संस्कृति का अर्थ एवं परिभाषाएँ | Meaning and definition of culture in hindi

संस्कृति का अर्थ एवं परिभाषाएँ Meaning and definition of culture in hindiआज का हमारा आर्टिकल संस्कृति अर्थात कल्चर पर आधारित हैं.

इस लेख निबंध स्पीच में हम संस्कृति का क्या अर्थ है तथा संस्कृति की परिभाषा क्या हो सकती हैं इस पर जानकारी प्राप्त करेगे.

Meaning and definition of culture in hindi

Meaning and definition of culture in hindi

संस्कृति का अर्थ– संस्कृति शब्द मूलतः अंग्रेजी शब्द कल्चर का अनुवाद हैं. संस्कृति शब्द मनुष्य की सहज प्रवृत्तियों, नैसर्गिक शक्तियों तथा उनके परिष्कार का द्योतक हैं. साधरणतः संस्कृति शब्द का अर्थ सुधरी हुई, अच्छी स्थिति माना गया हैं.

किसी भी देश, जाति अथवा समुदाय विशेष की संस्कृति से अभिप्रायः होता है उस देश जाति अथवा समुदाय के लोगों का रहन सहन अथवा जीवन यापन का तरीका.

मनुष्य अपनी आत्मा को संतुष्ट करने के लिए सुधार अथवा परिष्कार करते हुए उन्नति करता है, उसे संस्कृति कह सकते हैं. विचार और कर्म के क्षेत्र में जो राष्ट्र का स्रजन है वही संस्कृति है.

इस प्रकार स्पष्ट है कि मनुष्य अपनी बुद्धि का प्रयोग कर विचार और कर्म के क्षेत्र में जो सर्जन करता है उसी को संस्कृति कहते है. इस प्रकार संस्कृति शब्द का अर्थ मन ह्रदय तथा उनकी प्रवृत्तियों को संस्कारों के द्वारा सुधारना तथा उदात्त बनाना हैं.

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परिभाषाएँ– विभिन्न विद्वानों द्वारा संस्कृति की दी गई परिभाषाएँ निम्न हैं.

गिलिन के अनुसार प्रत्येक समूह तथा समाज में व्यवहार के ऐसे प्रतिमान होते है, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होते है तथा बच्चों को सिखाए जाते हैं जिनसे निरंतर परिवर्तन की संभावना रहती हैं.

टायलर के अनुसार संस्कृति वह जटिलपूर्णता है जिसमें ज्ञान, विश्वास, कलाएँ, नैतिक आचरण, कानून, प्रथा तथा कोई अन्य क्षमताएँ व आदतें आती है, जिन्हें मनुष्य समाज का एक सदस्य होने के नाते अर्जित करता हैं.

प्रो हुमायूँ कबीर के अनुसार संस्कृति भाषा और कला, धर्म व दर्शन, सामाजिक रीति रिवाजों व आदतों तथा राजनीतिक संस्थाओं और आर्थिक संगठनों के माध्यम से अभिव्यक्त होती हैं.

डॉ सत्यकेतु विद्यालंकार के अनुसार मनुष्य अपनी बुद्धि का प्रयोग कर विचार और कर्म के क्षेत्र में जो स्रजन करता है उसे संस्कृति कहते हैं.

डॉ रामधारी सिंह दिनकर ने संस्कृति की परिभाषा देते हुए लिखा है कि संस्कृति वह चीज मानी जाती है जो हमारे समस्त जीवन में विद्यमान में व्याप्त हैं तथा जिसकी रचना और विकास में अनेक सदियों के अनुभव का हाथ हैं.

वासुदेव शरण अग्रवाल के अनुसार वास्तव में संस्कृति वह है जो सूक्ष्म एवं स्थूल मन एवं कर्म, आध्यात्म जीवन एवं प्रत्यक्ष जीवन में कल्याण करती हैं.

शिवदत्त ज्ञानी लिखते है कि किसी समाज, जाति अथवा राष्ट्र के समस्त व्यक्तियों के उदात्त संस्कारों के पुंज का नाम उस समाज जाति अथवा राष्ट्र की संस्कृति हैं.

