मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन परिचय | Malik Muhammad Jayasi Biography In Hindi

Malik Muhammad Jayasi Biography In Hindi | मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन परिचय : मलिक मुहम्मद जायसी ने सोलहवीं शताब्दी में पद्मावत की रचना कर ख्याति प्राप्त की.

पद्मावत तत्कालीन समय की संस्कृतिक व ऐतिहासिक जानकारी का महत्वपूर्ण स्रोत हैं. जिसनें अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ अभियान, राणा रतनसिंह द्वारा किये जाने वाले प्रतिशोध, दर्पण में पद्मिनी को देखने का अलाउद्दीन का अनुरोध, रतनसिंह की गिरफ्तारी, पद्मिनी द्वारा उसकी रिहाई, पद्मिनी का सती होना आदि घटनाओं का रोचक वर्णन हैं.

मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन परिचय

मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन परिचय | Malik Muhammad Jayasi Biography In Hindi
पूरा नाममलिक मुहम्मद जायसी
अन्य नामजायसी
जन्मसन 1397 ई॰ और 1494 ई॰ के बीच
जन्म भूमिरायबरेली
मृत्युसन 1542 ई.
अभिभावकमलिक राजे अशरफ़
मुख्य रचनाएँपद्मावत, अखरावट, आख़िरी कलाम
भाषाअवधी

अधिकाँश इतिहासकारों ने इस महाकाव्य में वर्णित ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में शंका प्रकट की हैं. डॉ दशरथ शर्मा ने इसे तथ्यों से भरपूर ऐतिहासिक महाकाव्य माना हैं.

मलिक मुहम्मद जायसी को हिंदी साहित्य के निर्गुण धारा के प्रेम कवि के रूप में गिना जाता हैं. इनके जन्म के बारे में कोई पुष्ट जानकारी नहीं हैं.

ऐसा माना जाता है कि १५०० ई के आसपास उत्तरप्रदेश के जायस नामक स्थान पर इनका जन्म हुआ था. ये जीवन में एक महात्मा की तरह उदार प्रवृति के इंसान व कवि थे.

इनका सम्बन्ध मलिक वंश से था. मलिक के सम्बन्ध में माना जाता है कि इरान में जमीदारों को मलिक कहा जाता हैं, दिल्ली सल्तनत काल में भी इस शब्द का प्रयोग सेना के मुखिया या प्रधानमन्त्री के लिए प्रयुक्त हुआ हैं.

ये इसी वंश के अशरफी खानदान के शिष्य थे. जायसी ने अपनी रचनाओं में शेख बुरहान और सैयद अशरफ को अपना आराध्य माना हैं.

बचपन से ही इनमें वैराग्य का भाव पैदा हो गया, तथा उस समय के जायस जिसे आजकल रायबरेली कहा जाता हैं. वहां रहने लगे. कहा जाता है कि जब जायसी तीस वर्ष के थे तब इन्होने पद्मावत महाकाव्य को लिखना आरम्भ किया तथा वृद्धावस्था में इन्हें पूर्ण कर पाए थे.

जायसी एक कृषक परिवार से थे, इनके पिता का नाम मलिक राजे अशरफ़ जो जमीदार भी थे और खेती का कार्य भी करते थे. जायसी दिखने में बेहद कुरूप तथा एक आँख से काने थे. इनकी दाहिनी आँख फूट गई थी.

पद्मावत, अखरावट, आख़िरी कलाम, कहरनामा, चित्ररेखा समेत जायसी की 21 रचनाएं मानी जाती हैं, मगर इनमें सबसे प्रसिद्ध पद्मावत महाकाव्य ही था.

जो एक प्रेम कथा पर आधारित अवधि में लिखी गई रचना थी. जिनमें दोहा चौपाई की पद्धति से नागमती की कथा का वर्णन किया गया हैं.

मलिक मोहम्मद जायसी की जन्म और बचपन (Malik Muhammad Jayasi Birth and Early Life)

हिन्दी साहित्य के भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा के स्तम्भ रचनाकार मलिक मोहम्मद जायसी का जन्म कब हुआ था और मूल जन्म स्थान क्या था इस पर अभी तक संशय की स्थिति हैं. क्योंकि ऐसे कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है जो एक विशेष समयकाल को इंगित करते हैं.

