हालांकि दोनों समूहों की अधिकांश रीति रिवाज़ और आस्थाएं एक जैसी ही हैं।
हज़रत मोहम्मद कौन थे?
हज़रत मोहम्मद को इस्लाम धर्म का संस्थापक माना जाता है। हज़रत मोहम्मद इस्लाम धर्म के आखिरी नबी (संदेश वाहक) थे जो पहले के नबियों की शिक्षाओं को प्रस्तुत करने और पुष्टि करने आये थे।
हज़रत का जन्म 570 ईसवी में सऊदी अरब शहर में हुआ था। आपके पिता का नाम अब्दुल मुत्तलिब और माता का नाम आमिना बिन्त वहब था।
मोहम्मद शब्द का अर्थ है जिसकी अत्यंत तारीफ की गयी जो। आपके जन्म से पहले ही आपके पिता का निधन हो गया था और कुछ सालों बाद ही आपकी माता का भी निधन हो गया। अनाथ होने के बाद आपकी परवरिश आपके चाचा के द्वारा की गयी।
लगभग 9 सालों की उम्र से ही वह व्यपारक यात्राओं पर जाया करते थे। उनके सादगी से भरे इस जीवन ने लोगों को बहुत बड़ा संदेश दिया था।
लगभग 40 वर्ष की उम्र में आपकी पहली शादी खदीजा के साथ हुई। लगभग 62 साल की उम्र में सऊदी अरब के ही मदीना शहर में आपका निधन हो गया।
रोज़ा क्या है?
इस्लाम धर्म में हर साल हिजरी कैलेंडर के अनुसार रमज़ान का महीना आता है जिसमें सभी मुसलमान रोज़ा रखते हैं। चाँद को देखकर रमज़ान का महीना तय होता है। इसमें सूर्योदय के समय से लेकर सूर्यास्त के समय तक कुछ भी खाया पिया नहीं जाता।
कुछ न खाने पीने के अलावा बुरा न बोलना, देखना, सुनना और बुरे कामों से बचना शामिल हैं। हालांकि रमज़ान के अलावा भी बुरे कामों से बचना चाहिए।
इस महीने लोग खूब अल्लाह की इबादत करते हैं इसलिए इसे इबादत का महीना भी कहा जाता है। रमज़ान का महीना 29 या 30 दिनों का होता है।
रमज़ान के 29 या 30 वे दिन चाँद दिखता है जिसके अगले दिन ईद का त्यौहार मनाया जाता है। इसे ईद-उल-फ़ित्र भी कहा जाता है। इस दिन लोग ईद की नमाज़ पढ़ते हैं और खुशियां मनाते हैं। इस दिन को सेवैयां बनाकर खाने और खिलाने का रिवाज़ भी है।
हज क्या है?
हिजरी कैलेंडर के बाहरवें महीने में हज का समय आता है। हज हर सक्षम मुसलमान को करना चाहिए। हज की परंपरा हज़रत इब्राहीम के समय से चली रही है।
हज पर जाना अक्सर हर मुसलमान का सपना होता है और इसे इस्लाम धर्म में बेहद स्वाब का काम माना जाता है। हर साल लाखों लोग हज के लिए आवेदन करते हैं लेकिन कुछ लोगों को ही हज करने का मौका मिलता है।
हज का समय इस्लामिक कैलेंडर की 8 से 12 तारीख के दौरान किया जाता है जिसमें काबा (जिसकी तरफ रुख करके सारे मुसलमान नमाज़ पढ़ते हैं ) के इर्द गिर्द विशेष इबादत की जाती है। इसमें और भी काम शामिल हैं जैसे शैतान के प्रतीक को पत्थर मारना आदि।
उमरा की परंपरा भी इसी तरह ही है। उमरा और हज में बस इतना अंतर है कि हज समय आने पर किया जाता है लेकिन उमरा हम साल के किसी भी समय कर सकते हैं।
ज़कात क्या है?
ज़कात आमदनी में से कुछ हिस्सा ज़रूरतमंदों को दान में देना है। इसे पांच स्तंभों में से एक माना गया है। इसमें हमारी आमदनी में से जो भी बचत हुई है उसका 2.5 फीसद हिस्सा किसी ज़रूरतमंद को देना है।
अल्लाह ने इसपर भी पैमाने और हक तय किये हैं जिसमें सबसे पहला हक फकीर का आता है। ये वह व्यक्ति होता है जिसकी आमदनी कम होती है लेकिन खर्चा ज़्यादा।
जैसे की अगर किसी की आमदन ₹10,000 रूपये है लेकिन खर्च उसका हर महीने ₹20,000 रूपये आता है तो उसे हम ज़कात दे सकते हैं।
इस्लाम के 5 स्तंभ कोनसे हैं?
