सुब्रमण्यम स्वामी का जीवन परिचय Subramanian Swamy Biography In Hindi

सुब्रमण्यम स्वामी का जीवन परिचय Subramanian Swamy Biography In Hindi हमारे देश भारत में कई सारे ऐसे बेहतरीन लोगों ने जन्म लिया है जिन्होंने आगे बढ़कर अपनी विचारधारा को लोगों के सामने जाहिर किया और अपनी दिशा खुद ही तय की है। इन लोगों के जीवन से हम भी एक राह चुन सकते हैं और आगे की तरफ बढ़ सकते हैं।  यह मुख्य लोग राजनीति, खेल,  फिल्म किसी भी क्षेत्र से जुड़े रह सकते हैं|  ऐसे में  आज हम आपको जिस बेहतरीन इंसान के बारे में जानकारी दे रहे हैं वह है सुब्रमण्यम स्वामी| 

सुब्रमण्यम स्वामी का जीवन परिचय Subramanian Swamy Biography In Hindi

सुब्रमण्यम स्वामी का जीवन परिचय Subramanian Swamy Biography In Hindi

कौन है सुब्रमण्यम स्वामी 

सुब्रमण्यम स्वामी को हम सभी भारतीय राजनीतिक, अर्थशास्त्र और  सांख्यिकीकार  के रूप में जानते हैं जिन्होंने अनेक मौकों पर अपना विशेष योगदान दिया है।

स्वामी ने भारतीय संसद के ऊपर मनोनीत संसद सदस्य के रूप में भी कार्य किया है। इन्हें हिंदू राष्ट्रवादी भावना अच्छी लगती हैं और इसी वजह से इन्होंने आज तक अपना ध्यान इस तरफ लगाया है|

इसके अलावा सुब्रमण्यम स्वामी योजना आयोग के सदस्य थे और साथ ही साथ पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के अंतरराष्ट्रीय व्यापार आयोग के अध्यक्ष भी थे|

सुब्रमण्यम स्वामी का जन्म

सुब्रमण्यम स्वामी का जन्म 15 सितंबर 1939 को मेलापुर को चेन्नई में हुआ था।  यह मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम सीतारमन सुब्रमण्यम और उनकी माता पद्मावती  है।

उनके पिता नौकरी करते थे साथ ही साथ माता ग्रहणी थी|  उनका एक छोटा भाई राम सुब्रमण्यम और  दो छोटी बहनें भी हैं|

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शिक्षा

सुब्रमण्यम स्वामी जी ने प्रारंभिक शिक्षा तमिलनाडु से ही प्राप्त की जहां उन्होंने दो-तीन स्कूलों का चयन किया| उसके बाद उन्होंने हिंदू कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय में अपना एडमिशन कराया और वहां से उन्होंने गणित में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

उन्हें लगातार पढ़ने की ललक थी और इस वजह से वह भारतीय सांख्यिकी संस्थान कोलकाता से सांख्यिकी में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। 

उसके बाद मिलने वाली छात्रवृत्ति से उन्होंने हावर्ड यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया और 1965 के आसपास पीएचडी की डिग्री प्राप्त की|  इसके बाद आगे के कार्यकाल के लिए भी उन्होंने वही रह कर काम करना शुरू किया और धीरे-धीरे अपने काम को बढ़ाते हुए सफलता हासिल की|

सुब्रमण्यम स्वामी का निजी जीवन

जब सुब्रमण्यम स्वामी हावर्ड यूनिवर्सिटी में थे उस समय उनकी मुलाकात रॉकसना कपाड़िया से हुई जो एक पारसी महिला थी साथ ही साथ में भारतीय भी थी। वह वहां पर गणित में पीएचडी कर रही थी और उनके पिता  भारतीय सिविल सेवा में सदस्य के रूप में पदस्थ थे। 

धीरे-धीरे उनकी दोस्ती सुब्रमण्यम स्वामी से हुई जहां दोनों ने शादी का फैसला लिया और जून 1966 को उनकी शादी हो गई|

