राख पर शायरी Raakh Shayari In Hindi

नमस्कार मित्रों, Raakh Shayari In Hindi के आर्टिकल में हम राख पर शायरी का विस्तृत 2 लाइन शायरी स्टेटस शेर थोट्स कोट्स का कलेक्शन शेयर कर रहे हैं.

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राख पर शायरी Raakh Shayari In Hindi

राख पर शायरी Raakh Shayari In Hindi

राख के ढेर पे क्या शोला-ब’यानी करते
ए’क किस्से की भला कितनी क’हानी करते


राख बे’शक हूँ, मगर मुझ में हरकत है अ’भी बाकी,
जिस’को जलने की तमन्ना हो , हवा दे मुझ’को।


राख हो गए जज्बात मेरे,
जब आग सुलगती रही मेरी चिट्ठियों में !!


जिंदगी तो दहकने के लिए है |
राख तो मौत बनाती है||


जला तो आग हैं?
वरना सब राख है।

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राख से बनें है ये एक दिन युही राख हो जाना है इन्हें


इश्क़ की आग में यादों की राख बच ही जाती हैं। ?


आग से जले…राख हो गए ?…
प्यार❤️ में जले खाक हो गये….??


अब राख़ ढूँढ़ते हैं वो हमारी,
जो कभी खुद हमे जला के गए थे ।।


सून मैं तेरी शाखं होना चाहू,
बस तुझमे ही खाखं होना चाहू l
गर,अभी भी बची है आग तुझमे,
तो मे उसमे पुरा राख हो चाहू l


सून ए आग लागाने वाले,
लौटकर फिर आना तुम l
ये राख अब भी बची है,
जरा ईसे फिर से जलाना तुम l

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न जाणे इस जिंदगी में, ये कैसी उलझने पड गई
यादो मे रात दीन हम, उसके बस जलते रहे
और वो कंबख्त सारी राख ले उड गयी


पातझड की सुखी शाखं सी कर,
पुरी जिंदगी ही मेरी खाखं कर गये l
जब दीखाये सपने साथ साथ जीने के,
फिर क्यू जलाकर मुझे राख कर गये l


राख समझी कईयो ने मेरी जिन्दगी….
जिस दिन भभूत बन जाउंगी सिर माथे लगाओगे…..


“हसरते तवायफ की तब ‘राख’ हो जाती है।
जब अँधेरी राते ‘हवस’ के निशा छोड़ जाती है”


हालातो के मारे कुछ इस कद्र हुए खाक,
न आग दिखी ना धुआँ उठा न बनी राख। ✍


ख़ाक ही ख़ाक थी ख़ाक भी क्या कुछ नहीं था
मैं जब आया तो मेरे घर की जगह कुछ नहीं था।
क्या करूं तुझसे ख़यानत नहीं कर सकता मैं।
वरना उस आंख में मेरे लिए क्या कुछ नहीं था।


हम कोई जंजीर नही जी तेरी पैरो में बंद जायेगे
हम तो राख बनके तेरी रहो में बिखर जायेगे


Raakh Shayari

सुबह सुबह राख मिली मुझे सिरहाने पर,
जरूर नींद में कोई ख्वाब जला होगा ।


अदभुत दृश्य देखने को मिले उस रात मे,
मिट जाने के बाद भी राख मे


कभी किसीं चीज का गुरुर आ जाये,,,
तो एक चक्कर समशान का लागाके आना ,,
तुमसे भी बेहतर लोग वहा राख बने पडे हैं,,,


एक बहुत ही फेमस लाइन है ?
इस शहर को यह हुआ क्या कहीं राख है तो कहीं धुआ धुआ ?


शमशान की राख को छुआ तो पाया उसमें इज्जत थी शोहरत थी दौलत थी ,
मुकाम था, तजुर्बा था! परंतु वह राख किसकी थी वह नहीं समझ आया ।


शमशान की राख देख मन में एक ख्याल आया,
सिर्फ राख होने के लिए इंसान ज़िन्दगी में कितनी बार जलता है..?