इस्लाम धर्म में हर सच्चे मुसलमान पर फ़र्ज़ कुछ बुनियादी कार्य हैं जिन्हें 5 भागों में बांटा गया है जो कि ये हैं:-
- शहादत: केवल एक अल्लाह को मानना और ये मानना कि हज़रत मोहम्मद साहब अल्लाह के आखरी नबी हैं।
- नमाज़: दिन में 5 बार नमाज़ पढ़ना।
- रोज़ा: रमज़ान के महीने में सारे रोज़े रखना और रोज़े के दौरान कुछ ना खाना पीना।
- ज़कात: अपनी आमदनी का कुछ हिस्सा ज़रूरतमंदों को दान में देना।
- हज: अगर मुमकिन हो सकते तो जीवन मे एक बार हज अवश्य करना।
बता दें की शहादत, नमाज़ और रोज़ा हर व्यक्ति को करनी चाहिए मगर जो सक्षम नहीं हैं उनके लिए हज्ज और ज़कात पर छूट होती है।
इस्लाम धर्म पर निबंध इतिहास | Essay on Islam History In Hindi
इस्लाम दुनिया के नवीनतम धर्मों में से एक हैं. इस्लाम धर्म का प्रादुर्भाव ६२२ ई में मोहम्मद पैगम्बर ने किया. आज दुनिया की लगभग 1.5 अरब आबादी इस्लाम के अनुयायियों की हैं. दुनिया की कुल आबादी का पांचवा भाग मुस्लिम हैं. भौगोलिक दृष्टि से विश्व के केन्द्रीय भू भाग पर इस्लाम का आधिपत्य हैं.
इस्लाम पूर्व से पश्चिम तक एक जाल की तरफ फैला हुआ हैं. मोरक्को से मिडानाओं तक प्रचारित इस्लाम में उत्तर के उपभोक्ता देशों से लेकर दक्षिण के वंचित देश शामिल हैं. यह अमेरिका, यूरोप और रूस को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण सामरिक चौराहे पर स्थित हैं.
वहीँ दूसरी तरफ अश्वेत अफ्रीका, भारत और चीन तक इस्लाम का बोलबाला हैं. इस्लाम किसी एक राष्ट्रीय संस्कृति व राष्ट्रीय सीमा की परिधि में बंधा हुआ धर्म नहीं है बल्कि एक सार्वभौमिक शक्ति के रूप में पूरी दुनिया में फैला हुआ हैं. ६२२ ई में इस्लाम की उत्पत्ति से लेकर अब तक इस्लाम धर्म के अनुयायियों में लगातार वृद्धि हो रही हैं.
इस्लाम का आविर्भाव सातवीं शताब्दी में एक छोटे से समुदाय के रूप में मक्का व मदीना में हुआ था. अपने दो अनुयायियों के साथ मोहम्मद पैगम्बर ने इस धर्म की नीव रखी.
अपने उद्भव के कुछ ही वर्षों में इस्लाम के बैनर तले सभी अरबी जातियों को एकजुट कर दिया गया. अपने प्रादुर्भाव की पहली दो शताब्दियों के भीतर इस्लाम का प्रभाव वैश्विक स्तर पर फ़ैल गया.
इस्लाम ने अपने निरंतर विजय अभियान के माध्यम से सम्पूर्ण मध्य पूर्व उत्तरी अफ्रीका, अरेबियन प्रायद्वीप, ईरानी भूभाग, मध्य एशिया और सिन्धु घाटी के क्षेत्र को अपने प्रभाव क्षेत्र में ले लिया.
यह विजय प्रक्रिया निर्बाध रूप से जारी रही और बाद में इस्लाम को प्राचीन मिश्र और मेसोपोटामिया की सभ्यताएं विरासत में प्राप्त हुई.
इस्लाम ने यूनान के दर्शन और विज्ञान को स्वीकार कर अपनी सुविधा के अनुसार सुधार करते हुए उसका इस्लामीकरण कर दिया. फारस की शासन कला की बारीकियों को सीखते हुए उन्होंने यहूदियों के कानून की तार्किकता और ईसाई धर्म के तरीको को भी अपनाया. पारसी द्वैतवाद और मेनेशिया की युक्तियों को इस्लाम में आत्मसात कर लिया गया.
