मेरा परिवार पर निबंध Essay on My Family in Hindi

नमस्कार दोस्तों आज का निबंध मेरा परिवार पर निबंध Essay on My Family in Hindi पर दिया गया हैं. सरल भाषा में स्टूडेंट्स के लिए अपने परिवार का निबंध यहाँ दिया गया हैं.

मेरा परिवार कैसा है कौन कौन है मेरे पारिवारिक रिश्ते आदि के बारे में जानकारी इस निबंध में दी गई हैं.

मेरा परिवार पर निबंध Essay on My Family in Hindi

मेरा परिवार पर निबंध Essay on My Family in Hindi

मेरे प्यारे दोस्तों आपका हार्दिक अभिनंदन हैं. स्कूल स्टूडेंट्स को परीक्षाओं में कई बार अपनी फॅमिली के बारे में हिंदी निबंध किसी एक शब्द सीमा में लिखने को कहा जाता हैं.

यहाँ अलग अलग कक्षा के विद्यार्थियों के स्तर के अनुसार छोटे बड़े निबंध हमने तैयार किये हैं.

मेरा परिवार पर निबंध (200 शब्द)

हमारे परिवार में हम टोटल दो भाई और दो बहन है। इसके अलावा हमारे माता-पिता भी हमारे परिवार में आते हैं। दूसरे भारतीय परिवारों की तरह हमारा परिवार भी काफी बड़ा है जिसमें चाचा चाची, दादा दादी, काका काकी सहित कई लोग आते हैं। हमारे परिवार के कुल सदस्यों की संख्या 52 के आसपास है। हम उत्तर प्रदेश राज्य के प्रतापगढ़ जिले में रहते हैं।

मेरे पिताजी अपोलो टायर में टायर बनाने का काम करते हैं, वही मेरी माता जी एक ग्रहणी है। इसके अलावा हम चारों भाई बहन अभी पढ़ाई कर रहे हैं। हमारे परिवार में अधिकतर लोग प्राइवेट नौकरी करते हैं, हालांकि कुछ लोग गवर्नमेंट नौकरी की तैयारी भी कर रहे हैं। 

अन्य लोगों की तरह हमारे परिवार में भी कभी खुशी का माहौल होता है तो कभी दुख का माहौल होता है, परंतु हम जिस प्रकार खुशियों में एक दूसरे के साथ रहते हैं उसी प्रकार हम दुख में भी एक दूसरे के साथ रहते हैं और हर परिस्थिति में हम एक दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ते हैं

और शायद यही हमारे परिवार की सबसे बड़ी ताकत है कि, लोग हमारे परिवार को एक आदर्श परिवार के तहत जानते हैं। हमारे परिवार में हमें बुजुर्गों का का स्नेह प्राप्त होता है और उनसे हमें एक आदर्श व्यक्ति बनने की शिक्षा भी प्राप्त होती है।

मेरा परिवार पर निबंध (400 शब्द)

जिस घर में एक साथ दो, तीन या फिर उससे ज्यादा लोग रहते हैं उसे परिवार कहा जाता है। परिवार में जितने कम लोग होते हैं, उसे उतना छोटा परिवार और जितने ज्यादा लोग होते हैं उसे उतना बड़ा परिवार कहा जाता है।

अगर किसी परिवार में एक ही माता पिता और उनकी संतान रहते हैं, तो उसे व्यक्तिगत परिवार कहा जाता है, वही किसी परिवार में अगर माता पिता और उनके बच्चों के अलावा चाचा चाची और घर के अन्य लोग भी रहते हैं, तो उसे संयुक्त परिवार कहा जाता है।

मेरे परिवार में मैं, मेरी दो बहने और मेरा एक भाई है साथ ही मेरे माता-पिता भी हैं। इसके अलावा भी हमारे परिवार में कई अन्य लोग है। इस प्रकार से हमारा परिवार एक संयुक्त परिवार कहा जा सकता है।

