कारक – परिभाषा, भेद और उदाहरण | Karak in Hindi हिंदी व्याकरण में कई सारी ऐसी जानकारियां उपलब्ध कराई गई हैं जिनके माध्यम से हम अपने ज्ञान को बढ़ा सकते हैं साथ ही साथ होने वाली किसी भी परेशानी को दूर भी किया जा सकता है|
अभी तक हमने आपको हिंदी व्याकरण के बारे में समुचित जानकारी दी है और आगे भी हमारी कोशिश होगी कि हम आप सभी को हिंदी व्याकरण के ज्यादा से ज्यादा तत्वों के बारे में अवगत करा सकें|
कारक – परिभाषा, भेद और उदाहरण | Karak in Hindi
ऐसे में आज हम मुख्य रूप से हिंदी व्याकरण के “कारक” के बारे में जानकारी देंगे, जो निश्चित रूप से ही आपके लिए कारगर होंगे और आप उनका फायदा ले सकेंगे|
कारक क्या होते हैं?
कारक सामान्य रूप से उपयोग किए जाने वाले तत्व होते हैं जिनके बारे में हमें समुचित जानकारी नहीं होती और हम इस टॉपिक को छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं.
लेकिन आज हम आपको बताने वाले हैं कि ‘’कारक’’ के माध्यम से ही आप अपने वाक्यों को सही तरीके से लोगों के सामने पेश कर सकते हैं और किसी प्रकार की दिक्कत से बच सकते हैं|
ऐसे में कारक उन्हें कहा जाता है, जो क्रिया को पूर्ण करने वाले शब्द या निशान होते हैं या फिर ऐसा भी कहा जा सकता है कि कारक हमेशा संज्ञा और सर्वनाम के क्रिया के साथ होने वाले संबंधों को दर्शाते हैं और संज्ञा और सर्वनाम के सभी रूपों के बारे में जानकारी देते हैं|
ऐसे में हम अपने वाक्य में कारक को पहचानने के लिए कई प्रकार के निशानों का उपयोग करते हैं ताकि हम निश्चित रूप से उनकी जानकारी ले सकें और किसी भी प्रकार से वाक्यों को सही बनाया जा सके|
कारक में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न निशान
ऐसा माना जाता है कि कारक में कुछ मुख्य भेद होते हैं और इन भेदों के निशान पाए जाते हैं जिनके माध्यम से हम कारक के बारे में सही जानकारी ले सकते हैं।
ऐसे में आज हम आपको इनके मुख्य निशानों के बारे में बताएंगे तभी आप भविष्य में कारक से संबंधित वाक्य को पहचान सकें|
- करता — ने
- कर्म– को
- करण — से
- संप्रदान– के लिए
- अपादान —- से
- संबंध — का, की, के
- अधिकरण — मैं, पर
- संबोधन — है, अरे
इस प्रकार से कुछ मुख्य निशान होते हैं ताकि आप कारक के बारे में सही जानकारी ले सकें|
कारक के कुछ मुख्य भेद —
इसके बाद हम कारक के कुछ मुख्य भेद के बारे में जानकारी लेंगे, जो मुख्य रूप से आठ प्रकार के होते हैं—
- कर्ता कारक
- कर्म कारक
- करण कारक
- संप्रदान कारक
- अपादान कारक
- संबंध कारक
- अधिकरण कारक
- संबोधन कारक
अब हम आपको एक एक कर इन सब कारको के बारे में जानकारी देंगे ताकि आप आसानी से ही समझ सकें|
1] कर्ता कारक — इसके अंतर्गत ऐसे शब्द का अध्ययन किया जाता है, जिससे किसी क्रिया के करने का पता चलता हो,उसे कर्ता कारक कहा जाता है।
इसे मुख्य रूप से सर्वनाम के रूप में लिखा जाता है जिससे वाक्यों में एक संबंध नजर आता है| उदाहरण के रूप में — रानी ने खाना खाया, राधा ने कहानी पढ़ ली, नेहा ने होमवर्क किया|
इन सभी में वाक्य के साथ “ने’’ परसर्ग लगा हुआ है, जिस से सामान्य रूप से भूतकाल की सकर्मक क्रिया के बारे में जानकारी मिलती है|