इस्लाम मे अपनी पूर्वी विजय यात्रा मे महायान बौद्धों और भारतीय दर्शन और विज्ञान को स्वीकारने से कोई परहेज नही किया। इस्लाम के महान महानगरिय केंद्र बगदाद, काहिरा, कोरडोबा, दमिश्क और समरकन्द ऐसी भट्टियों मे परिवर्तित हो गए जिसमें इन सन्स्क्रतिक परंपरा की ऊर्जा को नए धर्म और राजनीति मे रूपांतरित किया जाने लगा।
इस्लाम धर्म के आध्यात्मिक और लौकिक, अलौकिक और व्यवहारिक, धार्मिक और धर्म निरपेक्ष में भेद नहीं करता। पश्चिमी ईसाई राजनीतिक विचारधारा में धर्म और राजनीति दोनों की समांतर सत्ता को स्वीकार किया गया हैं।
इस्लाम धर्म और राजनीति के मध्य कोई भेद नहीं बल्कि दोनों को एक दूसरे से गुथा हुआ मानते हैं। इस्लाम राज्य व शासन शक्ति व सत्ता नियम और वफादारी में व्यापक विविधता को स्वीकार करता हैं।
यह एकता के सिद्धान्त पर आधारित हैं। हालांकि इस्लाम मे ऐसी राजनीतिक सोच की कार्ययोजना को अभी तक तैयार करना संभव नहीं हो सका हैं। जो इसके विभिन्न सान्स्क्रतिक प्रस्तरो के ऊपर खड़ा हो।
पश्चिम के विपरीत धर्म और राज्य के संबन्धित क्षेत्र एक दूसरे से आच्छादित हैं। धर्म की राजनीति मे और राजनीति की धर्म मे झलक सभी इस्लामी संस्क्रती वाले देशों मे दिखाई देती हैं।
इस्लाम मे स्वतन्त्रता और अधिकार सत्ता और कर्तव्य हावी हैं। सभी इस्लामिक राज्यों मे व्यक्तिगत स्वतन्त्रता राज्य की सत्ता व शक्ति द्वारा मर्यादित हैं।
इस्लामिक राजनीतिक चिंतन न केवल शासन के मामलों, राजनीति और राज्य से संबंध रखता है बल्कि यह व्यक्ति के स्वीकार्य व्यवहार व शासक और शासित दोनों की ईश्वर के प्रति नैतिकता व निष्ठा पर भी बल देती हैं।
इस्लामी राजनीतिक चिंतन को न तो परंपरागत भारतीय मानदंडों और न ही पाश्चात्य राजनीतिक मानदंडों से नापा जा सकता हैं। इस्लाम को केवल इस्लामी परंपरा की प्रष्ठभूमि मे ही समझा जा सकता हैं।
इस्लाम धर्म इतिहास संस्थापक और शिक्षाएं Islam Religion History Founder And Teachings In Hindi
इस्लाम के संस्थापक हजरत मोहम्मद थे. इनका जन्म 570 ई में मक्का में हुआ था. इनके पिता का नाम अब्दुल्ला और माता का नाम आमिना था. पिता का देहांत मोहम्मद साहब के जन्म से पूर्व तथा माता का देहांत इनकी बाल्यावस्था में ही हो गया था.
हजरत मोहम्मद का जीवन (life of hazrat muhammad in hindi)
इनका लालन पोषण इनके दादा द्वारा व्यवस्था के अनुसार हलीमा दाई ने किया. मोहम्मद साहब ने 25 वर्ष की आयु में एक विधवा स्त्री खदीजा से विवाह कर लिया.
खदीजा की आयु उस समय 40 वर्ष की थी. वह हजरत मोहम्मद साहब की ईमानदारी से प्रभावित थी. लेकिन विवाह के बाद हजरत मोहम्मद साहब लिन रहने लगे.
इस्लाम धर्म का इतिहास (History of Islam)
इस्लाम के पूर्व अरब की जनता बहुदेववाद थी, वे मूर्तिपूजा में विश्वास करती थी. इन्ही परिस्थियों में वहां इस्लाम का उदय हुआ. हजरत मोहम्मद साहब को हिरा नामक गुफा में ईश्वरीय ज्ञान हुआ.
उन्होंने अरबी जनता को संदेश दिया कि ” अल्लाह के सिवाय कोई भी पूजनीय नही है और मै उनका पैगम्बर हू. उन्होंने काबा में रखे हुए 360 देवताओं की पूजा का विरोध किया.
इस कारण मक्कावासी नाराज हो गये और उनका विरोध करने लगे जिसके कारण हजरत मोहम्मद को मक्का छोड़कर मदीना जाना पड़ा. यह महत्वपूर्ण घटना इस्लाम में हिजरत कहलाती है.
इसी घटना से ही 622 ई से इस्लाम में हिजरी सन शुरू हुआ. मक्का पहुचने पर हजरत साहब का सत्कार एवं स्वागत करने वाले अंसार कहलाएं. यही से उन्होंने इस्लाम का प्रचार शुरू किया.
मक्कावासी धीरे धीरे उनके विचारों को मानने लगे और समस्त अरब जगत में उनका प्रचार प्रसार हुआ. 632 ई में उसकी मृत्यु के बाद उनके खलीफाओं ने विशाल सम्राज्य की नीव डाली.
हजरत अबुबकर सिद्दीकी, हजरत उमर फारुक, हजरत गनी, हजरत अली आदि ख्लिफाओं ने इस्लामी मजहब का खूब प्रचार किया.
इस्लाम के नियम (The rules of Islam)
इस्लाम का दार्शनिक चिंतन मुसलमानों के पवित्र ग्रन्थ कुरान में संग्रहित है. ये चिंतन/नियम इस प्रकार है. पांच मुख्य शिक्षाएं निम्नानुसार है.
- मूल मन्त्र (कलमा)- अल्लाह के सिवाय कोई पूजनीय नही है और मोहम्मद उसके पैगम्बर है अर्तात इस्लाम एकेश्वरवाद में विश्वास करता है.