सुब्रमण्यम स्वामी की दो बेटियां हैं जिसमें बड़ी बेटी गीतांजलि स्वामी और छोटी बेटी सुहासिनी है। दोनों की शादी उन्होंने बड़े ही धूमधाम से की है और जिसमें से बड़ी बेटी ने अपनी शादी  एमआईटी में प्रोफ़ेसर संजय शर्मा से की और छोटी बेटी ने पूर्व भारतीय विदेश सचिव सलमान हैदर के बेटे नदीम हैदर से की जो  प्रिंट और टेलीविजन पत्रकार हैं|

सुब्रमण्यम स्वामी का करियर 

 जब  सुब्रमण्यम स्वामी 1965 में पीएचडी की पढ़ाई कर रहे थे उसके बाद ही उन्होंने “हावर्ड फैकल्टी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज” में सहायक प्रोफेसर के रूप में  अपने कार्य को आगे बढ़ाया। इसके अलावा उन्हें एक सहयोगी प्रोफेसर के रूप में अमर्त्य सेन के “दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स” में भी आमंत्रित किया गया था।

अपने कार्यकाल के बाद उन्होंने दिल्ली की ओर जाना उचित समझा जहां  पर वे  गणितीय अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में विद्यमान रहे। इसके अलावा उन्होंने आईआईटी दिल्ली के “बोर्ड ऑफ गवर्नर्स” में काम किया|

राजनीतिक करियर

इनका  करियर बहुत ही उतार-चढ़ाव वाला रहा,  जहां पर उन्होंने अपनी शुरुआत “सर्वोदय आंदोलन” के रूप में की थी और बाद में जनता पार्टी के रूप में भी कार्य किया।

ऐसा माना जाता था कि  उनकी आर्थिक नीतियां तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ अच्छी नहीं थी और इस वजह से ही उनकी योजनाओं को हमेशा नकार दिया जाता था।  उन्हें 1974 से 1999 के बीच में पांच बार सांसद के रूप में चुना गया जहां उन्होंने राज्यसभा उम्मीदवार उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया|

चुनावी इतिहास 

उन्होंने अपने जीवन में कड़ा संघर्ष किया और जिसके बदौलत उन्होंने एक अच्छा मुकाम हासिल किया। आज हम आपको इनके जीवन से जुड़े मुख्य चुनाव इतिहास के बारे में जानकारी दे रहे हैं|

  • वह वर्ष 1974 से 1976 के बीच उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुने गए जहां उन्हें जनसंघ पार्टी का टिकट प्राप्त हुआ|
  • 1977 से 1980 के बीच  मुंबई उत्तर पूर्व से लोकसभा सदस्य जनता पार्टी के लिए चुने गए।
  •  1980 से 1984 के बीच मुंबई उत्तर पूर्व से लोकसभा सदस्य जनता पार्टी के रूप में चुने गए|
  • इसके बाद 1988 से 1994 के बीच उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य जनता पार्टी के माध्यम से  चुन लिया गया।
  • 1998- 99  मैं मदुरई से इन्हें लोकसभा सदस्य के रूप में चुना गया|

बने भारत के वाणिज्य और कानून मंत्री 

अपने करियर के चढ़ते हुए  ग्राफ को देखते हुए उन्होंने आगे बढ़ना सीखा जहां उन्हें 1991 के दौरान वाणिज्य और कानून कैबिनेट मंत्री बनाया गया। नरसिम्हा राव सरकार के माध्यम से उन्हें राष्ट्रीय सम्मान और अंतरराष्ट्रीय व्यापार आयोग के अध्यक्ष के रूप में चुना गया जो एक अच्छा पद माना जाता था|  

कानून मंत्री के ओहदे पर रहते हुए उन्होंने कई सारे महत्वपूर्ण फैसले किए जो जनता के हित के लिए फायदेमंद है और जिनके माध्यम से उन्होंने जनता को आगे बढ़ाने का काम किया|

सुब्रमण्यम स्वामी की मुख्य अदालती याचिकाएं 

इन्होंने अपने मुख्य कार्यकाल में कुछ अदालती यात्राएं की जिनके माध्यम से इन्हें विरोध भी झेलना पड़ा और साथ ही साथ इनका  ओहदा भी कुछ कम हुआ लेकिन फिर भी इन्होंने अपना काम नहीं छोड़ा|

