उदारवाद की उत्पत्ति विकास प्रकृति रूप विशेषताएं व आलोचनाएं | What Is Liberalism In Hindi

उदारवाद की उत्पत्ति विकास प्रकृति रूप विशेषताएं व आलोचनाएं | What Is Liberalism In Hindi : उदारवाद वह विचारधारा का जनक जॉन लोक को माना जाता हैं.

व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थक करने वाली इस विचारधारा ने विश्व भर में पहचान पाई हैं. आज हम जानेगे कि उदारवाद विचारधारा क्या है इसका अर्थ व परिभाषा क्या है विशेषताएँ गुण दोष और मुख्य सिद्धांत क्या हैं.

उदारवाद की उत्पत्ति विकास प्रकृति रूप विशेषताएं व आलोचनाएं

उदारवाद की उत्पत्ति विकास प्रकृति रूप विशेषताएं व आलोचनाएं | What Is Liberalism In Hindi

उदारवाद की परिभाषा

’’स्वतन्त्रता उदारवाद का निष्कर्ष है। स्वतंत्रता का विचार इतना अहम है कि लिबर्लिज्म की परिभाषा सामाजिक रूप में स्वतंत्रता का संगठन करने और इसके अर्थों का पालन करने के प्रभाव के रूप में की जा सकती है।’’ – डेरिक हीटर

’’उदारवाद कुछ सिद्धान्तो का संगठन महज नहीं बल्कि मस्तिष्क में रहने वाली एक आदत अर्थात् चित्त प्रकृति है।’’ – हेराल्ट लॉस्की

’’उदारवाद एक निरंतर चलने वाली विचारधारा न होकर किसी निर्दिष्ट युग में कुछ कुछ राष्ट्रों द्वारा बनाई गई विविधतापूर्ण तथा एक दूसरे की विरोधी चिन्तन- धाराओं से युक्त ऐतिहासिक प्रवृत्ति मात्र है।’’- डॉ0 आशीर्वादम्

उदारवाद स्थायी मूल्यों की अनिश्चित उपलब्धि हैं. यह यूरोपीय इतिहास और दर्शन दोनों ही महत्वपूर्ण विरासत हैं. यह वास्तव में पुनर्जागरण की देन हैं.

उदारवाद वह विचारधारा है जिसके अंतर्गत मनुष्य को विवेकशील प्राणी मानते हुए सामाजिक संस्थाओं को मनुष्यों की सूझबूझ और सामूहिक प्रयास समझा जाता हैं.

जॉन लॉक को उदारवाद का जनक माना जाता हैं. एडम स्मिथ और जेरेमी बेंथम भी उदारवादी विचारकों में गिने जाते हैं. उदारवाद राजनीतिक सिद्धांत की एक प्रबल विचारधारा हैं. वस्तुतः आधुनिक राजनीतिक विचारधाराओं में से उदारवाद की परम्परा सर्वाधिक प्राचीन हैं.

उदारवादी दर्शन का उदय तथा विकास यूरोप में पुनर्जागरण तथा धर्म सुधार आंदोलन से जुड़ा हैं. 16 वीं शताब्दी में सामंतशाही, राजशाही और पोपशाही जैसी मध्ययुगीन व्यवस्था के विरुद्ध एक जबर्दस्त प्रतिक्रिया स्वरूप क्रांतिकारी दर्शन तथा विचारधारा के रूप में उदारवाद का आगमन हुआ. इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले 1815 में इंग्लैंड में हुआ था.

उदारवाद की व्युत्पत्ति (Literal Meaning Of Liberalism Hindi)

उदारवाद अंग्रेजी के लिबरेलिज्म शब्द का हिंदी रूपांतरण हैं. इसकी व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के लिबर शब्द से हुई है जिसका अर्थ है स्वतंत्र.

उदारवाद एक ऐसी अस्पष्ट बौद्धिक, गतिशील तथा स्थितिवादी, पूंजीवादी व्यवस्था के समर्थक, गरीब विरोधी, अन्यायी, अनैतिक, अमानवीय अवधारणा थी.