बील्स तथा हाईजर के अनुसार मानव समाज के सदस्य व्यवहार करने के जो निश्चित ढंग व तरीके अपनाते है वे सम्पूर्ण रूप से संस्कृति का निर्माण करते हैं.

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उपरोक्त विद्वानों ने अपने अपने दृष्टिकोण से संस्कृति को परिभाषित किया हैं. संस्कृति किसी एक व्यक्ति के प्रयत्न का परिणाम नहीं होती, अपितु वह असंख्य लोगों के सामूहिक प्रयत्न का परिणाम होती हैं.

संस्कृति किसी एक युग की नहीं होती बल्कि विभिन्न युगों के लोगों के सामूहिक परिश्रम का परिणाम होती हैं. इस प्रकार संस्कृति वह जीवन पद्धति है, जिसकी स्थापना मानव व्यक्ति या समूह के रूप में करता हैं. वह उन आविष्कारों का संग्रह है जिनकी खोज मानव ने अपने जीवन को सफल बनाने के लिए की हैं.

मनुष्य ने धर्म का जो विकास किया, दर्शनशास्त्र के रूप में जो चिंतन किया, साहित्य, संगीत और कला का जो सरजन किया, सामूहिक जीवन को आनन्ददायक और कल्याणकारी बनाने के लिए जिन प्रथाओं को विकसित किया, उन्हें समग्र रूप से हम संस्कृति कह सकते हैं.

संस्कृति का स्वरूप (Nature of culture)

संस्कृति के दो स्वरूप है भौतिक स्वरूप तथा आध्यात्मिक स्वरूप. मनुष्य ने जिन क्रियाकलापों में बाहरी विश्व के संस्कार और परिवर्तन की प्रधानता होती है, उसे भौतिक संस्कृति कहते हैं. कृषि, पशुपालन, भौतिक संस्कृति के अंतर्गत शामिल है.

आध्यात्मिक संस्कृति में मानव की प्रवृत्ति, एवं आत्मा का संस्कार और सुधारों की प्रधानता होती है. इसके अंतर्गत कला, साहित्य, धर्म, नीति आदि सम्मिलित है. संस्कृति के भौतिक एवं आध्यात्मिक स्वरूप एक दूसरे पर निर्भर होते हैं.

भारतीय संस्कृति क्या है (What is indian culture)

भारतीय संस्कृति धर्म प्रधान एवं आध्यात्मिक होने के कारण दार्शनिक आवरण से अधिक आवृत हैं. इसलिए भारतीय संस्कृति से तात्पर्य सत्यम, शिवम, सुन्दरम् के लिए मस्तिष्क और ह्रदय में आकर्षण उत्पन्न करना तथा अभिव्यंजना द्वारा उसकी प्रशंसा करने से लिया जाता हैं.

भारतीय संस्कृति मानव समाज की अमूल्य निधि है यदपि विश्व की अनेक प्राचीन संस्कृतियाँ नष्ट हो गई है, परन्तु भारतीय संस्कृति आज भी जीवित हैं.

भारतीय संस्कृति के ध्येय (Objectives of indian culture)

भारतीय संस्कृति में मानव का परम ध्येय आत्म साक्षात्कार अथवा भगवद प्राप्ति हैं. आर्य अपने जीवन की इसे पराकाष्ठा समझता हैं.

भारतीय संस्कृति दो तत्व ही प्रधान है धर्म और ईश्वर. ईश्वर भारतीय संस्कृति का ध्येय हैं तो धर्म उसका साधन. उक्त दोनों तत्वों की प्राप्ति हेतु भारतीय संस्कृति ने अपने निम्न ध्येय निर्दिष्ट किये हैं.

मन प्राण और शारीरिक शक्तियों को विकसित करना, उनकी विभिन्नताओं में अपूर्ण मौलिक समन्वय उत्पन्न करना, उनको व्यवहारकृत कर समाज को संगठित तथा अधिकृत करना, मानव में ज्ञान, व्यवहार तथा विवेक उत्पन्न करना, मानव का सामाजिक व्यवहार निश्चित करना आदि.

भारतीय संस्कृति मानव का बाह्य भौतिक विकास ही मानव उत्कर्ष नहीं समझती और न विषय भोग सम्रद्धि को ही मानव जीवन का चरितार्थ समझती हैं. मनुष्य की विशेषता यही है कि वह इन अन्य सब व्यवहारों में धर्म से परिचालित होता हैं.

