शकुन्तला देवी की जीवनी | Shakuntala Devi Biography In Hindi

शकुन्तला देवी की जीवनी Shakuntala Devi Biography In Hindi : शकुन्तला देवी उस विदुषी महिला का नाम था, जिन्होंने सारे मिथक तोड़ डाले, कहा जाता है बालिकाओं का हाथ गणित में तंग होता है, तथा प्रतिभावान लोग केवल सम्पन्न परिवारों में ही जन्म लेते है.

इन सारी बातों को शकुन्तला देवी ने झूठा साबित किया है. एक बेहद गरीब कन्नड़ परिवार में जन्मी शकुन्तला देवी के परिवार की हालत इतनी खस्ता थी.

२ रूपये प्रति माह फीस ना चुका पाने के कारण इन्हें तीन माह बाद ही विद्यालय से निकाल दिया गया, इन्ही शकुन्तला देवी को बाद में दुनियां ने मानव कंप्यूटर की संज्ञा दी.

शकुन्तला देवी की जीवनी | Shakuntala Devi Biography In Hindi

शकुन्तला देवी की जीवनी | Shakuntala Devi Biography In Hindi

एक ६ वर्षीय बालिका जिन्होंने मैसूर युनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में देश के नामी गणितज्ञों को हैरत में डाल दिया, जब इन्होने बिना पेन कागज की मदद लिए 201 अंको की संख्या का २३ वां वर्गमूल तथा13 अंको वाली २ संख्याओं का गुणनफल 26 सैकंड में निकाल कर सभी को चंकित कर दिया.

जिसका जीवन घोर अभावों में बीता, उनका गणित के सम्बन्ध में मानना था कि “मैं अपनी क्षमता तो लोगों को अंतरित नहीं कर सकती लेकिन एक संख्यात्मक रुझान तेज़ी से विकसित कर लेने में मैं जनसामान्य की मदद ज़रूर कर सकती हूँ।

बड़ी संख्या है ऐसे लोगों की जिनकी तर्क शक्ति का दोहन नहीं किया जा सका है” शकुन्तला देवी एक गणित विश्वविद्यालय एवं शोध संस्थान खोलना चाहती थी, जहाँ गणित में रूचि रखने वाले बच्चें अभिनव तरीको से इस विषय के कठिन सवालों तथा पहेलियों को हल कर सके.

मानव कम्प्यूटर शकुंतला देवी जीवन परिचय

नामशकुंतला देवी
विख्यात नाममानव कंप्यूटर
जन्म4 नवंबर 1929
मृत्यु21 अप्रैल 2013
आयु85
जन्म स्थानबेंगलुरु कर्नाटका
नागरिकताभारतीय
जाति (Caste)कन्नड़ ब्राह्मण
कामलेखिका एवं गणितज्ञ
पति का नामपरितोष बनर्जी
बेटी का नामअनुपमा बेनर्जी
रिकॉर्डगिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स
शिक्षाअनियमित

शकुन्तला देवी बायोग्राफी इन हिंदी

शकुन्तला देवी का जन्म ४ नवम्बर १९२९ को कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु महानगर में एक रुढ़िवादी कन्नड़ परिवार में हुआ था. ६ वर्ष में मैसूर युनिवर्सिटी के एक सम्मेलन में इन्होने अपनी गणन दक्षता का प्रदर्शन किया.

इन्हें पिछली सदी की किसी भी तारीख का दिन क्षण भर में बताने की योग्यता प्राप्त थी. १९८२ में इनका नाम गिनीजबुक में भी शामिल किया गया. इनकी इसी विशेषताओं ने लोगों को इन्हें मानव कंप्यूटर कहने को विवश कर दिया.

बहुत कठिन और जटिल गणितीय गणनाएं ये बहुत आसानी से हल कर डालती थी. इनकी रचित पुस्तकें सन विद नम्बर्स, एस्ट्रोलॉजी फॉर यूँ, पजल्स टू पजल्स यूँ, मैंथबलीट विश्वविख्यात है.

इन्होने इस मिथक को तोड़ दिया कि लड़कियों का हाथ गणित में तंग होता है. 4 नवम्बर 2013 को गूगल ने इनके सम्मान में इन्हें गूगल डूडल समर्पित किया. मानव कंप्यूटर की संज्ञा से अभिहित इस प्रसिद्ध वैज्ञानिक का बंगलुरु में २१ अप्रैल २०१३ को निधन हो गया.

शकुंतला देवी जी जन्म, परिवार एवं प्रारंभिक जीवन [Shakuntala Devi Birth, Family, Initial Life]

एक कन्नड़ रुढ़िवादी ब्राह्मण परिवार में जन्मी शंकुतला देवी के जीवन पर परिवार और माता पिता की सोच और नजरिये का बड़ा दवाब था. इनके पिताजी एक सर्कस में आर्टिस्ट थे, इनकी रूचि भी अपने पिता के कार्ड के खेलों में अधिक थी.

इनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, जिसका सीधा असर शंकुतला की आरम्भिक शिक्षा पर पड़ा, पढ़ने के लिए इनका दाखिला एक कान्वेंट विद्यालय में करवा दिया, मगर फीस वहन न कर पाने की स्थिति में उन्हें विद्यालय से बाहर कर दिया गया.

प्राथमिक शिक्षा न हासिल कर पाने के बावजूद खुले जेहन की शंकुतला गणित की गणनाओं में बेहद तीव्र थी, वह चुटकियों में बड़ी से बड़ी गणितीय पहेली और गणना को कर देती थी. जब वह तीन साल की थी तभी इनके पिताजी ने अद्भुत गणितीय प्रतिभा की पहचान कर ली.

