Malnutrition/ Kuposhan Essay In Hindi:- कुपोषण का अर्थ संतुलित आहार न मिलने से हैं. आहार में एक या अधिक पोषक तत्वों की कमी से होने वाले रोग (Disease) को कुपोषण या हीनताजन्य रोग कहते हैं. मनुष्य के संतुलित विकास के लिए भोजन में में संतुलित मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, खनिज, लवण एवं अन्य सूक्ष्म तत्वों का होना आवश्यक हैं. कुपोषण निबंध (Malnutrition/ Kuposhan Essay) में हम भारत में कुपोषण की समस्या के प्रभाव उपाय इसके लक्षण के बारे में विस्तार से जानेगे.
कुपोषण के लक्षण कारण और कुपोषण रोग | Malnutrition/ Kuposhan Essay In Hindi
राजस्थान तथा भारत के अन्य राज्यों के अतिरिक्त कई विकासशील देशों में बड़ी संख्या में लोग कुपोषण से ग्रसित हैं, क्योंकि वे पर्याप्त संतुलित भोजन नहीं लेते हैं.
कुपोषण के कारण (Types Of Malnutrition)
- गरीबी व अज्ञानता
- बेरोजगारी एवं बढती आबादी
- खाद्यानों का अभाव एवं खाद्य सामग्री में मिलावट
- भोजन सम्बन्धी हमारी आदत
- मानसिक वेदना और चिंता
- मिथ्या धारणाए.
कुपोषण के कारण होने वाले रोग लक्षण एवं कारक (Symptoms, Causal And Disease Due To Malnutrition Essay In Hindi)
प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग (Diseases caused by protein deficiency)-
मनुष्य के शारीरिक विकास के लिए प्रोटीन की आवश्यकता बहुत जरुरी हैं. बच्चों में प्रोटीन की कमी से सर्वाधिक कुपोषण होता हैं. जिसके दो प्रमुख रोग होते हैं.
- क्वाशियोरकोर (Kwashiorkor)– प्रोटीन की कमी के कारण होने वाला रोग हैं. इसके मुख्य लक्षण जैसे भूख कम लगना, शरीर सूजकर फूलना, त्वचा पिली व शुष्क होना और चिडचिडा होना.
- मैरेस्म्स (Marasmus)– यह रोग प्रोटीन की कमी व कैलोरी दोनों की कमी से होता हैं. इसमें शरीर सूखने लगता हैं, रोगी दुबला पतला, चेहरा दुर्बल तथा आँखे कांतिहीन और अंदर धसी सी हो जाती हैं.
कार्बोहाइड्रेट की कमी से होने वाले रोग (Carbohydrate deficiency diseases)-
संतुलित भोजन में कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा का प्रमुख स्रोत होता हैं इस कारण इसकी कमी से कई सारे गंभीर रोग हो जाते हैं.
हाइपोग्लाईसिमिया- कार्बोहाइड्रेट की कमी से ग्लूकोज की शरीर में अनुपलब्धता से रक्त शर्करा के स्तर में गिरावट हो जाती हैं. रक्त में ग्लूकोज की कमी से चक्कर आना, थकान व ऊर्जा की कमी आदि लक्षण नजर आते हैं.
खनिज लवणों की कमी से होने वाले रोग-
खनिज वे पदार्थ हैं जो हड्डियों ऊतकों व दांतों को मजबूत बनाकर स्वस्थ शरीर का निर्माण करते हैं. महत्वपूर्ण खनिजों की कमी से शरीर में कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं. जो निम्न हैं.
- कैल्शियम और विटामिन डी- हड्डियों के घनत्व को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं. कैल्शियम की कमी से हड्डियों, पेशियों में दर्द, ऐठन जैसे लक्षण दिखते हैं. जिसके कारण बार बार फैक्चर की शिकायत रहती हैं, वयस्क शरीर में ऊर्जा का स्तर को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं कि मैग्नीशियम का स्तर भली भांति हो क्योंकि इसकी कमी से पोटेशियम, सोडियम तथा कैल्शियम की कमी आ जाती हैं. जिसके झटके, ऐठन तथा मितली आदि के लक्षण दिखाई देते है. पोटेशियम मांसपेशियों को सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करता हैं, आयरन की कमी से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती हैं, जिससे एनीमिया रोग उत्पन्न हो जाता हैं, जिंक मानसिक विकास तथा प्रतिरक्षा तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं.
- गलगंड रोग- आयोडीन हमारे शरीर की महत्वपूर्ण आवश्यकता हैं, यदपि इसकी बहुत कम मात्रा ही पर्याप्त होती हैं. आयोडीन की मदद से थायराइड ग्रंथि से थायराक्सीन हार्मोन स्रावित होता हैं, जो उपापचयी क्रियाओं को नियंत्रित करता हैं. आयोडीन के आभाव में कई विकार उत्पन्न होते हैं. जिससे मानसिक व शारीरिक वृद्धि विकार उत्पन्न होते हैं. इसके कारण थाइराइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता हैं. जिसे गलगंड या घेंघा रोग कहते हैं.
विटामिन की कमी से होने वाले रोग (Vitamin deficiency diseases)
विटामिन का निर्माण मनुष्य के शरीर में नहीं होता हैं अतः इसकी आपूर्ति भोजन द्वारा की जाती हैं.
- रतौंधी (Night Blindness)– यह रोग विटामिन A की कमी से उत्पन्न होता हैं, जिसके कारण रोगी को रात में दिखाई नहीं देता हैं.
- बैरी-बैरी (Beri-beri)– यह रोग विटामिन B की कमी से होता हैं जो सीधे तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता हैं जिससे रोगी के भूख में कमी, शरीर में कमजोरी, पेशियों में निष्क्रियता के लक्षण दिखाई देते हैं.
- स्कर्वी (Scurvy)– यह रोग विटामिन C की कमी से होता हैं. इसके कारण त्वचा पर चकते बनना, मसूड़ों से रक्त बहना आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं. इसकी कमी से शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता में कमी आ जाती हैं.
- रिकेट्स (Rickets)-विटामिन D के अभाव में बच्चों में रिकेट्स नामक रोग हो जाता हैं तथा वयस्कों में इसे ओस्टियोपोरोसिस कहते हैं. इस रोग से अस्थि विकलांगता उत्पन्न होती हैं जिससे टाँगे धनुषाकार, कबूतरनुमा वक्ष तथा दांतों में इनेमल का क्षय होना आरम्भ हो जाता हैं.
- बंध्यता (Sterity)– विटामिन e की कमी से शरीर में नपुसकता आ जाती हैं.
- हेमरेज (Haemorrhage)-यह रोग विटामिन K की कमी से होता हैं. अतः चोट लगने पर रक्त का बहाव बंद नही होता हैं एवं सारा रक्त शरीर से बह जाता हैं और रक्त की कमी से मनुष्य की म्रत्यु हो जाती हैं.
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