प्राकृत मनुष्य अथवा पशु अपनी सहज वासना कामना से परिचालित होते है. प्राकृत मानव को धर्म से परिचालित कर सुसंस्कृत बनाना ही भारतीय संस्कृति का परम ध्येय हैं.

भारतीय संस्कृति में चार पुरुषार्थ है धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष. प्रथम पुरुषार्थ ही धर्म है और मोक्ष अंतिम परन्तु सुसंस्कृत मानव अर्थ और काम को भी धर्म से ही अनुबंधित मानता है और तभी उसे आत्म साक्षात्कार होना सुलभ होता हैं.

संस्कृति की विशेषताएं।

संस्कृति की विशेषताएं निम्नानुसार है

1: संस्कृति समाज से सम्बंधित होती हैं

समाज के साथ संस्कृति के संचार और संस्कृति की उत्पत्ति का अटूट संबंध होता है ना कि व्यक्ति से। अगर कोई व्यक्ति समाज से अलग रहता है तो वह संस्कृति का विकास किसी भी प्रकार से नहीं कर सकता है ना ही संस्कृति का प्रचार प्रसार कर सकता है।

2: संस्कृति में सामाजिक गुण होता है

संस्कृति को सामाजिक अविष्कार कहते हैं। खाना पकाने की विधि अथवा खेती करने की विधि का अविष्कार किसी एक व्यक्ति के द्वारा नहीं किया गया था और ना ही ऐसा करना किसी व्यक्ति के बस की बात थी।

संस्कृति की अलग-अलग विश्वास, प्रथा, परंपरा इत्यादि किसी एक या फिर कुछ लोगों का ही प्रतिनिधित्व नहीं करते बल्कि पूरे समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं।

3: संस्कृति सीखी जाती है

संस्कृति एक प्रकार का सीखा हुआ व्यवहार होता है। यह उत्तराधिकारी के तौर पर प्राप्त नहीं होती है बल्कि संस्कृति अभ्यास और लगातार शिक्षा के द्वारा हासिल होती है। व्यक्ति के द्वारा ग्रुप के आचरण और लक्षण को अभ्यास के द्वारा सीखने का प्रयास किया जाता है।

4: संस्कृति का विकास सीखने से होता है

जन्मजात गुण ना होने की वजह से व्यक्ति को संस्कृति सीखना पड़ता है। व्यक्ति समाज में रहते हुए संस्कृति के अलग-अलग पक्षों को अपनाने का काम करता है‌

5: संस्कृति संचरित होती हैं

संस्कृति को सीखने की वजह से इसका संचार संभव होता है। यह पीढ़ी दर पीढ़ी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में संचारित होती रहती है। इस प्रकार से संस्कृति का विकास किसी एक पीढ़ी के द्वारा जितना किया जाता है वह अपने पूरे रूप में अगली पीढ़ी को भी विरासत के तौर पर हासिल होती है। संस्कृति के संचार का सबसे आवश्यक साधन भाषा है।

6: संस्कृति इंसानों की आवश्यकता की पूर्ति करती है

संस्कृति के द्वारा इंसानों की आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है। खाना और यौन संतुष्टि इत्यादि इंसानों की मूल जरूरतें होती हैं और इनकी संतुष्टि स्वतंत्र तौर पर की जा सकती है तथा मर्यादित तौर पर भी की जा सकती है।

7: संस्कृति समूह के लिए आर्दश होती है

किसी ग्रुप के सदस्यों के द्वारा अपनी संस्कृति के नियमों और उसके मान्यताओं को अपनी जिंदगी का आदर्श माना जाता है और साथ ही साथ उन्हें अपनी जिंदगी में प्राप्त करने का प्रयास भी किया जाता है।

8: संस्कृति भौतिक व अभौतिक दोनों ही होती है

संस्कृति भौतिक और अभौतिक दो प्रकार की होती है। भौतिक संस्कृति के अंतर्गत घर, मकान, अचल संपत्ति इत्यादि चीजें आती हैं और अभौतिक संस्कृति के तहत आचार,विचार और कला आती है।

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