2019 pulwama shaheedo ke liye kavita: आत्मा रोती है दिल झंकृत हो जाता है कंठ से स्वर पार ही नहीं होते, यही मंजर है सम्पूर्ण भारत का. पुलवामा में हुए कायराना आतंकी हमलें में हमारे 44 वीर जवान शहीद हो गये. आत्मघाती हमले से देश भर में गुस्सा व बदले की भावना के साथ ही सरकार से पाकिस्तान के विरुद्ध बड़ी कार्यवाही की मांग चारो ओर हैं.
शहीद फौजी पर कविता के जरिये हम सभी जवानों को नम आँखों से श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं. साथ ही सरकार से तथा व्यवस्था से यह मांग करते है कि देश को ऐसा मंजर दुबारा ना देखना पड़े, जब एक भी माँ की गोद सूनी हो, कोई बहिन विधवा ना हो, कोई माँ अपना बेटा न खोए.
पुलवामा शहीदों को समर्पित कविता – pulwama shaheedo ke liye kavita
आसमान भी रोया था
धरती भी थर्राई थी
किसी को न मालुम था यारों
किस घड़ी ये मौत आई थी
माँ का एक टक चेहरा था
आँखों में बहते आंसू थे
पुत थे उनके शहीद हुए
जो मातृभूमि के नाते थे
पत्नी का तिलद्दना चिल्लाना
सीने में एक तीर चुभाता था
एक मात्र सहारा था उनका
वह भारत माँ का बेटा था
बेटे के सिर से हाथ गया
चलना वह जिनसे सीखा था
कंधों का भी अब राज गया
वह बैठ जहा जग देखा था
माँ की सुनी गोद हुई
पत्नी का भी सिंदूर मिटा
पिता के दिल में आह उठी
पुत्र का हाथ भी छूट गया
गर्व है इन परिवारों को
अपनी उन संतानों पर
मातृभूमि के लिए समर्पित
हुए वीर बलिदानों पर
नेताओं क्यों बैठे हो
बदला लो गद्दारों से
गर खून में गर्मी बाकी है
सर बिछा दो तुम तलवारों से
बदला लो इस वार का तुम
उन वीरो का सम्मान रखो
माता पिता और पुत्र के सर
मातृभक्ति का लाज रखो.