शिक्षक दिवस पर निबंध 2024 Teachers Day Essay In Hindi

शिक्षक दिवस पर निबंध 2024 Teachers Day Essay In Hindi: नमस्कार शिक्षक दिवस 2024 की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं.

5 सितम्बर को हमारे गुरुजनों के सम्मान में टीचर्स डे सेलिब्रेट किया जाता हैं. आज का निबंध, भाषण स्पीच का लेख स्कूल स्टूडेंट्स के लिए दिया गया हैं. उम्मीद करते है आपकों ये अनुच्छेद पैराग्राफ पसंद आएगा.

शिक्षक दिवस पर निबंध 2024 Teachers Day Essay In Hindi

शिक्षक दिवस पर निबंध 2024 Teachers Day Essay In Hindi

प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को सही दशा और दिशा प्रदान करने में शिक्षक का महत्वपूर्ण स्थान होता हैं. शिक्षक ही वह समुदाय हैं, जो किसी समाज या राष्ट्र के भविष्य का स्रजन करते हैं.

किसी देश का भविष्य कैसा होगा? यह उनके शिक्षकों पर निर्भर करता हैं. बात करे हम हमारे देश भारत की तो आदि गुरु शन्कराचार्य, चाणक्य से लेकर 20 वीं सदी तक कई ऐसी महान विभूतियों ने भारतभूमि पर जन्म लिया जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

जिनमे रवींद्र नाथ टैगोर, सावित्रीबाई फुले, सवाई गंधर्व, आरके नारायण, सीके प्रहलाद, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर,बाल गंगाधर तिलक, मदर टेरेसा, जिनमे एक नाम आता हैं भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दुसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का. 1962 से आज तक उनके जन्म दिवस शिक्षक दिवस पर भाषण 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता हैं.

Short Teachers Day 2024 Essay In Hindi

व्यक्ति के जीवन में शिक्षक का कितना महत्व हो सकता हैं. इस बात को अच्छी तरह से समझने के लिए अलेक्जेंडर महान के इस उद्धरण को समझना होगा.

कि मै अपने जीवन के लिए माता-पिता का ऋणी हु, अच्छे तरीके से जीवन जीने के लिए गुरु का. यानि माता-पिता हमे इस दुनिया में जन्म देते हैं. मगर दुनियाँ क्या हैं, व्यक्ति को कैसे जीवन यापन करना चाहिए. क्या गलत हैं क्या सही हैं. सही जानकारी एक शिक्षक ही दे सकता हैं.

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जिनका जन्म एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था. दर्शनशास्त्र विषय से एम ए कर वे 1909 में अध्यापक बने. अपने जीवन के 40 वर्षो तक इन्होने शिक्षण कार्य करवाया. इस दौरान ये विभिन्न विश्वविध्यालयों के कुलपति और प्रोफ़ेसर भी रहे. 1952 में भारत के उपराष्ट्रपति बने.

1954 में भारत सरकार द्वारा इन्हें भारतरत्न सम्मान से अलकृत किया गया. लगातार 10 वर्षो तक उपराष्ट्रप्ति के पद पर कार्य करने के बाद 1962 में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के दुसरे राष्ट्रपति बने.

जब कुछ लोगों ने डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन से उनके जन्म दिवस को शिक्षक दिवस (Teachers Day) मनाने की इच्छा जताई तो राधाकृष्णन ने इस पर अपनी हार्दिक प्रसन्नता दर्शाते हुए कहा- यह न सिर्फ मेरे लिए बल्कि सम्पूर्ण शिक्षक वर्ग के लिए सम्मान का अवसर होगा. डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन पेशे से एक शिक्षक थे, वे हमेशा एक शिक्षक होने के कारण स्वय को भाग्यशाली मानते थे.

दुनिया के सभी देशों में मुख्यत अलग-अलग दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता हैं. भारत में इसे 5 सितम्बर (डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जयंती) के दिन मनाया जाता हैं. भारतीय संस्कृति में शिक्षक कों भगवान् के समक्ष मानकर पूजनीय समझा जाता हैं. शिक्षण के बारे में लोगों की अलग-अलग अवधारणा होती हैं.

मगर सच्चाई यह हैं, कि एक शिक्षक का कार्य दुनिया के सबसे कठिन और महत्वपूर्ण कार्यो में से एक हैं. भारतभर में मनाएं जाने वाले शिक्षक दिवस के अवसर पर विद्यालय और महाविद्यालयों के स्टूडेंट इस दिन अपने शिक्षकों के सम्मान में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करते हैं.