  • जयललिता के खिलाफ शिकायत की याचिकासुब्रमण्यम स्वामी ने कभी भी अपने काम को पीछे नहीं छोड़ा|  1996 में उन्होंने जयललिता के खिलाफ एक आपराधिक शिकायत दर्ज की थी और इस कारण 2014 में ट्रायल कोर्ट  ने उनके खिलाफ मुकदमा चलाया था जिसमें  सुब्रमण्यम स्वामी को दोषी ठहराया गया और उन्हें 4 साल की सजा भी हुई थी|
  • हाशिमपुरा का नरसंहार1987 में हाशिमपुरा में जब पुलिस हिरासत में मुस्लिम युवकों की हत्या कर दी गई थी उस समय इन्होंने खिलाफत में बात की और जांच की मांग की थी|  जिसमें उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा और इसलिए अनशन का सहारा भी लिया गया था।|
  • नटराज मंदिर का मामलाउन्होंने 2009 में नटराज मंदिर के स्थानांतरण के लिए मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी और इसके फलस्वरूप पुजारियों के साथ मिलकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके लिए भी उन्होंने लंबा इंतजार किया और फिर 6 जनवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने  फैसला पुजारियों के हक में सुनाया|
  • अयोध्या मंदिर का मामला–  इसके अलावा 22 फरवरी 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के निर्माण की अनुमति दी थी जहां 1992 में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था। इसके बाद 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश से संबंधित निर्णय में तेजी लाने के लिए याचिका को 26 फरवरी को स्वीकार कर लिया गया था|
  • फोन टैपिंग के लिए लगने वाले आरोपसुब्रमण्यम स्वामी ने पूर्व खुफिया प्रमुख पर यह आरोप लगाया था कि उन्होंने कई मुख्य व्यापारियों पर फोन  टैपिंग करने के लिए कहा था और इस हिसाब से रामकृष्ण हेगड़े को इस्तीफा देना पड़ा था|
  • मानहानि विरोधी कानूनों को रद्द करने की याचिकाअक्टूबर 2014 में स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 को अपराधिक मानहानि से निपटने के लिए असंवैधानिक घोषित करने की प्रार्थना की|

 मिलने वाले मुख्य सम्मान

  • वर्ष 2012 में इन्हें  हिंदू कॉलेज दिल्ली के द्वारा विशिष्ट पूर्व छात्र का पुरस्कार दिया गया था|
  •  इसके अलावा 2016 में अमेरिका तमिल संगम के द्वारा “तमिल रत्न” का पुरस्कार प्राप्त हुआ है|

सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा रचित किताबे, शोधपत्र 

सुब्रमण्यम स्वामी ने आज तक कई सारे किताबों और शोध पत्रों की रचना की है, जिनके बारे में आज हम आपको विस्तार से जानकारी देने वाले हैं|

  • विराट हिंदू पहचान —  अवधारणा और इसकी शक्ति
  • भारतीय आर्थिक योजना—  एक वैकल्पिक दृष्टिकोण
  • एक नए भारत का निर्माण–   राष्ट्रीय  पुनर्जागरण के लिए एक एजेंडा
  •  हिंदुत्व और राष्ट्रीय पुनर्जागरण
  • चीन और भारत में आर्थिक विकास
  • भारत का आर्थिक प्रदर्शन और सुधार–  नई सहस्राब्दी के लिए परिपेक्ष
  •  चीन और भारत में वित्तीय वास्तुकला और आर्थिक विकास
  • संकट में श्रीलंका भारत के विकल्प
  • 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला
  • हिमालयन चैलेंज,  इंडिया चाइना एंड क्वेस्ट फॉर पीस
  •  भारत के आधुनिक अधिकार की विचारधारा
  • इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन असंवैधानिक और छेड़छाड़ योग्य

सुब्रमण्यम स्वामी से जुड़े रोचक तथ्य 

  1. उन्हें 1 वर्ष के भीतर चीनी भाषा सीखने की चुनौती दी गई थी जिसे उन्होंने 3 महीने में ही सीख कर महारत हासिल कर ली थी|
  2. जब वे हावर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे उस समय उनके द्वारा बताए गए दो अर्थशास्त्र पाठ्यक्रमों को हटा दिया गया था|
  3.  उनकी पत्नी ने उनका भरपूर सहयोग दिया और कानूनी क्षेत्र में प्रशिक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  4.  इसके अलावा उन्होंने कई प्रकार के ऐसे फैसले लिए जिनके मद्देनजर उन्हें लोगों का विरोध सहना पड़ा था|

