बया पर निबंध | Short Essay On Tailor Bird In Hindi

Short Essay On Tailor Bird In Hindi: नमस्कार दोस्तों आज हम बया पर निबंध जानेगे. कारीगरी की कला में इन्सान को माहिर माना जाता हैं, मगर बया पक्षी के घौसलें बुनने की कला से इन्सान भी चकित रह जाता हैं,

गौरेया जैसी दिखने वाली इस चिड़िया का परिचय हम आज जानेंगे. बया (weaver bird) भाषण, स्पीच, अनुच्छेद, लेख आर्टिकल में हम इसके इतिहास, रंग रूप, घौसले, जीवन शैली को करीब से समझने का प्रयास करेंगे.

Short Essay On Tailor Bird In Hindi

Short Essay On Tailor Bird In Hindi

400 शब्द

बया को बुनकर चिड़ियाँ कहा जाता है वो इसलिए क्योंकि अपने घौसलें का निर्माण ऐसे ताने बाने से करती है जिसे देखकर कोई भी सोच में पड़ जाए. नन्ही सी यह चिड़ियाँ अपनी मेहनत के दम पर ऐसा सुंदर नीड़ बनाती है जिसकें जैसा कोई सुंदर घर नहीं होता हैं.

कुछ दशक पूर्व तक इसे खेतों, नदियों के किनारे पेड़ों पर लटकते लालटेन से झुलेदार घौसले के पास देखा जाता था, मगर अब निरंतर इसकी संख्या घटती जा रही हैं.

आपकों जानकर हैरत होगी, कि बया अपने घौसलें में रात को रोशनी एवं नन्हें बच्चों के लिए झूले का प्रबंध भी कर लेती हैं. अपना घौसला बनाने के लिए नदी की गीली मिट्टी को घास फूस के तिनकों पर डालकर उस पर जुगुनू चिपका देती है जिससे उसका घौसला अँधेरे में भी रोशन रहता हैं.

अधिकतर पक्षी दो शाखाओं के मध्य उनके सहारे घौसले का निर्माण करती हैं जबकि बया अपना घौसला किसी लटकती टहनी पर झूलता हुआ ही बनाती है इससे वह शिकारी पक्षियों से न केवल अपने बच्चों को बचा पाती हैं बल्कि उन्हें झूला झूलाने का आनन्द भी दिलाती हैं.

बया का घौसला नर पक्षी द्वारा ही निर्मित होता है वह दिन रात मेहनत करके मनुष्य की भांति अपना बसेरा तैयार करता हैं, फिर वह अपनी आवाज से मादा बया को आकर्षित करता हैं.

इस तरह वह जब अपना जीवनसाथी पा लेता है तो दोनों नर मादा साथ साथ रहने लगते हैं. बया घास फूस या कचरे के ढेर से अपना घौसला नहीं बनाती है वरन वह मजबूत किस्म के खरपतवार को अपनी चोंच से काटकर लाती है तथा अपना घर बनाती हैं.

कई बार बया किसान की शत्रु बन जाती हैं, जब पकी फसल पर यह अपने कुटुंब समेत धावा बोलती हैं. यह धान के अलावा कीट, तितली, सीप, घोघा और छोटे मेढक को अपना शिकार बनाती हैं.

यह ची ची की आवाज में मधुर कलरव करती हैं. एक पेड़ पर इनके 20-30 घोसलें देखे जा सकते हैं. प्रमुख रूप से यह भारतीय उपमहाद्वीप एवं दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में पाई जाती हैं.

नर बया द्वारा निर्मित घौसला तकरीबन 30 दिनों की अवधी में पूर्ण होता है इसके निर्माण के लिए उसे 400-500 बार घास फूस के तिनके लाने होते हैं. इतनी उड़ान भरने के बाद अपना घर बना पाता हैं.

जब कभी ये अपना घौसला छोड़ देते है तो अन्य पक्षी यथा कोयल, गौरेया इसका उपयोग करने लगते हैं. अपने हेंगिग नेस्ट में मादा बया दो से चार सफेद अंडे एक बार में देती है जिसे 15 दिनों तक सेका जाता हैं.

जब बच्चें अंडे से बाहर आ जाते है तो 16-18 दिन तक उन्हें चुग्गा दिया जाता है जिसके पश्चात वे उड़ जाते है तथा बया उस घौसलें को भी छोड़ देती हैं.

500 शब्द

बया एक प्रकार का पक्षी होता है। अंग्रेजी भाषा में बया पक्षी को Weaver Bird कहा जाता है। यह पक्षी अधिक मात्रा में अफ्रीका और एशिया जैसे महाद्वीप में पाया जाता है और खास तौर पर यह जंगलों या फिर खेतों में ही रहना पसंद करते हैं। 

बया पक्षी की कई प्रजातियां होती हैं और इनकी हर प्रजाति का रंग अलग अलग होता है। जो बया पक्षी नर होते हैं वह पीले रंग के तथा काले रंग के होते हैं और मादा बया पक्षी भूरे रंग की होती हैं। हालांकि कुछ मादा बया पक्षी नारंगी रंग की भी होती हैं। इनका आकार 5 से लेकर के 10 इंच के आसपास में होता है।

बया पक्षी के द्वारा बहुत ही कोमल और सुंदर घोंसला बनाया जाता है जो अक्सर पेड़ से लटकते हुए रहते हैं। नर बया पक्षी के द्वारा घोसले का निर्माण किया जाता है और घोंसला बनाकर के नर बया पक्षी मादा बया पक्षी को रिझाने का काम करता है।

कभी-कभी मादा बया पक्षी के द्वारा बनाए गए घोसले का निरीक्षण भी किया जाता है क्योंकि मादा बया पक्षी घोसले को देख कर के ही नर बया पक्षी के पास आती है।

इस पक्षी की खासियत यह होती है कि यह बरसात होने से पहले ही उसका पूर्वानुमान लगा लेते हैं। जब बरसात का मौसम आता है तो बरसात का मौसम आने से पहले ही इन पक्षी के द्वारा अपना घोंसला बना करके तैयार कर लिया जाता है। सामान्य तौर पर यह खेतों के आसपास जो पेड़ हैं उन्हीं पर अपना घोंसला बनाना पसंद करते हैं।

इस पक्षी के द्वारा हर बार अपना नया घोंसला बनाया जाता है परंतु खासियत यह होती है कि यह हर बार एक ही पेड़ पर अपना घोंसला बनाना पसंद करते हैं। इसलिए जब एक ही पेड़ पर अधिक घोंसले हो जाते हैं तो घोसले बया पक्षी की कॉलोनी की तरह दिखाई देने लगते हैं।बया पक्षी के द्वारा अपने घोसले का निर्माण घास, पत्ती और छोटी टहनियों के द्वारा किया जाता है।

बया पक्षी खेतों के आसपास अधिकतर रहना इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि इन्हें वहां पर आसानी से अनाज मिल जाता है। अधिकतर यह झुंड में ही रहना पसंद करते हैं। इनका घोंसला जहां पर जल स्त्रोत होता है वहां से बिल्कुल पास में ही होता है।

इसके अलावा नदी के किनारे जो पेड़ होते हैं वहां पर भी यह अपना घोंसला बनाते हैं। इनके द्वारा निर्मित घोसले इतने अधिक मजबूत होते हैं कि तेज आंधी में भी यह पेड़ की टहनी से नीचे नहीं गिरते हैं, बल्कि घोंसले अपनी पकड़ लगातार पेड़ के साथ बनाए रखते हैं।

बया पक्षी के द्वारा अधिकतर कांटेदार पेड़ पर ही अपना घोंसला बना जाता है ताकि वह अपने घोसले को शिकारी जानवरों से बचा सके। सामान्य तौर पर यह बबूल के पेड़ पर अपना घोंसला बनाते हैं।

इन्हें किसानों का दुश्मन भी कहा जाता है क्योंकि यह किसानों के खेत की फसल से बीज चुराकर के खाते हैं जिससे पक्की हुई फसल खराब हो जाती है। मुख्य तौर पर बया पक्षी अनाज का सेवन करते हैं। इसके अलावा यह छोटे-मोटे कीड़े मकोड़े भी खाते हैं। यह ची ची की आवाज निकालते हैं।

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