योगमाया देवी के मंदिर का इतिहास Yogmaya Temple History In Hindi

Yogmaya Temple History In Hindi योगमाया देवी के मंदिर का इतिहासयोगमाया पौराणिक धर्म ग्रंथों में दैवीय शक्ति का प्रतीक मानी गई हैं. योगमाया का मंदिर दिल्ली में स्थित हैं. 

Yogmaya Temple दिल्ली की कुतुबमीनार के पास ही स्थित हैं, जिससे जुड़े कई रोचक प्रसंग हैं. भगवती योगमाया को कृष्ण की बड़ी बहिन बताया जाता हैं.

इस संबंध में कहा जाता हैं कि संसार में जों कुछ भी विद्यमान हैं जो इसी देवी की देन हैं. योगमाया देवी के मंदिर के इतिहास एवं उससे जुड़े प्रसंगों को जानने से पूर्व हमें योगमाया देवी की संक्षिप्त कहानी को जानना आवश्यक हैं, कथा इस प्रकार हैं.

योगमाया देवी के मंदिर का इतिहास Yogmaya Temple History In Hindi

योगमाया देवी के मंदिर का इतिहास Yogmaya Temple History In Hindi

योगमाया की कथा- जब कंस ने बासुदेव देवकी के छः पुत्रों का वध कर दिया था और सातवें गर्भ में शेषनाग बलराम जी आये जो रोहिणी के गर्भ में प्रवेश कर प्रकट हुए. तब आठवा जन्म कृष्ण जी का हुआ.

साथ ही साथ गोकुल में यशोदा जी के गर्भ में योगमाया का जन्म हुआ तो वसुदेव जी के द्वारा कृष्ण के बदले योगमाया मथुरा में लाई गई थी.

जब कंस ने कन्या स्वरूप उस योगमाया को मारने के लिए पटकना चाहा तो हाथ से छुट गई और आकाश में जाकर देवी का रूप धारण कर लिया. आगे चलकर इसी योगमाया ने कृष्ण के साथ योग  योगविद्या और महाविद्या बनकर कंस, चाणूर आदि शक्तिशाली असुरों का संहार करवाया.

क्यों ख़ास है योगमाया मंदिर इसका महत्व

दिल्ली के महरौली में बना यह करीब पांच हजार वर्ष पुराना महाभारतकालीन प्रमुख पांच मन्दिरों में से एक हैं. इस बारे में कहा जाता हैं कि इसकी स्थापना स्वयं पांडवों द्वारा की गई थी.

माँ योगमाया जो कि कृष्ण भगवान की बड़ी बहिन थी, उन्ही के आशीर्वाद से पांडव विजयी हुए थे. इस मन्दिर के विषय में माना जाता हैं जो भी यहाँ दर्शन करने आता हैं उनके समस्त कष्ट टल जाते हैं.

इस मंदिर को जोगमाया मंदिर भी कहते हैं. कहते है इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण ने भी पूजा की थी. समय की बहती धारा के साथ मंदिर के स्वरूप में भी बदलाव आया हैं. 1827 में तोमर शासकों ने मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया था.

देवी की प्रमुख शक्तिपीठों में योगमाया देवी के मन्दिर को भी गिना जाता हैं. इस मन्दिर की ख़ास बात यह भी हैं कि इसमें देवी योगमाया की कोई मूर्ति नहीं हैं बल्कि एक संगमरमर का दो फुट जमीन में घसा कुंड हैं, इसे पीले वस्त्र से ढका गया हैं तथा इसका मुख दक्षिण दिशा में हैं जिस पर लिखा गया हैं योगमाये महालक्ष्मी नारायणी नमस्तुते.

दिल्ली स्थित योगमाया मंदिर का इतिहास और जानकारी – Yogmaya Temple History In Hindi

भगवान कृष्ण के जीवन की रक्षा करने वाली देवी के रूप में प्रसिद्ध योगमाया के भारत में सैकड़ों मंदिर हैं. मगर दिल्ली के योगमाया मंदिर को इनका मुख्य धाम माना जाता हैं. इस मंदिर के निर्माण तिथि एवं निर्माता के बारे में कोई खास जानकारी उपलब्ध नही हैं.

उपलब्ध जानकारी के अनुसार माना जाता हैं बाहरवी सदी में इसकी नीव पांडवों द्वारा रखी गई थी. इसके पश्चात अकबर के शसनकाल में लाल सेठमल नामक व्यक्ति द्वारा इसका जीर्णोद्धार करवाया गया.

