उत्तराखंड पर कविता Poem On Uttarakhand In Hindi

उत्तराखंड पर कविता Poem On Uttarakhand In Hindi: 9 नवम्बर 2000 को भारत के 27 वें राज्य के रूप में मेरे उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई थी, संयुक्त उत्तरप्रदेश से अलग हुए हमारे उत्तरांचल को 22 साल हो गये हैं.

9 नवम्बर 2022 को हम अपना 22 वाँ स्थापना दिवस मना रहे हैं. आज हम उत्तराखंड स्थापना दिवस पर हिंदी कविता बता रहे हैं. जो राज्य के इतिहास, संस्कृति, पहाड़ी जीवन, खान पान को आधार बनाकर लिखी गई हैं.

Poem On Uttarakhand In Hindi

शेहेर के 12 फीट के इस कमरे से मैं, गाँव के मकान को याद करता हूँ
पहाड़ों की मिट्टी को याद करता हूँ खेत खलियान को याद करता हूँ
इस घर की खिड़की से बहार झांकता हूँ
सड़कों पर दौड़ रही जिंदगियो को ताकता हूँ
यहाँ सड़के सीधी हैं, सपाट चका चौंध से भरी हैं
मेरे पहाड़ों के रस्ते कच्चे है सड़के घूमतीं है पर सीधी हैं.

मैं कामयाबी की तलाश में शेहेर की चमक में कही खो गया,
मेरा पहाड़ मुझसे छुटा दिल में कही सो गया,
इस जिन्दगी की रफ्तार में मैं भागने लगा
इस शहर के धुंए भरी जिन्दगी को सुबह मानने लगा.
आज याद करता हूँ वो पहाड़ों की चेहेकती दमकती सुबह
ठंड से ठिठुरती नदियों में बहती काफ्लों में पकती सुबह
यहाँ मैं रातों में आसमान को गौर से निहारता हूँ
चांद तारे धुंडने की कोशिश में धुंए के बादलों से हारता हूँ
फिर आती है अपने गाँव अपने पहाड़ों की रातें
तारों से रौशन आसमान बूंद बूंद टपकती बरसातें.

हर बार सोचता हूँ अपने गाँव वापस जाने की
हर बार कोशिश करता हूँ इस दिल को मनाने की
पर ये जिम्मेदारियां ये पैसे ये शहर मुझे जकड़ लेते हैं
पहाड़ों की विशाल जमीन से दूर इस 12 फीट के कमरे में पटक देते हैं
अब तो गाँव में बैठी बूढी माँ भी मेरी राह देख कर थकती है
बैंक में बढ़ते पैसे और बेटे से बढ़ती दूरी पर वो बिलखती है

लाचार सा मैं, उसको झूठे दिलासे देता हुआ बस फोन पे बात करता हूँ
शेहेर के 12 फीट के इस कमरे से मैं, गाँव के मकान को याद करता हूँ
पहाड़ों की मिट्टी को याद करता हूँ खत खलियान को याद करता हूँ.

उत्तराखंड की असली खूबसूरती: महिलाएं कविता

उत्तराखंड का जब भी जिक्र होता है,
जिक्र होता है पर्वत का, पहाड का,
ऊंचाई का, सच्चाई का, अच्छाई का, खूबसूरती का, कर्मठता का,
शान्ति का, सुंदरता का।

पर मैं देखती हूँ यहां की औरतों को,
देखती हूँ इनकी मेहनत, संघर्षों को।
आकर्षित करती है इनकी सरलता,
कष्टों के बावजूद इनकी प्रसन्नता।

पूरा पूरा दिन ये काम करती है,
शायद ही कभी आराम करती है।
मुख पर एक अद्भुत तेज लिए हुए,
हर मुश्किल परिवार की आसान करती है।

आकर्षित करता है इनका परिधान,
श्रंगार व साजो सज्जा से अनजान।
थकान चेहरे की, है श्रंगार इनका,
मुसकान, होठों की लाली है,
आखों की उम्मीदें, है काजल इनका,
अदाएं, इनकी खुशमिजाजी है।

