आप सभी दोस्तों का हार्दिक स्वागत हैं, राजस्थान के गाँवों में रहनें वाले राजस्थानी मुहावरे कहावतें लोकोक्तियाँ हिंदी अर्थ सहित से तो भली भांति परिचित होंगे. मगर शहरों के मिनखों के लिए यह थोड़ी दुश्वारी पैदा करती हैं.
मारवाड़ी/ राजस्थानी की प्राचीन कहावतों के संग्रह से हमें मायड भाषा के बारें में कुछ अच्छा और रोचक सीखने को मिलेगा, इसी उम्मीद के साथ कि राजस्थानी कहावतें आपकों पसंद आएगी यह लेख आरम्भ करते हैं. Rajasthani Language Idioms and Phrases
Rajasthani Muhavare Kahawat lokoktiyan
अ- राजस्थानी कहावत/ मुहावरें/ लोकोक्ति
- आँख कान को च्यार आंगल को फरक हैं.
अर्थ: सत्य और झूठ में बहुत अंतर हैं.
- अणमांग्या मोती मिले, मांगी मिले न भीख
अर्थ: बिना मांगे मोती भी मिल जाते हैं और मांगने पर भीख भी नहीं मिलती.
- अभागियो टाबर त्युंहार नै रूसे
अर्थ: मनभागी सुअवसर का लाभ नहीं उठा पाता हैं.
- अनहोणी होणी नहीं, होणी होय सो होय
अर्थ: जो होना है वह होकर रहेगा.
- अंबर के थेगली कौनी लाग सके.
अर्थ: फटे आकाश को सिया नहीं जा सकता.
- अक्कल बिना ऊंट अभाणों फिरै.
अर्थ: बुद्धि के अभाव होने के कारण मुर्ख लोग साधनों का प्रयोग नही कर पाते.
- अक्कल कोई के बाप की कोनी हुवे
अर्थ: बुद्धि किसी की बपौती नहीं होती.
- अणदोखी नै दोख, बीने गति न मोख
अर्थ: जो निरपराध पर दोष लगावे, उसे गति या मोक्ष कुछ ना मिले.
- अम्मर को तारो हाथ सै कोनी टूटे.
अर्थ: आकाश का तारा हाथ से नहीं टूटता.
- अल्ला अल्ला खैर सल्ला
अर्थ: शिष्टाचार के अतिरिक्त कुछ न देना.
- अरडावतो ऊंट लदै.
अर्थ: किसी की दीन पुकार पर भी कोई ध्यान नहीं देता.
- असो भगवान्यो भोलो कोनी जको भूखो भैसां में जाय
अर्थ: भगवानिया ऐसा मुर्ख नहीं है, जो भूखा ही भैस चराने चला जाय.
- आँख मीच्यां अंधेरो होय
अर्थ: आँख मुंदने से अँधेरा हो जाता है अर्थात दुनियां के दुखों की ओर से तटस्थ हो जाना.
- आंख्या देखी परसराम, कदे न झूठी होय.
अर्थ: प्रत्यक्ष देखी हुई बात कभी झूठी नहीं हो सकती.
- आंधा में काणों राव
अर्थ: अंधों में काना राजा होता है.
- आँ तिलां में तेल कोनी.
अर्थ: इन तिलों में तेल नहीं अर्थात इस बात में कोई सार नहीं.
- आ छाछ तो ढोलवा जोगी ही थी
अर्थ: निरुपयोगी वस्तु के नाश पर खेद न होना.
- आगो थारो, पीछो म्हारो
अर्थ: आपके आगे हमारी पीठ, चाहे जो कर लीजिए.
- आज मरयो, दिन दूसरों
अर्थ: जो गया सो तो गया.
- आडू चाल्या हाट, न ताखड़ी न बाट
अर्थ: मूर्ख का काम सदैव अव्यवस्थित होता हैं.
- आडा आयो, मा को जायो
अर्थ: सहोदर भाई ही संकट के समय सहायक होता है.
- आज हमां अर काल तुमां
अर्थ: आज जो हम पर बीत रही है, वह कल तुम पर भी बीत सकती हैं.
- आपकी छोड़ पराई नं तक्कै, आवे ओसर के धक्के.
अर्थ: जो अपनी छोड़ पराई की दृष्टि रखता है उसे समय का आघात सहना पड़ता हैं.