जान झोंक कर मेरी आग में जो राख उठाने आए हैं..
भू में मिला देना.. मुझे नया सवेरा देखना है..


जलाकर राख़ कर देती है मुझे यादें तुम्हारी,
बेहतर होगा अब तुम ख्यालो मे आया ना करो.


जैसे जलानी थी जला दी ज़िन्दगी..
अब धुंवे पे तमाशा कैसा राख पर बहस केसी


मरघट हैं ये शहर, हर वक़्त कोई हादसा हुआ सा हैं..
इंसानियत की राख बिखरी हैं बस और चारो तरफ धुँआ धुँआ सा हैं।।


कौन कहता है कि राख, खाक हो जाती है.
हम तो उसी राख से बर्तन चमका देते हैं।?


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राख को भी थोड़ा कुरेद कर देखो
थोड़ी आग नज़र आएगी !


Dil se naram ❤sareer se sakht hai??…
Jo dukh Harta hai..
Samsaan ki rakh se tilak krta hai…???
Hum us Mahadev k bhakt hai… ???.
Har Har Mahadev ???


जब तक आग रही उनके अंदर,
इश्क़ का नकाब लगा रहा…..
ठंडा होते ही उतरकर बस हवस की राख बच गयी।???


बैठता हूँ मैख़ाने में, ज़ाम ख़ाली करता रहता हूँ,
हर रात जलाता हूँ कुछ यादें उसकी और
उसकी राख से अपनी रात काली करता रहता हूँ।


राख अपने अरमानों की बिखेरता गया मैं,
मैंने मुड़कर उस शख्स को कभी देखा ही नहीं।


क्या करोगे इतना घमंड पाल के,
राख सा इंसान हो राख में मिल जाओगे।।


तेरे साथ खुद को सिगरेट – ए – खाक कर दिया
तूम तो चल दिए धुएं की तरह मुझे जमीन पर पड़ी राख कर दिया?


जल-जल कें कोयलो की तरहं, अब राख बचीं है साहब,
मिट्टी में मिलनें कें लिएं | फिर सें उभर कर, जलनें कें लिएं |


राख को भी कुरेद कर देखो….
अब भी जलता हो कोई पल शायद !!!


अपनों की जलन में कुछ यूं जला हूं मैं,
राख भी ना बन पाऊँ तो भी क्या जला हूं मैं”…. ?
Raakh Shayari


यादों को ना राख कर अभी बहुत दूर तक जाना है
अभी तो केवल चिंगारी लगी है तुझे अल्फाज़ो से जलाना है ?
Raakh Shayari


आग, आगाज है,,
राख, अंजाम है..
Raakh Shayari


Raakh Shayari 2 Line In Hindi

धुंए में सब उत्तर और राख में सब दवा
मिलती है जब महादेव से आशिकी होती है
Raakh Shayari


जला के दिल को मेरे तुम राख कर गए,
हमारे इश्क की ऐसी मां की आंख कर गए
Raakh Shayari


उसे पाकर जीना चाहता था उसके साथ,
पर उसकी तो सिर्फ एक ना ने मुझे राख कर दिया।।
Raakh Shayari


तेरी उस हँसी के बाद…,
दिल पर राख डाल ली मैंने..!!
Raakh Shayari


परेशान सी ज़िन्दगी और बेबाक से हम,
आग सी वो और राख से हम ।। ?
Raakh Shayari


अगर तुम से कोई पुछे जिदंगी कया है,
तो जरा सी राख हाथ पर रखना ओर उड़ा देना
Raakh Shayari


मिट्टी में मिल जाना है एक दिन मुझ को
फिर भी जहा कही बैठता हु फूंक मार के बैठता हु
Raakh Shayari


अब राख में भी आग लगने वाली है ।
बस दो चार शयार और चाहिये
Raakh Shayari


राख हूँ एक दिन मैं भी, राख हैं तू भी एक दिन ,
फिर किस तरह की ये आग हैं।
Raakh Shayari


आ मेरी मोहब्बत को पाक करदे ,
रखले दिल और सब कुछ राख करदे।।


मैं तो राख हुँ,,,,
राख को भला क्या जलाओगे?