मान्य धारणा के अनुसार इनका जन्म करीब 1500 ई में आज के यूपी के रायबरेली जिले के जायस नामक गाँव में हुआ था. सम्भवतः उनके उपनाम के लिए प्रयुक्त यह शब्द उनके गाँव का नाम ही हो. इनके पिता का नाम मलिक राजे अशरफ था जो एक छोटे जमींदार और किसान थे.

अगर इनके गृहस्थ जीवन की बात करें तो यह बेहद कठिनाइयों और दुर्भाग्य से भरा, छोटी सी आयु में ही इनके पिताजी की मौत हो गई. थोड़े वर्षों बाद जायसी की माँ चल बसी.

इनका विवाह हुआ सात पुत्र हुए मगर किसी दुर्घटना में ये सभी मारे गये, बचपन में एक हादसे में इन्होने अपनी एक आँख गंवा दी,

बड़े होने पर चेचक के कारण इनका चेहरा भी खराब हो गया, सांसारिक दुखों से परेशान होकर इन्होने गृह त्याग दिया और सूफी संत बन गये.

मलिक मोहम्मद जायसी और उनकी रचनाएँ (Malik Muhammad Jayasi Poetry)

जायसी मुबारक शाह बोडले के शिष्य थे इन्होने करीब 24 पुस्तकों की रचना की. मगर वर्तमान में इनकी महज पांच रचनाएं पद्मावत, अखरावट, कहरनामा, आखिरी कलाम, चित्ररेखा आदि उपलब्ध हैं.

इनमें सबसे अधिक लोकप्रिय रचना पद्मावत है जिन्होंने जायसी को अमर कर दिया था. जायसी ने इसे बाबर के काल में 1540-41 में लिखा था.

पद्मावत से जुड़े कई किस्से कहानियां भी हैं एक कहानी के अनुसार अमेठी के राजा रामसिंह ने पद्मावत के कुछ अंश सुनाने के लिए जायसी को बुलाया तथा कहते है जायसी के आशीर्वाद के बाद ही राजा को दो पुत्रों की प्राप्ति हुई थी.

पद्मावत की कहानी चार दोस्तों युसुफ़ मलिक, सालार एवं मियाँ सलोने और बड़े शेख के इर्द गिर्द घूमती हैं. जायसी की कहानी ये पात्र किसी ऐतिहासिक सन्दर्भ में नहीं मिलते है.

इस तरह से यह एक काल्पनिक ग्रन्थ माना जाता हैं. रामचन्द्र शुक्ल ने इन्हें हिंदी साहित्य के भक्ति काल के अहम कवि माने हैं.

मलिक मोहम्मद जायसी की कुल 24 रचनाओं के नाम इस प्रकार हैं.

  1. पद्मावत
  2. अखरावट
  3. सखरावत
  4. चंपावत
  5. इतरावत
  6. मटकावत
  7. चित्रावत
  8. सुर्वानामा
  9. मोराईनामा
  10. मुकहरानामा
  11. मुखरानामा
  12. पोस्तीनामा
  13. होलीनामा
  14. आखिरी कलाम
  15. धनावत
  16. सोरठ
  17. जपजी
  18. मैनावत
  19. मेखरावटनामा
  20. कहारनामा
  21. स्फुट कवितायें
  22. लहतावत
  23. सकरानामा
  24. मसला या मसलानामा

मलिक मोहम्मद जायसी की मृत्यु (Malik Muhammad Jayasi Death)

जिस तरह मलिक मोहम्मद जायसी के जन्म के बारे में अलग अलग मान्यताएं हैं उसी तरह उनकी मृत्यु के विषय में भी मत मतान्तर देखने को मिलते हैं. सैयद हुसैन की किताब में जायसी की मृत्यु 1542 में बताई जाती हैं.

वहीँ जायसी की मौत को लेकर कपोल कल्पित कहानी भी है जिसके अनुसार ये अमेठी के जंगलों में अपने जीवन का अंतिम समय बिता रहे थे,

यहीं वे एक बाघ में बदल जाते है तथा एक दिन एक राजा द्वारा उस बाघ से तीर से मार दिया जाता हैं. अमेठी के राजा द्वारा जायसी की बनाई समाधि आज भी वहां स्थित हैं.

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