श्रेयस अय्यर का जीवन परिचय Shreyas Iyer Biography in Hindi

श्रेयस अय्यर का जीवन परिचय Shreyas Iyer Biography in Hindi श्रेयस अय्यर एक भारतीय क्रिकेटर है जो कि भारत के तरफ से इंटरनेशनल एकदिवसीय और इंटरनेशनल t20 क्रिकेट में खेलते नजर आते हैं,

हाल ही में वह टेस्ट क्रिकेट में भी पदार्पण कर चुके हैं। श्रेयस एक बहुत ही बेहतरीन बल्लेबाज और एक ऑफब्रेक गेंदबाज हैं।

श्रेयस अय्यर कई मैच में शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत को अपने दम पर कई मैच जिता चुके हैं।  

श्रेयस अय्यर का जीवन परिचय Shreyas Iyer Biography in Hindi

श्रेयस अय्यर का जीवन परिचय Shreyas Iyer Biography in Hindi

तो अगर आप इनके बारे में जानने के इच्छुक हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ते रखिएगा क्योंकि आज इस लेख के माध्यम से हम आपको उनके बारे में पूरी जानकारी देंगे जैसे श्रेयस अय्यर का पूरा नाम क्या है? उनके माता-पिता का नाम क्या है? इनका जन्म कब और कहां हुआ था।

साथ-साथ हम आपको यह भी बताएंगे कि यह आईपीएल में कौन सी टीम से खेलते हैं और भारत में डोमेस्टिक क्रिकेट में किस टीम से खेलते हैं। 

बायोग्राफी

नामश्रेयस संतोष अय्यर
माता का नामरोहिणी अय्यर
पिता का नामसंतोष अय्यर
जन्म स्थानमुंबई
जन्मदिन6 दिसंबर 1994
आयु27 वर्ष 
पेशाक्रिकेटर
शिक्षाग्रेजुएट
धर्महिंदू
राष्ट्रीयताभारतीय

परिवार 

श्रेयस अय्यर का जन्म 6 दिसंबर 1994 को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में हुआ था। इनके पिता का नाम संतोष नायर और इनकी माता का नाम रोहिणी अय्यर है। 

बेहद कम उम्र में ही इन्होंने क्रिकेट को अपना करियर बनाने की सोची, उनके इस फैसले में अगर कोई सबसे ज्यादा मददगार साबित हुआ है तो वह है इनके पिता संतोष अय्यर जी जो कि एक बिजनेसमैन है।

जो अपने बिजनेस के कामों से थोड़ा बहुत समय निकालकर श्रेयस को क्रिकेट के लिए प्रोत्साहित करते और इन्हें प्रैक्टिस भी करवाते।  श्रेयस बचपन से ही खेल में तेज थे वह शुरू से ही क्रिकेट और बैडमिंटन के साथ-साथ फुटबॉल भी बहुत ही अच्छा खेल लेते थे 

लेकिन उनकी रुचि क्रिकेट में थी, जिसके लिए उनके पिता ने उन्हें क्रिकेट में अपना करियर बनाने के लिए कहा तो इस बात से सहमत होकर उन्होंने अपना करियर क्रिकेट में बनाया।

श्रेयस की माता भी उनके क्रिकेट करियर के खिलाफ नहीं थी, बल्कि वह इनका सपोर्ट करती थी और जब श्रेयस को लगता कि अब वह आगे नहीं जा पाएंगे तो वह स्वयं उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा देती रहती थी। अय्यर ने जहां क्रिकेट को अपना कैरियर चुना लेकिन उनकी बहन श्रेष्ठा अय्यर साइकोलॉजी में अपना करियर बना रही है। 

श्रेयस अय्यर का बचपन 

बता दें श्रेयस बचपन से ही खेलों में माहिर थे और ज्यादातर वह क्रिकेट खेलना पसंद करते थे और क्रिकेट में भी वह बैटिंग बहुत ही अच्छी करते थे। श्रेयस जब 4 साल के थे तो उनके पिता उनको बॉलिंग किया करते थे और श्रेयस बैटिंग करते थे। 