आकर्षित करती है इनकी दृढता,
काम के प्रति इनकी लगन,
प्रेम में इनकी निःस्वार्थता।

मुश्किलों भरा इनका रहन-सहन,
किसी से कोई शिकायत नहीं,
पहाड़ों में इनकी मगनता।

आकर्षित करता है इनका आतिथ्य सत्कार,
अनजानों पर लुटाना प्यार बेशुमार।

अपनी छोड सबकी परवाह करती है,
मेहमान देख खुश हुआ करती है।

इतना अपनापन अपनों से नहीं पाया है,
जितनी सरलता से इन्होंने अपनाया है।

कम बात करती है, लेकिन बडी बात करती है,
घरेलू है, लेकिन सारा ज्ञान रखती है।

इनकी सोच का दायरा बडा है,
भले ही पहाड सीना ताने खडा है।

इसी सीने को चूमते हुए आगे बढी है,
फिसली है कई बार, कई बार गिरी है।

लेकिन पर्वत है छोटे, इनकी हिम्मत बडी हैं।
इनकी व्यथा को, इनकी पीडा को,

जब-जब महसूस करती हूँ,
खुद को छोटा,
बहुत छोटा महसूस करती हूँ।

झुकी इनकी कमर,
जब-जब देखा करती हूँ,
मन ही मन,
इनके मेहनती मिजाज को,
मेहनत से किए हर काम को,
सलाम किया करती हूँ।
सलाम किया करती हूँ।।

Uttarakhand Par Kavita

अगर कोई पूछें
जों मेरे घर का पता
मैं कहुं
बादलों के पार
स्वर्ग का है जहाँ से रास्ता
देवो के देव,
महादेव का है जहाँ से वास्ता
कर्म प्रधान है जो भूमि
महक विर जवानों की
आती है जहाँ भीनी भीनी
लहू बहता है
देश के लिए जिसका
मैं भारत के उस भाग
का निवासी हूँ
उत्तराखंड है नाम जिसका

Mera Uttaranchal Foundation Day Poem In Hindi

देवों की धरती है जो भारत माँ का आंचल है
जहाँ पर बसते बद्रीनारायण हाँ वो मेरा उत्तराचल है.
ऋषि मुनियों की तपोभूमि ये, यहीं स्थित कुर्मांचल है,
जहाँ पर बसती माँ हाट कालिका, हाँ वो मेरा उत्तरांचल है.
जहाँ बहती पावन गंगा, जन मानस की प्यास बुझाती है,
जहाँ पर खड़ा हिमालय सुंदर उत्तरांचल का ताज है.
ऐसे भारत माँ के आँचल में बसा मेरा उत्तरांचल है.

ऋग्वेद ने गाई जिसकी महिमा, स्कन्द पुराण में जिसका अंकन है
अभिज्ञानशाकुन्तलम की जहाँ हुई है रचना, हाँ वो मेरा उत्तरांचल है
कुनिंद, कत्युर, परमार, गोरखाओं का चला जहाँ पर शासन है
आदिशंकराचार्य ने जहाँ ली समाधि, हाँ वो मेरा उत्तरांचल है.

कौलपद्म की छटा अनोखी कस्तुरी मृग यहाँ का विख्यात है,
बुरांस की लाली सा सुंदर, हाँ वो मेरा उत्तरांचल हैं.

किल्मोड़ा, झूला, भीमल, ममीरा, धुनेर यहाँ के उत्पाद है,
हर्बल स्टेट बनने को तत्पर हाँ वो मेरा उत्तरांचल है.

जोशीमठ की फूलों की घाटी, जैव विविधता की मिसाल है,
नर और गंधमादन पर्वतों में स्थित भारत का जो राष्ट्रीय उद्यान हैं,
फ्रैंकस्माइथ ने किया सर्वेक्षण, हाँ वो मेरा उत्तरांचल है.

एपण, ज्युतिमातृका, प्रकीर्ण, लक्ष्मीपौ, सेली जहाँ घरों की शान है,
पाली, ठेकी, कुमया, भदेल, नाली, कुथल, थुलमा जिसकी पहचान है
मकर सक्रांति में जहाँ बनती घुघुतिया, हाँ वो मेरा उत्तरांचल है.

झुमैलो, छोपती, लामण, घैती से महकता जहाँ का आँचल है
तांदी, चाफला, झोड़ा, छोपती में थिरकते जहाँ के ताल है.
हुड्के की थाप पर जहाँ होती है खेती हाँ वो मेरा उत्तरांचल है.

वीरों की धरती है, जो कुमाऊ गढ़वाल रेजीमेंट जिसका मान है
गौरा देवी जहाँ की बेटी, हाँ वो मेरा उत्तरांचल है
टिहरी बाँध है जहाँ का गौरव, मडुवा झुंगर जहाँ की देन है
धरती का स्वर्ग बनने जा रहा, मेरा उत्तरांचल महान है.