- आपज करियो कामड़ा, दई न दीजै दोस.
अर्थ: अपने किये हुए कर्मों के लिए दैव को दोषी नही ठहराना चाहिए.
- आदै पाणी न्याव होय.
अर्थ: बेईमानी का फल कभी न कभी मिल ही जाता हैं.
- आम खाणा क पेड़ गिणना?
अर्थ: मनुष्य को अपने काम से मतलब रखना चाहिए.
- आप मरयां बिना सुरग कठे?
अर्थ: स्वयं के हाथ से काम करने पर ही काम पूरा पड़ता है.
- आप गुरूजी कातरा मारै, चेला नैं परमोद सिखावै.
अर्थ: स्वयं गुरुजी तो कातरे मारते है और शिष्यों को उपदेश देते रहते हैं.
- आ रै मेरा सम्पट पाट! मैं तनै चाटूं तू मनें चाट.
अर्थ: दो निकम्में व्यक्तियों का मिलन निरर्थक ही साबित होता हैं.
- अबैं ताणी तो बेटी बाप कै ही है.
अर्थ: अभी तक तो कुछ नहीं बिगड़ा हैं.
- ई की मा तो ई नै ही जायो.
अर्थ: इसकी माता ने तो इसे ही पैदा किया हैं अर्थात यह तो अद्वितीय हैं.
- इसा परबा का इसा ही गीत.
अर्थ: ऐसे विवाहों के तो ऐसे ही गीत होते हैं.
- उत्तर पातर, मैं मियां तू चाकर
अर्थ: उऋण होने में जो आत्म संतोष है उसके सम्बन्ध में गर्वोक्ति हैं.
- उठे का मुरदा उठे बलेगा, अठे का अठे.
अर्थ: एक स्थान की कोई वस्तु किसी अन्य स्थान पर काम नहीं दे सकती.
- ऊंटा रे के सींग होय हैं.
अर्थ: मूर्खों के सींग नहीं होते है, वैसे वे पशु ही हैं.
- ऊंखली में माथो दे जको धमका सूं काई डरें
अर्थ: जिसको कठिन से कठिन काम करना है, विघ्नों से उसे डरने की आवश्यकता नहीं हैं.
- उल्टो पाणी चीला चढ़े
अर्थ: जहाँ अनहोनी होती हो, वहां इस उक्ति का प्रयोग किया जाता हैं.
- एक घर तो डाकण ही टाले
अर्थ: बुरे से बुरे व्यक्ति को भी कहीं न कहीं लिहाज रखना पड़ता हैं.
- एक करोट की रोटी बळ जावैं
अर्थ: रोटी यदि एक ओर ही रखी रहे तो जलने लगती हैं, इसलिए जीवन में नवीनता आवश्कता हैं.
- एक हाथ में घोड़ो, एक हाथ में गधो
अर्थ: भलाई बुराई दोनों मनुष्य के साथ हैं.
- एक ना सौ दुःख हरै
अर्थ: एक नहीं कह देने से सौ कष्ट दूर हो जाते हैं.
- ओछा की प्रीत कटारी को मरबो
अर्थ: ओछे मनुष्य की प्रीति और कटारी से मरना दोनों समान होते हैं.
- इण बाई रे घर घणा
अर्थ: योग्य व्यक्ति का सर्वत्र ही आदर होता है.
- ओ ही काळ को पड़बो, ओ ही बाप को मरबो
अर्थ: कई बार विपत्तियाँ एक साथ आती हैं.
- और सब सांग आ ज्याये, बोरे वालों सांग कोन्या आवै
अर्थ: निर्धन बोहरे का स्वाँग नहीं भर सकता.
- औसर चुक्या नै मोसर नहीं मिले
अर्थ: गया हुआ अवसर दुबारा हाथ नहीं आता.
क- राजस्थानी मुहावरे कहावतें लोकोक्तियाँ
- कंगाल छैल गाँव नै भारी पड़े.
अर्थ: गरीब शौकीन गाँव के लिए भार स्वरूप होता है.
- कबूतर ने कुवो ही सूझै.
अर्थ: गरीब अपनी रक्षार्थ शरणदाता के पास ही जाता है.
- कमजोर को हिमायती हारैं
अर्थ: कमजोर का पक्ष लेने वाला हार जाता है.