वर्तमान के इस मंदिर का ढांचा 1900 के आस-पास खड़ा किया गया था. नागर शिल्प शैली में निर्मित इस मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर एक विशाल नाग की आकृति उकेरी गई हैं. जो संभवतया इस देवी का प्रतीक हैं.

मंदिर का सम्पूर्ण गर्भगृह श्रीविष्णु, देवी दुर्गा, लक्ष्मी, यक्ष, गन्धर्व तथा विभिन्न देवी देवताओं की सुंदर चित्राक्रतियों से चित्रित हैं. योगमाया का मंत्र “मंत्र-ॐ ह्रीं सर्वचक्र मोहिनी जाग्रय जाग्रय ॐ हुं स्वाहा:” मंदिर की दीवारों पर उत्कीर्ण हैं.

मंदिर के मुख्य गर्भ गृह में देवी की प्रतिमा प्रतिस्थापित हैं. आपकों जानकार आश्चर्य होगा इस मंदिर में किसी अन्य देवी देवता की तरह सम्पूर्ण शरीर आकृति की प्रतिमा न होकर एक सिर ही हैं, भक्तों द्वारा इसे ही देवी का स्वरूप मानकर पूजा की जाती हैं. 

योगमाया मंदिर की वास्तुकला – Yogmaya Temple Architecture in Hindi

माँ योगमाया का यह मन्दिर अपने भित्ति चित्रों के कारण देश भर में विख्यात हैं. नागर स्थापत्य शैली में बने मन्दिर के मूल द्वारा पर एक वृहद आकार में नाग की आकृति बनी हुई हैं इसे माँ चिंतामाया की निशानी मानी जाती हैं.

पूरा मन्दिर देवी देवताओं के भित्ति चित्रों से उत्कीर्ण हैं. मन्दिर की दीवारों पर उकेरे चित्रों में श्री विष्णु, माँ दुर्गा, लक्ष्मी, यक्ष और गन्धर्व को दर्शाया गया हैं. पत्थरों को तराश कर उकेरी गई इन चित्र प्रतिमाओं देखकर भक्त मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.

वर्ष 1827 में जीर्ण हो चुके मन्दिर का पूर्ण उत्थान करवाया गया, इसकी मूल संरचना खासकर मुख्य प्रवेश द्वारा गर्भ गृह उसी अवस्था में हैं.

मूल गर्भगृह में देवी की एक प्रतिमा भी स्थापित की गई हैं, जिसमें योगमाया को सुंदर वस्त्रों से सजाया गया हैं, मूर्ति के ऊपरी भाग में दो पंख भी बने हैं.

योगमाया मन्दिर के गर्भगृह के मूल द्वार पर स्पष्ट अक्षरों में एक मन्त्र लिखा दिखाई पड़ता है. यहाँ आने वाले साधक इसका जाप करते हुए मूर्ति के दर्शन कर परिक्रमा करते हैं. दिल्ली में कुतुबमीनार के बेहद निकट स्थापित यह मन्दिर आध्यात्मिक चेतना का केंद्र हैं.

योगमाया मंदिर की पौराणिक कथा – Yogmaya Temple Story in Hindi

माँ योगमाया कौन थी, इस बारे में गर्ग पुराण में इसका प्रसंग देखने को मिलता हैं. जिसके अनुसार द्वापर युग की बात हैं जब यशोदा के गर्भ से भगवान कृष्ण का जन्म होना था. इससे पूर्व माँ दुर्गा ने योगमाया रूप लेकर अवतार लिया था.

पुराण के अनुसार देवकी के सातवें गर्भ को योगमाया ने रोहिणी गर्भ में पंहुचा दिया जिससे भगवान बलराम जन्मे थे, इसके पश्चात योगमाया ने यशोदा की कोख से पुत्री के रूप में जन्म लिया.

देवी के जन्म के समय यशोदा गहरी निद्रा में थी, अतः वह अपनी पुत्री के दर्शन नहीं कर पाई थी. जब आठवें गर्भ के रूप बाल कृष्ण का जन्म हुआ तो वासुदेव ने उन्हें यशोदा के साथ लिटा दिया था. जब यशोदा की आँख खुली तो उन्होंने कृष्ण को ही पाया.

