रक्षाबंधन पर निबंध 2024 | Essay on Raksha Bandhan For class 3, 4, 5 In Hindi

रक्षाबंधन पर निबंध 2024 | Essay on Raksha Bandhan For class 3, 4, 5 In Hindi: आप सभी को रक्षाबंधन 2024 के पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं.

आज के रक्षा बंधन निबंध में हम कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स के लिए 100 words, 150 words, 200 words, 250 words में सरल रक्षाबंधन का निबंध, भाषण, अनुच्छेद, लेख स्पीच यहाँ बता रहे है.

रक्षाबंधन पर निबंध 2024 | Essay on Raksha Bandhan For class 3, 4, 5 In Hindi

रक्षाबंधन को राखी का त्यौहार भी कहते हैं. यह हिन्दुओ के मुख्य त्यौहार में गिना जाता हैं, प्रतिवर्ष हिन्दू कैलेडर के अनुसार रक्षाबंधन श्रावण महीने की पूर्णिमा के दिन देशभर में मनाया जाता हैं.

जो सम्भवत जुलाई या अगस्त महीने में आता हैं. भाई बहिन के पावन रिश्ते और उज्जवल प्रेम का प्रतीक यह पर्व भाई-बहिन के रिश्ते को बढ़ाने के साथ ही एक दुसरे का ख्याल रखने की याद भी दिलाता हैं.

प्रतिवर्ष रक्षाबंधन के दिन बहिन अपने घर से भाई के लिए अच्छी से अच्छी राखी लाकर भैया की दाहिनी कलाई पर बाधती हैं. तिलक कर भाई की लम्बी उम्र की प्रार्थना करती हैं, भाई अपनी बहिन की रक्षा करने का सकल्प लेता है इस दिन प्रत्येक भाई राखी बंधवाने का इन्तजार करता हैं,

तथा राखी बाधने के बाद बहिन को उपहार भी भेट करता हैं. रक्षाबंधन के पर्व को मनाने के पीछे कई धार्मिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं. जिनमे वामनावतार की कथा का बड़ा महत्व हैं. पृथ्वी लोक पर राजा बली ने ब्रह्मा की कठिन तपस्या कर स्वर्ग का पूर्ण अधि कार अपने कब्जे में कर लिया.

इससे चिंतित होकर इंद्र ने विष्णुजी से विनती कि वे बली के पास वामनावतार में जाए और दक्षिणा में पूरा राज्य छीन लेवे. इस पर बली ने वामनावतार जी को तीन पग रखने की जमीन भेट की, विष्णु जी ने एक पैर जमीन, आसमान और एक पाताल में रख लिया, जिसके कारण बली को रसातल में एक शर्त पर जाने के लिए तैयार हुआ

जिसमे जब वो चाहे विष्णु उनके साथ रहे. इस प्रकार ऐसे वर से परेशान लक्ष्मीजी बली के पास पहुची और उन्हें धागा बांधकर भाई बना लिया और भेट में अपने पति को मांग लिया. कहते हैं उस दिन श्रावण की पूर्णिमा थी.

उपसंहार : भारत की संस्कृति की दुनियां में अपनी अनूठी पहचान हैं. अपने इतिहास, परम्परा और मूल्यों के कारण भारतीय आज भी हजारों सालों की मान्यताओं और रिवाजों का पालन करते हैं. प्रत्येक भारतीय को अपने पर्व और त्योहारों पर गर्व हैं.

भारत की धरती पर बहिनों को समर्पित राखी का त्यौहार आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना किसी अन्य समय में हुआ करता था.

जिस तरह आज भी हमारी कुछ बहिनों बेटियों को संसार देखने से पूर्व ही गर्भ में मार दिया जाता हैं. राखी जैसे पर्व मनुष्य में रिश्तों की महत्ता को जगाने में अहम भूमिका निभाते हैं.

रक्षाबंधन के दिन कई ऐसे भाइयों की कलाइयाँ खाली रह जाती है, जिन बहिनों को माता पिता ने दुनियां में आने ही नहीं दिया था, विश्व की सबसे समृद्ध और वैभवशाली संस्कृति वाली भूमि कही जाने वाले भारत में एक तरफ कन्या पूजन और देवी पूजा का विधान हैं.