- नमाज- प्रतिदिन पांच निश्चित समयों पर अल्लाह को सजदा नमन करना. यह समय सूर्योदय से पहले (फजर), दोपहर (जोहर) तीसरा पहर (असर), सूर्यास्त (मगरिब) तथा रात्रि शयन से पूर्व (इशा) है. शुक्रवार को बड़ी सामूहिक नमाज.
- रोजा (व्रत)- रमजान के पूरे महीने में प्रतिदिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक खाना पीना नही करना.
- जकात (दान)- यदि वर्ष में साढ़े सात तोला सोना या 52 तोला चांदी के बराबर या अधिक धन हो तो इसका 40 वाँ हिस्सा दान में दे देना.
- हज यात्रा- जीवन में कम से कम एक बार मक्का में मजहबी यात्रा पर जाना.
इस्लाम की मान्यता है कि मनुष्य की मृत्यु के बाद अल्लाह उसके कर्मों का हिसाब कर उसे जन्नत अथवा दोजख प्रदान करता है. इस्लाम के अनुसार यह जीवन अंतिम है, अर्थात इस्लाम पुनर्जन्म को नही मानता है. तथा इस्लाम मूर्ति पूजा में भी विश्वास नही करता है.
इस्लाम की शिक्षाएं पर निबंध | Essay on islam teachings In Hindi
इस्लाम 1400 वर्ष प्राचीन एक मजहब हैं जिसकी नींव मक्का मदीना में रखी गई, जिनके संस्थापक हजरत मोहम्मद को माना गया था.
आज इस्लाम के अनुयायियों की अन्य मत, मजहब और धर्म की तुलना में अधिक हैं. कुरान की शिक्षाओं पर आधारित इस्लाम की प्रमुख शिक्षाओं पर यहाँ निबंध दिया गया हैं.
इस्लाम धर्म की शिक्षाएँ मुसलमानों के धर्मग्रंथ कुरान शरीफ में संकलित हैं. हदीस में मुहम्मद साहब द्वारा दिए गये उपदेशों और आदेशों का संग्रह हैं. इन दोनों ग्रंथों के आधार पर इस्लाम धर्म की प्रमुख शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं.
इस्लाम धर्म की प्रमुख शिक्षाएं (Major teachings of Islam)
एकेश्वरवाद (Monotheism)
हजरत मुहम्मद साहब एकेश्वरवाद में विश्वास करते थे. उनका कहना था कि अल्लाह एक है जो सर्वशक्तिशाली तथा सर्व व्यापक है तथा मैं उसका पैगम्बर हूँ. इस प्रकार हजरत मुहम्मद साहब की बहुदेववाद का विरोध किया तथा एकेश्वरवाद का प्रचार किया.
मूर्तिपूजा का विरोध (Resist idolatry)
इस्लाम मूर्तिपूजा का विरोध करता हैं. हजरत मुहम्मद साहब का कहना था कि अल्लाह निराकार एवं सर्वव्यापक हैं अतः उन्होंने मूर्तिपूजा का घोर विरोध किया. इस्लाम धर्म में मूर्तिपूजा का निषेध हैं.
पांच धार्मिक कर्तव्य (Five religious duties)
कुरान के अनुसार प्रत्येक मुसलमान को निम्नलिखित पांच कर्तव्यों का पालन करना चाहिए.
- कलमा पढ़ना– इस्लाम धर्म के अनुसार प्रत्येक मुसलमान को कलमा पढ़ना चाहिए. कलमा का अर्थ है अल्लाह एक है और मुहम्मद साहब उसके रसूल या पैगम्बर हैं. अतः मुसलमानों को केवल एक अल्लाह की ही उपासना करनी चाहिए.
- नमाज पढ़ना– प्रत्येक मुसलमान को दिन में पांच बार नमाज पढ़नी चाहिए तथा शुक्रवार को दोपहर में सामूहिक रूप से एक साथ सभी मुसलमानों को नमाज पढ़नी चाहिए. इस्लाम धर्म में नमाज का अत्यधिक महत्व हैं. यह इस्लाम का स्तम्भ हैं. नमाज से वासनाएं नष्ट होती हैं.
- रोजा रखना– कुरान के अनुसार प्रत्येक मुसलमान को रमजान के महीने में रोजा रखना चाहिए. इस माह में मुसलमानों को पूरे दिन भोजन, पानी आदि बंद रखना पड़ता हैं तथा सूर्य के छिपने पर ही रात्रि में ही भोजन करना पड़ता हैं.
- हज– प्रत्येक मुसलमान को अपने जीवन काल में एक बार हज के लिए मक्का की यात्रा करनी चाहिए.
- जकात– प्रत्येक मुसलमान को अपनी आय का 1/40 भाग गरीबों को दान में देना चाहिए.
सामाजिक समानता पर बल देना (Emphasizing social equality)
इस्लाम धर्म के अनुसार अल्लाह ही सब प्राणियों का रचना करने वाला हैं. अतः सब मुसलमान समान है और भाई भाई हैं. इस्लाम धर्म ऊंच नीच के भेद भाव में विश्वास नहीं करता तथा सामाजिक समानता पर बल देता हैं.