ये दुसरो पर जलना छोड देना चाहीये जनाब……
मैने जलने आलों की हमेशा राख होती देखी है!!!!!


साख साख पर जो तुम रहते हो, आग से भी नही डरते हो,
दिल मे लगी है मिलन की आग, तो राख से मोहब्बत क्यों करते हो।।। ❤️???????


राख समझ ना कुरेदो इस तरह, उंगलियाँ गवा बैठोगे,
सुलगता दिल ❤ है मेंरा-हवा ना दो, आशियाना जला बैठोगे….


मै तेरी राख बनकर उड़ तो रही ।
पर इस ज़माने की ठोकरों मै आकर ।


सिगरेट सा हाल हो गया है मेरा,
लोग जलाते जाते हैं राख़ बनता जाता हूं


जिस्म को जिस्म ने जैसे छुआ…
राख भी हो उठा धुंआ धुंआ।


राख को भी थोड़ा कुरेद कर
देखो थोड़ी आग नज़र आएगी


आग और राख की शायरी

जब वो साथ थे तो व्यस्थ रहने का बहाना बनाना !
अब कलश की राख बहा के क्या मोहबब्त जताना !!


मोहब्बत का रंग ऐसा मुझ पर चढ़ा,
कि अब राख हो कर भी इस दिल पर लिखा तेरा नाम नहीं मिटा सके।


ये जो शब्द हैं वो सब राख हैं जब
तक इनके मोल खुद के लिए न हो


Aag lagi zamane ko raakh na huye hum
Muh jo moda tumne khaak se ho gaye hum


❤️Zindgi aise jio ki sab ki jalke RaakH ho jaye❤️


राख के इस ढ़ेर में,,
चिंगारी को हाथ मत लगा जल जायेगी


तू भी राख मैं भी राख ,
फिर किस बात का अभिमान तूने ली है राख


यादे भी राख सी हो गाई है,
खत्म होने की कगार में।


तुझसे मिलकर ये रूह भी पाक हो जाती है ।
वरना ये जिस्म भी तेरे बिना राख हो जाती है ।
यूँ तो ये ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत है , अगर साथ हो तेरा ।
वरना ये राख भी नापाक रह जाती है , अगर इसे स्पर्श ना हो तेरा । ♥️


अब क्या मिलेगा मुझे याद करके,
तेरी खतों की राख तो फिजाँए ले गयी


मेरे सीने में लगी आग को यू राख न होने दो मेरी
खुद की तरक्कीयो को यू न खाक होने दो जो होता है उसे बस होने दो


मत पूछ मेरा हाल ऐ जालिम जमाने।
अब वहाँ जज्बात नही यादों की राख बची है ।।


धुंए में सब उत्तर और राख में सब दवा मिलती है
जब महादेव से आशिकी होती है


जला के दिल को मेरे तुम राख कर गए,
हमारे इश्क की ऐसी मां की आंख कर गए


उसे पाकर जीना चाहता था उसके साथ,
पर उसकी तो सिर्फ एक ना ने मुझे राख कर दिया।।


तेरी उस हँसी के बाद…,
दिल पर राख डाल ली मैंने..!


परेशान सी ज़िन्दगी और बेबाक से हम,
आग सी वो और राख से हम ।। ?


अगर तुम से कोई पुछे जिदंगी कया है,
तो जरा सी राख हाथ पर रखना ओर उड़ा देना


मिट्टी में मिल जाना है एक दिन मुझ को
फिर भी जहा कही बैठता हु फूंक मार के बैठता हु


राख हूँ एक दिन मैं भी, राख हैं तू भी एक दिन ,
फिर किस तरह की ये आग हैं।

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