मदर टेरेसा का जीवन परिचय Mother Teresa life History in Hindi

मदर टेरेसा का जीवन परिचय (mother Teresa life biography in Hindi)-: 20 वी सदी की सबसे महानतम मानवतावादियो की हस्तियों में से एक मदर टेरेसा थी.

मदर टेरेसा ने 12 साल की उम्र से ही गरीबों की मदद करने के लिए पूरी तरह से समर्पित होने का निश्चय ले लिया था.

मदर टेरेसा की जीवनी – Mother Teresa life history in Hindi

मदर टेरेसा का जीवन परिचय Mother Teresa life History in Hindi

इस पोस्ट में हम आपको मदर टेरेसा के जीवन का परिचय (mother teresa story in hindi) करवाएंगे. मदर टेरेसा ने एक चैरिटी की स्थापना की जिसका नाम मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की. मदर टेरेसा के महान काम के लिए उनको भारत रत्न और नोबल पुरस्कार भी मिल चूका हैं.

मदर टेरेसा की पूरी बायोग्राफी (mother Teresa life history in Hindi) जानने के लिए पोस्ट को अनंत तक जरूर पढ़े.

मदर टेरेसा कौन थी?

History of Mother Teresa in Hindi: मिशनरी मदर टेरेसा, जिनको कैथोलिक चर्च में कलकत्ता की सेंट टेरेसा के नाम से भी जाना जाता है. मदर टेरेसा ने आपना जीवन उस तबके केलिए समर्पित कर दिया था जिसको समाज अपने साथ रखने में संकोच महसूस करता था. मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को हुआ. मदर टेरेसा मैसेडोनिया मूल की रहने वाली थी.

मदर टेरेसा ने 17 वर्षों तक भारत में अध्यापन कराया. 1946 में अपनी अंतरात्मा के आदेश के अनुसार एक चैरिटी की स्थापना की. जो उन लोगों की सहायता करता जिनको समाज ठुकरा देता था. नेत्रहीन, वृद्ध, विकलांग और कुष्ट रोग से पीड़ितों की सहायता करना इस चेरिटी का पहला मुख्य उद्देश्य था.

मदर टेरेसा के मानवीय कार्यों के लिए 1979 में उनको नोबल शांति पुरस्कार मिला. शांति पुरस्कार से मिली राशि को अपनी चैरिटी में लगा दिया.

मदर टेरेसा का परिवार और युवा जीवन

मैसेडोनिया गणराज्य के मूल की रहने वाली मदर टेरेसा के पिता का नाम निकोला बोजाक्सीहू और माता का नाम ड्रैनाफाइल बोजाक्सीहु था. मदर टेरेसा का असली नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू (Anjezë Gonxhe Bojaxhiu) था.

मदर टेरेसा का वंश अल्बानियाई था. पिता बोजाक्सीहू एक ठेकेदार और व्यापारी थे जो दवाओं के वितरण का काम करते थे. मदर टेरेसा का परिवार धार्मिक परिवार था. इसलिए मदर टेरेसा और उनकी बड़ी बहिन निकोला चर्च की स्थायी गायिकाएं थी.

1919 में जब अगनेस की उम्र मात्र आठ वर्ष की थी तब उनके पिताजी आकस्मिक रूप से बीमार हो गए और उनकी मृत्यु हो गयी.

पिता की मृत्यु के बाद एग्नेस(मदर टेरेसा) अपनी माँ के बेहद करीब हो गयी. मदर टेरेसा की माँ बेहद पवित्र, दयालु, नैक विचारों वाली और धार्मिक महिला थी. एग्नेस की माता के परोपकारी होने की पुष्टि इस किस्से से की जा सकती हैं.

“जब निकोला की मौत हुई तो माता द्राना ने असहाय लोगो को भोजन के लिए आमंत्रित किया. जब एग्नेस ने पूछा कि – ये सब कौन हैं और यहाँ खाना क्यों खा रहे हैं? तो माँ ने उत्तर दिया कि ये सब अपने ही रिश्तेदार हैं. इसके साथ द्राना ने यह भी कहा कि – जब तक अपने सभी लोग खाना न खा ले तब तक हमको एक कौर भी नहीं खाना चाहिए.”

माता पिता के अलावा परिवार में एग्नेस का एक बड़ा भाई और एक बहन भी थे. एग्नेस सहित कुल पांच भाई बहन थे लेकिन तीनो को छोड़कर बाकी सभी की मृत्यु हो गयी. एग्नेस और उनकी बहन अपने घर के पास के चर्च में स्थायी गायिकाएं थी.

मदर टेरेसा की शिक्षा

Mother Teresa education: एग्नेस(मदर टेरेसा) की शुरुआती शिक्षा एक प्राथमिक विद्यालय और उसके आगे की शिक्षा गवर्नमेंट स्कूल में हुई थी. मदर टेरेसा को म्यूजिक प्ले करना और गाना गाने का बहुत ही ज्यादा शौक था. मात्र बारह साल की कम उम्र में मदर टेरेसा ने महसुस किया की वह अपना जीवन धार्मिक कार्यों के लिए समर्पित कर देगी.

इसके  छह साल बाद 1928 में, एग्नेस ने नन बनने का फैसला किया और ‘सिस्टर्स ऑफ़ लौरेटो’ का हिस्सा बन गई. सिस्टर्स ऑफ लोरेटो मंडली में शामिल होने के बाद एग्नेस आयरलैंड देश में चली गई. आयरलैंड में ही एग्नेस का नाम बदल कर मेरी टेरेसा कर दिया गया था.

सिस्टर्स ऑफ़ लौरेटो – “एक ऐसी संस्था जो परोपकार के कार्यो के लिए पहले प्रशिक्षित करती हैं और फिर आज्ञाकारी प्रतिज्ञा से निस्वार्थ सेवा करने की शपथ दिलवाते हैं.”

लगभग एक साल बाद 1929 में सिस्टर मेरी टेरेसा भारत में दार्जिलिंग कि यात्रा के लिए आई थी. मई 1931 में पहली बार मैरी टेरेसा ने अपने प्रतिज्ञा को पेशा बनाया. मदर टेरेसा को कलकत्ता भेजा गया.

कलकत्ता में मैरी को एक गर्ल्स स्कूल में पढ़ाने का काम सौपा गया. यह स्कूल लोरेटो ऑफ सिस्टर्स द्वारा संचालित था. इस स्कूल का मुख्य उद्देश्य गरीब परिवार की लड़कियों को पढ़ाना लिखाना था.

मदर टेरेसा ने पहले बंगाली और हिंदी बोलनी सीखी.  इसके बाद उन्होंने भूगोल और इतिहास पढ़ाया, और शिक्षा के माध्यम से गरीबी को कम करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया.

जैसा की मेरी टेरेसा ने नन के लिए प्रतिज्ञा की, उसके अनुसार 24 मई 1937 को उन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन को गरीबो और असहायों के लिए समर्पित कर दिया. इसी दिन से उनको ‘मदर टेरेसा’ के नाम से जाना जाने लगा.

मदर टेरेसा की उपाधि मिलने पर भी सैंट मेरी स्कूल में पढ़ाना जारी रखा, और कुछ समय बाद वे सैंट मेरी स्कूल की प्रिंसिपल बन गई.

अपनी दयालुता, उदारता और सेवाभावी मन से अपने ‘मसीह’ गुण को असीम ऊंचाई तक लेकर गयी.

मदर टेरेसा की प्रार्थना की एक चिट्टी में कुछ इस प्रकार लिखा गया था – ‘मुझे हमेशा लोगो के जीवन में प्रकाश बनने की शक्ति दो, ताकि मैं उनको भी आपके पास ला सकूँ.’

Call Within a Call

Call Within a Call का मतलब मैं आपको बताना चाहूँगा. ऐसा माना जाता कि मदर टेरेसा एक चमत्कारी मसीहा थी, वे कोई आम महीला नहीं थी. मदर टेरेसा का इस तरह से एक मसीहा बन जाना इसके लिए उनके पास कोई प्रेरणा नहीं थी, बल्कि यह उनकी भीतर की आवाज़ थी. भीतर की इसी आवाज़ को Call Within a Call कहा जाता हैं.

मदर टेरेसा ने पहली कॉल अपने 12 साल की उम्र में सुनी और दूसरी कॉल 10 सितम्बर 1946 को महसुस किया.

दूसरी कॉल को महसुस करने के बाद मदर टेरेसा ने अपने जीवन को सम्पूर्ण रूप से बदल दिया. मदर टेरेसा ने निश्चय किया कि अब वह शहर और गांव के सबसे गरीब और बीमार लोगों की सहायता करने के लिए झुग्गियों में काम करने का निश्चय किया. इसके लिए उन्हें स्कूल को छोड़ना पड़ा.

1948 में लोरेटो की अनुमति मिलने पर मदर टेरेसा ने स्कूल को पूरी तरह से छोड़ दिया. सफ़ेद और नीली साड़ी पहन कर जीवन भर सार्वजानिक काम करने का फैसला किया और लोरेटा कॉन्वेंट को छोड़ दिया. इसके चलते ही मदर टेरेसा ने छ महीने के लिए चिकित्सा प्रशिक्षण लिया और भलाई के काम के लिए निकल पड़ी.

मदर टेरेसा ने कलकत्ता की मलिन बीस्तियों की यात्रायें की और लोगो की सहायता करती रही, इसके अलावा उनका दूसरा कोई लक्ष्य नहीं था.

मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी

जब मदर टेरेसा ने भली भांति निरिक्षण किया तो पता चला की यहाँ की स्थिति बहुत दयनीय हैं. लोग बिमारियों से मर रहे हैं, खाने का कोई साधन नहीं हैं. पूरे परिवार के सदस्य सड़कों पर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं.

इन सभी समस्याओं के लिए उनको बहुत बड़े स्तर पर काम करने की जरुरत थी. मदर टेरेसा ने बिना देरी किये ओपन एयर स्कूल का निर्माण किया. सड़कों पर रहने वालों के लिए घरों की व्यवस्था की. इसके साथ उन्होंने सरकार को भी दान के लिए मना लिया.

अक्टूबर 1950 में उन्होंने एक नई संस्था ‘मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी’ का निर्माण किया. जब मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की शुरुआत हुई तब इसमें केवल 13 लोग शामिल थे. इसमें अधिंकाश वे लोग थे जो पहले मदर के साथ काम कर चुके थे.

जैसे जैसे मंडली की संख्या बढती गयी, वैसे वैसे दुनिया भर से दान की बाढ़ आती गयी. भरपूर पैसा होने के कारण धर्मार्थ गतिविधियों का दायरा तेजी से बढ़ा. 1950 से 1960 के दौरान उन्होंने एक कोढ़ी कॉलोनी, एक अनाथालय, एक नर्सिंग होम, एक पारिवारिक क्लिनिक और मोबाइल स्वास्थ्य क्लीनिकों की स्थापना की.

1971 में मदर टेरेसा ने अमेरिका में चैरिटी हाउस खोलने के लिए न्यूयॉर्क शहर की यात्रा पर गयी. इसके बाद इन चैरिटी की संख्या बढती गयी. आज 133 देशो में 4500 से अधिक चैरिटीज चल रही हैं.

मदर टेरेसा को मिलने वाले अवार्ड

विश्व स्तर पर परोपकारी का काम करने पर उनको अनेक पुरस्कार मिल चुके है. हम यहाँ पर कुछ मुख्य अवार्ड्स की सुचना यहाँ दे रहे हैं.

परहित और परोपकारी काम के कारण 1962 में भारत सर्कार ने उनको पदम् श्री से नवाज़ा और सन 1980 मे मदर टेरेसा को भारत रत्न से सम्मानित किया गया. इसी बीच पीड़ित मानवता की मदद करने के लिए उनको शांति नोबल पुरस्कार मिला था. इस उपहार से मिलने वाली राशि को उन्होंने पूरी तरह से चैरिटी में लगा दिया.

मदर टेरेसा की मृत्यु कब और कैसे हुई?

मदर टेरेसा को दो बार गंभीर दिल का दौरा पड़ा था. इसके साथ हृदय, फेफड़े और गुर्दे की समस्याओं सहित कई वर्षों तक बिगड़ते स्वास्थ्य के बाद, मदर टेरेसा का 87 वर्ष की आयु में 5 सितंबर 1997 को निधन हो गया.

अब तक आप मदर टेरेसा के बारे में(mother Teresa in Hindi story) बहुत कुछ जान गए होंगे लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मदर टेरेसा को एक चमत्कारी दूत माना जाता हैं और उनको एक संत का दर्जा भी मिल चूका हैं. यहाँ पर हम आपके सामने कुछ किस्से रख रहे हैं जो इस बात का प्रमाण हैं कि मदर टेरेसा कोई आम महिला नहीं थी.

मदर टेरेसा के चमत्कार

1 2002 में मोनिका बसेरा नाम की एक महिला जो काफी लम्बे समय से पेट ट्यूमर से परेशांन थी. लेकिन मदर टेरेसा की मृत्यु के एक साल बाद जब वह उनकी शरण में गयी तो उनका ट्युमर बिलकुल ठीक हो गया.

दिसंबर, 2015 को, पोप फ्रांसिस ने एक फरमान जारी किया जिसमें मदर टेरेसा के दुसरे चमत्कार के बारे में सुचना दी गयी थी. ब्राजील का एक आदमी जो कि दिमाग में वायरल इन्फेक्शन से ग्रसित था. जब उसका पूरा परिवार चर्च में गया तो फादर ने उनसे मदर टेरेसा से प्रार्थना करने को कहा.

ऑपरेशन के दौरान जब उसे ऑपरेटिंग रूम में ले जाया गया तो वह ऑपरेशन से पहले ही बिना किसी दर्द के ठीक हो गया, और बाहर आ गया.

इन चमत्कारों को देखते हुए मदर टेरेसा की 19 वीं वर्षगांठ(2016) के एक दिन पहले उनको दैवीय शक्ति मान लिया और संत का दर्जा दे दिया.

मदर टेरेसा की विरासत

1997 में मदर टेरेसा की मृत्यु हो गयी,लेकिन उसके बाद भी वे आज तक सुर्ख़ियों में बनी हुई हैं. इसका कारण हैं उनके द्वारा किये गए जरूरतमंद लोगो के लिए काम. मदर टेरेसा 20वीं सदी की सबसे बड़ी और महानतम मानवतावादियों में से एक हैं.

जब मदर टेरेसा की मृत्यु हुई तब 133 देशो में 4000 से अधिक चैरिटी और 720 फाउंडेशन बन चुके थे. उनका काम यहीं पर नहीं रुका. 2012 तक पूरे विश्व में 4500 से अधिक चैरिटी बन चुकी हैं.

ये चैरिटीज, NGOs सभी मदर टेरेसा की विरासत हैं. इनकी देखभाल करना और इनको आगे बढ़ाना उन लोगो का काम हैं, जो मदर टेरेसा को एक आदर्श मानते हैं.

इसके अलावा मदर टेरेसा के विचार और उनकी कार्य शैली सबसे बड़ी विरासत हैं. मदर टेरेसा ने अपने सपने को पूरा किया. परोपकारी की असीम उपलब्धि हासिल करने के बाद भी वे सदैव विनम्रता से पेश आती थी.

मदर टेरेसा ने अपने बारे में कुछ लाइन कही है ; “खून से, मैं अल्बानियाई हूं. नागरिकता से, एक भारतीय हूँ. विश्वास से, मैं एक कैथोलिक नन हूं. मेरे बुलावे के अनुसार मैं इस धरती पर, दुनिया का हिस्स हूँ. जैसा कि मेरे दिल के लिए, मैं पूरी तरह से यीशु के दिल से संबंधित हूं.”

आपने क्या सीखा (autobiography of Mother Teresa in Hindi)…

इस बायोग्राफी में हमने आपको मदर टेरेसा के जीवन का परिचय करवाया. हमने आपके सामने मदर टेरेसा के बारे में (about mother teresa in hindi) पूरी जानकारी देने की कोशिश की हैं.

हमें पूरा विश्वास हैं की आपको यह बायोग्राफी पसंद आई होगी. अगर आपको मदर टेरेसा का जीवन प्रेरणात्मक लगा हो तो कमेंट कर जरूर बताएं. इस पोस्ट को आगे जरूर शेयर करें.

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