बादल पर हिंदी कविताएँ Poems On Clouds In Hindi

Poems On Clouds In Hindi Language बादल पर हिंदी कविताएँ: class 10, 9, 8, 7, 6, 5, 4, 3, 2, 1 कक्षा  में  बादल कविता अवश्य पाठ्यक्रम में मिलती हैं.

काले बादल मेघा और बारिश हिंदी भाषा के कवियों का पसंदीदा विषय रहा हैं  उन्होंने  अपने काव्य में प्रमुखता से स्थान दिया हैं. hindi poems badal barish poetry के विषय पर वर्षा के बादलों पर लिखी गई कुछ रचनाएं यहाँ बता रहे हैं.

बादल की कविता में क्लाउड्स पर चाइल्ड किड्स व स्टूडेंट्स के लिए बेहद छोटी सुंदर काव्य यहाँ प्रस्तुत की गई हैं.

बादल पर हिंदी कविताएँ Poems On Clouds In Hindi

बादल पर हिंदी कविताएँ Poems On Clouds In Hindi

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यू चलते चलते जब आँखे ऊपर उठी
एक अलग ही दुनिया मुझको दिखि
विपरीत और विभिन्न, स्वच्छ और निर्मल
नीला आसमां था, या नदी का निर्मल जल?

छोटे बड़े बादल यहा वहा फैले हुए
नीले फर्श पर जैसे रुई के गोले रेगते हुए
निराकार, निर्बद्ध, श्वेत और शुद्ध
दृश्य ऐसा के खो जाए सुध बुध

ऐसे मे क्षितिज पर देखा मटमैला धुआ
अचानक सच्चाई का ज्ञान हुआ
वाह रे इसान तू कितना ऊचा उठा
धरती तो मैली हो गई आसमान भी प्रदूषित हुआ


Clouds Poem In Hindi

देखो काले काले मेघा आएं ।
गगन पर ये जमकर छाये ।।
गरज गरजकर ,ये तड़ित कड़काते ।
साथ अपने ये अपने बरखा भी लाते ।।

देखो काले काले मेघा आएं ।
तपन को ये दूर भगाए ।।
वातावरण को भी खुशहाल ।
धरती पर हरियाली फैलाये ।।

देखो काले काले मेघा आएं ।
अनुपजाऊ को भी उपजाऊ बनाते ।।
कही – कही पर ये त्रासदी भी लाते ।
मगर अनावृष्टि को दूर भगाते ।।

देखो काले काले मेघा आएं ।
कुदरत को भी ये भाये ।।
इस धरा को भी नहलाये ।
देखो काले काले मेघा आएं ।

Hindi Poem Badal

सूरज भी जब छुप जाता है आसमान में,
घने बादलों का डेरा सा लग जाता है।
बादलों की धमाचौकड़ी जब मचती है ,
तो आकाश खेल का मैदान बन जाता है।
काले, भूरे, सफेद, चमकीले बादल,
अठखेलियां सी करते दिखते हैं।
लगता है जैसे कोई छीटे शरारती बच्चे।,
मिलकर वहां उपर लूकन छुपी खेलते हैं।
मानसून में यहीं बदल गंभीर हो जाते हैं,
वर्ष करने के अपने काम में जुट जाते हैं
गर्मी की जलती -तपती धूप, लू से
यहीं बदल हमें राहत पहुंचाते हैं।

बादल पर छोटी कविता

कितना ही अच्छा हो,
यदि मैं बादल बन जाऊं।
नीले नीले आसमान में,
इधर-उधर मंडराऊं।
जब भी देखूं सूखी धरती,
झट से पिघल में जाऊं।
गर्मी से तंग लोगों को,
ठंडक में पहुंचाओ।
खुशी खुशी से गड़ गड़ करके,
छम छम बुंदे लाऊं।
इसीलिए तो कहता हूं,
मैं बादल बन जाऊं।

बादल पर बाल कविता

झूम-झूम कर बरसे बादल।
गरज-गरज कर बरसे बादल॥
समन्दर से भर कर पानी।
घूमड़-घूमड़ कर बरसे बादल॥
काले, भूरे और घने ये।
सब हिल-मिलकर बरसे बादल॥
खेत, खलिहान, नदी, नालों पर।
ठहर-ठहर कर बरसे बादल॥
जीवन, जहीर और जॉन के।
खुले सिर पर बरसे बादल॥
प्रेम-प्यार और अमन चैन का।
आंचल भर कर बरसे बादल॥

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