Travelogue Yatra Vritant In Hindi यात्रा वृतांत का परिचय क्या है तत्व विशेषताएँ अर्थ स्वरूप: पिछले कई लेखों में हमने फीचर, डायरी, निबंध लेखन के बारे में जाना हैं. आज हम हिंदी के यात्रा वृतांत के सम्बन्ध में जानकारी देते हैं ये क्या होता है किसे कहते हैं अर्थ मीनिंग परिभाषा आदि को समझेगे.
यात्रा वृतांत का परिचय विशेषताएँ अर्थ
क्या है यात्रा वृतांत का परिचय (travelogue meaning in hindi)
यात्रा करना मानव की मूल प्रवृत्ति हैं. हम अगर मानव इतिहास पर नजर डाले तो पाएगे कि मनुष्य के विकास की यात्रा में यात्रा का महत्वपूर्ण योगदान हैं. वह अपने जीवन काल मे मानव कोई न कोई यात्रा के लिए कहीं न कहीं अवश्य जाया करता हैं.
मगर कुछ साहित्य पसंद व्यक्ति अपनी यात्रा के अनुभव व ज्ञान को पाठकों के लिए कलमबद्ध कर यात्रा साहित्य में अपना योग दान देते हैं. यात्रा वृतांतों के लेखन का मूल उद्देश्य लेखक द्वारा यात्रा किये गये स्थल के सम्बन्ध में जानकारी देकर उन्हें भी ट्रेवल के लिए आकर्षित करना होता हैं.
लेखक अपने यात्रा वर्णन में अमुक स्थान की प्राकृतिक विशिष्ठता, सामाजिक संरचना, समाज, लोगों के रहन सहन संस्कृति, स्थानीय भाषा, आगंतुकों के प्रति उनकी सोच व विचारों को अपने साहित्य में स्थान देता हैं. एक सच्चे यात्री के सम्बन्ध में कहा गया हैं कि उस यायावर की कोई मंजिल नहीं होती हैं.
वह मन की तरंगों के कथनानुसार आगे बढ़ता जाता हैं तथा राह की कठिनाइयों में आनन्द की अनुभूति को खोजता हैं. हिंदी के विद्वान् यायावर लेखक राकेश मोहन यात्रा के सम्बन्ध में कहते हैं कि यात्रा व्यक्ति को तटस्थ नजरियाँ देती हैं.
जो हमें दैनिक जीवन में देखने को नहीं मिलती हैं. एक नयें वातावरण में जाकर व्यक्ति कुंठा मुक्त हो जाता हैं अपने निकट वातावरण के दवाब से मुक्त होकर, नयें स्थानों, नयें लोगों से सम्बन्ध स्थापित करता हैं.
यात्रा वृतांत का परिचय (What is the introduction of the travel story)
यात्रावृत लेखन की दिशा में भी भारतेंदु युग के अनेक लेखकों ने योग दिया. भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने यात्रावृत विषयक अनेक रचनाएं रखी, जो कविवचनसुधा के अंकों में प्रकाशित हुई. इनमें सरयू पार की यात्रा, लखनऊ की यात्रा और हरिद्वार की यात्रा उल्लेखनीय हैं.
इन यात्रा वृतांतों की भाषा व्यंग्य पूर्ण हैं और शैली बड़ी रोचक और सजीव हैं. बालकृष्ण भट्ट ने गया यात्रा और प्रताप नारायण मिश्र ने विलायत यात्रा नामक रचनाएँ लिखी.
श्रीमती हरदेवी ने बम्बई से लंदन तक की जहाजी यात्रा का विस्तृत विवरण दिया हैं. भगवानदास वर्मा ने तुलनात्मक शैली का आश्रय लेते हुए लखनऊ और लन्दन की समानताएं प्रकट की हैं.