अय्यर के पिता ने उसी समय पहचान लिया कि श्रेयस अगर एक बहुत ही अच्छे बैट्समैन निकलेंगे। वह अपने मोहल्ले में भी अपनी बैटिंग से लोगों को प्रभावित करते थे।

बता दें एक घरेलू मैच में उन्होंने मात्र 46 गेंदों में ही शतक जड़ दिया। इनके इस प्रदर्शन से उन्हें घरेलू क्रिकेट में बहुत ही जल्द पहचान मिल गई। 

हालांकि अय्यर ने गली क्रिकेट में भी हाथ आजमाया। लेकिन वहां पर उनसे बहुत बड़े बड़े लड़के खेलते थे जिसकी वजह से श्रेयस अय्यर को खेलने का मौका नहीं मिला।

जो उनसे सीनियर खिलाड़ी थे वह उन्हें बच्चा बच्चा बोल कर बाहर कर देते थे। इस तरह अय्यर टीम में तो थे लेकिन उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिल पाई।

अय्यर क्रिकेट के साथ-साथ फुटबॉल खेलने में भी माहिर थे जिसकी वजह से उनके लिए इन दोनों खेलों में से किसी एक खेल को चुनना मुश्किल था। पर इसमें उनकी मदद उनके पिता ने की।

उनके पिता ने कहा कि नहीं तुम फुटबॉल से ज्यादा बेहतर क्रिकेट खेलते हो इसलिए तुम क्रिकेट पर ही अपना ध्यान दो और क्रिकेट को ही अपने करियर के रूप में चुनो। 

अपने पिता की बात से सहमत होते हुए अय्यर ने भी क्रिकेट को ही अपना करियर चुना। श्रेयस अय्यर के पिता जब 11 साल की उम्र में इंडियन जिमखाना टीम की तरफ से क्रिकेट खेलने के लिए गए तो इन्हें यह कह कर वापस घर भेज दिया कि अभी यह बहुत छोटे हैं। लेकिन फिर भी  11 साल में उन्हें उनके पिता ने एक क्रिकेट क्लब में क्रिकेट सीखने के लिए डाल दिया। 

जब श्रेयस 12 वर्ष के थे तो उनको उनके कोच प्रवीण आमरे के द्वारा सही दिशा दिखाई गई और शिवाजी जिमखाना में उन्हें खेलने का मौका दिया गया। शिवाजी जिमखाना की तरफ से अय्यर ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और उन्हें उस टीम में हमेशा के लिए जगह मिल गई। 

पढ़ाई का क्रिकेट करियर

ऐसी बात नहीं थी कि श्रेयस सिर्फ खेलकूद में अच्छे थे बल्कि यह खेलकूद के साथ-साथ पढ़ाई लिखाई में भी तेज थे। लेकिन जिस स्कूल में वह पढ़ाई किया करते थे उस स्कूल में खेल को उतना महत्व नहीं दिया था।

इसलिए इनके पिता ने एक ऐसे स्कूल में उनका एडमिशन करवाया जहां खेलकूद के साथ साथ पढ़ाई भी श्रेयस कर पाए। उस दौरान श्रेयस अय्यर के कोच ने डॉन बॉस्को स्कूल का नाम सुझाया जो कि उस समय एक बहुत ही बढ़िया स्कूल था। उस स्कूल में बच्चों को नंबर वन पढ़ाई दी जाती थी और पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को खेलकूद के बारे में भी सिखाया जाता था। 

अय्यर ने अपने कॉलेज लाइफ में भी कई तरह के अवार्ड जीते हैं जैसे कि उन्हें अपने कॉलेज की तरफ से बेहतरीन बल्लेबाजी करने के लिए उन्हें दो बार बेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर का अवार्ड दिया गया है साथ में उन्हें दो बार बेस्ट बैट्समैन का अवार्ड भी दिया गया है।

उनके इस बेहतरीन प्रदर्शन के कारण उन्हें अपने कॉलेज की टीम में जगह भी मिली और उनको अपनी कॉलेज की टीम की कप्तान भी सौंपी गई। 