- कनफड़ा दोन्यू दीन बिगाड़या
अर्थ: निकृष्ट साधु दोनों दीन से ही गये.
- कमाऊ पूत आवे डरतो, निखट्टू आवै लड़तों
अर्थ: कमाने वाला डरता हुआ आता है और निकम्मा लड़ता हुआ.
- कमेड़ी बाज नै कोनी जीत सकै
अर्थ: निर्बल सबल को नहीं जीत सकता.
- हाक मारया कसो कूवो खुदै है,
अर्थ: केवल चिल्लाने से काम नहीं होता, काम तो करने से ही हो सकता है.
- कलह कलासै तो पणेरे को पाणी नासै
अर्थ: गृह कलह के कारण तो परिन्डे का पानी भी नष्ट हो जाता हैं.
- कागलां कै काछ्डा होता तो उड़ता कै ना दीखता
अर्थ: गुण यदि मनुष्य में हो तो साफ़ दिखाई देते हैं.
- कांदे रा छीलका हैं, उचींदै जितणी ई बास आवै
अर्थ: बुराई की जितनी तह में जाएगें, उतनी ही अधिक बुराई आएगी.
- काम अर लाम को बैर है.
अर्थ: शीघ्रता करने से काम बिगड़ सकता हैं.
- काणती भेड़ को रयानो ही न्यारो
अर्थ: विशिष्ट पुरुषों में स्थान न मिलने के कारण निकृष्ट अपना संगठन अलग कर लेते हैं.
राजस्थानी मुहावरे
- काटर कै हेज घणो
अर्थ: दूध न देने वाली गाय, अपने बछड़े से अधिक प्रेम दिखाती हैं.
- कुत्ती क्यूँ घसै है, कै टुकड़े खातर
अर्थ: ओछे आदमी की जरूरत भी उसके अनुरूप ही होती हैं.
- किसाक बाजा बाजैं, किसाक रंग लागैं
अर्थ: कैसे बाजे बजते है, कैसे रंग खिलते हैं अर्थात भविष्य अनिश्चित हैं.
- काम की मा उरैसी, पूत की मा परैसी
अर्थ: काम करने वाला सदा अच्छा लगता है, नही काम करने पर सुंदर और प्रिय भी अच्छा नहीं लगता.
- काला कनै बैठ्या काट लागैं
अर्थ: दुर्जन का संग करने से कलंकित होना पड़ता हैं.
- कुवै में पडकर सूको भी नीकले ना
अर्थ: कार्य के अनुरूप ही फल मिलता है.
- मियां री धौड मस्जिद ताई
अर्थ: व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र से आगे नहीं निकल पाता
- कोड़ी कोड़ी करता भी लंक लाग जावै
अर्थ: थोडा थोडा करके भी धन की बड़ी राशि खर्च हो जाती हैं.
- के बेरो ऊंट कै करोट बैठे?
अर्थ: भविष्य की असंदिग्धता पर अर्थात क्या पता ऊंट किस करवट बैठता हैं.
ख- मुहावरे /कहावतें /लोकोक्तियाँ
- खल गुड़ एकै भाव
अर्थ: न्याय अन्याय एवं अच्छे बुरे का कोई विचार नहीं किया जाता.
- खर घूघू मूरख नर सदा सुखी प्रिथीराज
अर्थ: गधा उल्लू और मूर्ख मनुष्य सदा सुखी रहते हैं क्योंकि उन्हें किसी प्रकार के गलत सही की चिंता नहीं सताती.
- क्यूँ अंधो न्युतै, क्यों दो ने बुलावैं
अर्थ: ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे व्यर्थ का झंझट बढ़े कि अंधे व्यक्ति को न्यौता देने पर एक व्यक्ति साथ आता हैं.
- खावै पुणू, जीनै दुणू
अर्थ: जो पूरा पेट न भरकर चतुर्थाश खाली रखता है अर्थात कम खाता है उसकी आय दुगुनी हो जाती हैं.
- हिंदी के मुहावरे कहावतें अंग्रेजी में
- राजस्थानी मारवाड़ी शायरी कोट्स जोक्स स्टेटस
- राजस्थानी दोहे
- राजस्थानी लोक नाट्य
- राजस्थानी कविता
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