भले ही समय के परिवर्तन के साथ शिक्षक दिवस मनाने के तौर तरीकों में बदलाव आ गया हो. आज के स्टूडेंट्स अपने सभी शिक्षकों के सम्मान में सरप्राइज गिफ्ट, ग्रीटिंग्स कार्ड, पेन, डायरी या कोई कीमती वस्तु भेट कर उनकी दीर्घायु की कामना करते हैं.

जो छात्र-छात्राएं शिक्षक दिवस समारोह में शामिल नही हो पाते हैं. वे sms, शायरी, वॉलपेपर और सोशल मिडिया स्टेट्स के जरिये शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित अवश्य करते हैं.

आज के युग में शिक्षक दिवस का बड़ा महत्व हैं. इस तरफ हमारे देश के महान शिक्षक रह चुके डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन कों इस अवसर पर याद किया जाता हैं. वही आज के दिन सभी शिक्षक इस समारोह के माध्यम से अपने कर्तव्य और उतरदायित्व का आभास करते हैं.

बच्चों के लिए शिक्षक के महत्व को समझने अपने गुरुजनों द्वारा दी गई सीख को जीवन में उतारने और आजीवन उनके प्रति श्रद्धा और सम्मान रखने की प्रेरणा मिलती हैं.

आज हम सभी यह प्रण ले शिक्षा रूपी उजाले की इस ज्योति को हम पूर्ण ईमानदारी के साथ स्वीकार करेगे. शिक्षा तथा इसके देने वाला शिक्षक यह कभी फर्क नही करता कि शिक्षार्थी कौन हैं.

इतिहास गवाह हैं, जिन्होंने अपने शिक्षक के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव रखते हुए शिक्षा अर्जित की हैं. निश्चय ही उन्होंने जीवन में सफलता के शिखर को चूमा हैं. शिक्षक दिवस के इस अवसर पर सिर्फ दो पक्तिया ही कहना चाहुगा.

ग्यानी के मुख से झरे नित्य ज्ञान री बात
हर एक पखुडी फुल खुशबु की सौगात.

शिक्षक दिवस 2024 का महत्व पर निबंध Importance Of Teacher’s day Essay In Hindi

Importance Of Teacher’s day अच्छा लगता हैं जब किसी योग्य व्यक्ति को सम्मानित किया जाता हैं तो. मगर क्या 5 सितम्बर के दिन मात्र भाषण, कविता पाठ और शिक्षक दिन पर गुरुजनों के लिए फूलों की माला का गुच्छा और कुछ उपहार क्या यही हैं.

shikshak divas. टीचर्स डे मनाने के सही मायने क्या हैं. सच्चे अर्थो में यदि हम अपने शिक्षकों के प्रति सदा सही द्रष्टिकोण और दिल में सम्मान का भाव रखे तभी इस दिन को मनाने का महत्व सार्थक सिद्ध होगा.

आज भी यह उक्ति सारगर्भित हैं, कि शिक्षक वह मोमबत्ती अथवा दीया हैं जों स्वयं जलकर औरों को प्रकाश देते हैं. दुनिया से पूरी तरह नासमझ बालक को जीवन में सही राह दिखाने का कार्य गुरु ही करता हैं.

इस दिन को मनाने का अर्थ तभी सार्थक सिद्ध होगा जब हमारे देश के शिक्षकों और बच्चो का शिक्षकों के प्रति नजरिया बदले. ‘सभरवाल कांड’ जैसी घटनाओं की पुनरावृति ना हो, अकसर सुनने को मिलता हैं.

किसी विद्यालय के शिक्षक ने छात्र को भरी कक्षा में सबके सामने कपड़े उतारे अथवा असामाजिक तत्वों द्वारा शिक्षक पर हमला इस तरह की घटनाएं हमारे समाज में शिक्षक के स्थान और उनकी मर्यादा कों धूमिल करने में कोई कसर नही छोडती हैं.

इस बदलते परिद्रश्य में अवश्य कही न कही शिक्षकों में भी द्वेष, घ्रणा तथा अहभाव में बढ़ोतरी हुई हैं. कुछ छात्र अथवा छात्र सगठन ऐसे हैं जो हमेशा ऐसे अवसर की तलाश में रहते हैं. जिनमे शिक्षकों को नीचा दिखाया जाए. मै शिक्षक समुदाय का सम्मान करता हु, मगर यह सब कुछ हमारे चारों ओर हो रहा हैं. जो चिंताजनक हैं.

