एमबीए चाय वाला (प्रफुल बिल्लौर) का जीवन परिचय MBA Chai Wala Biography In Hindi

प्रफुल बिल्लौर स्टोरी विकिपीडिया एमबीए चाय वाला का जीवन परिचय MBA Chai Wala Biography In Hindi यदि आप भी अपने लाइफ में कुछ करने की ठान  लेते हैं, और उस दिशा में जी जान लगाकर मेहनत करते हैं तो आपको सफलता जरूर मिलती हैं।

जी हां दोस्तों कुछ ऐसा ही कर दिखाया है मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव के रहने वाले 25 वर्षीय प्रफुल्ल बिल्लौर ने। जी हां प्रफुल्ल बिल्लौर हैं वह शख्स है जो आज पूरे भारत में एमबीए चायवाला के नाम से फेमस है। 

एमबीए चाय वाला का जीवन परिचय MBA Chai Wala Biography In Hindi

एमबीए चाय वाला प्रफुल बिल्लौर पिछले 4 वर्षों से गुजरात के अहमदाबाद में चाय का बिजनेस करते हैं। और आज वह पूरे देश भर में “एमबीए चाय वाले” के रूप में प्रसिद्धि पा चुके हैं।

महज 4 साल में चाय की दुकान से प्रफुल्ल बिल्लौर ने अपनी बिजनेस टर्नओवर को लगभग तीन करोड़ से भी ऊपर पहुंचा दिया है। तो आइए अब हम जानते हैं प्रफुल्ल बिल्लौर की सक्सेस स्टोरी के बारे में, उनकी जीवनी के माध्यम से। 

MBA चाय वाले का जीवन परिचय कहानी

प्रफुल्ल बिल्लौर के पढ़ लिख कर एक एमबीए अपना ड्रीम कोर्स MBA करना चाहते थे। इसके लिए प्रफुल्ल कैट की प्रवेश परीक्षा में 3 साल तक लगे रहे लेकिन हर बार उन्हें विफलता ही हाथ लगी।

प्रफुल्ल एक इमानदार विद्यार्थी थे, और वह अपनी परीक्षा के लिए हर रोज लगभग 8 से 10 घंटे तक पढ़ाई किया करते थे। लेकिन लगातार असफलता से हताश होकर प्रफुल्ल ने अपनी काफी सारी किताबें फेंक दी थी, और खुद को कई दिनों तक एक कमरे के अंदर बंद कर लिया था। 

जिस तरह दरवाजे बंद करके वह कमरे के अंदर एक अंधेरे में था उसी तरह दरवाजे के बाहर भी उसकी जिंदगी एक अंधेरे में पड़ी हुई थी उसे समझ नहीं आ रहा था की अब वह क्या करें।

इसके बाद प्रफुल्ल ने भारत के अलग-अलग शहरों में जैसे मुंबई बैंगलोर चेन्नई आदि शहरों में जाकर कुछ करने की सोची और कुछ नया ढूंढने लगा।

इसी दौरान प्रफुल्ल ने बंगलुरू में अपने दोस्त के यहां लगभग 17 दिन गुजारे। और इसके बाद उन्हें महसूस हुआ कि इस तरह सारी जिंदगी घूमने में ही निकल जाएगी। 

कुछ समय पश्चात उन्होंने सोचा कि आखिर वह इस तरह से कब तक भटकता रहेगा। अब प्रफुल्ल ने सोचा कि जिंदा रहने के लिए अपना खुद से कुछ करना होगा।

मैकडोनाल्ड में बतौर डिलीवरी बॉय

इसके बाद वो अहमदाबाद में ही मैकडॉनल्ड्स में बतौर डिलीवरी बॉय प्रति घण्टे 37 रुपए पर काम करने लगे। बाद में प्रफुल्ल को मैकडॉनल्ड्स में ही प्रमोशन मिला और अब वह एक वेटर बन चुके थे। अब उनका काम ग्राहकों का आर्डर लेना था। 

और बतौर वेटर प्रफुल्ल खुद को उस किताब वाली जिंदगी से कहीं बेहतर अनुभव प्राप्त कर रहे थे क्योंकि इस तरह की नौकरी में हर दिन हर वक्त अलग-अलग लोगों से मिलना अलग-अलग विचारों को परखना। और इससे प्रफुल्ल को काफी सीखने को मिलने लगा था।

अपने निराश और हताश पड़ी जिंदगी में भी प्रफ़ुल्ल को अपनी चाय से काफी ज्यादा लगाव था। यही वजह थी कि जिंदगी में इतनी सारी असफलताओं से निराशा के बाद भी प्रफुल्ल अपनी चाय के बारे में ही सोचते रहते थे।

