किराडू मंदिर का रहस्य कहानी इतिहास Kiradu Temple Story History Mystery In Hindi

किराडू मंदिर का रहस्य कहानी इतिहास Kiradu Temple Story History Mystery In Hindi:- राजस्थान की मरू भूमि ऐतिहासिक महलों, स्मारकों, मंदिरो तथा तथा अपनी धरोहर के लिए विश्व विख्यात है. राजस्थान में कई सारे अनोखे ऐतिहासिक किले, तालाब, महल और मंदिर है, जिनकी अपनी खास बातें उन्हें विशेष बनाती है. बाड़मेर के किराडू मंदिर इसी तरह की एक मन्दिर श्रंखला है जो करीब एक हजार वर्ष पुराने है तथा अपने में कई तरह की कहानियां और इतिहास को लेकर खड़े है, आज हम किराडू मन्दिरों के बारे में यहाँ जानेगे. दक्षिण भारतीय शैली में बने किराडू के मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए विख्यात है. इन मन्दिरों की अवस्थिति की बात करे तो बाड़मेर शहर से 43 किमी की दूरी पर स्थित हाथमा गाँव के पास यह स्थित है. पांच खंडहर अवस्था में पहुंचे मन्दिरों की यह स्थली पुराने जमाने में किराट कूप के नाम से जानी जाती थी. ऐसा माना जाता है कि किराडू के मन्दिरों का निर्माण लगभग 1000 ई. के आसपास हुआ. हालांकि इसके निर्माताओ के बारे में कोई स्पष्ट अभिलेख विद्यमान नहीं हैं. कुछ इतिहासकार इनके निर्माता गुर्जर प्रतिहार को तो कुछ गुप्त व संगम वंश के शासकों को मानते हैं.

इन पांच मन्दिरों की श्रंखला में अब भगवान शिव (सोमेश्वर) और विष्णु के मंदिर अच्छी स्थिति में है. शेष तीनों मन्दिर खंडहर अवस्था में पहुँच चुके हैं. बाड़मेर के किराडू मंदिर को लेकर जनमानस में एक कहानी आज भी जिन्दा है. कहते है यहाँ एक सुविधा सम्पन्न गाँव हुआ करता था. लोगों का जीवन खुशहाली भरा था, अचानक एक घटना ने इस गाँव को पूरी तरह वीरान बना दिया. मान्यता है कि करीब 900 वर्ष पहले जब किराडू पर परमार शासकों का शासन था. तब इस गाँव में एक साधु आए. संत ने आगे के भ्रमण के समय अपने शिष्यों को गाँव के स्थानीय लोगों के भरोसे छोड़ दिया और आगे चले गये. जब संत वापिस किराडू आए तो उन्होंने देखा उनके अधिकतर शिष्य भूख प्यास और बिमारी के मारे बिलख बिलख कर रो रहे थे. गाँव की एक कुम्हार महिला के अलावा किसी और ने उनकी तरफ देखा तक नहीं. यह नजारा देख संत को भयंकर गुस्सा आया और कमंडल से जल निकालकर यह श्राप देते हुए छिड़क दिया कि यहाँ जो जैसा है शाम होने तक पत्थर बन जाएगा. यानी पूरे गाँव के जीवित प्राणियों को पत्थर बनने का श्राप क्रोधित साधु ने दे दिया.

