पारिस्थितिकी तंत्र का अर्थ Meaning Of Ecology In Hindi: पारिस्थितिकी को दूसरे शब्दों में हम प्रकृति और पर्यावरण से भी इसका अर्थ लेते हैं सभी चीजों में आपसी मेल चाहे वो सजीव हो या निर्जीव वे पारिस्थितिकी का संतुलन ही हैं इकोसिस्टम छोटा अथवा बड़ा भी हो सकता हैं.
आज के लेख में हम ecology meaning के बारे में जानेगेप्रकृति एक साथ जीने की प्रक्रिया का ही प्रतिबिब है प्रकृति के आपसी सम्बन्धों के अध्ययन की शाखा पारिस्थितिकी का विज्ञान ecological system कहा भी जाता हैं. सरल शब्दों में इसका अर्थ होता है जीवन्त स्थान का विज्ञान.
पारिस्थितिकी तंत्र का अर्थ परिभाषा Meaning Of Ecology In Hindi
ecology definition in hindi: जीवधारियों तथा उनके पर्यावरण के बीच पारस्परिक सम्बन्ध होता है, इसके अध्ययन को पारिस्थितिकी तंत्र (Ecology) कहते हैं तथा इस तंत्र को पारिस्थितिकी तंत्र कहते हैं.
इकोलॉजी शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों (Gr oikas=वास स्थान एवं Logos= अध्ययन) से मिलकर बना हैं. पारिस्थितिकी तंत्र का सर्वप्रथम प्रयोग टान्सले ने 1935 ई में किया था.
जैविक घटक
पादपों एवं जन्तुओं से मिलकर जैविक घटक बनाते हैं यह तीन प्रकार के होते हैं उत्पादक, उपभोक्ता, अपघटक.
- उत्पादक– इसके अंतर्गत वे घटक आते हैं, जो अपना भोजन स्वयं बनाते हैं. जैसे सभी हरे पौधे. उत्पादक co2 व o2 के अनुपात को वातावरण में बनाए रखते हैं.
- उपभोक्ता– इसके अंतर्गत वे जीव आते हैं जो उत्पादक द्वारा बनाए गये भोज्य पदार्थों का उपभोग करते हैं ये तीन प्रकार के होते हैं.
- प्राथमिक उपभोक्ता– इसके अंतर्गत वे जीत आते हैं जो हरे पौधों या उनके किसी भाग को खाते हैं. जैसे- गाय, भैंस, बकरी, टिड्डियाँ इत्यादि.
- द्वितीयक उपभोक्ता– इसके अंतर्गत वे जीव आते है जो प्राथमिक उपभोक्ताओं को अपने भोजन के रूप में प्रयुक्त करते हैं जैसे बिल्ली, भेड़िया, मोर इत्यादि.
- तृतीयक उपभोक्ता– इसके अंतर्गत वे जीव आते हैं जो द्वितीयक उपभोक्ताओं को खाते हैं. जैसे बाघ, शेर, चीता इत्यादि.
अपघटक
इसके अंतर्गत जीवाणु तथा कवक आते हैं, जो सभी प्रकार के उपभोक्ताओं एवं उत्पादकों को अपघटित करके वायुमंडल में अ कार्बनिक तत्वों के रूप में विसर्जित कर देते हैं.
ये भौतिक वातावरण में मिल जाते हैं तत्पश्चात हरे पौधे इन्हें अवशोषित करके भोजन में परिवर्तित कर देते हैं. इसे पुनः प्राथमिक उपभोक्ता ग्रहण कर लेते हैं और यह चक्र चलता रहता हैं.
प्रदूषण
- हमारी वायु, भूमि तथा जल के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक लक्षणों में अवांछित परिवर्तन पर्यावरणीय प्रदूषण या प्रदूषण कहलाता हैं. प्रदूषण प्राकृतिक तथा कृत्रिम दोनों ही प्रकार का हो सकता हैं.
- वे पदार्थ जिनके कारण यह परिवर्तन होता हैं, प्रदूषक कहलाते हैं, सामान्यतया प्रदूषकों को दो वर्गों में बांटा गया है.
- जैव निम्नीकरनीय प्रदूषक- इस वर्ग के प्रदूषकों का विभिन्न सूक्ष्म जीवों द्वारा अपघटन हो जाता हैं जैसे घर की रसोई का कूड़ा, मल मूत्र, कागज, लकड़ी, कपड़े इत्यादि.
- जैव अनिम्निकरण प्रदूषक- इस श्रेणी के प्रदूषक सरल उत्पादों में परिवर्तित नहीं होते. जैसे ddt, पीड़कनाशी, कीटनाशी, पारा, सीसा, आर्सेनिक, एल्मुनियम, प्लास्टिक तथा कचरा रेडियोधर्मी कचरा इत्यादि.
प्रदूषण के प्रकार– वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, रेडियोएक्टिव प्रदूषण
- कार्बन मोनोऑक्साइड वायु में अधिक मात्रा में होने पर थकावट, मानसिक विकार, फेफड़े का कैंसर आदि रोग हो जाता हैं.
- कार्बन मोनो ऑक्साइड हीमोग्लोबिन से क्रिया करके कार्नोक्सीहीमोग्लोबिन नामक स्थायी यौगिक बनाता हैं. जो विषैला होता हैं. इस कारण दम घुटने से मृत्यु हो जाती हैं.
- अम्लीय वर्षा का कारण भी वायु प्रदूषण ही हैं यह वायु में उपस्थित नाइट्रोजन तथा सल्फर के ऑक्साइड के कारण होता हैं.
- मोटरगाड़ियों की निकासक नली से निकलने वाली सीसे के कणों से एक्जिमा रोग होता हैं.
- आर्सेनिक पौधे को विषाक्त बना देती हैं. जिसके चारे के रूप में पौधों को खाने वाले जन्तुओं की मृत्यु हो जाती हैं.
- रेफ्रीजरेटर, अग्निशमन यंत्र तथा एरोसेल स्प्रे में उपयोग किये जाने वाले क्लोरो फ्लोरो कार्बन से ओजोन परत का हास होता हैं.
- जीवाश्म ईधन के जलने से उत्पन्न कार्बन डाई ऑक्साइड तथा मीथेन जैसी गैसें ग्लोबल वार्मिग का कारण हैं.
- जल प्रदूषण के कारण टायफाइड, अतिसार, हैजा, हिपेटाईटिस, पीलिया जैसे रोग फैलते हैं.
- क्रोमियम तथा कैडमियम समुद्री जन्तुओं की मृत्यु का कारण बनते हैं.