मीरा बेन की जीवनी Mira Behn Biography In Hindi: मैडलिन स्लेड का जन्म का जन्म 1892 में इंग्लैंड के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था.
गांधीजी के विचारों से वह पहली बार रोमन रोनाल्ड की पुस्तक महात्मा गांधी पढ़ने के बाद गाँधीवादी दर्शन से परिचित हुई. मीरा बेन/बहिन के जीवन परिचय इतिहास बायोग्राफी को यहाँ जानेगे.
मीरा बेन की जीवनी Mira Behn Biography In Hindi
नाम | मीरा बेन/’मैडलिन स्लेड’ Madeleine Slade |
जन्मतिथि | 22 November 1892 |
जन्म स्थान | इंग्लैंड |
मृत्यु | २० जुलाई १९८२ |
मृत्यु स्थान | वियना |
पिता का नाम | Sir Edmond Slade |
जन्म
22 नवम्बर 1892 को ब्रिटेन में जन्मी मीराबेन के पिताजी ऐडमिरल सर ऐडमंड स्लेड ईस्ट इण्डिया स्क्वैड्रन में अंग्रेजी अधिकारी थे. जब इनकी तैनाती मुंबई में कमांडर इन चीफ की पोस्ट पर हुई तो ये अपने परिवार को भी भारत ले आए,
परिवार के साथ उनकी बेटी मैडलिन स्लेड थी. बेहद एकांकी और सरल स्वभाव की मेडलिन को संगीत और प्रकृति से बेहद लगाव था. उन्हें अलग अलग भाषाओं को जानने की भी तीव्र उत्कंठा थी, उन्होंने बचपन में ही फेंच, जर्मन और हिंदी सहित कई भाषाओं को बोलना सीख लिया था.
योगदान
गांधी के दर्शन से गहरे रूप से प्रभावित होकर वे अहमदाबाद से साबरमती आश्रम में सम्मिलित हो गई और आश्रम की जीवन शैली को पूर्णतया अपना लिया. मीरा बेन नाम इनको गांधीजी ने स्वयं दिया. समय के साथ साथ वह गांधीजी की नजदीकी सहयोगी बन गई.
और उन्होंने गांधीजी के बहुत से राजनैतिक व सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया. उन्होंने गांधी के खादी के सिद्धांतों तथा सत्याग्रह आंदोलन को उन्नतशील बनाने के लिए देश के कई भागों में यात्रा की. उन्होंने यंग इंडिया तथा हरिजन पत्रिका में अपने हजारों लेख लिखकर योगदान दिया.
वर्धा के पास सेवा ग्राम आश्रम स्थापित करने में मीरा बेन में अहम भूमिका निभाई. 1931 में वह लंदन में गोलमेज सम्मेलन में गांधीजी के साथ सम्मिलित हुयी.
मीरा बेन अपने सामाजिक पुनरुत्थान के कार्यकलापों के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुलदास पुर में किसान आश्रम की स्थापना की ताकि ग्रामीण व मवेशियों की सुचारू रूप से देखभाल की जा सके.
वह उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकाधिक अनाज उत्पादन अभियान में प्रतिष्ठान विशेष सलाहकार के रूप में नियुक्त की गई, 1947 में उन्होंने ऋषिकेश के नजदीक आश्रम पशुलोक की शुरुआत की जिसका नाम बाद में बापू ग्राम रखा गया. 1959 में वह भारत से प्रस्थान कर वियना के नजदीक एक ग्राम में रहने लगी.
1969 में गांधी शताब्दी महोत्सव के शुभ अवसर पर वह इंग्लैंड के लार्ड लुइस माउंटबेटन द्वारा इंग्लैंड में निमंत्रित की गई थी, ताकि गांधी के साथ अपने बिताये गये अनुभवों को बता सकें. 1981 में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया. 1982 में उनका देहांत हो गया.
जेल यात्राएं
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की एक महिला सहयोगी के रूप में मीरा बेन उनके कई विचारों से प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम के प्रयासों में सक्रिय रूप से जुड़ गई.
9 अगस्त 1942 को इन्हें भारत छोडो आन्दोलन के दौरान हिरासत में ले लिया गया. मई 1944 तक ये सर आगा खां हिरासत सेंटर में बंद रही मगर गांधीजी के साथ सहयोग जारी रखा.
जब 1932 में दूसरा गोलमेज सम्मेलन लन्दन में हो रहा था तब ये गांधीजी के साथ भी वहां गई. आजीवन भारत के लोगों खासकर निम्न व पिछड़े वर्ग के लोगों की बस्तियों में जाकर सफाई तक के कार्य करने में मीरा बेन हिचक नहीं करती थी. उन्होंने राजनैतिक, सामाजिक और कई सुधारात्मक कार्यों में योगदान दिया.
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