कर्म के फल तथा परलोक में विश्वास (Belief in the fruits of karma and the hereafter)
इस्लाम धर्म के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता हैं. हजरत मुहम्मद साहब का कहना था कि मृत्यु के बाद व्यक्ति को खुदा के सामने उपस्थित होना पड़ता हैं.
जहाँ उसके कार्यों के अनुसार न्याय होता हैं. जो व्यक्ति अपने जीवन काल में इस्लाम के सिद्धांतों का पालन करता हैं, उसे स्वर्ग प्राप्त होता है तथा जो इस्लाम के सिद्धांतों की अवहेलना करता हैं उसे नरक प्राप्त होता हैं.
नैतिक गुणों पर बल देना (Emphasize moral qualities)
इस्लाम धर्म नैतिक गुणों पर बल देता हैं. इस्लाम धर्म के अनुसार मनुष्य को चोरी, डकैती, हत्या, छल कपट, दुराचार, जुआ, मद्यपान आदि पापों से दूर रहना चाहिए.
इस्लाम धर्म के अनुसार इस प्रकार के पाप करने वाले मुसलमानों को नरक मिलता हैं. जहाँ उन्हें भयंकर यातनाएँ सहन करनी पड़ती हैं,
मुहम्मद साहब ने यह भी उपदेश दिया कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने माता पिता तथा बड़ों का आदर करना चाहिए तथा दीन दुखियों की सहायता करनी चाहिए. प्रत्येक मुसलमान को न्यायप्रियता, भलाई, उदारता, गरीबों की सहायता जैसे गुणों को ग्रहण करना चाहिए.
आत्मा की अमरता में विश्वास (Believe in the immortality of the soul)
इस्लाम धर्म के अनुसार आत्मा अजर और अमर हैं. शरीर नश्वर है, परन्तु आत्मा अमर हैं.
स्वर्ग तथा नरक की कल्पना (Imagine heaven and hell)
इस्लाम धर्म ने भी स्वर्ग तथा नरक की कल्पना की हैं. स्वर्ग में अल्लाह शासन करता हैं जहाँ परम शान्ति रहती है वहां सभी प्रकार के सुख उपलब्ध होते हैं तथा नरक में सदा आग के वस्त्रों में लिपटे रहना पड़ता हैं.
वहां अनेक प्रकार के कष्ट तथा यातनाएँ भोगनी पड़ती हैं. प्रत्येक मनुष्य उसके कार्यों के अनुसार स्वर्ग अथवा नरक मिलता हैं.
देवदूत और शैतान (Angel and devil)
कुरान में देवदूतों को मलक या फरिश्ते के नाम से पुकारा गया हैं. मनुष्य इन फरिश्तों को देख नहीं सकते और न ही वे प्रकट होकर मनुष्यों से बात कर सकते हैं. इस्लाम धर्म में शैतान में विश्वास रखने का निषेध हैं.
कयामत (kayaamat)
इस्लाम धर्म के अनुसार मृत्यु के पश्चात मनुष्य की रूह कयामत के दिन की प्रतीक्षा करती हैं. कयामत के दिन सभी रूहें ईश्वर के सामने प्रस्तुत होगी.
उनके अच्छे एवं बुरे कर्मों के अनुसार उन्हें जन्नत अथवा दोजख मिलेगा. अच्छे कर्म करने वालों को स्वर्ग तथा बुरे कर्म करने वालों को नरक मिलेगा.
ईमान और कुफ्र (Iman and Kufr)
विद्वानों के अनुसार ईमान का अर्थ है उसूल. उसूल वे धार्मिक सिद्धांत है जिन्हें नबी ने जताया हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैं कि अल्लाह को छोड़कर और किसी की उपासना नहीं करनी चाहिए.
इस्लाम धर्म को न मानना कुफ्र कहलाता हैं. कुफ्र का सबसे बुरा रूप शिर्क हैं जिसमें ईश्वर के अतिरिक्त अन्य किसी देवता को ईश्वर मानकर उसकी पूजा की जाती हैं.
शिर्क में विश्वास करने वाले को काफिर कहा जाता हैं. शिर्क का सबसे बुरा रूप है मूर्ति पूजा. इस्ल्मम मूर्ति पूजा का घोर विरोधी हैं.
जिहाद (Jihad)
इस्लाम में जिहाद के दो स्तर बताए गये हैं. जिहाद ए अकबर तथा जिहाद ए असगर. जिहाद ए अकबर का अर्थ है अल्लाह के लिए युद्ध करना. इस्लाम को नष्ट करने वालों, इस्लाम के प्रचार में बाधा उत्पन्न करने वालों के प्रति जिहाद करना चाहिए.
अत्याचार और पाप के विरुद्ध बल प्रयोग करना ही जिहाद हैं. जिहाद ए असगर वह युद्ध हैं जो मनुष्य स्वयं के विचारों से लड़ता हैं.