वही दूसरी ओर बेटियों की गर्भ में हत्या, वधुओं के साथ दहेज़ की प्रताड़ना, और छोटी कन्याओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं निश्चय हमारे समाज को कलंकित करने वाली हैं.

रक्षाबंधन के इस त्यौहार पर हम प्रण ले कि हम कभी भी किसी भारतीय बहिन के साथ न अत्याचार करेगे न किसी को करने देगे, जीवन में कम से कम एक अनाथ या बिना भाई की बहिन से राखी बंधवाकर जीवन भर उनकी रक्षा का प्रण जरुर ले. तभी सही मायनों में इस तरह के उत्सवों के आयोजनों का उद्देश्य सार्थक सिद्ध हो सकेगा.

रक्षा बंधन निबंध Essay On Raksha Bandhan 2024 In Hindi

भारत त्योहारों का देश हैं, हमारे यहाँ पर विभिन्न प्रकार के त्यौहार मनाए जाते हैं. हर त्यौहार अपना विशेष महत्व रखता हैं. रक्षा बंधन भाई-बहिन के प्रेम का प्रतीक त्यौहार हैं. यह भारत की गुरु-शिष्य परम्परा का प्रतीक त्योंहार भी हैं. यह दान के महत्व को प्रतिष्टित करने पावन त्यौहार हैं.

रक्षा बंधन इन्हे राखी का पर्व भी कहा जाता हैं, ये श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं. कहते हैं इसी महीने ऋषि लोग आश्रम में रहकर यज्ञ और विद्या-अध्ययन किया करते थे.

श्रावण की पूर्णिमा के दिन मासिक यज्ञ का समापन होता था. इस यज्ञ की समाप्ति के पश्चात सभी शिष्यगण और यजमानों को राखी का धागा बाधा जाता था. सम्भवतया इसी कारण इस पर्व को राखी का त्यौहार रक्षाबंधन कहते हैं.

हजारों वर्षो की इसी परम्परा को आगे बढाते हुए आज भी राखी के दिन ब्राह्मण अपने यजमानों के राखी का धागा बांधते हैं. कालान्तर में इसी धागे को रक्षा सूत्र कहा जाने लगा. जब ब्राह्मण अपने यजमान को राखी बांधते हैं, तो निम्न मंत्र का उच्चारण करते हैं.

येन बद्दो बली राजा, दानवेंदरो महाबल: |

तेन त्वां प्रति बच्चामि रक्षे, मा चल, मा चल ||

इस मन्त्र का आशय यह हैं, कि जिस रेशम के धागे से राजा बली को बाँधा था. आज वो तुम्हे बाँध रहा हु. हे रक्षासूत्र तू भी अपने कर्तव्य पथ से कभी मत डिगना, विचलित होना. यानि इनकी किसी भी मुशीबत या समस्या में मदद करना इसकी रक्षा करना.

वर्तमान समय में रक्षाबंधन को भाई-बहिन का पर्व भी माना जाता हैं, बहिन कई दिनों से अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधने का इन्तजार कर रही होती हैं. रक्षाबंधन के अवसर पर जो बहिने ससुराल जाती हैं,

वे अपने मायके आकर भाई की कलाई पर राखी का धागा बाँध उनका मुह मीठा कर तिलक लगाती हैं. भाई अपनी बहिन को उपहार भी देता हैं. इस दिन सभी जगह ख़ुशी का माहौल होता हैं. एक दुसरे के राखी बाँधने के साथ ही घर पर विशेष पकवान भी बनाएँ जाते हैं.

रक्षाबंधन के पर्व के आने से पूर्व ही बाजार राखी, मिठाई और नए वस्त्रो से सज-धज जाते हैं. बाजार की रौनक देखते ही बनती हैं. इस दिन बहिने बाजार जाकर अपने भाई के लिए अच्छी से अच्छी राखी लाने का प्रयत्न करती हैं. 

