लघु उद्योग पर निबंध Laghu Udyog Essay in Hindi : नमस्कार दोस्तों स्माल इंडस्ट्री अर्थात लघु उद्योग निबंध में आपका स्वागत हैं. सबसे छोटे स्तर पर कम मानवीय संसाधन से शुरू किया गया रोजगार का क्षेत्र लघु उद्योग के नाम से जाना जाता हैं.
इस निबंध, भाषण स्पीच, अनुच्छेद, पैराग्राफ आर्टिकल की मदद से जानेगे कि लघु उद्योग क्या है अर्थ कैसे शुरू करे समस्याएं आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे.
Laghu Udyog Essay in Hindi
लघु उद्योग को कुटीर उद्योग भी कहा जाता है और यह एक ऐसी फील्ड है जो सबसे अधिक नौकरी लोगों को देती है। हमारे भारत देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में लघु उद्योग का काफी महत्वपूर्ण किरदार होता है।
वर्तमान के समय में बेरोजगार युवक लघु उद्योग में नौकरी करके रोजगार प्राप्त कर रहे हैं और अपनी रोजगारी को दूर कर रहे हैं। हमारे भारत देश में ऐसे कई युवा है जो काफी कम उम्र में ही लघु उद्योग स्टार्ट कर चुके हैं और आज वह सफलता के शिखर को छू रहे हैं।
भारत के स्टेट और सेंट्रल गवर्नमेंट के द्वारा भी लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रकार की स्कीम चलाई जा रही है, जिसका फायदा युवा वर्ग उठा रहे हैं।
अगर किसी भारतीय व्यक्ति के पास लघु उद्योग को स्टार्ट करने के लिए पैसे नहीं है, तो गवर्नमेंट के द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न योजना में वह अप्लाई कर सकता है और लघु उद्योग स्टार्ट करने के लिए लोन के तौर पर पैसे प्राप्त कर सकता है।
इंडिया में जो लघु उद्योग है, वह अधिकतर कौशल के ऊपर ही डिपेंड होते हैं, जिसके अंतर्गत व्यक्ति को किसी टेक्निकल चीज के बारे में सिखाया जाता है और ट्रेनिंग दी जाती है और उसके बाद उसे नौकरी पर रखा जाता है। लघु उद्योग को करने के लिए ज्यादा अधिक पैसे की भी आवश्यकता नहीं होती है।
इसलिए किसी व्यक्ति के पास अगर कम पैसे हैं तो भी वह उसी पैसे में लघु उद्योग को स्टार्ट कर सकता है। लघु उद्योग को स्टार्ट करने के बाद उसमें फायदा प्राप्त होने पर व्यक्ति चाहे तो लघु उद्योग के आकार को और भी बडा कर सकता है और अधिक पैसे कमाने का प्रयास कर सकता है।
लघु उद्योग निबंध 1
प्रस्तावना
देश में उद्योगों को वर्गीकृत करते हुए इसे भागों में बांटा गया है. सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग. रोजगार के अवसर पैदा करने की क्षमता के अनुसार लघु उद्योग सबसे अधिक योगदान देता हैं.
भारत जैसे देश जहाँ बेरोजगारी अधिक है तथा श्रम की उपलब्धता है. बदलते समय के साथ समाज की आवश्यकताओं के मुताबिक़ लघु उद्योग की दिशा व उत्पाद निर्भर करते हैं.
यह उद्योग मूल रूप से औद्योगिक कौशल पर आधारित हैं. जिसमे कम पूंजी, थोड़े से प्रशिक्षण और सिमित मात्रा में श्रम के साथ इसे शुरू किया जा सकता हैं. अपने परिवार के सदस्यों की भागीदारी से अच्छा उत्पादन किया जा सकता हैं.
लघु उद्योग के क्षेत्र में आने वाली कठिनाइयों में सही क्षेत्र का चुनाव, कच्चे माल की आपूर्ति, तकनीकी ज्ञान तथा बाजार की उपलब्धता मुख्य है.
लघु उद्योग क्या है
भारत में निवेश सीमा को आधार बनाकर उद्योगों को सूक्ष्म/ कुटीर, लघु और मध्यम उद्योगों की श्रेणी में विभाजित किया हैं. आम तौर पर लघु उद्योग से हमारा आशय उन छोटे मोटे काम से हैं जिन्हें कुछ लोग कम पूंजी के साथ शुरू कर सकते हैं.
जैसे अपने घर पर साबुन, अगरबत्ती, मोमबत्ती, जूते, कूलर, गुड़ आदि बनाना इसके अलावा पारम्परिक कार्य जैसे सुनारी, लोहारी, कुम्हारी, बढ़ई, पशुपालन, सिलाई व कृषि कर्म को भी लघु उद्योगों की श्रेणी में सम्मिलित कर सकते हैं.
लघु उद्योगों की आवश्यकता
लघु उद्योग की श्रेणी में वे काम धंधे आते है जिनमें मशीनों तथा पूंजी का अभाव व श्रम की प्रधानता रहती हैं. इसमें न बड़े बाजार की आवश्यकता होती है न ही अधिक कामगारों की. घर के सदस्य तथा रिश्तेदारों के द्वारा इन्हें आसानी से चलाया जा सकता हैं.
किसी भी देश के विकास का अनुमान उसके उद्योगों की स्थिति से लगाया जा सकता हैं. जापान जैसे देश इसलिए आत्म निर्भर बन पाए क्योंकि वहां लघु उद्योगों का बड़ा विकसित तन्त्र हैं. प्रत्येक नागरिक किसी न किसी उत्पादन से कार्य में लगे हैं.