इस्लाम का भारतीय समाज व संस्कृति पर प्रभाव पर निबंध Essay on the impact of Islam on Indian society and culture In Hindi
भारत में इंडोनेशिया और पाकिस्तान के बाद सर्वाधिक मुस्लिम रहते हैं. भारत में इस्लाम का उदय सातवीं सदी से माना जाता हैं. मगर मुगलों के बाद से अरब के देशों से इस्लाम भारतीय उपमहाद्वीप में तेजी से फैला,
यहाँ के मूल निवासियों को जबरदस्ती से इस्लाम मजहब में लिया गया. आज के निबंध स्पीच भाषण में हम भारत के समाज पर इस्लाम के प्रभाव परिणाम को समझने का प्रयास करेंगे.
स्त्रियों की स्थिति में गिरावट (Decline in the status of women)
मुसलमानों के प्रभाव के फलस्वरूप हिन्दू स्त्रियों की दशा में गिरावट आती गई. मुसलमान हिन्दू कन्याओं का अपहरण और उनसे बलात विवाह करते थे. अतः स्त्रियों की स्वतंत्रता समाप्त कर दी गई और उन्हें घर की चारदीवारी में बंद रहने के लिए बाध्य कर दिया गया.
जाति व्यवस्था का कठोर होना (Caste system hardening)
मुसलमानों से अपना धर्म तथा समाज की रक्षा के उद्देश्य से हिन्दुओं ने जाति प्रथा के बन्धनों को कठोर बना दिया. नियमों का उल्लंघन करने वालों को जाति से निष्काषित कर दिया जाता था.
बाल विवाह (child marriage)
मुसलमानों द्वारा अपहरण के भय से हिन्दू लोग अपनी कन्याओं का विवाह बाल अवस्था में ही कर देते थे. भारतीय समाज में बाल विवाह का प्रचलन इस्लाम के प्रभाव की ही देन हैं.
पर्दा प्रथा (Purdah system)
भारतीय समाज में पर्दा प्रथा को भी इस्लामी सभ्यता की देन माना जाता हैं.
बहु विवाह (Multi marriage)
इस्लाम के प्रभाव के कारण बहु विवाह प्रथा को भी प्रोत्साहन मिला.
सती प्रथा तथा जौहर प्रथा (Sati system and Jauhar system)
मुसलमानों के आगमन के पश्चात सती प्रथा का प्रचलन बढ़ता चला गया. मुस्लिम शासन की स्थापना के बाद जब तुर्क शासकों का आक्रमण राजपूत राज्यों पर होने लगा तो राजपूत रानियाँ व अन्य स्त्रियाँ अपने सतीत्व की रक्षा के लिए जौहर द्वारा प्राण त्याग देती थी.
दास प्रथा (Slavery)
भारतीय समाज में दास प्रथा इस्लाम के प्रवेश से पहले से ही थी, परन्तु मुस्लिम शासन की स्थापना के बाद दास प्रथा अधिक विकसित हुई.
स्त्री शिक्षा के विकास में बाधा (Hindrance in the development of female education)
स्त्रियों का कार्यक्षेत्र घर की चारदीवारी तक सीमित कर दिया गया जिससे उन्हें शिक्षा से वंचित रहना पड़ा.
वेशभूषा पर प्रभाव (Effect on costumes)
मुसलमान पायजामा, शेरवानी, अचकन तथा कर्ता आदि पहनते थे. मुसलमानों के सम्पर्क में आने वाले भारतवासियों ने भी इस प्रकार की वेश भूषा को अपना लिया.
खान पान के क्षेत्र में प्रभाव (Influence in the area of food and drink)
मुस्लिम प्रभाव के कारण भारत में बालूशाही, कलाकंद, गुलाब जामुन, इमरती आदि मिठाइयों का प्रचलन हुआ. इसके अतिरिक्त भारतीयों में मांस का सेवन करने की प्रवृति बढ़ी.
इस्लाम का हिन्दू धर्म पर प्रभाव (Islam’s influence on Hinduism)
धार्मिक कट्टरता का जन्म (Birth of religious fanaticism)
इस्लाम के आघातों से हिन्दू धर्म को बचाने के लिए रूढ़िवादिता तथा धार्मिक कट्टरता का जन्म हुआ.अतः धार्मिक नियमों तथा रीति रिवाजों में कठोरता लाने का प्रयास किया जाने लगा.
एकेश्वरवादी भावना (Monotheistic spirit)
इस्लाम की एकेश्वरवाद की भावना ने हिन्दू विचारकों को भी प्रभावित किया तथा हिन्दू धर्म में भी एकेश्वरवाद की भावना प्रबल होने लगी.
मूर्ति पूजा में अविश्वास (Mistrust of idol worship)
इस्लाम धर्म मूर्ति पूजा का कट्टर विरोधी हैं. जब मुसलमान आक्रमणकारी भारत आये तो उन्होंने हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियों का खंडन करना शुरू कर दिया गया. हिन्दुओं का मूर्ति पूजा पर से धीरे धीरे विश्वास उठने लगा.
भक्ति आंदोलन (Bhakti Movement)
यदपि भक्ति आंदोलन इस्लाम के प्रभाव के फलस्वरूप प्रारम्भ नहीं हुआ था. परन्तु जब वह इस्लाम से प्रभावित अवश्य हुआ था.
