वेटलिफ्टर मीराबाई चानू का जीवन परिचय Mirabai Chanu Biography in Hindi : मणिपुर की रहने वाली साइखोम मीराबाई चानू एक सफल भारतीय भारोत्तोलन (वेटलिफ्टर) खिलाड़ी है इन्होने ओलम्पिक में 21 वर्षों के बाद भारत को वेटलिफ्टिंग में मेडल दिलाया हैं.
24 जुलाई 2021 को चानू ने टोक्यो ओलम्पिक में रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया था. चानू को भारत सरकार की ओर से पद्म श्री और राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार भी मिल चूका हैं.
मीराबाई चानू का जीवन परिचय Mirabai Chanu Biography in Hindi
पूरा नाम | साइखोम मीराबाई चानू |
जन्म | 8 अगस्त 1994 |
आयु | 29 वर्ष |
जन्म स्थान | इम्फाल पूर्व, मणिपुर, भारत |
निवास | मणिपुर, भारत |
माता का नाम | साइकोहं ऊँगबी तोम्बी लीमा |
पिता का नाम | साइकोहं कृति मैतेई |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
धर्म | हिन्दू |
कद | 1.50 मीटर |
वज़न | 49 किलो |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
खेल | भारोत्तोलन |
प्रतिस्पर्धा | 48 किग्रा |
कोच | कुंजरानी देवी |
उपलब्धियाँ | सिल्वर मेडलिस्ट (टोक्यो 2021) |
पुरस्कार | पद्म श्री, राजीव गांधी खेल रत्न 2018 |
कौन है मीराबाई चानू
हर एक सफल इन्सान की कहानी के पीछे बहुत सी विफलताओं की सीख और संघर्ष की दास्ताँ होती हैं. 49 किलोग्राम वर्ग में सिल्वर मेडल जीतने वाले मीराबाई का जीवन अभावों में शुरू और संघर्ष के बीच बड़ी हुई. महज 29 वर्षीय मीराबाई चानू 2016 के रियो ओलम्पिक में ‘डिड नॉट फिनिश’ के साथ बाहर हो गई थी.
एक बार भी ठीक तरह से वेट लिफ्ट न कर पाने के कारण उन्हें इतने बड़े टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा था. देशवासियों को चानू से बहुत उम्मीदे थी.
विफलता और लोगों का भरोसा पूरा न कर पाने की कसक के चलते यह लम्बे समय तक डिप्रेशन में चली गई. लिफ्टिंग को छोड़ने का ईरादा भी कर दिया.
मगर लम्बे वक्त बाद चानू हार के उस गम से उभरी तो एक से एक नई कहानी लिखने लगी. वेट लिफ्टिंग के सारे कारनामे कर डाले, जिस भी प्रतियोगिता में मीराबाई ने भाग लिया,
न केवल मेडल जीता बल्कि एक नया कीर्तिमान भी तय किया और आज वही चानू 5 साल बाद ओलम्पिक सिल्वर मेडलिस्ट बनकर देश की आँखों का तारा बनी हुई हैं, प्रधानमंत्री जी ने स्वयं उनसे फोन पर बात कर उन्हें बधाई दी थी.
शुरूआती जीवन
8 अगस्त 1994 को भारत के नार्थईस्ट राज्य मणिपुर की राजधानी इम्फाल में मीराबाई चानू का जन्म हुआ था. इनकी माता जी का नाम साइकोहं ऊँगबी तोम्बी लीमा हैं जो दूकान पर काम करती हैं. मीरा के पिता का नाम साइकोहं कृति मैतेई जो लोक निर्माण विभाग में कर्मचारी हैं.
ये छोटी उम्र में ही अपने भाई के साथ पहाड़ी क्षेत्रों से लकड़ियों के गट्ठर लाने में मदद करती थी. 12 वर्ष की आयु में यह लकड़ी के बड़े गट्ठर उठाने में सक्षम थी, एक तरह से यह अनौपचारिक रूप से वेट लिफ्टिंग की प्राकृतिक माहौल में प्रशिक्षण ले रही थी.
मीराबाई चानू का परिवार
चानू एक मध्यम वर्गीय परिवार से सम्बन्ध रखती हैं. इनके परिवार में माता पिता के अलावा दो बहिने और एक भाई भी हैं. मीरा के कोच नमेइरक्पम कुंजरानी देवी हैं जो वर्ल्ड चैम्पियनशिप और एशियन गेम्स में भारत के लिए 9 मेडल जीत चुकी हैं.
भारोत्तोलन की सबसे अधिक पदक जीतने वाली राष्ट्रीय महिला खिलाड़ी हैं. इन्होने हर वक्त जब मीरा का साहस टूटा और अपने पथ से विचलित हुई हैं उसे मजबूत बनाकर लड़ने के लिए प्रेरित किया हैं.
