वाक्य विचार की परिभाषा, प्रकार, उद्देश्य, विधेय | Vakya Vichar Hindi

वाक्य विचार की परिभाषा, प्रकार, उद्देश्य, विधेय | Vakya Vichar Hindi आपने गौर किया होगा कि हिंदी व्याकरण में हम कई सारे वाक्यों को बनाने का काम करते हैं और कई बार एक पूर्ण वाक्य भी बनाते हैं जिसमें  किसी प्रकार की गलतियां नहीं होती है| 

जब हम किसी वाक्य  को बनाते हैं, तो  इस बात पर ध्यान नहीं देते की हिंदी व्याकरण के लिहाज से वह वाक्य  सही है या नहीं? 

वाक्य विचार की परिभाषा, प्रकार, उद्देश्य, विधेय | Vakya Vichar Hindi

वाक्य विचार की परिभाषा, प्रकार, उद्देश्य, विधेय | Vakya Vichar Hindi

ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे मुख्य वाक्य विचार के बारे में जानकारी देंगे जिसके माध्यम से आप आसानी से ही वाक्य को बनाकर उन्हें नया रूप दे सकते हैं साथ ही साथ बिना किसी परेशानी के भी वाक्य को पूरा किया जा सकता है|

वाक्य विचार क्या है? 

वाक्य विचार हिंदी व्याकरण का एक मुख्य रूप है, जिसके माध्यम से कई प्रकार के शब्दों या पदों को व्यवस्थित किया जा सकता है साथ ही साथ उपयुक्त वाक्य में कर्ता पद, कर्म पद और क्रिया पद के बारे में भी जानकारी दी जा सकती है जिसके माध्यम से एक सार्थक वाक्य बनाया जा सकता है| 

जब भी आप कोई भी वाक्य बनाते हैं, तो उसमें दो तत्व शामिल होते हैं जो मुख्य रूप से उद्देश्य और विधेय के माध्यम से बनाया जाता है और जिन्हें वाक्य विचार के लिहाज से बिल्कुल सही माना जाता है|

उदाहरण 

  1. सोहन खेलता है|
  2.  राम पुस्तक पढ़ता है|
  3.  शालिनी डांस करती है|

वाक्यों के विभिन्न भेद 

जब भी आप वाक्यों को बनाने का काम करते हैं, तो आपको निश्चित रूप से ही वाक्यों में विभिन्न प्रकार के भेद दिखाई देते हैं जिनके माध्यम से आप किसी भी प्रकार की गलती को समझ सकते हैं और आगे जाते हुए सुधार करके वाक्य को सही प्रकार से बना सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको वाक्यों  के बारे में जानकारी होना आवश्यक है| ऐसे में रचना  अरे की दृष्टि से वाक्य भेद तीन प्रकार के होते हैं—

  1. साधारण वाक्य — मुख्य रूप से इसमें  हम साधारण वाक्य की जानकारी ही प्राप्त कर पाते हैं जिसमें एक उद्देश्य और विधेय होता है और जिसमें कई प्रकार की क्रिया पदों का भी समावेश होता है|  कई बार ऐसा भी होता है  सिर्फ एक ही किया पद  इस्तेमाल होता है और जिसके माध्यम से हम इसे साधारण वाक्य कह सकते हैं।  उदाहरण के रूप में —  नेहा खाना खाती है,  रामू सब्जी लाता है,  श्याम सोता है|
  2. संयुक्त वाक्य — हिंदी व्याकरण में कुछ एक  वाक्य ऐसे भी होते हैं जिन्हें हम संयुक्त वाक्य का उपयोग करते हैं। इस प्रकार के संयुक्त वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य और दूसरा सामान्य  अधिकरण उपवाक्य होता है और दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं| ऐसे में अगर आप संयुक्त वाक्य बनाना चाहते हैं, तो आपको चार प्रकार के संयोजक  वाक्य  का इस्तेमाल करना होगा|  जिसमें मुख्य रुप से समुच्चयबोधक संयोजक [  और, तथा, एवं],  विकल्प संयोजक [ या, अथवा], परिणाम  वाचक  संयोजक [ अतः,  इसलिए],  विरुद्ध वाचक  संयोजक [ पर,  लेकिन, परंतु,  किंतु] 
  3. मिश्रित वाक्य — इस प्रकार के वाक्यों में मुख्य रूप से एक प्रधान उपवाक्य और शेष आश्रित उपवाक्य होते हैं जो मुख्य  तीन  प्रकार  के होते हैं—  संज्ञा उपवाक्य,  विशेषण उपवाक्य, क्रियाविशेषण उपवाक्य|  इसके माध्यम से हम कई प्रकार के अन्य शब्दों का इस्तेमाल करके 