मुसलमान शासकों के अत्याचारों से पीड़ित हिन्दू जनता में निराशा की भावना उत्पन्न हो गई तथा उन्हें सर्वशक्तिमान ईश्वर की भक्ति में ही अपनी सुरक्षा दिखाई देने लगे.
विभिन्न सुधार (Various improvements)
इस्लाम के फलस्वरूप धार्मिक सुधारों का प्रादुर्भाव हुआ. कबीर, नानक, दादू, रैदास आदि सुधारकों ने जातिप्रथा, छुआछूत, धार्मिक पाखंडों तथा बाह्य आडम्बरों का विरोध किया तथा शुद्ध आचरण, ईश्वर की एकता ह्रदय की शुद्धता आदि पर बल दिया.
आर्थिक क्षेत्र में प्रभाव (Economic impact)
भारत का प्रशांत महासागर और भूमध्य सागर के देशों तक फ़ैल गया. भारत में वस्त्र, अनाज, नील, हाथीदांत का सामान अफीम आदि का निर्यात किया जाता था तथा ऊंट, घोड़े, शराब आदि का आयात किया जाता था, कृषि के साधनों में पर्याप्त उन्नति के कारण उपज बढ़ गई.
शासन पर प्रभाव (Influence on governance)
इस्लाम के प्रभाव से भारत के छोटे छोटे राज्य शासन से एकसूत्र के अंतर्गत आ गये. जिससे प्रशासनिक एकता के साथ साथ भारत के बहुत बड़े भाग में शान्ति स्थापित हो गई.
मुसलमानों के बढ़ते हुए अत्याचारों से हिन्दू जनता में संगठन की भावना उत्पन्न हुई. दक्षिण में विजयनगर नामक हिन्दू राज्य की स्थापना की.
कला के क्षेत्र में प्रभाव (Influence in the field of art)
मुगलकाल के हिन्दू राजाओं के महलों पर मुगल निर्माण शैली का बहुत प्रभाव पड़ा. इसके सबसे सुंदर उदहारण आमेर की इमारतें, बीकानेर के राजमहल, जोधपुर और ओरछे के महली किले, दतिया के महल तथा डींग के भवन हैं.
भारत में मुस्लिम राज्य की स्थापना के बाद धीरे धीरे हिन्दू तथा मुस्लिम कला तत्वों का सम्मिश्रण हुआ तथा भवन निर्माण की एक नवीन शैली का विकास हुआ, जिसे इंडो सैनिक शैली अथवा पठान शैली के नाम से पुकारा जाता हैं.
इस शैली की इमारतों में कुतुबमीनार, अलाई दरवाजा, जौनपुर की अटाला मस्जिद, मांडू की अदीना मस्जिद आदि उल्लेखनीय हैं.
मुगलों की चित्रकला के विषयों, तकनीक और विविध अंगों को प्रभावित किया. मुगल चित्रकला के इस प्रभाव ने राजपूत चित्रकला शैली को पूर्ण रूप से परिवर्तित कर दिया. इसके फलस्वरूप 18 वीं सदी में कांगड़ा शैली का प्रादुर्भाव हुआ.
संगीत में ईरानी एवं हिन्दू रागों के सम्मिश्रण से नयें राग रागनियों का आविष्कार हुआ. प्राचीन भारतीय वीणा और ईरानी तम्बूरे के सम्मिश्रण से सितार का आविष्कार हुआ.
मृदंग को तबले का रूप देने का श्रेय अमीर खुसरो को ही हैं. आधुनिक युग में कव्वाली तथा गजल मुस्लिम सभ्यता की ही देन हैं.
साहित्य एवं भाषा पर प्रभाव (Effect on literature and language)
भारतीय भाषाओं पर भी फ़ारसी, अरबी और तुर्की भाषाओं का प्रभाव पड़ा और इन भाषाओं से बहुत से शब्द हिंदी, बंगाली, मराठी, गुजराती, राजस्थानी आदि भाषाओं में अपना लिए गये. मुस्लिम भाषाओं के सम्पर्क और उनके क्रमिक सम्मिश्रण से उर्दू भाषा का प्रादुर्भाव हुआ.
भारतीय युद्ध प्रणाली पर प्रभाव (Impact on Indian War System)
हिन्दुओं ने मुसलमानों से तापखाने तथा बारूद का प्रयोग सीखा. बाबर ने हिन्दुओं को तुलुगमा युद्ध प्रणाली सीखी. तोपों के प्रयोग ने एक नई युद्ध प्रणाली का प्रादुर्भाव किया तथा हिन्दू राजाओं के रक्षात्मक युद्ध के तरीकों में क्रांति ला दी.
