मक्का मदीना के शिवलिंग का रहस्य व कहानी Makka Madina Shivling Story In Hindi Wikipedia

मक्का मदीना के शिवलिंग का रहस्य व कहानी Makka Madina Shivling Story In Hindi Wikipedia: मुस्लिम धर्म के अनुयायियों के लिए मक्का मदीना सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल माना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि मक्का मदीना मुसलमानों के लिए जन्नत का दरवाजा है। जिसे छू लेने के बाद एक मुसलमान के लिए जन्नत के रास्ते खुल जाते हैं।

लेकिन मक्का मदीना के विषय पर कई सारी कहानियां सुनने को मिलती है। और इन सभी कहानियों में मक्का मदीना में शिवलिंग की कहानी सबसे ज्यादा मशहूर है।

कई लोग इस कहानी पर विश्वास करते हैं तो कई लोग इसे मनगढ़ंत कहानी बताते हैं।

मक्का मदीना के शिवलिंग का रहस्य कहानी Makka Madina Shivling Hindi

मक्का मदीना के शिवलिंग का रहस्य व कहानी Makka Madina Shivling Story In Hindi Wikipedia

कई कहानियों में ऐसे सुनने को मिलता है मक्का मदीना में भगवान शिव को बंदी बनाकर रखा गया है यदि कोई हिंदू मक्का जाकर वहां उस शिवलिंग पर जल डाल देता है तो शिवजी मुक्त हो जाएंगे।

यही कारण है कि मक्का मदीना में मुसलमानों के अलावा किसी भी धर्म के लोगों का जाना वर्जित है। यह बात सच है या फिर लोगों की कल्पना यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है।

मक्का मदीना में शिवलिंग है या नहीं यह जानने के लिए हमें मक्का मदीना की कहानी को समझना होगा। तभी हम एक समझदार व्यक्ति की भांति यह निश्चित कर पाएंगे कि मक्का मदीना में कोई शिवलिंग है भी या नहीं।

मक्का मदीना शिवलिंग की कहानी

मुसलमानों का सबसे पवित्र धार्मिक स्थान मक्का मदीना अरब में स्थित है। हर साल पूरी दुनिया से लाखों मुसलमान मक्का मदीना में अपने गुनाहों की माफी मांगने के लिए और जन्नत पाने की इच्छा से जाते हैं।

जिस तरह हिंदू चार धाम तीर्थ करने के लिए जाते हैं ठीक उसी तरह मुस्लिम तीर्थ करने के लिए मक्का हज करने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि मक्का में एक पवित्र काबा है। जिसका चक्कर लगाकर चूमने पर हज की यात्रा पूरी मानी जाती हैं।

मक्का पहुंचने के लिए हज यात्रियों को पहले मक्का की राजधानी जेद्दाह या यूं कहें कि वो बंदरगाह जहां से लोग मक्का में प्रवेश करते हैं उसे पार करना होता है। जेद्दाह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का भी मुख्य स्थान माना जाता है।

जेद्दाह से मक्का जाने तक के पूरे मार्ग में हर तरह की नियमावली और निर्देशों का उल्लेख रहता है। जेद्दाह में यह निर्देश पहले दिया जाता था कि काफिरों का मक्का में आना मना है। बता दें यहां काफ़िर शब्द का प्रयोग “नास्तिक” लोगों को दर्शाने के लिए किया जाता था।

हालांकि बाद में काफ़िर शब्द की जगह नॉन मुस्लिम और गैर-मुस्लिमों का शब्द का उपयोग किया जाने लगा। जेद्दाह से मक्का जाने तक के रास्ते में जितने भी निर्देश दिए जाते हैं वह अधिकतर अरबी भाषा में ही होते हैं। हिंदू तो हिंदू इस क्षेत्र में ईसाई, यहूदी, पारसी, बौद्ध और जैन भी प्रवेश नहीं कर सकते हैं।

मुसलमानों के सबसे बड़े तीर्थ स्थल मक्का मदीना में शिवलिंग होने की अफवाह सिर्फ आज से नहीं बल्कि कई साल पहले से सुनने में आ रही है। मक्का मदीना में शिवलिंग के होने की बात कई इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखी है।

रोमन इतिहासकार जिनका नाम द्यौद्रस् सलस् है! उन्होंने अपनी पुस्तक में स्पष्ट रूप से यह वर्णन किया है कि मक्का मदीना में पहले मक्केश्वर यानी महा शिव का मंदिर था। यह उस समय की बात है जब मुसलमान वहां इबादत नहीं करते थे। यह वह समय था जब मक्का मदीना बना ही नहीं था।