शिक्षक दिवस के अवसर पर हमे इस प्रकार के गंभीर विषयों के समाधान के बारे में सोचना चाहिए. आखिर क्या वजहें हो सकती हैं जिस कारण शिक्षक और छात्र अपने पर उतारे हो जाते हैं. शिक्षक को भगवान का दर्जा दिया जाता हैं फिर इस प्रकार का व्यवहार कहाँ तक जायज हैं.

आज के शिक्षक दिन के अवसर पर हर बालक को प्रण लेना चाहिए, कि हमारे शिक्षक हमारे लिए तो भगवान हैं वे हमारे ही अच्छे भविष्य की खातिर डाटते हैं. जिस बात का बुरा न मानते हुए सदा उनके चरणों में नतमस्तक रहना चाहिए.

वैसे भी हमारी भारतीय संस्कृति अपने से बड़े सभी लोगों का आदर सम्मान करने जैसे गुण सिखाती हैं. हमारे शिक्षक गुरुजनों को भी अपने व्यवहार में कभी इर्ष्या, द्वेष, लोभ, अहित और अपने ज्ञान पर कभी भी अह्भाव नही आने देना चाहिए. बड़डपन, क्षमा, शीलता, दया जैसे गुण हमें गुरुजनों से ही तो सिखने को मिलते हैं.

शिक्षक दिवस के दिन ही तो गुरु शिष्य के बिच का रिश्ता दिखता हैं. श्रद्धा और प्रेम जैसी मजबूत डोरों से बना रह रिश्ता सदा बरकरार रहे.

Shikshak Diwas Par Nibandh Essay On Teachers Day 2024 in Hindi

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प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता हैं. शिक्षक दिवस का यह पर्व विद्यार्थियों और शिक्षको के लिए कई मायनों में ख़ास रहता हैं. वैसे तो अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस 5 अक्तूबर के दिन विश्व के सभी देशों में मनाया जाता हैं.

जिसकी शुरुआत 1994 में यूनेस्को द्वारा की गई थी. मगर शिक्षक दिवस को भारत में 5 सितम्बर के दिन डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के रुप में मनाते हैं.

भारत के दुसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन पेशे से शिक्षक थे, राष्ट्रपति बनने से पूर्व और इस पद पर रहते हुए इन्होने शिक्षण कार्य करवाया. इनसे बेहतर एक आदर्श शिक्षक का उदहारण नही हो सकता. इन्ही महापुरुष की याद में हर साल हम 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं.

पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 को चैन्नई (आजादी से पूर्व तक जिन्हें मद्रास कहा जाता था) से थोड़ी ही दुरी पर स्थित तिरुतनी ग्राम में हुआ था. डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जिन्हें एस राधाकृष्णन भी कहा जाता हैं.

इन्होने अपनी आरम्भिक शिक्षा तिरुतनी के ही स्थानीय विद्यालय से माध्यमिक तक की शिक्षा प्राप्त की. आगे की पढ़ाई के लिए बेगलुरु और इसके बाद मद्रास के क्रीशिचियन कॉलेज से इन्होने बीए और एम ए तक की शिक्षा अर्जित की.

बचपन से तीव्र बुद्धि के बालक रहे सर्वपल्ली राधाकृष्णन सामान्य बालको की अपेक्षा तीव्र गति से चीजो को समझते थे. बचपन से ही इन्हे शिक्षक बनने का शौक था.

यह सपना 1909 में जाकर पूरा हुआ जब वे यही के एक कॉलेज में दर्शनशास्त्र विषय के अध्यापक नियुक्त हुए. इसके बाद राधाकृष्णन ने कलकता और मैसूर में भी अध्यापन कार्य करवाया. कुछ समय के लिए आंध्रप्रदेश विश्वविध्यालय के कुलपति के पद पर भी कार्य किया.

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमे काशी विश्विद्यालय के कुलपति, ऑक्स्फ़र्ड युनिवर्सिटी के प्रोफेसर के रूप में भी सेवाए दे चुके थे. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने शिक्षण कार्य के साथ-साथ लेखन कार्य भी किया,

इनकी प्रसिद्ध पुस्तकों मेंद फिलोसोफी ऑफ़ उपनिषद्, भगवतगीता, ईस्ट एंड वेस्ट सम रिप्लेसमेंट, इस्टर्न रिलिजन एंड वेस्टर्न थोट, इन्डियन फिलोसोफी, एन आइडियलिस्ट व्यू ऑफ लाइफ, हिन्दू व्यू ऑफ लाइफ जैसी पुस्तकों की रचना की.