हमारे प्राचीन भारत में भी गाँव स्वावलंबी हुआ करते थे. आवश्यकता की सभी चीजे गाँव में ही बनती थी जैसे बढ़ई लकड़ी के सामान कुम्हार मिटटी के बर्तन लोहार लोहे के सामान, कृषक पशुपालन एवं खेती का कार्य करते थे.
तेजी से बढ़ते मशीनीकरण के फलस्वरूप बेरोजगारी और प्रदूषण बढ़ा हैं. जैसे जैसे हमने लघु और कुटीर उद्योगों को छोड़ा है, ये समस्याएं अधिक बढ़ी है. बड़े उद्योगों ने छोटे व्यवसायों को निगलना शुरू कर दिया हैं.
हमारा देश अभी विकासशील देशों की श्रेणी में गिना जाता हैं. पूंजी के अभाव के चलते बड़े उद्योगों को स्थापित करना कठिन है. अथाह मानवीय संसाधन का उपयोग करके देश में लघु उद्योग तन्त्र विकसित किया जा सकता हैं जो बेरोजगारी को खत्म करने के साथ ही आर्थिक विकास को नई राह दे सकते हैं.
कुटीर लघु एवं मध्यम उद्योग
मूल रूप से उद्योगों को दो विस्तृत क्षेत्रों निर्माण तथा सेवा क्षेत्र में बांटा जाता हैं. निर्माण क्षेत्र में संस्थागत खर्च को छोडकर जिन उद्योगों को 25 लाख से 5 करोड़ के निवेश से स्थापित किया जाता था उन्हें लघु उद्योग कहा जाता था.
13 मई 2020 से भारत सरकार ने तीनो उद्योग श्रेणियों को पुनः परिभाषित कर निवेश सीमाओं में बदलाव किये हैं. नई परिभाषा के अनुसार निर्माण क्षेत्र में लघु उद्योग का अर्थ वह उद्योग जिसमें एक से दस करोड़ तक का निवेश किया गया हो तथा उसका टर्नओवर पांच करोड़ से पचास करोड़ के मध्य हो उसे लघु उद्योग कहा गया हैं.
यदि हम सेवा क्षेत्र में लघु उद्योग की निवेश सीमा की बात करे तो इसके तहत वे उद्योग शामिल किये जाएगे जिनमें दस लाख से अधिक तथा दो करोड़ से कम का निवेश किया गया हो. इसमें भवन तथा जमीन आदि के खर्च को सम्मिलित नहीं किया जाता हैं.
नवीन परिभाषा में अब सेवा तथा निर्माण क्षेत्र का विलय कर इसके अधिकतम निवेश की सीमा दस करोड़ तथा टर्न ओवर की उपरी सीमा 50 करोड़ रखी गई हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु उद्योग का महत्व / योगदान
यदि हम अपने देश की अर्थव्यवस्था का स्वरूप एव विभिन्न क्षेत्रों के योगदान का अध्ययन करे तो यह मालुम पड़ता है कि बड़े उद्योगों की तुलना में हमारी अर्थव्यवस्था में कुटीर एवं लघु उद्योगों का बड़ा योगदान हैं.
इसी क्षेत्र में अधिक रोजगार उत्पादन के अवसर पैदा किये हैं. आज भी हमारे लघु उद्योग वित्त समस्याओं से जूझ रहे है यदि उन पर सरकारे ध्यान दे तो निश्चय ही यह हमारी अर्थव्यवस्था में मजबूत स्तम्भ की तरह काम करेगा.
बड़े उद्योग देश के महानगरो तक ही सिमित हैं. कई मूलभूत समस्याओं जैसे बिजली, सडक, तकनीक कच्चे माल व बाजार की कमी के उपरांत भी इस उद्योग क्षेत्र ने स्वयं के अस्तित्व को बनाए रखा हैं.
भारत सरकार की प्रधानमंत्री एमप्लोयमेंट जनरेशन स्कीम और मुद्रा योजना जैसे कार्यक्रमों ने इसमें जान फूकने का काम किया हैं. हमें उम्मीद करनी चाहिए सरकारे अपना ध्यान इस तरफ भी देगी तथा निकट भविष्य में लघु उद्योग हमारी अर्थव्यवस्था में और महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे.
लघु उद्योग की लिस्ट (Laghu Udyog List in Hindi)
यदि आप सोच रहे है कि लघु उद्योग के रूप में आप क्या क्या उत्पादन शुरू कर सकते हैं. एक करोड़ से दस करोड़ तक के निवेश के साथ आप सैकड़ों छोटे बड़े सैक्टर में हाथ आजमा सकते हैं. इसकी सूची आपकों यहाँ बता रहे हैं.
- साबुन, तेल, चाकलेट, बिस्किट, घी पनीर, मिठाई, मोमबत्ती व अगरबत्ती.
- सोडा व ड्रिंक, कूलर निर्माण, फैन्सी या ज्वेलरी, डिस्पोजल कप या प्लेट व बर्तन.
- सभी प्रकार के बर्तन, अस्पताल के स्ट्रेचर व उपकरण, वाहनों या विद्युत् के उपकरण.
- बैग, पॉकेट, टोकरी, जूते व पोलिश, तार, मसाले, गेहूं आटा पिसाई व पैकिंग, बक्से व अटैची आदि.
- झाड़ू, पेपर बेग, लिफ़ाफ़े, छोटी मोटी औषधि, कृषि, घरेलू तथा जानवरों हेतु उपयोगी औजार
- पापड़, होजरी, पलंग, अलमारी, कुर्सियां, बोर्ड, रस्सी व धागे.
- टायर ट्यूब, दस्ताने, रसोई के औजार व सामान, वायर, तिरपाल, चश्मे की फ्रेम, केंची, तोलिया, पाइप.
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