बना सकते हैं और एक नए  सिरे से बात को कह सकते हैं|  उदाहरण के रूप में — जब वह आया,  तब मैं चला गया|  यह लड़का इधर गया है और वह लड़की कहीं और चली गई| 

अर्थ की दृष्टि से वाक्य विचार 

जब भी कोई  वाक्य  बनता है, तो उसमें हमेशा अर्थ के बारे में भी जानकारी रखी जाती है जिसमें विभिन्न प्रकार के वाक्यों से हमें नए-नए अर्थों के बारे में पता चलता है और हम उस हिसाब से अपने वाक्य को बनाते हैं। इस प्रकार के वाक्य विचार में हमेशा हम अर्थ को समझते हुए आगे बढ़ते हैं और नए-नए वाक्यों  का  निर्माण करते हैं|

  1. निषेधवाचक — यह  ऐसे प्रकार के मुख्य वाक्य विचार हैं, जिनमें किसी भी काम के ना होने का बोध आसानी से किया जा सकता है और इनमें हमेशा नकारात्मक भाव ही दिखाई देता है|  उदाहरण के रूप में —  आज राधा नहीं आएगी|  हम  आज  खाना नहीं खा पाएंगे| 
  1.  इच्छा वाचक — इस प्रकार के वाक्य में मुख्य रूप से इच्छा एवं शुभकामना का ज्ञान होता है जिससे वाक्य में नयापन आता है|  उदाहरण के रूप में  भगवान तुम्हारी हर इच्छा पूरी करें|  मैं दूध  पीना चाहता हूं|
  1.  विधान वाचक  वाक्य—  इस प्रकार के वाक्य में  मुख्य रूप से  किसी क्रिया के  करने या होने का बोध हो उन्हें मुख्य रूप से विधान वाचक वाक्य कहा जाता है|  उदाहरण  के रूप में –  राम  पढ़ रहा है|  मैंने दूध पिया है|
  1.  प्रश्नवाचक —  इस प्रकार के वाक्य विचार में किसी से भी प्रश्न पूछने का भाव प्रकट होता है जिन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहा जाता है|  कई बार इनमें नकारात्मक भाव भी दिखाई दे जाता है| उदाहरण के रूप में —  उसने  श्याम को क्यों मारा?  आखिर तुम कहां रहते हो? 
  1.  संकेत   वाचक —  ऐसे  वाक्य विचार जिनमें  मुख्य रूप से संकेत का बोध होता है और जिसमें एक क्रिया हमेशा दूसरे पर निर्भर होती है|  उदाहरण के रूप में —  यदि तुम मेहनत करोगे तो तुम्हें साईकिल लेकर देंगे|  पापा आएंगे तो  चॉकलेट जरूर लाएंगे|
  1.  सरल वाक्य —-  यह एक  विशेष प्रकार के वाक्य  विचार  है,जिनमें  कोई भी बात बड़े ही साधारण ढंग से सरल वाक्य में कही जा सकती है और जिस से बात को समझना आसान हो जाता है|   उदाहरण के रूप में—  मैं खाना बना रही हूं|   नानी घर आई हैं|
  1.  विस्मयादिबोधक  वाक्य — ऐसे वाक्य जिनमें आश्चर्य,  शौक  करना आदि का बोध होता हो| उदाहरण के रूप में – अरे तू कहां चले गए थे?  हाय मेरे कहने   चोरी हो गए|

वाच्य के आधार पर वाक्य के भेद 

जब भी आप वाक्य विचार करते हैं, ऐसे में वाच्य के आधार पर भी वाक्य के भेद करते हुए वाक्य का निर्माण किया जा सकता है| मुख्य रूप से यह तीन प्रकार के होते हैं,  जिन्हें आसानी के साथ समझा जा सकता है|