रक्षाबंधन के दिन देवालयों में विशेष पूजा अर्चना भी की जाती हैं. इसी तिथि को लोग पैदल कावड़ लेकर चलने का द्रश्य बड़ा मनोरम होता हैं. विभिन्न धार्मिक स्थलों पर इस दिन मेले लगते हैं. दान-पुण्य का कार्य भी सम्पन्न किया जाता हैं.

रक्षाबंधन के दिन पंडित को दान और भूखे दीन लोगो को भोजन और वस्त्र भेट करना शुभ माना जाता हैं. धार्मिक महत्व होने के साथ ही रक्षाबंधन का सामाजिक महत्व भी हैं. इस दिन प्रत्येक परिवार के अधिकाँश सदस्य घर में एकत्रित होते हैं.

बहिने अपने ससुराल से माता-पिता के घर आती हैं. भाई-बहिन के राखी बंधन के साथ ही बचपन की यादे एक दुसरे के साथ सांझा की जाती हैं. भाई बहिन की रक्षा का वचन देता हैं. सारी रिश्तो की खटास समाप्त करने के साथ ही रक्षाबंधन परस्पर प्रेम बढाने वाला त्यौहार हैं.

इस तरह रक्षाबंधन का पर्व हमारे समाज और परिवार के सदसयों को एकता के सूत्र में बाँधने के साथ ही खुशियों से माहौल को खुशनुमा कर देता हैं.

रक्षाबंधन निबंध 500 शब्दों में

कहते है कि राजपूत रानी कर्णवती ने शत्रुओं से अपनी रक्षा के लिए मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजी थी. तब हुमायूँ ने मुसीबत के समय उसी रक्षा करने आया था. यह भाई बहिनों के पवित्र सम्बन्धों का त्योहार है. इससे प्रेम भाव और खुशहाली प्रकट होती है.

हिन्दू त्योहारों में दो त्योहार ऐसे है जो भाई बहिन के पवित्र प्रेम पर आधारित हैं ये हैं भैया दूज और रक्षा बंधन. रक्षाबन्धन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को होता हैं. इसलिए इसे श्रावणी पर्व भी कहते हैं.

यह त्योहार वर्षा ऋतु में होता हैं. उस समय आकाश में काली घटाएं छाई रहती हैं. धरती हरियाली की चादर ओढ़ लेती हैं. सभी छोटे बड़े नदी तालाब पानी से भर जाते हैं.

रक्षा बंधन का इतिहास

रक्षा बंधन का इतिहास अति प्राचीन हैं. कहते है कि एक बार देवताओ और दैत्यो के युद्ध मे देवताओं की हार होने लगी. श्रावण की पूर्णिमा के दिन इन्द्राणी ने इद्र के पास एक ब्राह्मण के हाथ रक्षा सूत्र भेजा.

ब्राह्मण ने मत्र पढ़कर वह सूत्र धागा इद्र के दाहिने हाथ की कलाई में बाध दिया. उस रक्षा सूत्र के प्रभाव से देवताओ की जीत हुई, तभी से प्रतिवर्ष बहिने भाइयो को और ब्राह्मण अपने यजमानो को राखी बाधने लगे.

हमारे इतिहास मे अनेक ऐसे उदहारण है जबकि राखी की पवित्रता की रक्षा के लिए एक भाई ने अपने जीवन को दांव पर लगाया हैं. भारत ही नहीं दुनियां की अन्य सभ्यताओं के लोगों ने भी रक्षा के सूत्र के महत्व को स्वीकार हैं. इतिहास में रानी कर्मावती एवं मुगल शासक हुमायूं का प्रसंग इसका प्रमाण देता हैं.

जब मुगल सम्राट ने कर्मावती की राखी की खातिर राजपूतों के साथ उनके बैर भाव को भुलाकर वह मदद के लिए निकला. मगर वह जब तक चित्तौड़ पहुँचता रानी कर्मावती अपनी संगी सहेलियों के साथ जौहर की ज्वाला में भस्म हो चुकी थी.