इन्होने स्नातक तक की पढ़ाई की हैं तथा 48 किलोग्राम वर्ग में वेट लिफ्टिंग करती हैं. मीराबाई अभी तक अविवाहित हैं उनका मानना हैं कि यदि वह विवाह करती है तो उसका करियर खत्म हो जाएगा.
इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं एक प्रोफेशनल नेशनल प्लेयर के जीवन की अहमियत कितनी बड़ी होती हैं उनके लिए व्यक्तिगत जीवन से अधिक करियर महत्वपूर्ण हो जाता हैं.
करियर
जब मीरा 12 वर्ष की थी तभी जूनियर नेशनल गेम्स में भाग लेना शुरू कर दिया और अंडर 15 की विजेता बनी. 17 वर्ष की आयु में ये नेशनल जूनियर चैम्पियन भी बनी.
वर्ष 2014 मी ग्लास्को कॉमनवेल्थ से भारतीय का प्रतिनिधित्व किया और 48 किलोग्राम वर्ग में रजत पदक जीता.
वर्ष 2016 मीराबाई चानू के जीवन का सबसे दर्दनाक वर्ष रहा, वह इस साल रियो में आयोजित ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई तो कर पाई मगर एक भी मैच नहीं जीत पाई और बाहर हो गई.
2016 में दक्षिण एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीता. वर्ष 2017 के वर्ल्डचैम्पियनशिप में भी इन्होने गोल्ड मेडल जीता.
वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी. कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में गोल्ड मैडल जीतने के बाद ये चोटिल हो गई और मीरा ने 2019 के थाईलैंड वर्ल्ड चैंपियनशिप में सबसे अधिक 200 किलो वेट उठाया.
अप्रैल 2021 में हुए ताशकंद एशियन वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में मीराबाई चानू ने 86 kg का वजन उठाने के बाद क्लीन एंड जर्क में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए 119 kg का वजन उठाकर कुल 205 kg वेट लिफ्टिंग का नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया. 24 जुलाई 2021 को टोक्यो ओलम्पिक में सिल्वर मेडल जीतकर भारत का खाता खोला.
मीराबाई विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं लेगी
टोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता और पूर्व विश्व चैंपियन मीराबाई चानू ने अभी तक टोक्यो ओलम्पिक के पश्चात किसी भी प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया हैं.
17 दिसम्बर 2021 को ताशकंद उज्बेकिस्तान में आयोजित होने वाली विश्व चैम्पियनशिप से भी इन्होने अपना नाम वापिस ले लिया हैं.
टूर्नामेंट में मीरा की जगह 64 किलोग्राम भार में कोमल जगह लेगी. आपको बता दे चानू फिलहाल राष्ट्रमंडल खेलों की रैंकिंग में पहले स्थान पर बनी हुई हैं.
ये फिलहाल एनआईएस पटियाला में नई तकनीकों के साथ अभ्यास कर रही हैं. मीरा अगले साल आयोजित होने वाले एशियन गेम्स और कोमनवेल्थ गेम्स में अपना दमखम दिखाएगी.
मीराबाई चानू को मिले पुरस्कार और सम्मान
2018 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म श्री पुरस्कार से मीराबाई चानू को नवाजा गया. इसी साल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों इन्हें राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार दिया गया.
वर्ष 2018 के राष्ट्र्मंडल खेलों में इनके स्वर्ण पदक जीतने पर मणिपुर सरकार ने 15 लाख के नकद पुरूस्कार की घोषणा की थी. टोक्यो ओलम्पिक में सिल्वर मेडल जीतने पर राज्य सरकार ने मीरा को एक करोड़ रूपये की पुरस्कार राशि देने की घोषणा की हैं.
मीराबाई चानू की कोच कुंजरानी देवी
1 मार्च 1968 को मणिपुर के इम्फाल में जन्मी नमेइरक्पम कुंजरानी देवी मीराबाई की कोच हैं. ये भारत की पूर्व महान भारोत्तोलन खिलाड़ी रह चुकी हैं. ये इस खेल में भारत के लिए सर्वाधिक मेडल जीतने वाली महिला खिलाड़ी हैं.
इन्होने भारतीय पुलिस टीम का भी खेल में नेतृत्व किया हैं. वर्तमान में मीरा बाई को प्रशिक्षण देने के साथ ही ये केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में एक सहायक कमांडेंट के पद पर सेवाए भी दे रही हैं. देवी ने अब तक करीब 50 पदक भारत के लिए जीते हैं.
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