जब शंकुतला के पिताजी सर्कस में कार्ड के साथ अपने खेल दिखाते तो वह भी उनके साथ जाती और वह सभी तरह के कार्ड के नम्बर को सही तरीके से याद कर उनकी सटीक गणना भी कर देती थी.

जब शंकुतला देवी पांच वर्ष की हुई उम्र के साथ साथ उसकी गणितीय प्रतिभा अधिक निखरती गई और अब यह गणित के जटिल अवधारणा वाले घनमूल को बिना कॉपी पेन की मदद से निकाल लिया करती थी. पिता ने बेटी की इस प्रतिभा को जाना और बड़े बड़े शो में उन्हें साथ ले जाने लगे.

जीवन का टर्निंग पॉइंट

मुश्किल से शंकुतला 13-14 साल की थी, वह नियमित रूप से अपने पिताजी के साथ सर्कस के कार्यक्रमों में अपनी कला कौशल का प्रदर्शन कर रही थी. ऐसे ही एक कार्यक्रम में वह मैसूर विश्वविद्यालय में अपनी प्रतिभा को मंच पर दिखा रही थी, तभी उन पर एक प्रोफेसर की नजर पड़ी, उन्होंने छोटी बच्ची की अद्भुत प्रतिभा को पहचाना और वर्ष 1944 में उनके पिता के साथ इन्हें लंदन भेजा.

विदेशों में शंकुतला देवी

शंकुतला की पहली विदेश यात्रा ब्रिटेन की थी, इसके बाद वह 1950 में पूरे यूरोप की यात्रा पर निकली और हर बड़े शहर में इन्होने अपनी कला का प्रदर्शन किया. वर्ष 1976 में ये अमेरिका पहुची और न्यूयार्क शहर में भी अपनी प्रतिभा का कौशल दिखाया.

वर्ष 1988 में जब ये अमेरिका के एक शहर से दूसरे शहर के आयोजनों में मंच पर टैलेंट को दिखाती तभी एक मनोवैज्ञानिक जेनसन उनको काफी करीबी से समझने का प्रयास करते हैं. वे देखते हैं कि गणित की बड़ी बड़ी संक्रियाएं घनमूल वर्गमूल की कैलकुलेशन वह नोट करने से पूर्व ही शोल्व किये जा रही थी.

जेनसन शंकुतला से बेहद प्रभावित हुए उन्होंने इनके बारे में 1990 में इंटेलीजेंस नामक शैक्षणिक पत्रिका में पूरा लेख छापा. इस तरह अलग अलग समय इनकी बुद्धिमता के कई परख भी लिए गये. जिनका विवरण इस प्रकार हैं.

  1. 1977 में साउथ मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में शंकुतला देवी का एक टेस्ट रखा गया, जिसमें गणित के कठिन से कठिन सवाल रखे गये. उन्होंने सभी सवालों के जवाब महज 50 सैकंड में देकर सभी को अच्भित कर दिया.
  2. शंकुतला के जवाबों की पुष्टि के लिए यूनीवैक 1101 कंप्यूटर में स्पेशल प्रोग्रामिंग की गई.
  3. 18 जून 1980 को लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में इनको एक सवाल दिया गया, जो यह था कि तेरह अंको के दो नम्बरों को आपस में गुना करने पर क्या जवाब होगा, शंकुतला ने महज 28 सैकंड में जवाब देकर अपनी प्रतिभा का लौहा मनवा लिया.
  4. एक अंग्रेजी लेखक स्टीवन स्मिथ इनके बारे में लिखते हैं कि इस तरह गणनाओं का जवाब दिया गया, मेरे लिए यह अनुभव अभूतपूर्व था, ऐसी अविश्वसनीय प्रतिभा शंकुतला देवी के सिवाय किसी और में नहीं देखी गई.
  5. शंकुतला की बौद्धिक प्रतिभा के सम्मान में 1982 में उनका नाम “गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया.

मानव कम्प्यूटर शकुंतला देवी का निधन

मानव कम्प्यूटर’ के नाम से विख्यात गणितज्ञ एवं ज्योतिषी शकुंतला देवी की मृत्यु २१ अप्रैल २०१३ को एक लम्बी बीमारी के चलते हो गई, उस समय ये ८३ वर्ष की थी.

शकुन्तला देवी के सन्तान के रूप में एक पुत्री है. गुर्दो के ठीक से काम न करने और सांस लेने में दिक्कतों के कारण 15 दिन बेंगलूर के निजी अस्पताल में बीमार रहने के बाद रविवार को इन्होने अंतिम सांस ली.

अवार्ड्स एवं सम्मान

  • 1970 में फिलिपिंस यूनिवर्सिटी ने शंकुतला देवी को वर्ष की सबसे प्रतिष्ठित महिला का पदक दिया.
  • 1988 में शकुंतला देवी जी को रामानुज मैथमेटिकल जीनियस अवार्ड से नवाजा गया.
  • बीबीसी न्यूज ने शंकुतला को मानव संगणक अर्थात ह्यूमन कंप्यूटर की संज्ञा दी.
  • साल 2013 में इन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट से नवाजा गया.
  • 4 नवम्बर 2014 को गूगल ने इनके 84 वें जन्मदिवस पर डूडल समर्पित किया.
  • हाल ही में शंकुतला देवी की जीवनी पर फिल्म भी बनाई गई हैं, जिनमें अभिनेत्री विद्या बालन ने इनकी भूमिका निभाई.

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आशा करता हूँ फ्रेड्स शकुन्तला देवी की जीवनी Shakuntala Devi Biography In Hindi का यह लेख आपकों अच्छा लगा होगा,

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