एमबीए चाय वाला को टी स्टॉल क्यों खोलनी पड़ी

प्रफुल्ल अपने खुद के एक कैफे को शुरू करना चाहते थे, परंतु उसकी लागत लगभग 15 लाख थी और यह प्रफुल्ल के लिए असंभव था।

इसके बाद प्रफुल्ल ने यह सोचा कि क्यों ना अपनी चाय को ही अपनी कैरियर बनाया जाए, और उन्होंने अपना खुद का एक छोटा सा टी–स्टॉल खोल लिया। इस तरह प्रफुल्ल ने अपनी जिंदगी से कहा कि ‘सपना तो बड़ा है पर इसे छोटे-छोटे भागों में तोड़ दिया है।’

अपनी टी स्टॉल के लिए आवश्यक बर्तनों और उससे संबंधित सभी चीजों को खरीदने में उन्हें करीब 45 दिन का समय लगा। लेकिन यह प्रफुल्ल का साहस ही था जिसने आज तक स्वयं के लिए एक कप चाय नहीं बनाया था वह दूसरों के लिए चाय का स्टॉल खोलने जा रहा था। 

कहा जाता है प्रफ़ुल्ल ने चाय के स्टॉल का ठेला खरीदने के लिए घर वालों से यह बोलकर 20,000 रुपए लिए थे कि वह एक कोर्स कर रहे है।

बता दें यह काम शुरू करने से पहले ही प्रफ़ुल्ल के साथ रहने वाले सारे दोस्त उसे डिमोटिवेट कर रहे थे। लेकिन प्रफुल्ल ने दोस्तों को नहीं बल्कि उनको देखा, उसने देखा कि दुनिया के सबसे अच्छा लोहार TATA है, और दुनिया का सबसे अच्छा मोची BATA है।

वे दोनों अपने ब्रांड के साथ एक ही काम कर रहे हैं यही देख कर प्रफुल्ल ने भी निश्चय किया कि वह एक टी स्टॉल (चाय का ठेला)  ही लगाएंगे। 

अब प्रफुल्ल (एमबीए चाय वाला) सुबह 9:00 बजे तक 3:00 बजे तक मैकडॉनल्ड में वेटर का कार्य करते हैं उसके बाद शाम में 6:30 बजे से लेकर रात के 12:00 बजे तक अपने टी स्टाल पर चाय बेचते।

सिर्फ 7 दिन पढ़कर छोड़ी MBA की पढ़ाई

मैकडोनाल्ड में वेटर के साथ साथ प्रफुल्ल अपना खुद का टी स्टॉल अच्छे से चला रहे थे। इसके बाद प्रफुल्ल के घरवाले प्रफुल पर एमबीए कॉलेज में एडमिशन के लिए दबाव डालने लगे। इस पर प्रफुल्ल ने शहर के प्राइवेट कॉलेज में एमबीए में एडमिशन ले लिया।

परंतु सिर्फ 7 दिन पढ़ने के बाद ही प्रफुल्ल ने कॉलेज जाना बंद कर दिया। क्योंकि प्रफुल्ल जिस कॉलेज में अपना एडमिशन लेना चाहते थे वहां पर उनका एडमिशन नहीं हुआ।

अब प्रफुल्ल खुद को एक बिजनेसमैन के रूप में देखना चाहते थे और उनका सारा फोकस अपने टी स्टॉल पर ही था। जिसकी वजह से प्रफुल्ल 7 दिन के भीतर अपनी चलती हुई एमबीए क्लास को बीच में ही छोड़ कर आ गए।

जिस चाय से प्रफुल्ल को बचपन से प्यार था उसी चाय को उन्होंने अपना धंधा बना लिया। अब तो प्रफुल्ल को चाय से प्यार और चाय से मोहब्बत हो चुकी थी।

एमबीए चाय वाला प्रफुल्ल बिल्लौर के बिजनेस में आया उतार-चढ़ाव

कोई भी व्यक्ति बिना किसी कठिनाई के अपने जीवन में सफल नहीं हो सकता है। और इसी तरह प्रफुल्ल की लाइफ में बहुत सारी कठिनाइयां आई। 

अगर आप अपना नया धंधा करें और पहला दूं बिना किसी ग्राहक के गुजर जाए तो कैसा फील होगा। 

 प्रफुल्ल के टी स्टॉल बिजनेस शुरू करने के पहले दिन कुल ₹150 की सेल हुई। शुरुआती दो-तीन महीने तक उनका बिजनेस इसी तरह से उतार-चढ़ाव से भरा रहा। कभी ₹200 तो कभी ₹300 इसी तरह की सेल होती थी। 