एक अच्छा और अच्छे विचारों वाला परिवार होने के कारण हमें बहुत सारे फायदे भी प्राप्त होते हैं। हमारे परिवार में जितने भी सदस्य हैं वह सभी एक दूसरे के साथ बड़े ही प्यार से रहते हैं और हर खुशी में एक दूसरे के साथ शामिल होते हैं और एक दूसरे के दुख में भी शामिल होते हैं।

इसीलिए अगर हमारे परिवार पर कोई भी समस्या आती है, तो परिवार का हर सदस्य एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा होता है।

हमारे परिवार में मेरे सभी भाई बहन और मैं खुद अभी पढ़ाई कर रहे हैं। मेरे पिताजी हार्डवेयर की दुकान संभालते हैं, वही मेरी माता जी घर पर ही रहकर सिलाई करने का काम करती है। इस प्रकार दोनों लोग महीने में अच्छी खासी कमाई कर लेते हैं।

संडे के दिन हम लोग बाहर घूमने के लिए भी जाते हैं क्योंकि हमारे घर के पास में ही घूमने के लिए अच्छी जगह मौजूद है। इसके अलावा हमारे घर में जब भी कोई त्यौहार आता है, तब उसे बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

रात को हम लोग सोने से पहले अपनी दादी के पास जाते हैं और उनसे अच्छी-अच्छी कहानियां सुनते हैं, साथ ही आपस में खूब मजाक मस्ती भी करते हैं और उसके बाद हम लोग सोने चले जाते हैं और अगली सुबह जल्दी उठ करके हम तैयार होकर के स्कूल जाने के लिए अपने घरों से निकल पड़ते हैं।

मेरा परिवार पर निबंध 500 शब्दों में

इस संसार में सबसे ज्यादा प्यार हमें परिवार से प्राप्त होता है. प्यार की परिभाषा परिवार ही है. परिवार में हम पले बड़े होते है. परिवार ही हमारी पहली पहचान होती है.

परिवार भगवान द्वारा दिया गया, अनमोल उपहार है. परिवार हमें इस संसार में जीने योग्य बनाता है. परिवार से ही हम आचारण विचरण तथा संस्कार की प्राप्ति करते है, जो हमारे जीवन में बेहद उपयोगी होते है.

परिवार हमारे लिए एक सुरक्षा कवच होता है. जो हमेशा हमारी रक्षा करता है. तथा हमारी हमारी मुसीबत में हमारा साथ देता है. परिवार हमें कभी किसी भी वस्तु की कमी नहीं आने देता है.

परिवार सा इस संसार में कोई अन्य रिश्ता नहीं होता है. परिवार में वे सभी प्रेम बंधन होते है. जिसके लिए लोग तरसते है. आज जो व्यक्ति परिवार के साथ जीवन बिता रहा है. वो वास्तव में बड़ा ही भाग्यशाली है. क्योकि परिवार के बिना जीवन का महत्व ही नहीं होता है.

मेरा परिवार एक एकल परिवार है. जिसमे हम सात सदस्य रहते है. हमारा छोटा सा परिवार हमें स्वर्ग सा लगता है. मुझे मेरे परिवार में कभी कोई मुसीबत नहीं आई. क्योकि परिवार में किसी एक की मुसीबत सभी की मुसीबत होती है.

मेरे परिवार में सभी बड़े प्रेमभाव के साथ रहते है. सभी अपना अपना कार्य करते रहते है. तथा एक दुसरे को जरुरत होने पर सहायता करते है. मेरे दादाजी भी मेरे परिवार में शामिल है. जो मुझे अच्छा ज्ञान देते है.

हम सभी एक ही छत के नीचे भोजन करते है. तथा सभी मिलने पर अच्छी अच्छी बाते करते है. मेरे परिवार में सभी मुझसे बहुत प्यार करते है. क्योकि मै हमेशा दादाजी के द्वारा दिए गए संस्कारो का पालन करता हूँ.

पिछले ही महीने हम सभी परिवारजन पिकनिक की यात्रा के लिए गए थे. हम सभी ने इस यात्रा में खूब आनंद उठाया. मेरा परिवार एक आदर्श परिवार है. जो हमेशा दूसरो का भला करता है.