वासुदेव उस कन्या को लेकर मथुरा के लिए निकल पड़े थे, जब कंस ने कन्या को अपने वंश में कर उसे मारना चाहा तो वह हाथ से छिटककर आसमान में आकाशवाणी करते हुए चली गई.

मन्दिर के विषय में महाभारत काल का एक और किस्सा जुड़ा हुआ हैं. जब बालक अभिमन्यु कौरवों की सेना के हाथों मारे जाते हैं तब पुत्र वियोग के दुःख में अर्जुन भगवान कृष्ण के साथ योगमाया देवी के मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं.

इसी मन्दिर में अर्जुन प्रतिज्ञा करते हैं कि कल के सूरज डूबने तक वे जयद्रथ का वध कर देगे. कहते हैं देवी की शक्ति से युद्ध के मैदान में कौरवों को भ्रमित करने के लिए सूर्य ग्रहण लगा और इस परिस्थिति का लाभ उठाकर अर्जुन ने जयदरथ का वध कर दिया.

योगमाया मंदिर के त्यौहार – Yogmaya Mandir Festival in Hindi

माँ योगमाया के मंदिर में वर्षभर में तीन बड़े उत्सव मनाएं जाते हैं जो ये हैं.

फूलवालों की सैर – Phoolwalon Ki Sair Festival In Hindi

हिन्दू मुस्लिम सामुदायिक सद्भाव का प्रतीक यह पर्व एक वार्षिक उत्सव है जो फूल विक्रेताओं द्वारा फूलवाला जुलुस के रूप में तीन दिवसीय पर्व मनाया जाता हैं. इसमें महरौली और दिल्ली के आसपास सितम्बर महीने में लोग इसे देखने के लिए आते हैं.

योगमाया मन्दिर और क़ुतुब साहिब दरगाह के प्रांगण में इसे मनाया जाता हैं. पर्व मनाने की परम्परा वर्ष 1812 से चली आ रही हैं. इस अवसर पर पतंगबाजी और शहनाई वादन के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता हैं.

महाशिवरात्रि – Maha Shivaratri In Hindi

यह भगवान शिव को समर्पित हिन्दुओं का बड़ा उत्सव हैं जो फरवरी या मार्च के महीने में यह आयोजन होता हैं. धूमधाम से श्रद्धालुओं द्वारा मन्दिर के प्रांगण में शिव मन्दिर को सजाया जाता हैं तथा उसकी आरती उतारी जाती हैं.

नवरात्री का त्यौहार – Navaratri In Hindi

चैत्र और आश्विन माह में सालभर में दो बार बार मनाए जाते हैं. इस अवसर पर मन्दिर में देवी की पूजा आराधना के कार्यक्रम चलते हैं.

9 दिनों के इस उत्सव को तीन तीन दिनों के तीन भागों में बांटकर मनाया जाता हैं. नवरात्रि के अवसर पर देवी के भक्त देश भर से मन्दिर के दर्शन करने पहुचते हैं.

योगमाया मंदिर तक कैसे पहुंचे – How to reach Yogmaya Temple

सुबह 5.00 बजे और रात्रि 8.30 बजे तक योगमाया मन्दिर खुला रहता हैं. इस दौरान साधक माँ के दर्शन, आरती , अभिषेक आदि कर सकते हैं.

दूर से आने वाले भक्तों के लिए अक्टूबर से मार्च तक का समय अच्छा माना जाता हैं. इस समयावधि में मौसम सुहावना रहता हैं और पर्यटकों को कोई ख़ास समस्या का सामना नहीं करना पड़ता हैं.

पर्यटक योगमाया देवी के मंदिर के दर्शन करने के लिए सड़क, वायु और रेलमार्ग के जरिये आ सकते हैं. मन्दिर के निकटतम दिल्ली रेलवे स्टेशन हैं, मन्दिर से इसकी दूरी महज 10 किलोमीटर हैं.

दिल्ली के महरौली इलाके में स्थित मन्दिर के दर्शन के लिए बस और टैक्सी आदि के जरिये भी आसानी से यात्रा की जा सकती है.

क़ुतुबमीनार के पास ही स्थित योगमाया मन्दिर सभी सडक मार्गों से जुड़ा हैं. देश या विदेश से लम्बी दूरी की यात्रा करने वाले साधक इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के द्वारा वायुयान की मदद से भी यात्रा कर सकते हैं.

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उम्मीद करता हूँ दोस्तों योगमाया देवी के मंदिर का इतिहास Yogmaya Temple History In Hindi का यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा.

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