 प्रफुल्ल AC कार में बैठे लोगों की विंडो से अंग्रेजी में बात करके उन से अपनी चाय का टेस्ट लेने के लिए बोलते थे। लोगों को सुनने में अजीब लगता था, कि एक चाय वाला उनसे इंग्लिश में बात कर रहा है। और लोग प्रफुल से उसकी चाय बेचने की स्टोरी के बारे में जानने को लेकर उत्सुक रहते थे।

इसी तरह धीरे-धीरे सभी लोगों को पता चलने लगा कि एक चाय बेचने वाला लड़का इंग्लिश बोलता है। लोग उत्सुकता से उसके स्टोरी सुनने के लिए वहां पहुंचते थे। और इसी तरह धीरे-धीरे प्रफुल्ल का टी स्टॉल पूरे शहर में चर्चा का विषय बन गया था।

प्रफुल्ल बिलौरे के बिजनेस में अब लगातार बढ़ोतरी हो रही थी अब 1 दिन में ₹1000 ₹1200 ₹1500 ₹2000 तक का सेल होने लगा था। 

जैसे-जैसे इस युवा बिजनेसमैन के चाय का बैलेंस बढ़ता गया, तो अब प्रफुल्ल पूरी तरह से अपनी टी स्टॉल को समर्पित था उसने वेटर की नौकरी छोड़ दी।

आस पास के चाय वालों को होती थीं ईर्ष्या

प्रफुल्ल की सफलता से अगल-बगल के चाय दुकान वाले ईर्ष्या करने लगे थे जिसके कारण सभी चाय वालों ने मिलकर प्रफुल्ल की चाय दुकान को बंद करा दिया.

इसके बाद प्रफुल्ल ने एक डॉक्टर से बात करके उसके हॉस्पिटल के सामने अपनी चाय दुकान लगाई वहां पर लगभग ₹10000 किराया देकर प्रफुल्ल ने अपना दुकान 2 महीने बाद फिर से खोली।

दुकान का नाम

हॉस्पिटल के सामने दुकान खोलने के बाद प्रफुल्ल ने अपनी चाय के दुकान का अभी तक कोई नाम नहीं रखा था, परंतु अपने ब्रांड के लिए उसे दुकान का एक नाम चाहिए था।

बहुत सोचने समझने के बाद उसे अपने दुकान का एक नाम सुझा। उसने अपने दुकान का नाम MR बिलौर चाय वाला रखा। जिसका शॉर्ट नेम MBA चाय वाला हुआ। 

प्रफुल्ल बिलौरे की इनकम

प्रफुल्ल बिल्लौर के बारे में इतना जानने के बाद आपके दिमाग में एक सवाल तो आता ही होगा कि प्रफुल्ल का इनकम क्या है। अपनी जानकारी के अनुसार बताएं तो एमबीए चाय वाले उर्फ प्रफुल्ल का बिजनेस टर्नओवर लगभग ढ़ाई से तीन करोड़ के बीच है।

बता दें महज आठ हजार रु से कारोबार शुरू करने वाले प्रफुल्ल आज करोड़ो का व्यवसाय चला रहे हैं. आज देश के कई शहरों में एमबीए चाई वाला की ब्रांच दिखाई दे रही है। और इस प्रकार उनकी आय भी लगातार बढ़ती जा रही है।

तीन सफलता के मंत्र

एक सफल स्टार्ट अप मॉडल के धनी होने के साथ ही एमबीए चायवाले यानी प्रफुल्ल वैल्लोरे एक मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं. इनके विचार लोगों को जीवन में कुछ नयें ढंग से सोचने और करने के लिए भी प्रेरित करते हैं.

अपने एक इंटरव्यू में प्रफुल्ल ने लाइफ में सक्सेस के तीन गुरु मंत्र भी बताएं हैं. मेरे अनुसार उनके ये तीन पॉइंट बेहद ख़ास है हम सभी को इसे जीवन में उतारकर देखना चाहिए.

  1. जीवन आपका हैं इसे सफल आपको ही बनाना हैं, इसका ठेका पड़ोसी लेकर नहीं बैठेगा. न पड़ोसी को उससे कोई फर्क पड़ता है अतः लोगो को इम्प्रेस या डिप्रेस करने के लिए काम मत करिये, सेल्फिस बनिये और अपने लिए काम कीजिए.
  2. आप दुनिया को बेवकूफ बना सकते है पर खुद को कब तक बनाओगे.
  3. रिलज्ट ओरिएंटेड होने की बजाय प्रोसेस ओरएटेड रहो और सफलता में बहुत टाइम लगता हैं.
  4. कामयाबी आपको 2 माह में मिल सकती हैं मगर वो लौट सकती है इसलिए ठोक बजाकर काम किया तो सालो बाद भी काम बंद होने पर फिर से चालु कर सकते हैं.

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