साक्षरता अभियान पर निबंध Saksharta Abhiyan Essay In Hindi

यदि आप साक्षरता अभियान पर निबंध Saksharta Abhiyan Essay In Hindi खोज रहे है तो सही जगह पर हैं. यहाँ हम साक्षरता के अभियान पर एक निबंध हिंदी में यहाँ साझा कर रहे हैं.

जीवन में साक्षरता का महत्वपूर्ण स्थान हैं. आज के समय के व्यक्ति को न सिर्फ नौकरी या रोजगार के लिए भी शिक्षा की आवश्यकता होती हैं बल्कि जीवन के निर्वाह के लिए भी शिक्षा जरुरी हैं. साक्षरता अभियान के लिए निबंध यहाँ पढ़े.

Saksharta Abhiyan Essay In Hindi

साक्षरता अभियान पर निबंध Saksharta Abhiyan Essay In Hindi

साक्षरता का अर्थ होता है शिक्षा की प्राप्ति. बिना शिक्षा के जीवन अन्धकार के समान हो जाता हैं. जबकि एक शिक्षित व्यक्ति का जीवन ज्ञान के उजाले से हमेशा प्रकाशवान रहता हैं. वह न केवल अपने जीवन में तमाम सुख पा सकता हैं बल्कि औरों के जीवन में भी खुशियाँ व आनन्द ला सकता हैं.

भारत में प्रत्येक नागरिक को बेसिक शिक्षा का मौलिक अधिकार दिया गया हैं. साक्षरता के इस अभियान से वे जुड़कर अपने जीवन के सारे सपने साकार कर सफल इंसान बन सकता हैं.

जीवन के किसी भी क्षेत्र में मुकाम पाने के लिए जितनी जरूरत मेहनत की होती हैं उतनी ही आवश्यकता ज्ञान की भी हैं. यही वजह है कि जीवन में साक्षरता के महत्व को देखते हुए जन जन तक साक्षरता अभियान के जरिये सबकी शिक्षा तक पंहुच सुलभ की जाती हैं.

साक्षरता के इस अभियान की शुरुआत 1966 में यूनेस्को द्वारा शुरू की गई, हर साल 8 सितम्बर को विश्व साक्षरता दिवस मनाना इसी अभियान का हिस्सा हैं.

विश्व का प्रत्येक नागरिक अच्छी एवं गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्राप्त करे तथा अपने पैरों पर खड़ा हो सके व कोई भी इस मिशन से न छुट जाए इस हेतु साक्षरता आन्दोलन सभी देशों में जोरों से आगे बढ़ाया जा रहा हैं.

हालांकि यूनेस्कों के साक्षरता अभियान अपने उद्देश्यों में सफल नहीं हो पाया हैं. मिशन के लक्ष्यों में प्रमुखता से इस बात पर ध्यान दिया गया कि वर्ष 1990 तक दुनियां के हर इंसान तक शिक्षा उनके द्वार पहुच सके.

मगर यदि हम भारत की बात करे तो यहाँ कि पुरुष साक्षरता 74 प्रतिशत तथा महिला साक्षरता बिहार तथा राजस्थान जैसे राज्यों में 50 फीसदी तक ही हैं.

साक्षरता अभियान के शुरुआती चरणों में उन देशों को चुना गया जहाँ का अधिकतर वर्ग शिक्षा से अछूता रहा हैं.  कई  वर्षों  तक उपनिवेशवाद का शिकार रहे तीसरी दुनियां के देश प्रमुखतया थे जिनमें भारत भी एक था.

1995 के दौर में शुरू हुए आंदोलन के जरिये भारत में शिक्षा का खूब प्रसार प्रचार हुआ. सरकार तथा यूनेस्कों के सहयोग से सर्व शिक्षा अभियान प्रौढ़ शिक्षा अभियान , मिड डे मील योजना और राजीव गांधी साक्षरता मिशन मुख्य योजनाएं थी.

साक्षरता अभियान बड़े जोर से दशकों तक चला, जिसका असर आज भी देखा जा रहा हैं. गाँवों के गरीब परिवारों के बच्चें भी आज शहरों में जाकर उच्च शिक्षा तथा तकनीक शिक्षा प्राप्त कर नयें प्रतिमानों को स्थापित कर रहे हैं.

खासकर बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों से शिक्षा का केंद्र बेटी व महिला शक्ति को बनाकर समाज में शिक्षा क्रांति तेजी से आगे बढ़ रही हैं.

भारत सरकार अपने हर मुमकिन प्रयास किये जा रहे हैं. नित्य स्कूल न जा सकने वालों के लिए अनौपचारिक शिक्षा व ओपन स्कूल खुले हैं जबकि 6 से 14 वर्षों के बालक बालिकाओं को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा दी जा रही हैं.

15 से 35 वर्ष की आयु के लोग जो पूर्व में साक्षर नहीं हो पाए तथा शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं वे प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के द्वारा शिक्षा पा सकते हैं.

साक्षरता (Saksharta) का अर्थ चंद किताबी ज्ञान नहीं हैं बल्कि व्यक्ति को सही गलत उनके अधिकारों कर्तव्यों अपने इतिहास भूगोल की सामान्य जानकारी हैं. गरीबी , लिंग अनुपात सुधारने , भ्रष्टाचार और आतंकवाद जैसी समस्याओं का मूल कारण ही साक्षरता का अभाव हैं.

भारत की साक्षरता दर में सुधार के साथ ही विकास के उच्च लक्ष्यों की प्राप्ति तथा सामाजिक समस्याओं की समाप्ति भी साक्षरता के प्रचार से ही संभव हैं.

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