इस आर्टिकल में हम लोदी वंश का इतिहास – Lodi Dynasty History In Hindi की जानकारी प्राप्त करेगे. लोधी अथवा लोदी राजवंश दिल्ली सल्तनत का पांचवा वंश था.
इसके बाद मुगलों ने भारत पर अपना अधिकार कर लिया था. 1451 से 1526 की अवधि तक इन्होने सत्ता संभाली थी.
अफगान की पश्तून जाति से सम्बन्ध रखने वाले इन लोदी वंश की स्थापना बहलोल लोदी ने सैयद वंश का खात्मा कर की थी. इसके बाद के शासकों में सिकन्दर लोदी और इब्राहीम लोदी ने शासन किया था.
लोदी वंश का इतिहास Lodi Dynasty History In Hindi
history of lodhi vansh: इस वंश की स्थापना बहलोल लोदी ने की थी. दिल्ली सल्तनत पर शासन करने वाला यह प्रथम अफगान वंश था.
बहलोल लोदी (Bahlol lodi)
बहलोल लोदी ने दिल्ली सल्तनत के सभी शासकों में सर्वाधिक समय 38 वर्ष तक शासन किया, अपने लम्बे समय में उसने दिल्ली सल्तनत की खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित किया.
उसने 1/4 टंके के मूल्य के बराबर बहलोली नामक चांदी का सिक्का प्रचलित किया जो अकबर के समय तक विनिमय का माध्यम रहा.
वह राजदरबार में सिंहासन पर न बैठकर अपने राजदरबारियों के बीच बैठता था.
सिकन्दर लोदी (Sikandar Lodi)
यह लोदी वंश का सर्वश्रेष्ट शासक था. सिकन्दर लोदी ने भूमि मापन हेतु गज ए सिकन्दरी नामक पैमाने का प्रचलन किया जो ३० इंच का होता था. उसने एक आयुर्वैदिक ग्रन्थ का फ़ारसी में अनुवाद करवाया जिसका नाम बरहंग ए सिकन्दरी रखा गया.
धार्मिक दृष्टि से सिकन्दर लोदी असहिष्णु था. उलेमा वर्ग को संतुष्ट करने के लिए उसने हिन्दुओं के धार्मिक संस्कारों पर प्रतिबन्ध लगा दिया तथा मन्दिरों व मूर्तियों को नष्ट करवाया.
उसने नागरकोट के ज्वालामुखी मन्दिर की मूर्ति को तोड़कर उसके टुकड़ों को मांस तोलने के लिए कसाइयों को दे दिया था.
उसने मुसलमानों की कुछ प्रथाओं पर भी रोक लगाई. उसने मुहर्रम पर ताजिये निकालने की रोक लगे और हिन्दुओं पर जजिया कर दुबारा आरोपित किया.
दूसरी तरफ इसने कुशल सैन्य व्यवस्था एवं गुप्तचर प्रणाली विकसित की. सिकन्दर लोदी ने 1504 में आगरा शहर की स्थापना की और 1506 ईस्वी में इसे अपनी राजधानी बनाया.
सिकन्दर लोदी गुलरुखी के उपनाम से फ़ारसी में कविताएँ लिखता था. उसने कुतुबमीनार की मरम्मत कराई. 1505 में दिल्ली स्थित मोठ की मस्जिद लोदी स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना हैं.
इब्राहिम लोदी (Ibrahim Lodi)
यह दिल्ली सल्तनत व लोदी वंश का अंतिम शासक था. इब्राहिम लोदी ने दरबार के शक्तिशाली सरदारों के दमन की नीति अपनाई, जिससे वह अलोकप्रिय हो गया.
इसकी सबसे बड़ी सफलता ग्वालियर विजय थी. इसी के समय ग्वालियर अंतिम रूप से साम्राज्य में शामिल हुआ.
प्रमुख अफगान सरदार दौलत खां लोदी और इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खां ने इब्राहिम की सत्ता समाप्त करने के उद्देश्य से काबुल के शासक बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया था.
इब्राहिम लोदी 1526 ई के पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर के हाथों मारा गया और दिल्ली सल्तनत का काल समाप्त हो गया. इब्राहिम लोदी युद्धस्थल पर मारा जाने वाला दिल्ली सल्तनत का एकमात्र सुल्तान था.
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