रक्षा बंधन मनाने का तरीका

रक्षा बंधन मुख्य रूप से ब्राह्मणों का त्योहार हैं. इस दिन ब्राह्मण नया यज्ञोपवीत धारण करते हैं. वे अपने यजमानों को रक्षा सूत्र बांधते हैं.

घरों में सेवइयाँ और चावल बनाए जाते हैं. कही कही पकवान भी बनते हैं. बहिने भाइयों को राखी बांधती हैं और मिठाई खिलाती हैं, भाई इसके बदले उन्हें उपहार देते हैं.

रक्षा बंधन का महत्व

रक्षा बंधन एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह भाई बहिन के पवित्र प्रेम पर आधारित हैं. राखी के चार कोमल धागों प्रेम का कठोर बंधन बन जाते हैं.

राखी में प्रेम का वह कलश भरा होता हैं. जो सारे बैर विरोधों को भुला देता हैं. राखी के बहाने दूर दूर रहने वाले भाई बहिन वर्ष में एक बार मिल जाते हैं.

वर्तमान स्थिति

अब धीरे धीरे रक्षा बंधन का वास्तविक आनन्द कम होता जा रहा हैं. राखियों में चमक दमक तो पहले से बढ़ गई हैं. अब तो चांदी की राखियाँ भी बनने लगी हैं. किन्तु उसके पीछे छिपी भावना कम होती जा रही हैं, आजकल ब्राह्मण केवल डाक से राखी भेजकर अपना कर्तव्य पूरा कर लेते हैं.

उपसंहार

राखी तो वास्तव में रक्षा सूत्र हैं, इसका महत्व रूपये से मापना उचित नही हैं. यह त्योहार हमे अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा करने की शिक्षा देता हैं. यह बहिन और भाई को सदा के लिए प्रेम के धागे में बांधे रखता हैं.

भाई बहिन के सुपावन प्यार की पहचान राखी,
देखने में चार धागे हैं बहुत बलशाली राखी.

रक्षाबंधन निबंध 750 शब्दों में 2024 | Short Essay On Raksha Bandhan For Kids In Hindi

राखी का त्यौहार रक्षा बंधन 2024 ESSAY (निबंध) इन हिंदी

त्योहार मनाने की हमारी परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है. आर्यों के सामजिक जीवन में थकावट व कार्य के प्रति उब को मिटाने की द्रष्टि से किसी न किसी बहाने व प्रंसग से जोड़कर त्यौहार मनाने की परम्परा शुरू हुई. इस प्रकार के पर्व से ख़ुशी और उल्लास की भावना का जन्म होता है.

प्राचीन आर्यों द्वारा वर्ण व्यवस्था के कारण प्रत्येक वर्ण का एक मुख्य त्यौहार हुआ करता था. जिस प्रकार दीपावली का सम्बन्ध विशेषकर वैश्य वर्ग से है.

उसी प्रकार रक्षा बंधन का सम्बन्ध विशेष रूप से हमेशा ब्राह्मणों से माना जाता रहा है. लेकिन यह हमारी संस्कृति की अच्छाई है. कि हम रक्षा बंधन या कोई और पर्व सभी देशवासी इसे बड़े धूमधाम से मनाते है.

रक्षा बंधन मनाने का कारण और समय (Reason and Time to Celebrate Raksha bandhan)

यह रक्षा बंधन वर्षा ऋतू में मनाया जाने वाला मुख्य त्यौहार है. यह श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस त्यौहार की अपनी सांस्कृतिक विशेषताएं है.

रक्षा बंधन को मनाने के पीछे कई दंत कथाएँ जुड़ी हुई है. वैसे तो प्राचीन समय में वैदिक आचार्य अपने शिष्य के हाथ में रक्षा का सूत्र बांधकर उसे वेदशास्त्र में पारंगत किया करते थे. परन्तु आज के समय में इस प्रकार की प्राचीन कथाओ का कोई विशेष महत्व नही है.