भारतेंदु युग में विदेश यात्रा सम्बंधी वर्णनों में लन्दन को प्रमुखता मिली है तो स्वदेश यात्रा सम्बन्धी वर्णनों में तीर्थ स्थानों को. यात्रा वृतांत हिंदी साहित्य के हर युग में लिखे गये. द्वेदी युग में भी लिखे गये.
स्वामी मंगलानन्द ने मारीशस यात्रा और श्रीधर पाठक ने देहरादून शिमला यात्रा, उमा नेहरु ने युद्ध क्षेत्र की सैर और लोचनप्रसाद पाण्डेय हमारी यात्रा नामक यात्रा वृतांत लिखे.
इस युग के अन्य साहित्यकारों में देवीप्रसाद खत्री, गोपालराम, गहमरी, गदाधर सिंह, स्वामी सत्यदेव प्रिवार्जक आदि कवियों की रचनाएं भी महत्वपूर्ण हैं, पारिवार्जक द्वारा 1915 में रचित मेरी कैलाश यात्रा तथा 1911 की अमेरिका दर्शन को सुंदर ढंग से लिखा गया था.
यात्रा साहित्य के महत्व को प्रदर्शित करने वाली सत्यदेव की रचना यात्रा मित्र वर्ष 1936 में प्रकाशित हुई थी. इस पुस्तक के कैलास यात्रा के भाग में लेखक ने काठगोदाम से तिब्बत तक की यात्रा का सर्वाधिक विस्तृत विवरण दिया हैं. साथ ही कैलाश व हिमालय के अद्वितीय सौन्दर्य का चित्रण अपनी पुस्तक में प्रभावी ढंग से किया हैं.
हिंदी का यात्रा वृतांत साहित्य (Hindi travel memoirs literature)
यदि हिंदी के सबसे बड़े यात्रा वृतांत लेखक की बात करे तो राहुल सांस्कृत्यायन का नाम निश्चय ही सबसे ऊपर होगा, भारतीय स्वतंत्रता प्राप्ति से इन्होने लम्बे समय तक यायावर का जीवन बिताया. अपने जीवन के बहुत बड़े पडाव को इन्होने देश विदेश की यात्राओं में ही व्यतीत कर दिया.
अज्ञेय जी की मुख्य यात्रा वृतांत रचनाओं में 1953 में प्रकाशित अरे यायावर रहेगा याद और एक बूंद सहसा उछली 1960 में प्रकाशित हुई थी. राहुल जी की पहली किताब भारत के पर्यटन स्थलों के भ्रमण का वृतांत बताती हैं तो इनकी दूसरी पुस्तक में विदेशी यात्रा का विस्तृत वर्णन हैं.
हिंदी के 10 श्रेष्ठ यात्रा संस्मरण
संस्मरण | लेखक |
यात्रा का आनंद | दत्तात्रेय बालकृष्ण |
किन्नर देश में | राहुल सांकृत्यायन |
अरे यायावर रहेगा याद | अज्ञेय |
ऋणजल धनजल | फ़णीश्वरनाथ रेणु |
आख़िरी चट्टान तक | मोहन राकेश |
चीड़ों पर चांदनी | निर्मल वर्मा |
स्पीति में बारिश | कृष्णनाथ |
यूरोप के स्केच | रामकुमार |
बुद्ध का कमण्डल लद्दाख | कृष्णा सोबती |
तीरे तीरे नर्मदा | अमृतलाल वेगड़ |
जानकारी अच्छी लगी।
धन्यवाद
अंतिम पैरा में “अरे! यायावर रहेगा याद” और “एक बूंद सहसा उछली” के लेखक सांकृत्यायन नही हिंदी सहित्य के स्तम्भ पुरुष “सच्चिदानंददल हीरानंद वात्सायन अज्ञेय जी है।”
कृपया लेख को एडिट करके सही करलें।
सादर
माधव कुमार।
tripbro.blogspot.com
आपका बहुत धन्यवाद हमने इसे अपडेट किया है
यात्रा वृत्तांत की विशेषताएं तो पोस्ट कीजिए, जिसके लिए सर्च किया वही नही है पोस्ट में।