साथ ही साथ यह भी देखा गया है कि वर्तमान और भविष्य काल में परसर्ग का प्रयोग नहीं होता है और सामान्य रूप से ही वाक्यों को सही तरीके से दिखाया गया है|
2] कर्म कारक — इसके अंतर्गत क्रिया के करता का फल पढ़ने का पता कराने संज्ञा एवं सर्वनाम के रूप को कर्म कारक़ कहा जाता है|
जिसमें सामान्य रूप से “को” का इस्तेमाल किया जाता है| जिसे बनाना बहुत ही आसान है| उदाहरण के रूप में — मैंने विशाल को मार दिया, मैंने नेहा को पेंसिल दी, मंजू ने श्याम को किताब दी थी|
यहां पर दिए गए वाक्यों में किसी के ऊपर जो भी बात आती हो, वह कर्म कारक कहलाता है जैसे कि विशाल को मार दिया, इसमें कर्म कारक विशाल होगा|
3] करण कारक —- इसके अंतर्गत यदि किसी काम के संपन्न होने की बात सुनाई देती हो या कोई काम पूर्ण होता है उसे करण कारक़ कहा जाता है।
इसके माध्यम से कोई भी काम जो पूरा हुआ हो उसके बारे में जानकारी दी जाती है| उदाहरण के रूप में — निधि गर्मी की वजह से वह परेशान हो रही थी, राम ने बाण से बाली को मार दिया था|
यहां पर दिए गए वाक्य में निधि को गर्मी लग रही है इसका मतलब गर्मी ‘’करण कारक;; होगी| ऐसे में अगर इस बारे में बात किया जाए तो वह सिर्फ गर्मी के बारे में इशारा करते हैं|
4] संप्रदान कारक — इसके अंतर्गत यदि किसी को कुछ दिया जाए या किसी के लिए कुछ किया जाए ऐसे में इस मुख्य कारक़ का इस्तेमाल किया जाता है।
ऐसे में किसी को कुछ देने या जिसके लिए कुछ किया जाए ऐसे में संज्ञा का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जो विभिन्न प्रकार के निशान के माध्यम से दर्शाया जा सकता है|
उदाहरण के रूप में — यह पेन मैंने राम को दे दी, विद्यार्थी अपने अध्यापक के लिए एक तोहफा लेकर आए|
इन मुख्य वाक्यों में संप्रदान ‘’को’’ है, जिसमें राम को पेन देने की बात की गई है साथ ही साथ अध्यापकों के लिए तोहफा लेकर आने की बात की गई है|
ऐसे में स्पष्ट है कि यदि किसी को कुछ दिया जाए या किसी के लिए कुछ किया जाए, वहां पर संप्रदान कारक़ का उपयोग किया जाता है|
5] अपादान कारक — इसके अंतर्गत यदि संज्ञा के किसी रूप को किसी भी चीज से या शब्दों से अलग होने का भाव उत्पन्न होता है, ऐसे में अपादान कारक़ माना जाता है| इसका विभक्ति चिन्ह ‘’से’’ है वैसे तो विभक्ति चिन्ह से करण कारक़ का भी चिन्ह है लेकिन इसमें से का अर्थ किसी चीज को अलग करने से होता है|
उदाहरण के रूप में — वह मुझसे अलग हो गया, पेड़ से पत्ता गिर गया, टेबल में रखा हुआ फूल नीचे गिर गया|
इसके अतिरिक्त कई और शब्दों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसमें निकलने, सीखने, डरने और तुलना करने का भी बोध होता है|
6] संबंध कारक — इसके अंतर्गत किसी मुख्य संबंध के बारे में जानकारी मिलती है जिसमें संज्ञा या सर्वनाम का भी विशेष रूप से उपयोग किया जाता है|
जिसमें मुख्य रुप से का, के, की,ना,नो, रा, रे, री आदि का उपयोग किया जाता है और अपने वाक्य को संबंधित वाक्य बनाया जाता है|
उदाहरण के रूप में — यह गाय मोहन की है, यह ममता का घर है, रानी का हार अच्छा है|
इन सभी वाक्य में का, के, की का इस्तेमाल किया गया है, जो निश्चित रूप से ही संबंध कारक के बारे में जानकारी दे रहे हैं और एक दूसरे से संबंध स्थापित भी कर रहे हैं|
7] अधिकरण कारक — इसके अंतर्गत किसी मुख्य प्रकार के समय, स्थान या अवसर के बारे में जानकारी दी जाती है,
जहां पर ही विभिन्न प्रकार के संज्ञा और सर्वनाम का इस्तेमाल किया जाता है जिसे अधिकरण कारक़ के रूप में जाना जाता है| जिसमें मुख्य रुप से का, के, की का इस्तेमाल करते हुए वाक्य बनाया जाता है|
उदाहरण के रूप में — जब हम घर में गए तो घर में उजाला नहीं था, वीर सैनिक युद्ध भूमि में शहीद हो गया, मेरे घर में कोई नहीं है|
यहां पर वाक्यों में ‘’मैं’’ का इस्तेमाल किया गया है, जो अधिकरण कारक के रूप में हमारे सामने प्रस्तुत है और इसका सही तरीके से उपयोग करते है|
8] संबोधन कारक — इसके अंतर्गत संज्ञा या सर्वनाम के होते हुए किसी के साथ महत्वपूर्ण संबोधन का उल्लेख किया जाता है, जिसके माध्यम से सही तरीके से वाक्यों को लिखा और पढ़ा जा सकता है|
उदाहरण के रूप में — हे ईश्वर तूने ऐसा क्यों किया?, हे मां मुझे बहुत दर्द हो रहा है|
यहां पर ‘’है’’ के द्वारा विशेष रूप से संबोधन किया जा रहा है जिसके माध्यम से हम अपनी बात कहते हैं और दूसरों तक अपनी बात को पहुंचाते भी हैं|
कर्म कारक और संप्रदान कारक में विभिन्न अंतर
मुख्य रूप से इन दोनों कारकों में विभक्ति का प्रयोग होता है, जहां कर्म कारक़ में किसी भी क्रिया के कर्म पर प्रभाव पड़ता है, तो संप्रदान कारक़ में देने के भाव पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ता है जिसे हम उदाहरण के रूप में भी समझ सकते हैं—
- विशाल ने विकास को खिलौना दिया|
- डॉक्टर ने मरीज को दवाइयां दे दी|
- मोहन ने सांप को मार दिया|
करण कारक और अपादान कारक में अंतर
कारक़ में मुख्य रूप से विभिन्न चिन्हों का प्रयोग किया जाता है और ऐसे में करण कारक और अपादान कारक में भी चिन्हों का उपयोग होता है लेकिन अलग तरीकों से|
करण कारक़ में ‘’से’’ का उपयोग किया जाता है वही अपादान कारक में अलग होने हेतु क्रिया शामिल होती है| इसके अलावा अपादान में हमेशा दूर जाने की बात होती है| उदाहरण के रूप में
- मैं पेंसिल से लिखती हूं|
- मैं सीढ़ियों से गिर पड़ी|
- लड़के बैट बॉल से खेलते हैं|
- मुझे तुमसे बात करनी है|
यह भी पढ़े
- समास परिभाषा व भेद और उदाहरण
- संधि की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- प्रत्यय – परिभाषा, भेद और उदाहरण
- विलोम या विपरीतार्थक शब्द
- पदबंध : परिभाषा, भेद और उदाहरण
- क्रिया – परिभाषा, भेद, और उदाहरण
- काल किसे कहते हैं परिभाषा, भेद और उदाहरण
हिंदी व्याकरण में ‘’कारक – परिभाषा, भेद और उदाहरण | Karak in Hindi’’ का विशेष महत्व माना गया, जिसके बारे में जानना हमारे लिए बहुत जरूरी है|
इसके माध्यम से ही हम अपने वाक्यों को सही तरीके से आगे बढ़ा सकते हैं और किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर हम आसानी से उसका सामना करते हुए वाक्य को सही बना सकते हैं।
उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख अच्छा लगा होगा और इस से अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद|