मेरा परिवार पर कविता जॉइंट न्यूक्लियर फॅमिली: नमस्कार साथियों आपका स्वागत है आज हम Poem On Family In Hindi में परिवार पर शोर्ट कविता बता रहे हैं. बालक की प्रथम पाठशाला, जीवन का आश्रय व सुरक्षा हमें परिवार से ही मिलती है जिसके प्रति गहरी निष्ठा तथा प्रेम जीवन भर दिल में बना रहता हैं. आज हम family values क्या होता है महत्व किसे परिवार कहेंगे. इन पर आधारित शोर्ट परिवार कविता यहाँ बता रहे हैं.
Poem On Family In Hindi | मेरा परिवार पर कविता
family poem in hindi: दोस्तों यहाँ दी गई कविता को आप कक्षा 1, 2,3,4,5,6,7,8,9,10 के स्टूडेंट्स को सुना सकते हैं. परिवार के बिना व्यक्ति का क्या अस्तित्व रह जाता है तथा परिवार का साथ मिले तो वह क्या क्या कर सकता हैं. आज के दौर में जब पश्चिम की संस्कृति के अंधानुकरण से हमारी परिवार व्यवस्था क्षीण होती जा रही हैं ऐसे में युवा कवि की कविता की ये पंक्तियाँ बच्चों के दिलोदिमाग में परिवार की एक अच्छी छवि को प्रस्तुत करने में कामयाब रहेगी.
mera parivar poem in hindi
परिवार मात्र बीबी बच्चों का नाम नहीं होता
परिवार कभी अलगाव भरा पैगाम नहीं होता
परिवार कभी भी एहसासों का गला घोटा नहीं करते
और प्रतिकूल परिस्थिति में कभी मन छोटा नहीं करते
परिवार सदा उम्मीदों को ऊँची उड़ान दे देते है
जीवन में हर मुशीबत का समाधान दे देते है
परिवार प्यास में गंगा और यमुना की धार बना करते है
बीच भवर में नांव फसे तो ये पतवार बना करते हैं.
परिवार वहीँ जहाँ ममता को मदर नहीं होने देते
चौधेपन में माँ बापू को तर बदर नहीं होने देते
परिवार वहीँ जहाँ भाई को बाजू का बल समझा जाए
और प्रत्येक सदस्य मिलाकर रामादल समझा जाए.
परिवार वही जहाँ बेटी सीता अनुसूया जैसी हो
मर्यादा का मान रखे कायित्री कईया जैसी हो
परिवार वही जहाँ दादा दादी का मान सुरक्षित हैं
परिवार वही जहाँ संस्कार वाला वरदान सुरक्षित है
परिवार साथ हो तो बच्चें इतिहास रचा कर रख देगे
सुंदर कर्मों से एक नया आकाश रचा कर रख देंगे
परिवार साथ हो तो बेटी धरती आकाश नाप डाले
हर प्रयास से सफलता का पूर्ण विन्यास नाप डाले
परिवार साथ हो तो संताने कृष्ण राम जैसी होंगी
वो वरदान विधाता का अब्दुल कलाम जैसी होगी
परिवार छाँव है बरगद की परिवार सुखों के डेरे है
ये घोर निशा में दीपक है और पावन मधुर सवेरे है
परिवार धरा के संस्कार और चमत्कार के है आधार
परिवारों से होता हमकों जीवन का साक्षात्कार
परिवार सभ्यता के उद्गम परिवार राष्ट्र के कर्णधार
परिवार प्राण से विनती के परिवार से ही सदाचार
टूटा परिवार तो टूटेगा भारतमाता का हर सपना
टूट जाएगा भारतवर्ष यदि सोचोगे अपना अपना
टूटा परिवार दशानन का तो उच तलक न बच पाया
टूटा परिवार कौरवों का तो कैसा त्रास हो रहा था
अपने ही हाथों से अपनों का नाश हो रहा था
तो इतिहासों में दबी हुई भूलों को जिन्दा मत करना
चन्दन जैसी मिटटी को किंचित शर्मिंदा मत करना
रामायण के कैंकेयी मंथरा के किरदार को दोहराना मत
कौरवों और पांडवों से टूटे परिवार न बन जाना
दुर्योधन से भाई बनकर कुल से द्वेष नहीं रखना
परिवारों में कलह द्वेष का परिवेश नहीं रखना
कलह कपट स्वार्थ तुम्हे टुकड़ों में बाँट रहे है जी
सौ साल पुराने बरगद की टहनी छांट रहे है जी
चक्रवर्ती राज था वो देश कहलाते थे
चार पुत्रों के पिता प्रथ्वेश कहलाते थे वो
दस दिशाओं में हुकुम चलता था जिनके नाम का
जिनके आंगन में हुआ अवतार प्रभु राम का
जिनकें आंगन में स्वयं ब्रह्मा भी आकर झूमते
जिनके घर को मन्दिर समझ देवगण भी चुमते
जिनकें हथियारों के आगे शत्रु टिकते ही न थे
भागते थे प्राण लेकर रण में दीखते ही न थे
दोस्तों यह परिवार कविता राम भदावर जी द्वारा रचित हैं. इस पूरी कविता को आप नीचे दिए गये विडियो में उनका द्रुत वाचन भी सुन सकते हैं.
Ram Bhagdawar Ji Short Poem Family Kavita In Hindi
यह भी पढ़े
उम्मीद करता हूँ दोस्तों ” Poem On Family In Hindi ” का यह आर्टिकल आपकों पसंद आया होगा. राम भदावर का कविता वाचन आपने देखा है तो कमेन्ट कर जरुर बताएं आपकों उनकी सबसे अच्छी बात क्या लगी?