धीरे-धीरे इस त्यौहार की परम्परा ने सामाजिक रूप धारण कर लिया है. वर्षा ऋतू के सुहावने मौसम में रक्षाबंधन का त्यौहार उमंग और उल्लास के साथ मनाया जाता है.

विशेषकर राजस्थान सहित सम्पूर्ण उत्तर भारत में इसे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाने की परम्परा है. इस दिन बहिने नवीन वस्त्र धारण कर और आभुष्ण से सज धज कर अपने भाई के ललाट पर मंगल टीका लगाती है.

अपने भाई का मुह मीठा कर दाहिने हाथ पर राखी का धागा बाँधा जाता है. रक्षाबंधन पर पर्व पर इस पवित्र राखी के धागे के बदले में भाई अपनी बहिन को कीमती गहने, वस्त्र भेट के रूप में देता है. इस प्रकार रक्षा बंधन का त्यौहार वास्तव में भाई-बहिन के प्रेम का सच्चा प्रतीक है.

रक्षा बंधन का महत्व (Raksha Bandhan Ka Mahatva)

 राखी का त्यौहार न सिर्फ एक धार्मिक त्यौहार भर है. इसका बड़ा सामाजिक महत्व भी है. यह सभी सम्प्रदायों धर्मो के लोगों के बिच प्रेम को बढ़ाता है.

एक पुरानी कथा के अनुसार रानी कर्णवती ने अपनी रक्षा के लिए मुसलमान बादशाह हुमायूँ को अपना राखी बंध भाई बनाया था. जिसने चित्तोड़ की इस रानी के मुश्किल वक्त में सहायता करने का सन्दर्भ पढनें को मिलता है.

रक्षाबंधन का आयोजन Rakshabandhan organized in Hindi

हमारे भारत में सदियों पुरानी परम्परा का पालन करते हुए आज भी रक्षाबंधन का त्यौहार पूरे राष्ट्र में एक साथ श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं.

इस दिन बहिनें अपने भाई के घर जाकर उन्हें राखी अथवा कलावा बांधती है और उनके माथे पर तिलक लगाकर आरती करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करती है कि वह उनके भाई को लम्बी आयु दे, इसके पश्चात वह गुड़ मिठाई आदि से मुहं मीठा करवाती हैं.

इस मौके पर भाई अपनी बहिन को सदा रक्षा का वचन देता है. त्यौहार के अवसर पर जीवन में नयापन आ जाता हैं. बाजार भिन्न भिन्न रंगों की बनी आकर्षक राखियों से भर जाते हैं.

लोगों की आवाजाही बढ़ जाती हैं. देश के प्रत्येक कोने में कुछ स्थानीय परम्पराओं के साथ राखी का त्योहार मनाया जाता हैं. देश के अधिकतर उत्तरी राज्यों में इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता हैं. लोग इस दिन विभिन्न तरह के खेल तमाशों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं.

उपसंहार-इस प्रकार हम देखते है कि हिन्दू धर्म के मुख्य चार त्योहारों में इस रक्षा बंधन के पर्व को भी स्थान दिया गया है. इस दिन भाई-बहिन एक दुसरे के पवित्र स्नेह को स्वीकार करते है. तथा एक बहिन के प्रति भाई के कर्तव्य को अपनी आखिरी सास तक निभाने का संकल्प किया जाता है.

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रक्षा बंधन का तात्पर्य रक्षा के लिए बंधन से है अर्थात जिसके हाथ पर राखी बाँधी जाती हैं. वह बाँधने वाले के लिए वचनबद्ध हो जाता हैं. रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने के कारण श्रावणी भी कहलाता हैं.

प्राचीन काल में स्वाध्याय के लिए यज्ञ एवं ऋषि मुनियों के लिए तर्पण कर्म करने के कारण इसका नाम ऋषि तर्पण पर भी पड़ा. यज्ञ के उपरांत रक्षा सूत्र बाँधने की प्रथा के कारण बाद में यह पर्व रक्षाबंधन के नाम से प्रसिद्ध हुआ. यह भाई बहनों के प्रेम एवं सोहार्द का सूचक भी हैं. इस दिन बहनें अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधती हैं.