यह ऐसी विचारधारा का नाम है जिसका स्वरूप एवं कार्यक्षेत्र विकास के प्रथम चरण से लेकर वर्तमान तक बदलता रहा हैं. कभी यह पूंजीपतियों के पक्ष में प्रत्यक्ष रूप से सामने आता था, तो बाद में यह दबी जुबान में पूंजीपतियों के हित की भी बात करता.

बाद में मार्क्सवाद के डर से पूंजीपतियों को बचाने के लिए यह गरीबों के हितों की बात करने लगा. उदारवाद लोककल्याण की अवधारणा का प्रबल समर्थक बन गया.

1990 के दशक में जब सोवियत संघ की साम्यवादी व्यवस्था ध्वस्त होने के बाद वह पुनः अपने परम्परागत स्वरूप की तरफ बढ़ चला हैं.

पुनर्जागरण तथा धर्म सुधार आंदोलनों ने इसे जन्म दिया, औद्योगीकरण ने इसे सुधार आंदोलनों ने इसे जन्म दिया, औद्योगिकरण ने इसे आधार प्रदान किया.

बढ़ते पूंजीवाद ने इसे स्वतंत्रता के निकट ला खड़ा किया, व्यक्ति के प्रति इस विचारधारा की आस्था ने राज्य को सीमित रूप दिया.

सामान्यतया उदारवाद एक विचारधारा से अधिक हैं. यह सोचने का एक तरीका है, संसार को देखने की एक दृष्टि है तथा राजनीति को उदारवाद की ओर बनाए रखने का एक प्रयास हैं.

उदारवाद का उदय एवं विकास (Origin & Evolution Of Liberalism Hindi Main)

लॉक, बैथम व एडम स्मिथ की रचनाओं में उदारवाद की झलक मिलती हैं. तब इसका रूप नकारात्मक था और इसे व्यक्तिवाद व शास्त्रीय उदारवाद के रूप में जाना जाता था. 19 वीं शताब्दी में जौन स्टुअर्ट मिल ने इसे सकारात्मक रूप प्रदान किया.

तब राज्य को आवश्यक बुराई समझने की बजाय एक सकारात्मक अच्छाई समझा जाने लगा तथा अनियंत्रित वैयक्तिक स्वतंत्रता की व्यवस्था के लिए खतरा समझते हुए व्यक्ति की गतिविधियों पर उचित प्रतिबंध लगाए जाने लगे.

20 वीं शताब्दी में लास्की और मेकाइबर ने इसे नये रूप में पेश किया व अब राज्य एक अच्छी तथा आवश्यक संस्था मानी जाने लगी और कानून व्यक्ति की स्वतंत्रता का रक्षक समझा जाने लगा.

20 वीं शताब्दी के उतरार्द्ध में मार्क्सवाद की बढ़ती लोकप्रियता से भयभीत होकर पुनः व्यक्ति की स्वायत्ता की ओर झुकता हुआ राज्य के कार्यों को सीमित करने का समर्थन करने लगा. उदारवाद व्यक्ति प्रेमी विचारधारा है जो व्यक्ति की स्वतंत्रता और अधिकारों पर बल देती हैं.

यह राज्य को साधन और व्यक्ति को साध्य मानता हैं. यह रुढिवादिता व परम्परावाद के स्थान पर सभी क्षेत्रों में सुधारों व उदारीकरण का पक्ष लेता हैं.

संविधानवाद, विधि का शासन, विकेंद्रीकरण, स्वतंत्र चुनाव व न्याय व्यवस्था, लोकतांत्रिक प्रणाली, अधिकारों स्वतंत्रताओं व न्याय की व्यवस्था आदि उदारवादी विचारधारा के कुछ अन्य लक्षण हैं.

उदारवाद की प्रकृति (Nature Of Liberalism)

उदारवाद के प्रकृति उसके उदय व विकास के चरणों से जुड़ी हुई हैं. 1688 की गौरवपूर्ण अंग्रेजी क्रांति ने शासकों के दैवी सिद्धांतों का तिरस्कार कर राज्य को एक मानवीय संस्था बताने का प्रयत्न किया था. उदारवाद व्यक्ति से जुड़ी विचारधारा हैं.