उस कुम्हारिन को संत ने धन्यवाद दिया और श्राप से बचने के लिए गाँव छोड़ देने को कहा साथ ही हिदायत दी कि जाते समय पीछे मुड़कर मत देखना. मगर कौतुहलवश वह पीछे मुड़ी और कहते है उसी अवस्था में वह पत्थर बन गई. यह किवंदती यहाँ सैकड़ों वर्षों से कही सुनी जाती है. श्राप की इस खौफनाक कहानी के चलते लोगों में डर का माहौल भी रहता है. बाड़मेर आने वाले पर्यटक अवश्य रूप से किराडू के इन मन्दिरों को देखने अवश्य आते हैं. किराड़ू मंदिर वास्तुकला का अद्भुत नमूना तो है ही साथ ही इस डर की कहानियां आज भी जीवित इंसानों की रूह को कपा देती हैं. किराडू में जैसे ही रात होती है सभी दर्शनीय और वास्तुकलाओं पर ताले लटक जाते है तथा लोगों को अँधेरे में यहाँ रुकने से मना किया जाता है. पैरानॉर्मल सोसाइटी ऑफ इंडिया की टीम ने घोस्ट मशीन यानी इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड उपकरण की मदद से यहाँ की नेगेटिव एनर्जी की मौजूदगी भी पाई गई थी.

किराडू मंदिर का रहस्य कहानी इतिहास Kiradu temple In Hindi

किराडू मंदिर का रहस्य कहानी इतिहास Kiradu Temple Story History Mystery In Hindi

किराडू मंदिर राजस्थान के ऐसीहासिक स्थलो मे से एक है। किराडू अपने रहस्यमय इतिहास तथा अपनी शिल्प सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। इन मंदिरो मे श्रद्धालुओ की भीड़ जमा रहती थी। पर एक श्राप के कारण किराडू आज सुनसान बन गया है।

किराडू का मंदिर राजस्थान के मारवाड़ का सबसे श्रेष्ठ किला हुआ करता था. इस किले को आज रहस्यमय किले में गिना जाता है. किराडू आज तक का सबसे श्रेष्ठ कलाकारी वाला किला था. पर आज इस मंदिर की सारी कलाकारी खंडर मे बदल गई है।

हमारा राजस्थान ऐसा राज्य है. जिसमे सबसे अधिक किले और स्मारक है. भारत के अधिकाश पर्यटक राजस्थान की भूमि में आते है. इसका कारण राजस्थान का गौरवपूर्ण इतिहास तथा यहा के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।

राजस्थान के बाड़मेर जिले के निकट किराडू मंदिर बना हुआ है. किराडू का मंदिर बाड़मेर के किराड़ गाँव में पड़ता है. जो बाड़मेर से 40 किलोमीटर दुरी पर है. ये  मंदिर बाड़मेर का सबसे श्रेष्ठ तथा एकमात्र रहस्यमय मंदिर है.

किराडू मे अनेक देवताओ के मंदिर थे। जो आज खंडर में बदल चुके है. पर आज भी दो मंदिरों के दर्शन किये जा सकते है. जिसमे एक भगवान शिव तथा दूसरा विष्णु जी का है।

किराडू मंदिर अपनी शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध हुआ. इस किले की सौन्दर्यता के कारण मुगलों ने इस पर आक्रमण किया.

किराडू मंदिर का निर्माण परमार शासको द्वारा 11वी शताब्दी में करवाया गया था. पर इसकी मरम्मत नहीं होने के कारण आज एक खंडर का रूप धारण कर चूका है. इस किले के निर्माण में अनेक हस्तशिल्पी प्रतिमाए बनाई गई है. जो देखते पर उनके वास्तव में होने का आभास कराती है.

सदियों पुराना किराडू का मंदिर एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हुआ करता था. इस स्थल पर हमेशा भीड़ भाड़ रहती थी. इसी कारण इस किले को राजस्थान का खाजुराओ कहते है. पर आज ये इस ख्याति के लिए योग्य नहीं बचा है.

किराडू मंदिर में 5 मंदिर हुआ करते थे. पर आज दो मंदिर ही सही स्थिति मे है. किराडू को प्राचीन समय में हाथमा कहा जाता था. 1161 के शिलालेख के अनुरूप इस गाँव पर परमारों का शासन था. और इस गाँव का नाम परमारों की राजधानी किरतकुप रखा गया था.