अन्तिम शब्द
तो साथियों हमें पूर्ण आशा है इस्लाम धर्म क्या है? और यह धर्म हमें क्या सिखाता है? पूर्ण जानकारी आपको मिल चुकी होगी। अगर आपके लिए इस लेख में दी गई जानकारी उपयोगी साबित हुई है तो इसे शेयर करके अन्य लोगों तक यह जानकारी जरूर पहुंचाएं।
इस्लामी त्यौहार
मुसलमानों का सबसे बड़ा त्यौहार ईदुल फितर है, जो दसवें महीने की शव्वाल की प्रथम तारीख को मनाया जाता हैं. रमजान माह में एक महीने के रोजे रखने के उपरांत इसे ख़ुशी के प्रतीक के रूप में मनाया जाता हैं.
माना जाता है कि इस दिन मुसलमानों का पवित्र ग्रंथ कुरान शरीफ पृथ्वी पर अवतरित हुआ था. ईदुल फितर को मीठी ईद भी कहा जाता हैं.
ईदुल अजहा 12 वें माह जिलहिज की दस तारीख को मनाया जाता है. माना जाता है इस दिन हजरत इब्राहिम ने ईश्वर की राह में अपने लाडले पुत्र इस्माइल की कुर्बानी दी थी.
इसी के प्रतीक के रूप में इस दिन बकरे या मेढ़े की कुर्बानी दी जाती हैं. मुहर्रम त्योंहार पहले महीने मुहर्रम की दस तारीख को मनाया जाता है.
मुहम्मद साहब के दोहित्र हुसैन की शहादत की याद में इस दिन मुसलमान शोक मनाते हैं. तथा ताजिये की सवारी निकालते हैं. तीसरे महीने रबि उल अव्वल की 12 तारीख को मुहम्मद साहब का जन्मदिन ईदुल मिलादुन्नबी के रूप में मनाया जाता हैं. यही दिन उनके दुनिया से रुखसत होने के कारण बारहवफात के रूप में मनाया जाता हैं.
Faq
स्कूल स्टूडेंट्स के लिए इस्लाम, कुरान, अल्लाह से जुड़े जनरल नॉलेज से जुड़े प्रश्नोत्तर (Islam question and answer) वन लाइनर शोर्ट क्वेचन आंसर आपकों यहाँ बता रहे हैं जो आपके सामान्य ज्ञान भंडार में वृद्धि करेंगे.
इस्लाम के पांच प्रमुख सिद्धांत (Five major principles of Islam)
इस्लाम शब्द का अर्थ लिखिए? (Write the meaning of the word islam)
इस्लाम धर्म के प्रवर्तक कौन थे? (Who was the originator of the religion of Islam?)
हजरत मुहम्मद साहब का जन्म कब और कहाँ हुआ था? (When and where was Hazrat Muhammad Sahab born?)
किस घटना को हिजरत के नाम से पुकारा जाता हैं. (Which event is called as Hijrat.)
हजरत मुहम्मद साहब की दो शिक्षाओं का उल्लेख कीजिए. (Mention two teachings of Hazrat Mohammad Sahab)
कुरान के अनुसार प्रत्येक मुसलमान को कौनसे पांच कर्तव्यों का पालन करना चाहिए. (According to the Quran, which five duties should every Muslim perform?)
इस्लाम के प्रमुख सिद्धांतों का उल्लेख कीजिए. (Mention the major principles of Islam.)
जिहाद शब्द का अर्थ क्या हैं. (What is the meaning of the word Jihad.)
इस्लाम के पांच स्तम्भों के नाम बताइए. (Name the five pillars of Islam.)
सूफीमत के कोई चार सम्प्रदायों के नाम बताइए अथवा भारत में स्थापित किन्ही चार सूफी सिलसिलों के नाम लिखिए. (Name any four sects of Sufimat or write the names of any four Sufi Silsils established in India.)
सूफी मत के किन्ही चार सिद्धांतों का नाम बताइए. (Name any four principles of Sufism.)
अमीर खुसरो किसके शिष्य थे. (Whose disciple was Amir Khusro)
इस्लाम का भारतीय समाज पर पड़े दो प्रभावों का उल्लेख कीजिए. (Mention two effects of Islam on Indian society.)
हजरत मुहम्मद साहब की शिक्षाएँ किस पवित्र ग्रंथ में संकलित हैं. (In which holy book are the teachings of Hazrat Muhammad Sahab.)
इस्लाम धर्म की दो देन बताइए. (Explain two Gift of the religion of Islam.)
हदीस किसे कहते है. (What is a hadith?)
भारत के चार सूफी संतों के नाम बताइए अथवा सूफी सम्प्रदाय के किन्ही चार संतों के नाम बताइए. (Name the four Sufi saints of India or the names of any four saints of the Sufi community.)
यह भी पढ़े
- बौद्ध धर्म का इतिहास निबंध संस्थापक शिक्षाएं नियम
- जैन धर्म का इतिहास निबंध नियम शिक्षा संस्थापक
- धर्म क्या है धर्म का अर्थ व परिभाषा
- पौराणिक हिन्दू धर्म की विशेषताएं
उम्मीद करता हूँ दोस्तों इस्लाम क्या है इसका इतिहास निबंध Islam Kya Hai History Essay In Hindi का यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा. यदि आपको ये लेख पसंद आया हो तो अपने फ्रेड्स के साथ जरुर शेयर करें.