Rajasthan Sugar Industry में आज हम बात करेंगे राजस्थान के चीनी उद्योग के बारें में. राजस्थान में कितनी चीनी मिले है तथा ये किन किन स्थानों पर अवस्थित है,
राज्य का गन्ना उत्पादन निर्माण इकाइयाँ कब स्थापित की और इनकी वर्तमान स्थिति के सम्बन्ध में राजस्थान उद्योग के इस अध्याय में विस्तार से जानेंगे.
राजस्थान चीनी उद्योग | Rajasthan Sugar Industry
चीनी उद्योग देश का दूसरा सबसे बड़ा (पहला सूती वस्त्र उद्योग) कृषि आधारित उद्योग हैं. देश में सर्वाधिक गणना क्रमश उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र व कर्नाटक में होता हैं. लेकिन सर्वाधिक चीनी महाराष्ट्र में उत्पादित होती हैं, महाराष्ट्र में ही सबसे अधिक चीनी मिले स्थापित हैं.
इसके बाद उत्तर प्रदेश, कर्नाटक व तमिलनाडू में सर्वाधिक चीनी उत्पादन होता हैं. भारत विश्व ब्राजील के बाद सबसे बड़ा दूसरा उत्पादक एवं सबसे बड़ा उपभोक्ता देश हैं.
राजस्थान में चीनी का उत्पादन कम मात्रा में होता हैं. राज्य में सर्वाधिक चीनी का उत्पादन हनुमानगढ़ एवं गंगानगर जिले में होता हैं, राज्य में तीन चीनी मिलें स्थापित हैं.
5 लाख कामगारों कि चीनी उद्योग में रोजगार मिलता हैं. राजस्थान की कुल कृषि भूमि से 10-16 प्रतिशत भाग पर गन्ने की खेती होती है जो देश के कुल गन्ना उत्पादन का 1.11 प्रतिशत भाग उगाता हैं. राज्य में सर्वाधिक गन्ना उत्पादन चित्तोडगढ जिले में होता हैं.
गन्ने व चुकन्दर से चीनी, खांड का उत्पादन होता हैं. एक बार गन्ने की फसल बोने के पश्चात किसान को इस पर तीन वर्ष तक उपज प्राप्त होती हैं. भारत में गन्ने की खेती सदियों पूर्व भी की जाती थी.
भारत में चीनी उद्योग की शुरुआत 1903 से मानी गई है. राज्य में तीन शुगर मिल है दो स्वतंत्रता पूर्व की है जबकि एक की स्थापना स्वतंत्रता के बाद 1965 में की गई जो निम्न हैं.
- दी मेवाड़ शुगर मिल लिमिटेड, भोपालसागर, चित्तौड़गढ़ : 1932 में स्थापित यह राज्य की पहली एवं निजी क्षेत्र की शुगर मिल है, उदयपुर शुगर मिल इसकी सहायक हैं.
- राजस्थान स्टेट गंगानगर शुगर मिल्स लिमिटेड– यह श्रीगंगानगर जिले में स्थापित हैं. इसकी स्थापना 1945 में बीकानेर इण्डस्ट्रियल कारपोरेशन के नाम से की गई. 1956 में इसे राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहित करने पर यह सार्वजनिक क्षेत्र में आ गई. इसमें 1968 में चुकन्दर से चीनी बनाने का संयत्र भी स्थापित किया गया, मगर यह सफल नहीं हो सका. गंगानगर शुगर मिल में देशी शराब का उत्पादन भी किया जाता हैं. राॅयल हैरिटेज लिकर नामक शराब की स्प्रिट का उत्पादन यही किया जाता हैं. इसे अब इंटीग्रेटेड शुगर मिल परियोजना के तहत गंगानगर शहर से हटाकर ग्राम क्मीनापुरा में स्थानांतरित किया गया हैं.
- केशोरायपाटन सहकारी शूगर मिल्स लिमिटेड,बूंदी – यह मिल क्षेत्र के गन्ना उत्पादकों के हितार्थ 1965 में स्थापित की गई. अब यह मिल बंद हो चुकी हैं.
राजस्थान में चीनी मिलों के समक्ष गुणवत्तापूर्ण कच्चे माल की कमी, आधुनिक व उन्नत मशीनों का अभाव, पूंजी की अपर्याप्तता, अकुशल प्रबंध आदि समस्याएं हैं.
राजस्थान में चीनी उद्योग का विकास
राजस्थान में किस प्रकार से चीनी उद्योग का विकास हुआ और किस प्रकार से राजस्थान में चीनी मिल स्थापित हुई। इसके बारे में नीचे हमने एक घटनाक्रम प्रस्तुत किया है।
भारत के राजस्थान राज्य में पहली बार चित्तौड़गढ़ जिले के भोपाल सागर नाम के इलाके में साल 1932 में दा मेवाड़ शुगर मिल्स की स्थापना की गई थी, जिसमें चीनी का निर्माण किया जाना प्रारंभ किया गया।
राजस्थान के श्रीगंगानगर में दा गंगानगर शुगर मिल की स्थापना साल 1937 में हुई हालांकि इसमें 3 से 4 साल तक काम नहीं हुआ बल्कि साल 1946 में द गंगानगर शुगर मिल्स में चीनी का निर्माण करने का काम प्रारंभ हुआ।
साल 1968 में श्री गंगानगर शुगर मिल में चुकंदर का इस्तेमाल करके चीनी का निर्माण करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। गवर्नमेंट के क्षेत्र में श्री केशोरायपाटन सहकारी शुगर मिल लिमिटेड की स्थापना राजस्थान के बूंदी जिले में साल 1965 में की गई।
साल 1976 में राजस्थान के उदयपुर शहर में चीनी मिल प्राइवेट सेक्टर में स्थापित की गई। राजस्थान की कुल जमीन भूमि का तकरीबन 10%-11% गन्ना पैदा करती है जो हमारे देश के कुल गन्ना उत्पादन का 1.11% है।
द गंगानगर शुगर मिल में चीनी का निर्माण होता है। इसके अलावा यहां पर शराब बनाने का काम भी होता है जिसके सेंटर राजस्थान के जोधपुर, प्रतापगढ़, अजमेर जैसे जिले में है।
FAQ:
Q: राजस्थान में पहली चीनी मिल कब स्थापित हुई?
Q: राजस्थान की पहली चीनी मिल का नाम क्या था?
Q: राजस्थान की पहली चीनी मिल कहां स्थापित हुई थी?
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