मेरे दादाजी गाँव के मुखिया है, जो हमेशा गाँव के लोगो की सहयता करते है. मै भी उनसे काफी प्रेरित हुआ. और आज मै भी लोगो की सहायता करता हूँ. मेरे संग एक प्यारा ओर आदर्श परिवार है. इससे मै बहुत खुश हूँ.

Essay On My Family In Hindi निबंध 700 शब्दों में

मेरे परिवार में सभी सदस्य मिलजुल कर रहते है और सभी अपनी अपनी जिम्मेदारी निभाते है. परिवार के सभी सदस्य मिलजुल कर घरेलू कार्यों की जिम्मेदारी निभाते है. आप भी अपने परिवार का सहयोग करते होंगे. 

परिवार के युवा व बड़े सदस्य आर्थिक साधन उठाने की जिम्मेदारी भी उठाते है.  परिवार के बड़े लोग खेती नौकरी या व्यवसाय आदि विभिन्न कार्यों में सलग्न रहते है. 

वर्तमान समय में महिलाएं पुरुषों के समान नौकरी व्यापार व्यापार आदि में बराबर भूमिका निभा रही है. परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई है. हम में से हर कोई परिवार में पैदा हुआ है. 

बालक की प्रथम पाठशाला उसका परिवार ही होता है. जहाँ स्नेह, दया, सहयोग, सहकार, क्षमा आदि गुणों का विकास होता है. बडो का आदर करना, अतिथियों का सत्कार करना तथा सभी के साथ मिलजुल कर रहना बालक परिवार में रहकर सीखता है.

व्यक्ति समाज की परम्पराएं व संस्कार भी परिवार में रहकर ही सीखता है. समाज में मिलजुलकर रहने की शिक्षा बालक को परिवार से ही मिलती है. परिवार हमारे जीवन का अभिन्न अंग है.

मै अपने घर में अपने माता-पिता और भाई बहनों के साथ रहता हु, यह मेरा परिवार है. इस प्रकार का परिवार एकल परिवार कहलाता है.

एकल परिवार का अर्थ है– विवाहित युगल और उसके बच्चें. हो सकता है आपके दादा- दादी, ताऊ-ताई, चाचा-चाची, बुआ आदि आपके साथ रहते हो. ऐसा परिवार जिसमें उक्त सभी सदस्य एक साथ रहते है.

वह संयुक्त परिवार कहलाता है. मेरी माँ घर के बाहर करती है. या घर पर ही काम काम करके आर्थिक सहयोग का काम करती है.

हम देखते है, कि गाँवों में स्त्रियाँ घरेलू कार्यों के साथ साथ ही पुरुषों के साथ कृषि एवं पशुपालन का कार्य भी करती है. परिवार के बच्चें इन कार्यों में बडो की सहायता करते है. इस प्रकार घर के सभी सदस्य अपनी क्षमता के अनुसार सहयोग करते है.

भारत में सामान्यत संयुक्त परिवार प्रथा (joint family) का ज्यादा प्रचलन रहा है. बदलते सामाजिक परिवेश में संयुक्त परिवारों का स्थान एकल व छोटे परिवार लेते जा रहे है.

वर्तमान समय में देखा जाता है, कि शिक्षा, रोजगार एवं बेहतरीन जीवन की तलाश में व्यक्ति अपने माता-पिता और दादा दादी से अलग होकर अन्य स्थानों की ओर पलायन करते है. इस कारण संयुक्त परिवार टूटते जा रहे है.

संयुक्त परिवार का अपना अलग ही महत्व होता है. बच्चें घर में माता पिता एवं दादा दादी के व्यवहार को देखकर बड़ो का आदर करना और छोटों को स्नेह करना सीखते है.

घर के बड़े बुजुर्गों के पास जीवन का अनुभव होता है, जिनका लाभ अन्य सदस्यों को मिलता है. जीवन में आने वाली समस्याओं के समाधान में ये अनुभव बहुत काम आते है.

दादी-नानी का प्यार और उनकी कहानियाँ तो जीवन भर याद आती है. बड़ो के संरक्षण में परिवार के सभी सदस्य निश्चिन्त और आनन्दित रहते है.