उत्तराखंड पर कविता

दोस्तों खूबसूरत वादियों से घिरा उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जो अपनी प्राकृतिक संपदा से जाना जाता है। भारत के उत्तर भारत में स्थित उत्तराखंड पहले उत्तराचंल के नाम से जाना जाता था लगभग वर्ष 2000 से वर्ष 2006 के करीब, अभी उसे उत्तराखंड से जाना जाता है।

उत्तराखंड का निर्माण अनेक सालों के संघर्ष भरे आंदोलन के बाद वर्ष 2000 में 9 नवम्बर को सत्ताइसवें राज्य के नाम से हुआ था। उत्तराखंड का ज़िक्र हिन्दू ग्रंथों और साहित्य में भी मिलता है।

उत्तराखंड राज्य अपने में अनेक पवित्र नदियों को समाहित किए हुए है एवम् पर्यटन स्थलों के लिए भी लोकप्रिय है। उत्तराखंड जैसे खूबसूरत राज्य पर अनेक कविताएंँ लिखी गई हैं। इसी श्रृंखला में उत्तराखंड पर प्रस्तुत दो कविताएँ उत्तराखंड की विशेषता बताती हैं।

                          (1)

” जब भी याद आती है उत्तराखंड की “

खूबसूरती की मिसाल है उत्तराखंड,
जब याद आती है उत्तराखंड की,
मोहक वादियाँ आँखों के सामने छा जाती हैं,
उत्तर में तिब्बत, पूर्व में नेपाल, पश्चिम में हिमाचल,
दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य से घिरी दिख जाती है,
पवित्र संगम गंगा और यमुना का मिल जाता है,
गंगोत्री और यमुनोत्री के रूप में तीर्थ स्थल के दर्शन हो जाते हैं,
जब याद आती है उत्तराखंड की..
धूप में तपती खूबसूरत उत्तराखंड की नारियाँ भा जाती हैं,
सुबह की मस्ती में बच्चों का स्कूल जाना
घर आकर मदमस्त हो जाना
फिर अपनी मस्ती में खो जाना,
कठिनाइयों से गुज़रा जीवन नन्हों का
फिर भी मस्ती से खुश रहना,
छोटी मोटी नोंक झोंक कर
एक दूजे को मना कर प्यार बरसाना,
जब भी याद आती है उत्तराखंड की..
मनमोहन पहाड़ों की सुंदरता के सामने,
मुश्किलों को पार कर मुस्कुराते हैं,
ये नन्हें नन्हें बच्चे बड़ा कमाल कर जाते हैं,
वहाँ के प्यारे वासी अपनी खूबी दर्शाते हैं,
जब भी याद आती है उत्तराखंड की..
चेहरा मुस्कान से भर जाता है,
नदियों का पावन संगम याद आ जाता है,
स्वर्ग सा हिमालय नज़र आता है,
कितने वीरों की याद दिलाता है,
जो मर मिटे भारत माँ की रक्षा के लिए
अपनी गर्व से भरी कहानी याद दिलाता है,
जब भी याद आती है उत्तराखंड की..
पवित्र धरा के संगम धाम
याद आ जाते हैं,
केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री के रूप में
चार धाम के दर्शन हो जाते हैं,
भारत भूमि में देव भूमि उत्तराखंड की निराली सी लगती है,
जब भी याद आती है उत्तराखंड की..
दिल को सुकून चेहरे को खुशी दे जाती है,
उत्तराखंड की बात ही निराली है,
जो याद ही याद दिलाती है उत्तराखंड की,
पावन धरा निराली छटा विशेष बना जाती है,
जब भी याद आती है उत्तराखंड की..
बात निराली लगती है।

                                (2)  

” बात उत्तराखंड की “

प्यार भरी पहचान उत्तराखंड की,
दिलों में सम्मान उत्तराखंड की,
आन बान शान ऐसी पहचान उत्तराखंड की,
मिलनसार व्यवहार इन्सानों की,
चाहत एक दूजे से जुड़े अपनेपन की,
दुख दर्द में भी साथ निभाते,
अतिथि आदर सत्कार निशानी उत्तराखंड की,
परम्परा हो या संस्कृति उत्तराखंड की,
गुणगान होती हर तरफ उत्तराखंड की,
गर्व से कहते बात निराली उत्तराखंड की।

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One comment

  1. वीरों की धरती है, जो कुमाऊ गढ़वाल रेजीमेंट जिसका मान है
    गौरा देवी जहाँ की बेटी, हाँ वो मेरा उत्तरांचल है
    टिहरी बाँध है जहाँ का गौरव, मडुवा झुंगर जहाँ की देन है
    धरती का स्वर्ग बनने जा रहा, मेरा उत्तरांचल महान है.

    उत्तराखंड दीपक चौहान हरिद्वार

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