मक्का के बनने से पहले से ही वहां पर मक्केश्वर की आराधना होती आ रही है। ऐसा भी माना जाता है कि मक्का में 365 मूर्तियों की पूजा की जाती थी लेकिन फिर बाद में मुसलमानों ने मूर्तियों को हटा दिया था लेकिन मूर्तियों को हटाने के बाद भी उनके दाग वहीं पर रह गए हैं।

इतिहासकार तो हमेशा ही कहते हैं कि मुसलमानों के आगमन से पहले ही मक्का में इबादत की जाती थी। मक्का मदीना के पाक साफ स्थल होने का एक कारण यह भी है कि वह स्थल कुरान जो कि मुसलमानों का पवित्र ग्रंथ है उसका उद्गम स्थल माना जाता है।

मक्का में काबा है इसीलिए तो दुनिया भर के सभी मुसलमान नमाज पढ़ते समय अपना मुंह काबा की दिशा में ही रखते हैं ताकि नमाज के समय उनकी बात सीधा अल्लाह तक पहुंच जाए।

कई जगह यह स्पष्ट है कि मक्का की सबसे बड़ी तीर्थ पहले मक्केश्वर महादेव का मंदिर था। ऐसा कई बार सुनने में आया है कि मक्का में बहुत बड़ा काले रंग का शिवलिंग था जिसकी लोग पूजा करते थे ऐसा भी माना जाता है कि वह शिवलिंग आज भी खंडित अवस्था में मक्का में मौजूद है। शिवलिंग को एक क्यूब आकार बॉक्स बनाकर घेर दिया गया है।

ताकि हिंदुओं को कभी भी इस बात की भनक ना पड़े। और लोग इसी कमरानुमा घर की इबादत करते हैं। महान इतिहासकार पी.एन.ओक ने अपनी पुस्तक ‘वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास’ में मक्का में शिवलिंग होने की बात को विस्तार में स्पष्ट किया है।

ऐसा भी कहा जाता है कि वेंकतेश पण्डित ग्रन्थ ‘रामावतारचरित’ के युद्धकांड प्रकरण अद्भुत प्रसंग में ‘मक्केश्वर लिंग’ का उल्लेख किया गया है। जिससे स्पष्ट होता है कि मक्केश्वर शिवलिंग सही में उपस्थित है। लेकिन अब यह शिवलिंग कहां है इसकी जानकारी किसी को नहीं है। ‌

पौराणिक ग्रंथों में यह भी कहा जाता है कि लंका का राजा रावण जो बहुत बड़ा शिव भक्त था एक दिन एक बड़ा सा शिवलिंग लिए अपने उड़न तश्तरी में लंका जा रहा था लेकिन वह शिवलिंग इतना भारी था कि उन्होंने सोचा कि एक बार शिवलिंग को नीचे रखकर थोड़ा विश्राम कर लेता हूं। फिर रावण ने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया।

लेकिन विश्राम करने के बाद रावण ने जब वापस शिवलिंग को उठाने की कोशिश की तब शिवलिंग को उठा नहीं सका। वह स्थान जहां रावण ने शिवलिंग को रखा था वह जगह मक्का ही था।

कई पौराणिक ग्रंथों में यह भी कहा जाता है कि जिस स्थान पर आज मक्का है वहां श्री कृष्णा ने कालयवन नामक राक्षस का विनाश किया था।

मोहम्मद पैगंबर के आने से पहले शिवलिंग को लात कहां जाता था। मक्का में मौजूद काले पत्थर की लोग उपासना करते हैं जिसकी इबादत करते थे वह काले रंग का पत्थर नहीं बल्कि शिवलिंग है।

मक्का में शिवलिंग की उपस्थिति पर गंगा के विषय में एक मशहूर कहानी है। क्योंकि शिवजी गंगा और चंद्रमा के साथ नहीं रह सकते हैं। यह बात बिल्कुल सच है कि जहां महादेव की शिवलिंग होगी वहां पवित्र गंगा का स्थान जरूर होगा।

मक्का के काबा के पास पवित्र झरना मेहता है जिसके पवित्र जल को ग्रहण करके लोग धन्य हो जाते हैं। मुसलमान इस पवित्र झरने को आबे ज़म-ज़म के नाम से पुकारते हैं।

हज करने के बाद मुस्लिम लोग इस पवित्र जल को अपने बोतल में भर कर अपने साथ ले आते है। यह समानता बिल्कुल वैसी है जैसे लोग गंगा के निकट गंगाजल को अपनी बोतल पर भर लेते हैं।

मक्का में हज के दौरान कई सारी रीतियां वैसे ही निभाई जाती हैं जैसे हिंदुओं में पूजा के समय निभाई जाती हैं।

लेकिन जैसा कि हमने आपको पहले भी कहा था मक्का मदीना में शिवलिंग है या नहीं इस बात को स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला है इसलिए आज भी यह कहानी सिर्फ एक अवधारणा और लोक कथा ही है।

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