Jai Narayan Vyas Biography In Hindi | जय नारायण व्यास का जीवन परिचय: राजस्थान में सामंतशाही और अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ आवाज उठाने वालों में जयनारायण व्यास का नाम प्रमुखता से लिया जाता हैं.
इन्होने कई वर्षों तक जेल भुगती तथा स्वतंत्रता के पश्चात राजस्थान के मुख्यमंत्री पद को भी सुशोभित किया. इनके सम्मान में जोधपुर विश्वविद्यालय का नाम जयनारायण व्यास यूनिवसिर्टी कर दिया था.
जय नारायण व्यास का जीवन परिचय | Jai Narayan Vyas Biography In Hindi
पूरा नाम | जय नारायण व्यास पुष्करणा |
जन्म | 18 फरवरी, 1899 |
जन्म भूमि | जोधपुर |
मृत्यु | 14 मार्च, 1963 |
मृत्यु स्थान | दिल्ली |
पत्नी | गौरजा देवी व्यास |
संतान | एक पुत्र और तीन पुत्रियाँ |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पद | राजस्थान के तीसरे एवं पाँचवें मुख्यमंत्री |
जयनारायण व्यास का जन्म 18 फरवरी 1899 को जोधपुर में हुआ. 11 नवम्बर 1918 को इन्होने पुष्करणा युवक मंडल की स्थापना की. मंडल ने समाज सुधार सम्बन्धी गीतों की अनेक लघु पुस्तिकाएं प्रकाशित की.
व्यासजी ने बीसवीं सदी के द्वितीय दशक में समाज सुधार सम्बन्धी गीतों की रचना की. 1932 ई में व्यासजी ने बालिकाओं के लिए जय कन्या विद्यालय स्थापित किया.
1927 ई में ये तरुण राजस्थान के सम्पादक बने एवं 1936 ई में मुंबई में अखंड भारत नामक दैनिक समाचार पत्र निकाला. इन पत्रों में वर्तमान मारवाड़ शीर्षक से मारवाड़ के भ्रष्ट और निरंकुश शासन की कटु आलोचना की तथा देशी रियासतों में राजतंत्र की समाप्ति व उत्तरदायी शासन की स्थापना का आव्हान किया.
1929 ई में मारवाड़ राज्य लोक परिषद् के अधिवेशन पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया तो जयनारायण व्यास रचित पोपाबाई की पोल और मारवाड़ की अवस्था पुस्तिकाएं जनता में वितरित की गई. इनमें मारवाड़ शासन की कटु आलोचना की गई थी.
2 सितम्बर 1929 को जयनारायण व्यास को गिरफ्तार कर लिया गया. 10 मई 1931 को व्यासजी के निवास पर मारवाड़ यूथ लीग की स्थापना की गई, जिसनें ग्रामीण क्षेत्रों में जनचेतना फैलाने का कार्य किया.
1936 ई में अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद के कराची अधिवेशन में जयनारायण व्यास को महामंत्री चुना गया. 1939 ई में जयनारायण व्यास को केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड का गैर सरकारी सदस्य मनोनीत किया गया.
तथा 1940 ई में मारवाड़ लोक परिषद की समस्त शाखाओं का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. 1941 ई में जयनारायण जोधपुर नगरपालिका के प्रथम निर्वाचित अध्यक्ष चुने गये.
11 मई 1942 को मारवाड़ लोकपरिषद के सत्याग्रह आंदोलन में जयनारायण व्यास को प्रथम डिक्टेटर घोषित किया गया. इन्होने एक विज्ञप्ति मारवाड़ में उत्तरदायी शासन का आंदोलन प्रकाशित कर इस आंदोलन की आवश्यकता को स्पष्ट किया.
26 मई 1942 को इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. भारत छोड़ों आंदोलन के समय व्यास जेल में थे. अतः जनता का सक्रिय नेतृत्व नहीं कर सके. 24 अक्टूबर 1947 को महाराजा हनुवन्तसिंह ने सामंती मंत्रिमंडल बनाया जिसका व्यास जी ने विरोध किया और उत्तरदायी शासन के लिए संघर्ष की घोषणा की.
3 मार्च 1948 को भारत सरकार के दवाब में जयनारायण व्यास को मारवाड़ का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. ये 1949 से 1952 ई तक राजपूताना प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं दो बार अप्रैल 1951 से मार्च 1952 एवं नवम्बर 1952 से नवम्बर 1954 ई तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे. अपने उदात्त चरित्र के कारण ये लोकनायक के नाम से संबोधित किये जाने लगे.
14 मार्च 1963 को इनका देहांत हुआ. इनके चरित्र के सम्बन्ध में बीकानेर के शासक गंगासिंह ने मारवाड़ के प्रधानमंत्री डोनाल्ड फील्ड को लिखा निसंदेह श्री जयनारायण व्यास राजशाही की आलोचना करने में सबसे तीखे रहे हैं, लेकिन वे पक्के ईमानदार है, उनकों कोई भ्रष्ट नहीं कर सकता. वे अपनी राजनीतिक मान्यताओं के प्रति सत्यनिष्ठ हैं.
पार्टी जीती खुद हार गये
व्यास जी एक तो जमीन से जुड़े राजनेता थे दूसरी ओर पंडित नेहरु से उनकी नजदीकियां उनका कद अन्य नेताओं से बढ़ा देता था, मगर 1952 के लोकसभा चुनावों के बाद विधानसभा चुनावों की बारी थी. सत्ताधारी दल के मुख्यमंत्री जयनारायण व्यास के लिए दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने का रास्ता भी साफ़ था.
वे जालौर और जोधपुर दोनों सीटों से चुनाव लड़ रहे थे. व्यास अपने कई साथी नेताओं के साथ बैठकर चुनाव नतीजों का आंकलन कर रहे थे तभी उनके सचिव आते है और कहते है पार्टी 160 में से 82 सीटों पर जीत गई पर व्यास जी दोनों सीट से चुनाव हार गये. पार्टी नेताओं के लिए जीत से बढ़कर दुःख जयनारायण व्यास जी के चुनाव का हारना था.
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