सूर्यमल्ल मिश्रण का जीवन परिचय | Suryamal Mishran Biography In Hindi बूंदी रियासत के हरणा गाँव में सन 1815 में जन्में राजस्थानी भाषा के प्रमुख इतिहासकार सूर्यमल्ल मिश्रण ने राम रंजाट, वंश भास्कर, बलवंत विलास, छंदमयूख, वीर सतसई, धातु रुपावलि तथा फुटकर व्यक्ति सवैये आदि ग्रंथों की रचना की.
सूर्यमल्ल मिश्रण का जीवन परिचय | Suryamal Mishran Biography In Hindi
पूरा नाम | सूर्यमल्ल मिश्रण |
जन्म | संवत 1872 |
जन्म भूमि | बूँदी ज़िला, राजस्थान |
मृत्यु | संवत 1920 |
पिता | चंडीदान |
पत्नी | दोला’, ‘सुरक्षा’, ‘विजया’, ‘यशा’, ‘पुष्पा’ और ‘गोविंदा’ |
मुख्य रचनाएँ | ‘वंशभास्कर’, ‘वीर सतसई’, ‘बलवंत विलास’ व ‘छंद मयूख’। |
व्यवसाय | कवि |
सूर्यमल्ल मिश्रण के पिता का नाम चंडीदान और माता का नाम भवानीबाई था. सूर्यमल्ल मिश्रण साहित्य सरोज के कवि, षट्भाषा के पूर्ण पंडित तत्वबोध के मूर्तिमान स्वरूप, इतिहास के प्रसिद्ध ज्ञाता, मीमांसा काव्य शास्त्र, योग शास्त्र, न्याय, व्याकरण, फल काव्य, शालिहोत्र, शकुनशास्त्र आदि के प्रकांड विद्वान थे.
श्री सूर्यमल मिश्रण को आधुनिक राजस्थानी काव्य के नवजागरण का पुरोधा कवि माना जाता है. उन्होंने अंग्रेजी शासन से मुक्ति हेतु उसके विरुद्ध जनमानस को जाग्रत करने के लिए अपने काव्य में समायोजित रचनाएं की.
अपने अपूर्व ग्रंथ वीर सतसई के प्रथम दोहे में ही वे समय पल्टी सीस की उद्घोषणा के साथ ही अंग्रेजी दासता के विरुद्ध बिंगुल बजाते हुए प्रतीत होते है. वे डिंगल भाषा के महान कवि थे.
सूर्यमल्ल मिश्रण की रचनाएँ व ग्रंथ
आधुनिक राजस्थानी पद्य में मिश्रण अग्रणी कवि है. इन्हें राजस्थान का राज्य कवि भी कहा जाता है. ये राव रामसिंह के दरबारी थे.
इनकी मुख्य 7 रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है. जिनमें वीर सतसई, वंश भास्कर, राम रंजाट, बलवद विशाल, छंद मयूख, धातु रूपावली व सती रासौ मुख्य है.
वीर सतसई वीर रस प्रधान काव्य रचना है. जो 1857 की क्रांति के समय लिखी गई थी. जन जागरण के उद्देश्य से लिखी गई रचना के ये उदगार आज भी युवाओं का खून खौल देते है.
इला न देणी आपणी, हालरियों हुलराय
पूत सिखावै पालने, मरण बढ़ाई मांय
इनकी रचना वंश भास्कर में बूंदी राज्य के शासकों का परिचय दिया गया है. इस कृति को सूर्यमल्ल मिश्रण के दत्तक पुत्र मुररिदान ने इनकी मृत्यु उपरांत पूरा कर प्रकाशित करवाया था.
सूर्यमल्ल मिश्रण का इतिहास suryamal mishran history in hindi
वीर रस के इस क्रांतिकारी दोहे के रचियता सूर्यमल्ल मिश्रण / मिसण का जन्म 19 अक्तूबर 1815 को बूंदी के हिरणा गाँव में हुआ था.
एयर बूंदी के रावराजा रामसिंह का आश्रित विद्वान था. दस वर्ष की अल्पायु में ही उसने रामरंजाट रचना लिखी. दादू पंथी साधु स्वरूप दास पर इसकी विशेष श्रद्धा थी.
इसनें बूंदी नरेश रामसिंह की इच्छा पर वंश भास्कर लिखना शुरू किया था. मगर उसे पूरा नहीं कर पाया था. मुरारीदान ने उसे पूरा किया.
सूर्यमल्ल मिश्रण 1856 ई के पश्चात अंग्रेजों के विरुद्ध राजपूत शासकों में एकता का सूत्र बाँधने जन जागृति और भ्रमण में व्यस्त हो गया. 30 जून 1868 को बूंदी में सूर्यमल्ल मिश्रण का देहांत हो गया.
सूर्यमल्ल मिश्रण ने अपने जीवनकाल में केवल तीन ग्रंथों की रचना की, जिनमें वंश भास्कर एक इतिहास ग्रंथ हैं. रामरंजाट लोकसंस्कृति का दर्पण हैं.
और बलवंत विलास इतिहास और वीर सतसई स्वाधीनता संग्राम कालीन युग की रचना हैं. इसके अलावा उसने अनेक डिंगल गीत और पत्र साहित्य भी लिखा.
स्वाधीनता के लिए राजस्थान के राजे महाराजे, ठाकुर, कुंवर, भंवर को उसने व्यक्तिगत पत्र लिखकर अंग्रेजकालीन राजनीतिक परिस्थितियों मका डटकर विरोध किया था.
वीर सतसई प्रथम 20 दोहे
लाऊं पै सिर लाज हूँ ,सदा कहाऊं दास
गणवई गाऊं तुझ गुण,पाऊं वीर प्रकास
आणी उर जाणी अतुल ,गाणी करण अगूढ़
वाणी जगराणी वले, मैं चीताणी मूढ़
वेण सगाई वालियां ,पेखीजे रस पोस
वीर हुतासन बोल मे ,दीसे हेक न दोस
बीकम बरसा बीतियो ,गण चौ चंद गुणीस
विसहर तिथि गुरु जेठ वदी ,समय पलट्टी सीस
इकडंडी गिण एकरी ,भूले कुल साभाव
सुरां आल ऐस में,अकज गुमाई आव
इण वेला रजपूत वे ,राजस गुण रंजाट
सुमरण लग्गा बीर सब,बीरा रौ कुलबाट
सत्त्सई दोहमयी ,मीसण सूरजमाल
जपैं भडखानी जठे,सुनै कायरा साल
नथी रजोगुण ज्यां नरां,वा पूरौ न उफान
वे भी सुणता ऊफानै ,पूरा वीर प्रमाण
जे दोही पख ऊजला ,जूझण पूरा जोध
सुण ता वे भड सौ गुना ,बीर प्रगासन बोध
दमगल बिण अपचौ दियण,बीर धणी रौ धान
जीवण धण बाल्हा जिकां ,छोडो जहर सामान
नहं डांकी अरि खावणौ ,आयाँ केवल बार
बधाबधी निज खावणौ ,सो डाकी सरदार
डाकी डाकर रौ रिजक ,ताखां रौ विष एक
गहल मूवां ही ऊतरै ,सुणिया सूर अनेक
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