राजनैतिक घटनाक्रम

  • उन्होंने 1960 के दशक में सर्वोदय आंदोलन में शामिल होकर राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी|
  • 1972 में देश में आपातकाल के दौरान वह जनता दल के संस्थापक सदस्यों में से एक बने|
  •  1974 में वे जनसंघ पार्टी के टिकट पर उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुने गए थे।
  •  इसके बाद 1977 में वे मुंबई पूर्वोत्तर क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए|
  •  1990 से 91 तक भारत के योजना आयोग के सदस्य के रूप में और वाणिज्य कानून मंत्री के रूप में उन्होंने कार्य किया इसके अलावा उन्हें जनता पार्टी का अध्यक्ष भी बनाया गया
  •  1994 में स्वामी ने  श्रम मानकों और राशि व्यापार पर आयोग के अध्यक्ष के रूप में चुना गया|
  •  1998 में मदुरई से उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में चुना गया इसके अलावा अन्य सदस्य समिति, पुस्तकालय समिति, नागरिक उड्डयन, मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य बने|
  •  2008 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर 2जी स्पेक्ट्रम के बारे में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा पर मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी|
  •  2012 में उच्चतम न्यायालय ने 2जी मामले में स्वामी के खिलाफ याचिका को स्वीकार किया।
  •  2013 तक जनता पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के बाद अधिकारिक रूप से वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए,  जिसमें राजनाथ सिंह पार्टी अध्यक्ष थे|

सुब्रमण्यम स्वामी से संबंधित विवाद

इनके राजनैतिक कैरियर में कई प्रकार के विवादों को देखा गया-

  •  सुब्रमण्यम स्वामी उस समय विवादों में आए जब आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को हटाने की मांग की थी और उन पर दोषारोपण किया था।
  • वित्त मंत्री अरुण जेटली के स्थान पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा था कि “उन्हें भारतीय परिधान को पहनना चाहिए  क्योंकि कोट  और टाइ में तो  वेटर लगते हैं”
  • उनके द्वारा लिखी गई किताबों के माध्यम से ही कई प्रकार के विवाद हुए जिनसे सुब्रमण्यम स्वामी का गहरा नाता था लेकिन धीरे-धीरे उनकी बातों का असर  कम होने लगा था|
  •  उनके द्वारा दिए गए बयान  के माध्यम से भी कई प्रकार के विवाद उत्पन्न हुए जिसमें उन्होंने गलत टिप्पणियां की थी|

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इस प्रकार से आज हमने आपको राजनीति  के एक सितारे सुब्रमण्यम स्वामी का जीवन परिचय Subramanian Swamy Biography In Hindi के बारे में जानकारी दी है|  जिन लोगों को इनसे संबंधित जानकारी प्राप्त करनी हो वह हमारे पूरे लेख को पढ़कर जानकारी ले सकते हैं। 

इस लेख से  हमने जाना  सुब्रमण्यम स्वामी अपने कार्य में  कर्मठ  व्यक्ति है जिन्होंने  अपने मुश्किल समय में भी धैर्य नहीं खोया और निरंतर आगे बढ़ते रहें।  जीवन में आ रही मुसीबतों को उन्होंने दूर किया और बिना किसी दिक्कत के अपना राजनैतिक सफर सफलतापूर्वक पूरा किया|  

आज भी उनके द्वारा दी गई सलाह को मान्यता दी जाती है और उनके द्वारा दी गई जानकारियों को ध्यान  के रखा जाता है|  ऐसे व्यक्तियों के जीवन से  शिक्षा लेकर आगे बढ़ा जा सकता है और खुद के जीवन को भी कुशल मार्ग में ले जाया जा सकता है| उम्मीद  करते हैं आपको हमारा ये लेख पसंद आएगा इसे अंत तक पढ़ लेने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद| 

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