बच्चों ! हमें बड़े बुजुर्गों का आदर करना चाहिए और उनके अनुभवों का लाभ उठाना चाहिए.

परिवार के सदस्य सुख दुःख और परेशानी में एक दूसरे के काम आते है. बच्चों की कीलकारियां, बाल सुलभ चेष्टाएं और जिज्ञासाएं परिवार को आनन्द देती है.

कुछ बड़े होने पर बच्चें बड़ों के कार्यों में सहयोग देते है. भाग दौड़ के ऐसे काम जिनसे बड़े थक जाते है, उन्हें बच्चें खेल खेल में पूरा कर देते है, हम देखते है कि परिवार के सभी सदस्यों का स्वभाव और रूचि अलग-अलग होते हुए भी वे एक साथ रहते है.

बच्चों परिवार के सदस्यों के बाद हमारे सबसे निकट हमारे पड़ौसी होते है. अच्छे पड़ौसी मिल-जुल कर रहते है और दुःख सुख में एक दूसरे के काम आते है.

आनन्द के अवसर पर पड़ौसी मिलकर आनन्द को बढ़ाते है. दुःख दर्द का समय भी पड़ोसियों के सहयोग से आसानी से गुजर जाता है, अतः छोटी छोटी बातों पर ध्यान न देते हुए पड़ोसियों से अच्छे सम्बन्ध बनाए रखने चाहिए.

जहाँ परिवार सामाजिक जीवन की प्रथम पाठशाला है, वही कुछ बड़ा होने पर बालक विद्यालय जाने लगता है. विद्यालय का प्रधानाध्यापक, अध्यापक तथा अन्य कर्मचारी होते है. इन सभी के सहयोग से वह विद्यालय में पढाई का काम व्यवस्थित तरीके से करता है.

यदि विद्यालय का सहायक कर्मचारी कमरों की सफाई न करे या समय पर घंटी न बजाए तो कितनी परेशानी होगी? यदि आपके अध्यापक जी बीमार हो जाए और आपका पाठ्यक्रम पूरा न हो पाए तो क्या आप अच्छे अंको से उतीर्ण हो पाएगे.

अतः सभी कार्य महत्वपूर्ण होता है. सबके आपसी सहयोग से ही विद्यालय में व्यवस्थित तरीके से पढाई चल सकती है. विद्यार्थियों का अनुशासित रहना भी आवश्यक है.

कक्षा के होशियार बच्चों को कमजोर सहपाठियों की मदद करनी चाहिए. ठीक यही बातें मेरे परिवार पर भी लागू होती है, सभी के सहयोग से ही परिवार बेहतर तरीके से चल पाता है.

व्यक्ति का परिवार और पडोस के अलावा समाज के अन्य सदस्यों व संस्थाओं का भी बहुत काम पड़ता है. समाज में सभी व्यक्ति अपनी रूचि और योग्यता के अनुसार अलग अलग कार्य करते है.

किसान खेती करता है. कुम्हार, लोहार, सुनार, दर्जी ये सभी समाज के लिए आवश्यक कुछ न कुछ वस्तुओं का निर्माण करते है. कुछ लोग नौकरी करते है, कुछ व्यापार में लग जाते है. अध्यापक, डॉक्टर, इंजिनियर आदि समाज को अपनी सेवाएं देते है.

पुलिस, प्रशासन, न्याय आदि से जुड़े लोग समाज में शान्ति एवं न्याय व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाते है. इन सभी लोगों के कार्यों से हमारा जीवन सुखमय बनता है.

समाज के सदस्य इन कामों को एक दूसरे पर आश्रित रहकर तथा परस्पर सहयोग के द्वारा सम्पूर्ण समाज के कल्याण के लिए सम्पन्न करते है. एक ओर जहाँ गावों में उत्पन्न अनाज शहरों में लाया जाता है.

और कुछ कारखानों को कच्चा माल भी खेती से प्राप्त होता है. इस तरह मेरे परिवार के लोग सभी संस्थाओं से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहते है.

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