किराडू मंदिर में आज भी भगवान शिव और विष्णु के दो मंदिरों के दर्शन किया जा सकते है. ये मंदिर अपनी बनावट तथा चित्रकला के लिए काफी प्रसिद्ध है. इन मंदिरो का निर्माण किसने व कब करवाया इसका कोई ठोस सबूत नहीं है.

किराडू के मंदिर का सबसे विशाल मंदिर शिव का है. ये मंदिर नक्काशी की आकृतियों और हाथी घोडा तथा अन्य जानवरों की प्रतिमाओ बना से हुआ है. इस मंदिर की कलात्मकता इतनी बेहतर है. इसे देखकर इसके वास्तव में होने का अनुभव होता है.

किराडू में शिव के साथ साथ विष्णु का मंदिर भी है. ये मंदिर शिव के मंदिर की तुलना में काफी छोटा है. पर बनावट और शिल्पकला की इस मंदिर में भी कोई कमी नहीं है. इस मंदिर की अनेक प्रतिमाए हस्तकला से निर्मित है.

राजस्थान का खजुराहो

राजस्थान का खजुराहो की उपाधि से प्रसिद्ध किराडू के मंदिर एक समय में खजुराहो हुआ करता था. किराडू मंदिर अपनी कला शैली तथा लोग्प्रियता के लिए प्रसिद्ध किला था. यहाँ लोगो की भीड़ हमेशा जमा रहती थी.

ये राजस्थान का प्रमुख पर्यटन स्थल था. साधू के श्राप के कारण आज किराडू का मंदिर एक मात्र वीरान और डरावना मंदिर बन गया है. आज इस मंदिर में रात के समय में प्रवेश करने वाला वापस नहीं आता है. इस प्रकार की अनेक घटनाए घटित हो चुकी है.

किराडू मंदिर की कहानी Kiradu Temple Story In Hindi

किराडू मंदिर राजस्थान का सबसे चर्चित ऐतिहासिक पर्यटन स्थल रहा था. इस किले का निर्माण परमार शासको ने किया. इस गाँव में खुशियों का कोई ठिकाना नहीं था. सभी मस्त जीवन जी रहे थे. पर एक गलती की वजह से किराडू आज भी वीरान बना हुआ है.

किराडू मंदिर हात्मा गाँव में स्थित था. इस गाँव का शासक परमार शासन था. जो अपनी मनमानी करता था. इस गाँव के लोग काफी कुरुर स्वभाव के थे. अपने मतलब से ही मतलब रखते थे. पर सभी की एकता इस गाँव की प्रमुख विशेषता थी.

इस गाँव में एक साधू ने प्रवेश किया साधू को इस गाँव का वातावरण बहुत अच्छा लगा और उन्होंने अपने शिष्यों को इस स्थान पर बुला लिया. साधू तथा उनके शिष्य काफी ज्ञानी थे. और हर मुशीबत में गाँव के लोगो की सहयता करते थे.

एक बार साधू ने किसी अन्य गाँव में एक महीने के लिए जाने की योजना बनाई और अपने शिष्यों को गाँव में ही छोड़कर साधू अगले गाँव चले गए. साधू ने उस गाँव में काफी समय व्यतीत किया.

साधू को दुसरे गाँव में देख राजा ने सभी को हुक्म दिया कि कोई गुरु के इन शिष्यों को सहायता नहीं करेगा. भूखे प्यासे शिष्यों की जान चली जा रही थी. और साथ में स्वास्थ्य भी बिगड़ रहा था. इस प्रकार शिष्यों को अनेक कष्ट सहने पड़े.

इस गाँव में एक बूढी औरत को छोड़कर किसी ने शिष्यों को एक बूंद जल तक नहीं पिलाया. गुरु के वापस लौटने तक शिष्यों की सहायता का एकमात्र साधन एक कुम्हारी औरत बनी. इसी कारण शिष्य जीवित रह सके थे.