यदि हम बात करे शिक्षक दिवस की तो सर्वपल्ली राधाकृष्णन को समर्पित इस दिन सभी विद्यालयों और महाविद्यालयों में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के साथ ही सर्वपल्ली राधाकृष्णन के शिक्षक के रूप में योगदान को याद किया जाता हैं.

शिक्षक दिवस के दिन शिक्षण संस्थान के अध्यापको द्वारा विद्यार्थियों को शिक्षक के रूप में एक दिन कार्य करने के लिए चयन किया जाता हैं.

1954 में देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारतरत्न से सम्मानित श्री सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचारों को समझने के लिए विद्यार्थी एक दिन के लिए शिक्षक की भूमिका निभाते हैं, जिससे उन्हें इस बात का अंदाजा आसानी से लग जाता हैं.

कि शिक्षण कार्य अपने आप में कितना कार्य हैं. कितनी विपरीत परिस्थितियों से गुजरते हुए शिक्षक हमेशा अपने कर्तव्य और निष्ठा के साथ अपने कर्म में लगे रहते हैं.

साथ ही शिक्षक दिवस उन विद्यार्थियों के लिए गरिमा सम्मान के साथ ही एक प्रायोगिक दिवस भी हैं. एक दिन ही सही वे शिक्षक बनने के इस अवसर का लुफ्त उठाते हैं.

दूसरी तरफ जो नौजवान बड़े होकर एक शिक्षक बनने का सपना देखते हैं. वे शिक्षक दिवस के इस अवसर के जरिये इस पद की अहमियत और गरिमा को भली भाती समझ सकते हैं.

आज के समय में शिक्षा के निजीकरण के कारण शिक्षक की गरिमा में कुछ परिवर्तन देखने को मिला हैं. शिक्षक के पद और उसकी गरिमा में आई कमी का इकलोता कारण स्टूडेंट्स ही नही बल्कि इसके जिम्मेवार शिक्षक भी हैं.

इसलिए शिक्षक दिवस के इस अवसर पर विद्यार्थियों को शिक्षक के महत्व और शिक्षकों को अपने कर्तव्य और उतरदायित्व का आभास करवाने में शिक्षक दिवस अहम भूमिका निभाता हैं.

वैसे एक कर्तव्यनिष्ट शिक्षक का कार्य अध्यापन कार्य तक सिमित नही हैं. विद्यालय में अनुशासन रखने, पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं में सक्रिय भूमिका निभाने, अपने साथी अध्यापको के साथ शिष्टाचार पूर्ण व्यवहार करने में साथी शिक्षकों व संस्थान के शिक्षार्थियों का सहयोग करने की अपेक्षा भी की जाती हैं.

एक आदर्श शिक्षक को जातिवाद, धार्मिक कट्टरता, ट्यूशन की परम्परा, नशा जैसी बुरी आदतों से बचते हुए समय पर विद्यालय आकर अपने शिक्ष्ण कार्य को और अधिक प्रभावी बनाने, छात्र-छात्राओ की मदद करने का प्रयत्न करना चाहिए.

एक आदर्श शिक्षक में शिक्षा का महत्व और उद्देश्य, समाज की वर्तमान परिस्थतियों को समझने की क्षमता, मनोविज्ञान का ज्ञाता, आकर्षक और प्रभावशाली व्यक्तित्व जैसे गुण होने चाहिए.

शिक्षक दिवस के दिन सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करना, शिक्षकों को सम्मानित करना भर इसके उद्देश्य की पूर्ति के लिए पर्याप्त नही हैं.

इस दिन शिक्षक को भी अपने कर्तव्य को समझते हुए निष्ठापूर्वक शिक्षक के पद की गरिमा बनाए रखते हुए निरंतर अपने कार्य में लीन रहने का सकल्प लेना चाहिए.

वही विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को भी शिक्षक के महत्व और उनकी गरिमा को समझते हुए सदा उन्हें आदर सम्मान देना चाहिए. तभी शिक्षक दिवस मनाने का उद्देश्य पूर्ण हो पाएगा.

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मित्रों उम्मीद करते हैं आज का यह शिक्षक दिवस पर निबंध 2024 Teachers Day Essay In Hindi आपकों बहुत पसंद आया होगा. शिक्षक दिवस 2024 पर निबंध में दी गई जानकारी आपकों ज्ञानवर्धक लगी हो तो प्लीज इसे अपने मित्रों के साथ जरुर शेयर करे.

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