राष्ट्रीय आय का अर्थ परिभाषा अवधारणा | What Is National Income In Hindi

What Is National Income In Hindi | राष्ट्रीय आय का अर्थ परिभाषा अवधारणा : राष्ट्रीय आय की परिभाषा- एक देश के सभी साधनों द्वारा एक वर्ष में उत्पादन प्रक्रिया में योगदान के फलस्वरूप अर्जित आय का योग राष्ट्रीय आय कहलाता है.

यह अर्थव्यवस्था की आर्थिक निष्पादकता की मौद्रिक माप है. एक देश के सभी साधनों द्वारा एक वर्ष में उत्पादन प्रक्रिया में योगदान के फलस्वरूप अर्जित आय का योग राष्ट्रीय आय कहलाता हैं.

राष्ट्रीय आय का अर्थ परिभाषा अवधारणा National Income In Hindi

राष्ट्रीय आय का अर्थ परिभाषा अवधारणा | What Is National Income In Hindi

राष्ट्रीय आय व राष्ट्रीय उत्पाद के बीच सम्बन्ध

राष्ट्रीय आय अर्थव्यवस्था की आर्थिक क्रियान्वयन की मौद्रिक माप है इसे देश के उत्पादन के सभी साधनों द्वारा एक निश्चित अवधि के दौरान उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के रूप में परिभाषित किया जाता हैं.

राष्ट्रीय आय देश के उत्पादन के सभी साधनों से जुड़ी हुई है. यदि राष्ट्रीय उत्पाद की मात्रा कम होती है, तो राष्ट्रीय आय पर विपरीत असर पड़ता है. इसके विपरीत राष्ट्रीय उत्पादों की मात्रा अधिक होने पर राष्ट्रीय आय भी बढ़ जाती हैं.

एक राष्ट्र के उत्पादन साधनों से जो उत्पादन किया जाता है, वही उत्पादन के साधनों को आय के रूप में प्राप्त होता है अतः एक राष्ट्र के लिए सकल राष्ट्रीय उत्पाद तथा सकल राष्ट्रीय आय समान होती है.

राष्ट्रीय आय को घरेलू साधन आय तथा विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय के योग के रूप में देखा जाता है. किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद, शुद्ध घरेलू उत्पाद, सकल राष्ट्रीय उत्पाद, शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद आदि से मिलकर राष्ट्रीय आय के रूप में सामने आते हैं.

ये सभी एक दुसरे से अलग अलग होते हुए भी अर्थव्यवस्था की आय को ही प्रदर्शित करते है. अर्थव्यवस्था की निष्पादकता को मापने हेतु सकल घरेलू उत्पाद को ही अधिक प्रयुक्त किया जाता है.

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि राष्ट्रीय आय एवं राष्ट्रीय उत्पाद में प्रगाढ़ सम्बन्ध मिलता है ये दोनों एक दूसरे के परिपूरक घटक हैं.

राष्ट्रीय आय की उपयोगिता

  • राष्ट्रीय आय की गणना एक अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से निम्न प्रकार महत्वपूर्ण हैं.
  • राष्ट्रीय आय से राष्ट्र की आर्थिक स्थिति व प्रगति का ज्ञान होता है.
  • राष्ट्रीय आय के आधार पर हम विभिन्न राष्ट्रों की अर्थव्यवस्था की तुलना कर सकते हैं.
  • इससे अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों के योगदान एवं उसके सापेक्षिक महत्व की जानकारी मिलती है.
  • राष्ट्रीय आय के अनुमानों के आधार पर अर्थव्यवस्था के भावी नीतियों का निर्माण किया जा सकता हैं.

राष्ट्रीय आय का महत्व

  • किसी भी देश की राष्ट्रीय आय अर्थव्यवस्था की आर्थिक निष्पादकता की मौद्रिक माप हैं. इसकी गणना के तीन मुख्य कारण हैं.
  • आर्थिक वृद्धि का पता लगाने के लिए– राष्ट्रीय आय की गणना के माध्यम से उपयोगिता दर में वृद्धि, निवेश की स्थिति और सरकारी खर्च का आंकलन किया जाता है. क्षेत्रवार वृद्धि एवं विविध दशाओं में परिवर्तित स्वरूप का आकलन इसकी गणना से ही संभव हैं.
  • विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था में तुलना करने हेतु– राष्ट्रीय आय की गणना के माध्यम से एक देश की तुलना अन्य देशों की अर्थव्यवस्था से की जाती है. इसी आधार पर भावी सुधार की योजनाएं तैयार की जाती हैं.
  • योजनाओं के निर्माण व क्रियान्वयन हेतु- राष्ट्रीय आय की गणना से प्राप्त आंकड़ों को आधार मानकर भविष्य के सन्दर्भ में योजनाओं का निर्माण एवं क्रियान्वयन निर्धारित किया जाता हैं.

भारत में राष्ट्रीय आय की गणना

  • भारत में राष्ट्रीय आय की गणना सर्वप्रथम दादा भाई नौरोजी द्वारा 1866 में की गई थी.
  • स्वतंत्रता के पश्चात भारत सरकार द्वारा श्री पी सी महालनोबिस की अध्यक्षता में अगस्त 1949 में राष्ट्रीय आय समिति का गठन हुआ, इस समिति ने अपनी प्रथम रिपोर्ट 1951 में व अंतिम रिपोर्ट 1955 में प्रस्तुत की.
  • वर्ष 1955 के पश्चात केन्द्रीय साखियकी संगठन प्रतिवर्ष राष्ट्रीय आय की गणना का कार्य कर रहा हैं.

World Inequality Report 2022: भारत में राष्ट्रीय आय

विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 में भारत को विश्व के सबसे अधिक असमानता वाले देशों में गिना हैं. रिपोर्ट के अनुसार भारत के 10 प्रतिशत अमीर लोगों के पास राष्ट्रीय आय का 57 प्रतिशत भाग हैं जबकि सबसे गरीब पचास प्रतिशत आबादी के पास राष्ट्रीय आय में महज 13 प्रतिशत हिस्सेदारी हैं.

वर्ल्ड इनिक्वालटी लैब ने अपनी सालाना रिपोर्ट में भारत में आर्थिक असमानता की स्थिति को आंकड़ों के जरिये दर्शाया हैं. साल 2022 में वयस्क प्रत्येक भारतीय की औसत आय 2,04,200 रुपये मानी हैं,

जबकि सबसे निचले वर्ग के 50 प्रतिशत की आय 53,610 रुपये बताई हैं. रिपोर्ट में ऊपरी 10 प्रतिशत लोगों की राष्ट्रीय आय 11,66,520 रुपये बताई गई हैं.

रिपोर्ट में न केवल आर्थिक असमानता दिखाई गई है बल्कि इसमें लैंगिक असमानता को भी इंगित किया हैं. इस रिपोर्ट की माने तो भारत में महिला श्रमिक की आय में भागीदारी महज 18 प्रतिशत है जो एशियाई औसत से 3 प्रतिशत कम हैं.

रिपोर्ट के अनुसार भारतीय मध्यम वर्ग अपेक्षाकृत गरीब है उनका राष्ट्रीय आय में योगदान 29.5 प्रतिशत है.

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