एक महीने की यात्रा के बाद जब गुरु वापस आए तो उन्होंने अपने शिष्यों की स्थिति देख अनुमान लगा लिया. शिष्य भूखे प्यासे तड़प रहे थे. साधू अपने शिष्यों को हालत देखकर काफी क्रोधित हुए. और राजा के पास पहुंचे. पर राजा ने उनका अपमान किया.

अपने शिष्यों की ख़राब हालात और अपना अपमान साधू सह नहीं पाए और अपने शिष्यों से कहा कि जिस स्थान पर दया भाव करुणा नहीं है. उस स्थान में हमें नहीं ठहराना चाहिए.

गुरु ने राजा से कहा कि जहाँ दया भाव परोपकार भाव तथा साधुओ का आदर ना हो. उस गाँव का विनाश होना ही उचित है. जो करुना का भाव नहीं समझते साधुओ का सम्मान करना नहीं जानते उन्हें इस संसार में जीने का कोई हक नहीं है.

इस बात को कहने के बाद साधू ने उस कुम्हारी औरत को बुलाया जिसने शिष्यों की सहायता की थी। उस कुम्हारी को कहा ये गाँव नष्ट होने वाला है. सूरज के ढलने तक आप इस गाँव को छोड़कर चले जाना और मुड़कर पीछे मत देखना.

कुम्हारी औरत को गाँव से जाने के कहने के बाद साधू इस गाँव के सभी लोगो को श्रापित कर देता है. और सभी लोग जिस स्थिति में थे. वे उसी स्थिति में एक प्रतिमा बन गए. कुम्हारी ने भी पीछे देखने के कारण वो भी इस श्राप का शिकार हुई.

इस प्रकार लगभग 12 शताब्दी में ये पूरा गाँव श्रापित हो गया. और इस गाँव के सभी घर उजड़ गए. इस गाँव का विनाश हो गया. और ये गाँव जो कभी भीड़ भाड़ का इलाका हुआ करता था. जहाँ आज ये स्थान वीरान बन चूका था.

पर कुछ सालो बाद इस स्थान पर कुछ लोग बसे पर जो भी रात के समय इस गाँव में रुकता वह पत्थर की मूर्ति बन जाता इस प्रकार कई अनेक घटनाए घटित हुई. पर इसका किसी के पास कोई तोड़ नहीं था.

इस वीरान गाँव पर 14 शताब्दी में मुगलों ने अधिकार किया. पर वे इस डरावनी और रहस्यमय स्थान पर नहीं रह सकें. और इस स्थान को छोड़ दिया. पर कई लोगो और इतिहासकारों का मानना है. कि इस गाँव के वीरान होने का कारण मुग़ल थे. जो कि एक अपवाह है. ये गाँव 12 शताब्दी में वीरान हुआ. तथा 14 शताब्दी में मुग़ल यहाँ आए थे.

किराडू मंदिर का इतिहास Kiradu Temple History In Hindi

किराडू मंदिर का निर्माण 11 शताब्दी में परमार शासको द्वारा किया गया ये किला अपनी चित्रकला और शिल्पकला के लिए विश्व प्रसिद्ध है. ये किला धोरे के गढ़ बाड़मेर में स्थित है.

किराडू ये वो स्थान था. जहाँ पर अनेक मंदिर और घर थे. जहाँ लोग मौज मस्ती से अपना जीवन जी रहे थे. ये वही किला है. जिसकी भीड़ को देखते हुए इसे राजस्थान का खजुराहो कहते थे. पर भीड़ का ये इलाका पिछले 800 सालो से वीरान है.

आज इस किले की स्थिति बहुत ख़राब है. इस किले से आज भी अनेक आवाजे सुनाई पड़ती है. जिस कारण इस किले को डरावना किला माना जा रहा है. इस किले में रात के समय को प्रवेश मना है.

इस किले में बने सभी मंदिर बहुत बेहतरीन है. इनकी कला इस किले को श्रेष्ठ बनाती है. इस किले में अनेक जानवरों और लोगो की प्रतिमाए है. जो देखते ही लगता है. जैसे कोई हकीकत में वहा खड़ा हो. ये एक अद्भुत कला थी.

इन मंदिरो के निर्माण के कुछ सालो बाद साधू द्वारा इस गाँव को श्रापित कर दिया गया. और सभी लोग पत्थर की मुर्तिया बनकर रह गए. इस घटना में हजारो लोग इस श्राप से अपने जीवन को खो बैठे.

माना जाता है. कि श्रापित सभी आत्माए आज भी उस गाँव में स्थित है. और कई बार इसको अनुभव भी किया गया है. आज उस गाँव में कोई निवास नहीं करता है. क्योकि रात के समय में जो इस गाँव जाता है. वो भी एक प्रतिमा बन जाता है.

इस किले और गाँव के रहस्य के बारे में जानने के लिए अनेक प्रयास किये गए. पर आज तक इसका राज छुपा हुआ है. भय के कारण लोग इस गाँव में कदम नहीं रखते है. कभी-कभी दिन के समय में कुछ यात्री इस वीरान जगह पर आते है.

आज वीरान जगह बने इस गाँव का विकास कर इसकी कलाओ के कारण ये सबसे श्रेष्ठ पर्यटन स्थल बन सकता है. इसके विकास की जरुरत है. विकास से किराडू एक पर्यटन स्थल के रूप में उभर सकता है.

किराडू मंदिर के अनेक नियम बनाए गए है. जिसका पालन हर व्यक्ति करता है. इस गाँव में शाम के समय किसी भी व्यक्ति को प्रवेश नही दिया जाता है. और रात होने से पूर्व इस गाँव को वापस सुनसान बना दिया.

किराडू मंदिर का रहस्य kiradu temple mystery

किराडू मंदिर अपनी सुन्दरता तथा शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है. किराडू मंदिर में प्राचीन समय में पांच मंदिरों की श्रंखला थी. जो समय के साथ साथ मिटटी में ढह गई. और आज केवल भगवान का शिव का एक तथा विष्णु भगवान का एक मंदिर है.

इस मंदिर का निर्माण निर्माण किराड़ वंश के शासको द्वारा किया गया था. इसी कारण इस मंदिर का नाम किराडू का मंदिर रखा गया है. इस किले के निर्माण में प्राचीन गुजराती संस्कृति का प्रयोग किया गया है.

किराडू मंदिर रहस्यों से भरा हुआ है. यहाँ पर कई अदुत रहस्य है. जो अभी तक हमारी और विज्ञान की नजर से काफी दूर है. इन रहस्यों को जानने के लिए अनेक प्रयास किये गए. पर अभी तक ये रहस्य अनसुलझे है.

किराडू में पांच मंदिर हुआ करते थे. पर आज दो मंदिर ही सुरक्षित है. किराडू बाड़मेर का सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है. मान्यता है. कि इस किले में रात के समय में लोगो की आवाजे सुनाई पड़ती है.

किराडू के मंदिर में रात के समय में जाना निषेध है. कई लोग नियमो का उलंघन करते हुए. रात में इस मंदिर में गए है. पर कहा जाता है. कि जो रात में इस मंदिर गया है. वो कभी वापस नहीं आया और किराडू की अन्य मूर्तियों की तरह ही एक मूर्ति का रूप ले लेता है.

माना जाता है। कि किराडू के मंदिर को एक ऋषि का श्राप लगा हुआ है। और पिछले कई दशको से ये किला वीरान है। इस किले मे प्रवेश करना मौत को दावत देने के समान है।

किराडू के मंदिर मे जो भी रात को जाता है। पत्थर कि मूर्ति बन जाता है। पर इसमे कितनी सच्चाई है। ये कोई नहीं जानता है। पर लोगो कि मान्यता के अनुसार ये सच्चाई है।

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