  1. भाव वाच्य — इसका इस्तेमाल उस जगह पर मुख्य  रुप से होता है, जहां पर भाव की प्रधानता होती है और वाक्य में मुख्य रूप से भाव को डाला जाता है|
  2.  कर्मवाच्य —  जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता हो वहां पर कर्म वाच्य अधिकता से उपयोग किया जाता है जिससे वाक्य में नयापन आ जाता है|
  3.  कर्तृवाच्य —  मुख्य रूप से इसका उपयोग वहां पर होता है, जहां पर करता की प्रधानता हो और आसानी से ही वाक्य को बनाया जा सके|

वाक्य विचार में शुद्धतम रूप 

जब भी आप वाक्य बनाते हैं, तो हमेशा उसके शुद्धतम रूप के बारे में जानकारी रखते हैं जो भाषा की शुद्धता के साथ-साथ वर्तनी की शुद्धता की ही जानकारी ले सकता है| 

वाक्य में वर्तनी की शुद्धता या व्याकरण में किसी प्रकार की असुविधा होने पर   वाक्य विचार सही रूप से शामिल किया जा सकता है|  इसमें मुख्य रूप से अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध वाक्य में परिवर्तित करते हुए वाक्य विचार में एक नया प्रभाव डाला जाता है|

 उदाहरण के रूप में 

  1. मैंने एक तुलसी की माला देखी| [  मैंने तुलसी की एक माला देखी]
  2.  आप लोग अपनी राय दें|[  आप लोग अपनी अपनी राय दें]
  3.  कृपया आप खाते रहो| [  कृपया आप खाते रहिए]
  4.  विष्णु के अनेकों नाम हैं| [  विष्णु के अनेक नाम हैं] 
  5.  मैंने देवी का दर्शन कर लिया है| [  मैंने देवी के दर्शन कर लिए हैं]
  6. वृक्षों पर कौवा बैठा था| [ वृक्षों पर कौवे  बैठे थे]
  7. प्रत्येक   बालक को चार चार केले दे| [  प्रत्येक बालक को चार  केले  दे]

 वाक्य  विचार में  मुख्य  विधेय के भाग

वाक्य विचार मे  विधेय की  मुख्य आवश्यकता होती है जहां पर हम इन्हें भागों में बांट सकते हैं—

  1.  क्रिया 
  2.  क्रिया विशेषण
  3.  कर्म
  4.  कर्म विशेषण
  5.  पूरक
  6. पूरक का विशेषण 

 वाक्य के अनिवार्य तत्व 

जब भी आप कोई  वाक्य  बनाते हैं, तो उनमें कुछ तत्व ऐसे होते हैं जो अनिवार्य रूप से शामिल होते हैं और जिनका उपयोग करना आपके लिए  महत्वपूर्ण होता है| 

  1. निकटता 
  2.  आकांक्षा
  3.  सार्थकता 
  4.  योग्यता 
  5.  पदक्रम 
  6.  अनवय

इन सभी तत्वों के माध्यम से आप अलग-अलग प्रकार से अपने वाक्यों को बना सकते हैं जिसमें आप अपनी इच्छा और अपने विचारों को भी शामिल कर सकते हैं। 

जिनमें  मुख्य रूप से कई प्रकार के पदों का उपयोग होता है और जो कर्म के व्यवस्थित ना होने पर भी आसानी के साथ वाक्य को आगे बढ़ा सकते हैं सामान्य तौर पर इस प्रकार के तत्वों में लिंग, वचन, शब्द, पुरुष के बारे में भी जानकारी प्राप्त होती है 

जिससे कि आप अपने  विचार वाक्य विचार को आसानी से बना सकते हैं और किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर  गलतियों  मैं सुधार भी किया जा सकता है|

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इस प्रकार से आज हमने आपको विभिन्न प्रकार के वाक्य विचार के बारे में बताया है, जो निश्चित रूप से आपके लिए फायदेमंद होंगे। 

अगर आप ध्यान लगाकर  वाक्य रचना करेंगे तो आपको फिर सही  वाक्य रचना  आसानी से समझ में आ जाएगी  और किसी प्रकार की दिक्कत भी नहीं हो पाएगी|  ऐसे में हमें इस बारे में ध्यान रखने की आवश्यकता होगी| 

उम्मीद करते हैं आपको वाक्य विचार की परिभाषा, प्रकार, उद्देश्य, विधेय Vakya Vichar Hindi यह लेख पसंद आएगा इसे अंत तक पढ़ने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद| 

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