1789 की फ़्रांसिसी क्रांति ने पश्चिमी समाज को स्वतंत्रता, समानता व बंधुत्व के विचार देकर मध्ययुगीन निरंकुश शासन को त्याग दिया था.

उदारवाद स्वतंत्रता से जुड़ी विचारधारा हैं. अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम तथा बाद के अमेरिकी संविधान ने व्यक्ति के अधिकारों की आवाज उठायी थी.

उदारवाद व्यक्तियों के अधिकारों से जुड़ी विचारधारा हैं. उदारवाद निरंकुशवाद के विरुद्ध संविधानवाद पर बल देता हैं. मांटेस्क्यू ने शासन कार्यों को अलग अलग संस्थाओं को देकर शक्ति पृथककरण का सिद्धांत प्रतिस्थापित किया था.

उदारवाद सीमित कार्यों को करने वाले सीमित शक्तियों वाले राज्य की बात करता हैं. जॉन लॉक की धारणा था कि राजनीतिक कार्य सीमित होते हैं. अतः राजनीतिक शक्ति भी सीमित होनी चाहिए.

एडम स्मिथ व बैंथम अहस्त्क्षेपी राज्य के समर्थक थे. राज्य आवश्यक तो है, परन्तु वह एक अनिवार्य बुराई हैं. पुनर्जागरण ने राज्य को ईश्वर कृत छोड़ मानवकृत संस्था बना दिया.

उदारवाद के रूप (Forms Of Liberalism)

  1. परम्परागत या शास्त्रीय उदारवाद
  2. आधुनिक उदारवाद

परम्परागत या शास्त्रीय उदारवाद (Traditional Or Classical Liberalism)

परम्परागत उदारवादी सिद्धांत धर्म को व्यक्ति का आंतरिक और निजी मामला मानता हैं. यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर बल देता हैं. सीमित राज्य के अस्तित्व को स्वीकार कर उसका समर्थन करता हैं. सामाजिक प्रतिमान में एकता की बात करता हैं.

कालांतर में उदारवाद एक क्रांतिकारी विचारधारा न होकर एक वर्ग विशेष की विचारधारा बन जाती हैं. यह रूप निजी सम्पति का समर्थन करता हैं. इसके कारण मानवीय जीवन में असमानता का आगमन शुरू हो जाता हैं.

उदारवाद अब पूंजीवाद का पर्याय बन जाता हैं. इसी उदारवाद समर्थित पूंजीवादी व्यवस्था के विरोध में वैज्ञानिक मार्क्सवादी क्रांति की शुरुआत होती हैं.

मानवीय जीवन में असमानता को मिटाकर समानता लाने के लिए संघर्ष की बात मार्क्स करता हैं. जिसके फलस्वरूप उदारवाद अपना स्वरूप बदल देता हैं.

आधुनिक उदारवाद (Modern liberalism)

यह सिद्धांत लोक कल्याण कारी राज्य का समर्थन करता हैं. निजी सम्पति पर अंकुश लगाने व पूंजीपतियों पर कर की वकालात की जाती हैं.

हरबर्ट स्पैन्सर (1820-1903) उदारवाद के बारे में लिखता हैं कि पहले के उदारवाद का कार्य राजाओं की शक्तियों को सीमित करना था तथा भविष्य के उदारवाद का काम व्य्वस्थापिकाओं की शक्तियों को सीमित करना होगा.

लॉक के पश्चात बेंथम, टॉमस पेन, मोंटेस्क्यू, रूसों तथा कई विचारको ने उदारवादी दर्शन को आगे बढ़ाना, उन्होंने न केवल शक्ति, विवेकशीलता, तर्कशीलता और योग्यता पर पक्का विश्वास अभिव्यक्त किया, बल्कि व्यक्ति के कार्यों में शासन हस्तक्षेप न करे इस पर जोर दिया गया.