श्रेयस का बुरा समय और संघर्ष 

दोस्तों आपको तो पता ही होगा कि हर इंसान का एक बुरा दौर आता है जब वह अपने किसी भी काम को सही ढंग से नहीं कर पाता है या फिर हम यूं कह सकते हैं कि उसका कोई काम सही से नहीं हो पाता है।

श्रेयस अय्यर की जिंदगी में भी कुछ ऐसे भी पल थे जिनमें वह कुछ खास नहीं कर पाए और संघर्ष करते नजर आए, आइए जानते हैं श्रेयस अय्यर के उस दौर के बारे में। 

2009 में श्रेयस का बुरा समय यानी की संघर्ष वाला समय शुरू हुआ।  उन्हें कई जगहों पर ट्रायल में रिजेक्ट कर दिया गया था। जिस वजह से श्रेयस अय्यर के दिमाग में गलत विचार आ रहे थे, और वह अपने आप से नाराज हो रहे थे। उस समय श्रेयस अय्यर ने काफी गलतियां की और लगातार गलतियां करते गए।

इनके बारे में जब यह बात इनके पिताजी को पता चली तो बिना देरी करते हुए उन्होंने तुरंत श्रेयस अय्यर को एक साइकोलॉजिस्ट को दिखाया और उसके बाद श्रेयस अय्यर का दिमाग शांत होना शुरू हो गया और वह फिर अपनी पिछले फॉर्म में वापस आ गए और लगातार बेहतरीन प्रदर्शन करते गए। उसके बाद श्रेयस अय्यर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार आगे बढ़ते गए। 

श्रेयस का क्रिकेट करियर 

श्रेयस अय्यर को 2014 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में भारत की तरफ से खेलने का मौका मिला। उन्होंने इस मौके का शानदार फायदा उठाया और 2014 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में शानदार तरीके से लगातार पांच हाफ सेंचुरी जड़ी।

उनके इस प्रदर्शन से पूरे भारतीय फैंस खुश हुए और उन्हें 2014 के अंडर-19 वर्ल्ड कप का हीरो माना गया। इसी वर्ष उन्हें यूनाइटेड किंगडम की तरफ से भी खेलने का मौका मिला और श्रेयस अय्यर ने तीन मैच खेले और तीन मैच में ही उन्होंने 99 की औसत से 297 रन जड़ दिए। 

उनके इस प्रदर्शन से सारे लोग खुशी से झूम उठे कि एक नया लड़का अगर 99 की औसत से रन बना रहा है। इनमें उनका उच्चतम स्कोर 171 रन था। 2014 की अंडर-19 वर्ल्ड कप में इतना बढ़िया प्रदर्शन करने की वजह से उन्हें रणजी ट्रॉफी में मुंबई के लिए खेलने का मौका दिया गया।

इस मौके का फायदा उठाते हुए 2014-15 में होने वाले रणजी ट्रॉफी में मुंबई की ओर से खेलते हुए श्रेयस अय्यर ने 50 की औसत से लगभग 809 रन बनाए। श्रेयस अय्यर के लिए रणजी ट्रॉफी का दूसरा सीजन और भी बेहतर था उन्होंने दूसरे सीजन में लगभग 74 के शानदार औसत से रणजी ट्रॉफी के एक सीजन में 1300 से ज्यादा रन बनाएं। 

इस कारनामे को करने के बाद श्रेयस के नाम एक रिकॉर्ड भी दर्ज हुआ कि एक सीजन में 1300 प्लस रन बनाने वाले दूसरे खिलाड़ी अय्यर बने।

साल 2014 में इनके बेस्ट प्रदर्शन के चलते इनको 2015 में इंडियन प्रीमियर लीग यानी कि आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम से खेलने का मौका मिला। श्रेयस अय्यर को दिल्ली की टीम ने 2.6 करोड़ में खरीदा।

2015 में दिल्ली की टीम तो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई लेकिन दिल्ली की टीम से खेलते हुए श्रेयस अय्यर ने अच्छा प्रदर्शन किया और 14 मैचों में लगभग 34 की औसत और लगभग 130 के स्ट्राइक रेट से 439 रन बनाकर दिल्ली वालों को खुश कर दिया।

भले ही दिल्ली की टीम के प्रदर्शन से दिल्ली के फैंस नाराज हो लेकिन श्रेयस ने अच्छे प्रदर्शन से दिल्ली को एक खुशखबरी थी कि उनकी टीम में अब एक अच्छा बल्लेबाज आ चुका है। अय्यर के बेस्ट प्रदर्शन के कारण उन्हें उभरते हुए खिलाड़ी के लिए बेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर का अवार्ड भी दिया गया।

श्रेयस अय्यर ने 2015-16 में आयोजित रणजी ट्रॉफी से अपनी पहचान नेशनल लेवल पर बनाई। इस रणजी ट्रॉफी में श्रेयस अय्यर ने लगभग 74 की औसत से 1321 रन बनाए। अपने बेहतरीन प्रदर्शन के चलते श्रेयस अय्यर ने भारतीय टीम में भी t20 और वनडे में दोनों में अपना डेब्यू किया।

अपने डेब्यू मार्च में तो वह कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए लेकिन आने वाले मैचेज में उन्होंने कई अच्छे प्रदर्शन किए और भारतीय टीम को जीताया। 

2017 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाले एक मैच में इंडिया ए की तरफ से श्रेयस ने शानदार पारी खेली और एक मैच में उन्होंने दोहरा शतक भी जड़ा। जिसमें अय्यर ने 210 गेंदों का सामना करते हुए 202 रन बनाए और भारत को वार्म अप मैच जिताया।

श्रेयस अय्यर ने सिर्फ एक मैच में ही नहीं बल्कि सीरीज के हर मैच में अपना प्रदर्शन जारी रखा और वह भारत को एक अच्छे लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद करते रहें। 

श्रेयस अय्यर का आईपीएल करियर 

श्रेयस अय्यर ने अपना आईपीएल डेब्यू 2015 में किया था। उस समय दिल्ली कैपिटल्स की टीम का नाम दिल्ली डेयरडेविल्स था। यानी कि दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम ने 2015 में श्रेयस अय्यर को 2.6 करोड़ में खरीदा था। हम आपको बता दें कि 2015 से लेकर अब तक श्रेयस दिल्ली की टीम से ही खेलते हुए नजर आ रहे हैं। 

2018 में जब गौतम गंभीर ने दिल्ली डेयरडेविल्स की कप्तानी छोड़ दी थी तो श्रेयस को दिल्ली का कप्तान बनाया गया था। 2019 में दिल्ली डेयरडेविल्स का नाम बदलकर दिल्ली कैपिटल्स कर दिया गया था। लेकिन फिर भी दिल्ली का कप्तान नहीं बदला था दिल्ली का कप्तान श्रेयस अय्यर ही थे। 

आज भी श्रेयस अय्यर आईपीएल में दिल्ली के तरफ से ही खेलते हैं हालांकि अब उन्हें कप्तानी से हटाकर ऋषभ पंत को कप्तानी दे दी गई है लेकिन फिर भी श्रेयस अय्यर दिल्ली की तरफ से अच्छा प्रदर्शन करते हुए नजर आते हैं।

टेस्ट करियर

श्रेयस अय्यर ने 25 नवम्बर 2021 को न्यूजीलैंड के खिलाफ कानपुर के ग्रीन पार्क में खेले गये पहले टेस्ट मैच में अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की.

अपनी पहली टेस्ट पारी में इन्होने 13 चौकों और 2 छक्कों की मदद से शानदार शतकीय पारी खेलते हुए 105 रन बनाएं. डेब्यू टेस्ट में सेंचुरी लगाने वाले ये 16 वें भारतीय क्रिकेटर बन गये हैं.

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उम्मीद करते है फ्रेड्स श्रेयस अय्यर का जीवन परिचय Shreyas Iyer Biography in Hindi का यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा. अगर आपको इस युवा क्रिकेटर की जीवनी बायोग्राफी पसंद आई हो तो सोशल मिडिया पर इस लेख को जरुर शेयर करें.

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