राखी के पर्व का आरंभ एवं इसका प्रचलन बड़ा प्राचीन माना गया हैं. इस सम्बन्ध में विष्णु पुराण में भगवान् विष्णु ने वामन का अवतार लिया था तब उन्होंने अभिमानी राजा बलि से केवल तीन पग जमीन दान के रूप में मांगी थी बलि द्वारा वामन को दिए वचन के अनुसार वामन देव ने पुरो पृथ्वी को एक ही पैर में नापते हुए बलि को पाताल लोक में भेज दिया था.

इस कथा के साथ कुछ धार्मिक भावनाओं को जोड़कर इसे रक्षा बंधन के रूप में याद किया जाने लगा. उसी स्मृति में इस त्योहार का प्रचलन हुआ परिणामस्वरूप आज भी ब्राह्मण अपने यजमानों से दान लेकर रक्षा सूत्र बांधते हैं. उन्हें भिन्न प्रकार आशीर्वाद भी देते हैं. इस त्योहार का सम्बन्ध गुरु शिष्य सम्बन्ध से भी हैं.

प्राचीन काल में जब शिष्य आश्रम में पढ़ने के लिए पहले दिन जाता था उस दिन शिष्य अपने गुरु के हाथ पर रक्षा सूत्र बांधकर अपने जीवन का भार गुरु को सौपता था. आश्रम में अध्ययन के लिए प्रवेश करने के लिए श्रावण पूर्णिमा का दिन शुभ माना जाता था.

राखी का त्योहार हमारे भारत देश में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता हैं. हिन्दू समाज की देखादेखी अब कई अन्य मतों के लोगों ने इस पर्व को मनाना आरंभ कर दिया हैं. ऐसा इसलिए हैं क्योंकि यह पर्व सम्बन्ध एवं धर्म की दृष्टि से काफी अहम माना गया हैं.

धर्म के दृष्टिकोण से राखी का पर्व गुरु शिष्य के आपसी नियम सिद्धांतों सहित उनके धर्म को बताता हैं. वही पारिवारिक संबंध की दृष्टि से यह त्योहार भाई बहिन के रक्त सम्बन्धों को और अधिक मजबूती प्रदान करने वाला श्रेष्ठ सामाजिक त्योहार हैं.

इस दिन बहिन अपने भैया के लिए मंगलकामना करते हुए उन्हें राखी का धागा बांधती हैं. भाई अपनी बहिन को रक्षा का वचन देता हैं. इस तरह से यह भारतीय पर्व भाई बहिन के स्नेह का प्रतीक उत्सव हैं.

इतिहास के नजरिये से रक्षा के पर्व की बड़ी महानता हैं. मध्य काल में जब दिल्ली की सत्ता मुगलों के हाथ में थी तब गुजरात के शासक बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया था. उस समय मेवाड़ की सत्ता रानी कर्मावती के हाथ में थी.

उस वक्त अपने राज्य की सुरक्षा का कोई उपाय न मिलने पर रानी ने सम्राट हुमायूं को अपना भाई मानते हुए राखी भेजी. बादशाह रानी कर्मावती के ऐसे करने से बेहद प्रभावित हुआ और उसने रक्षा सूत्र को स्वीकार करते हुए उसके राज्य के बचाव में स्वयं सेना लेकर चित्तौड़ के लिए रवाना हुआ.

आज रक्षाबन्धन का पर्व समूचे भारत में प्रसन्नता एवं प्रेम के भाव के साथ वर्षा ऋतू में श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं. इस अवसर पर प्रत्येक बहिन पवित्र भाव से अपने भाई को टीका लगाकर मुह मीठा करवाकर उनके हाथ पर राखी बांधती हैं.

बदले में भाई अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें कुछ भेट देता हैं. इस दिन गुरु, आचार्य, पुरोहित व ब्राह्मण जाति के लोग अपने यजमानों के रक्षा सूत्र बांधकर उनको आशीष देते हैं. इस मौके पर यजमान उन्हें दान इत्यादि देते हैं.

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