उदारवादी दर्शन के फलस्वरूप ही अमेरीका की स्वतंत्रता की घोषणा 1776 व फ्रांस में 1779 ई में मानव अधिकारों की घोषणा हुई.

17 वीं व 18 वीं शताब्दी के उदारवाद को परम्परागत या शास्त्रीय या उदान्त उदारवाद भी  कहा जाता हैं. यह उदारवाद नकारात्मक चरित्र का था.

इस उदारवाद को मानव प्रतिष्ठा, तर्कशीलता, स्वतंत्रता तथा मानव के व्यक्तित्ववाद पर बल देने के बावजूद इसका मौलिक चरित्र नकारात्मक था.

इस दृष्टिकोण में स्वतंत्रता को बंधनों का अभाव माना गया और पूंजीवादी वर्ग के लिए आवश्यक बुराई के रूप में स्वीकार कर लिया गया.

जो राज्य कम से कम कार्य करे वहीं सर्वोत्तम हैं. आर्थिक क्षेत्र में इसने सम्पति के अधिकार मुक्त व्यापार का समर्थन किया.

नकारात्मक उदारवाद की विशेषताएं (Characteristics of negative liberalism)

  1. व्यक्तिवाद पर अत्यधिक बल
  2. मानव को मध्ययुग की धार्मिक तथा सांस्कृतिक जंजीरों से मुक्ति पर बल
  3. मानव व्यक्तित्व के असीम मूल्य तथा व्यक्तियों की आध्यात्मिक समानता में विश्वास
  4. व्यक्ति की स्वतंत्र इच्छा में विश्वास
  5. मानव की विवेकशीलता और अच्छाई मानव की मानवता के लिए कुछ प्राकृतिक अदेय, अधिकारों, जीवन, स्वतंत्रता तथा सम्पति में विश्वास पर बल.

उदारवाद व लॉक का दर्शन (Liberalism & Philosophy Of Locke)

राजनीतिक आधार पर समझौता सिद्धांत और उदारवाद जॉन लॉक का दर्शन है, इसकी मुख्य बाते इस प्रकार हैं.

  1. राज्य की उत्पत्ति व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा के लिए सामजिक समझौते के द्वारा हुई.
  2. राज्य एवं व्यक्ति दोनों के सम्बन्ध आपसी समझौतों पर आधारित हैं. जब कभी भी राज्य समझौते की आवश्यक शर्तों को करेगा तो व्यक्ति को राज्य के विरुद्ध विद्रोह करना व्यक्ति का अधिकार नहीं, बल्कि उत्तरदायित्व हैं.
  3. कानूनों का आधार विवेक है न कि आदेश.
  4. वहीँ सरकार सर्वश्रेष्ठ है जो कम से कम शासन करें.
  5. राज्य एक आवश्यक बुराई हैं.
  6. मानव को राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, बौद्धिक सभी क्षेत्रों में स्वतंत्रता प्राप्त हो.
  7. स्वतंत्रता से तात्पर्य सभी सत्ताओं से मुक्ति या नकारात्मक स्वतंत्रता माना गया जो बंधनों का अभाव हैं.

सामाजिक आधार पर उदारवाद समाज को एक कृत्रिम संस्था मानता हैं. जिसका उद्देश्य व्यक्ति के हितों को पूरा करना था. समाज का उद्देश्य व्यक्तिगत स्वार्थ की सिद्धी था.

व्यक्ति के हितों के द्वारा समाज के हित को सम्भव बनाया गया. आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद मुक्त व्यापार तथा समझौते पर आधारित पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की बात करता हैं.

इसे नकारात्मक उदारवाद इसलिए भी कहा जाता हैं. क्योंकि यह स्वरूप राज्य में पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में किसी प्रकार के हस्तक्षेप तथा नियंत्रण पर प्रतिबन्ध लगाता हैं.

नकारात्मक उदारवाद की आलोचना (Criticism Of Negative Liberalism)

  • सामाजिक क्षेत्र में उदारवाद का अत्यधिक खुलापन नैतिकता के विरुद्ध हैं.
  • सीमित राज्य, जन कल्याण विरोधी अवधारणा हैं.
  • उदारवाद का आर्थिक समाज बाजारू समाज है जो केवल बुजुआ वर्ग के हितों का ध्यान रखता है, सामान्य व्यक्ति के हितों की अनदेखी करता हैं.
  • सांस्कृतिक क्षेत्र में नकारात्मक उदारवाद व्यक्ति को उच्छ्रंखल है जो समाज के हितों के विपरीत हैं.

आधुनिक व समसामयिक उदारवाद (Modern and Contemporary Liberalism)

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद परिवर्तित आर्थिक, राजनीतिक तथा सामाजिक परिस्थतियों में उदारवाद में भी व्यापक बदलाव आया. मार्क्सवाद व समाजवाद के डर से उदारवाद में सुधार कर सकारात्मक धारणा का जन्म हुआ.

यह धारणा निम्नलिखित बातों पर बल देता हैं.

  • यह कल्याणकारी राज्य की स्थापना पर बल देता हैं.
  • यह व्यक्ति को सभी क्षेत्रों में सम्पूर्ण स्वतंत्रता देकर सर्वागींण विकास पर बल देता हैं.
  • सभी व्यक्तियों को समान अवसर व अधिकार प्रदान करने पर बल
  • व्यक्तियों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति पर बल देना
  • जनता का विकास तथा वैज्ञानिक प्रगति की धारणा में विश्वास
  • सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार, निष्पक्ष चुनाव व व्यापक राजनीतिक सहभागिता पर बल
  • राज्य, सामाजिक हित की पूर्ति का सकारात्मक साधन
  • समाज में व्याप्त साम्प्रदायिकता व वर्गगत असंतोष कम करने पर बल
  • लोकतांत्रिक समाज की राजनीतिक संस्कृति पर बल देता हैं.
  • उदारवाद का यह स्वरूप क्रांतिकारी तरीकों के विपरीत सुधारवादी, शांतिपूर्ण और क्रमिक सामाजिक परिवर्तन में विश्वास रखता हैं.
  • यह स्वरूप अल्पसंख्यकों, वृद्धों व दलितों के विशेष हितों को संवृद्धन करने पर बल देता हैं.
  • आधुनिक उदारवाद बाजार व्यवस्था के स्थान पर मिश्रित एवं नियंत्रित अर्थव्यवस्था पर बल देता हैं.
  • यह सामूहिक हित की बात करता हैं.
  • यह पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को लचीला बनाने व नियंत्रित अर्थव्यवस्था के उद्देश्यों पर बल देता हैं.
  • लोकतंत्र की समस्याओं पर नयें ढंग से विचार करने पर बल देता हैं.

आलोचना (Criticism)

  • उदारवाद का यह स्वरूप भी बुजुरआ वर्ग का ही दर्शन हैं, यह मूलतः पूंजीवादी यथा स्थितिवादिता पर बल देता हैं.
  • यह स्वरूप गरीबों के क्रांतिकारी आवाज को दबाने का सहारा हैं.
  • यह राज्य को शक्तिशाली बनाता है ताकि गरीबों को राजनीतिक वैधता के नाम पर दबा सके.
  • यह पूंजीवादी वर्ग से संबधित धारणा हैं.
  • इसका सामाजिक न्याय मात्र ढकोसला हैं.
  • यह स्वतंत्रता के लिए आवश्यक सामाजिक परिस्थितियों का बनाया जाना राज्य पर छोड़ता है व पूंजी व्यवस्था को समाप्त नहीं करता

यह भी पढ़े-

आशा करता हूँ दोस्तों आपकों What Is Liberalism In Hindi का यह लेख अच्छा लगा होगा. यदि आपकों उदारवाद क्या है अर्थ परिभाषा विचारधारा के गुण व दोष से जुडी जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे. इससे जुड़ा आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट कर जरुर बताएं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *