बाटाडू का कुआ

बाटाडू का कुआ का इतिहास | Batadu ka Kuaa History In Hindi राजस्थान और खासकर पश्चिमी मरुस्थल में जल को घी से अधिक मूल्यवान बताया जाता है. यहाँ एक समय था जब पीने के पानी का भयंकर संकट था. लोगों को जीवित रहने के लिए संघर्ष करना पड़ता था. दूर दूर तक जल का कोई नामोनिशान नहीं था. बरसात का पानी संग्रह करने की कोई व्यवस्था नहीं थी न कोई दूसरा जल स्रोत हुआ करता था. ऐसे में दो तीन वर्षों के लिए अकाल पड़ जाता तो जीवन निर्वहन कितना कठिन हो जाता था. आज हम इसकी कल्पना नहीं कर सकते हैं.

उस समय के बाड़मेर में एक प्रसिद्ध कुआ जिसे बाटाडू का कुआ कहते है एक बड़ा जल स्रोत हुआ करता था. इसे रेगिस्तान का जलमहल भी कहते हैं. आसपास के 50 किमी की दुरी से लोग यहाँ पानी भरने आया करते थे. संगमरमर से बना यह कुआ आज एक एतिहासिक धरोहर है. सन 1947 के भयंकर अकाल के समय सिणधरी रावल गुलाबसिंह ने इसकी खुदाई कराई थी. यहाँ चौबीस घंटे पानी भरने के लिए लोग बारी का इन्तजार करते थे.

बाटाडू गाँव के मुख्यालय पर स्थित यह ऐतिहासिक कुआं 60 फीट लंबा, 35 फीट चौड़ा, 6 फीट ऊंचा व 80 फीट गहरा है. इसके पास ही पांच फीट की गहराई का एक कुंड है. कुंड के मध्य में संगमरमर के पत्थर से निर्मित एक गुरुड प्रतिमा भी हैं. कुँए पर एक प्रवेश द्वार भी बना है जिसके दोनों तरफ सिंह प्रतिमाएं सुज्जित है. प्रतिमाओं पर संस्कृत श्लोकों में कई राजाओं, देवी देवताओं और गाय की महिमा का वर्णन किया गया हैं.

एक मुश्किल समय में अधिकाँश बाड़मेर की प्यास बुझाने वाला बाटाडू का कुआँ आज अस्थायी चद्दरों से ढका पड़ा है. खुला कुआं होने के कारण कई जानवर इसमें गिर चुके है. वहीँ जल के अन्य स्रोत होने के कारण आज इसकी उतनी आवश्यकता नहीं रह गई है. यही कारण है कि इसके संरक्षण की तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है. ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक विरासत स्थल के रूप में बाटाडू का कुआँ बाड़मेर का जल मंदिर है इसकी समुचित देखभाल और रखरखाव की जिम्मेदारी सरकार अथवा स्थानीय प्रशासन को लेनी चाहिए.

बाटाडू का कुआँ आम जन की आस्था का केंद्र रहा है. यहाँ कई देवी देवताओं की कलाकृतियाँ देखने को मिलती है. प्रत्येक सोमवार को पूजा अर्चना की जाती है तथा श्रावण महीने के पहले सोमवार को यहाँ मेला भरता है. कुँए के जीर्णोद्धार और रखरखाव के नाम पर सन 2000 में तत्कालिक सरपंच ने इसकी चारदिवारी का निर्माण करवाया था. बाटाडू का कुआँ बाड़मेर पर्यटकों के लिए दर्शनीय स्थल के रूप में जाना जाता है यह जिला मुख्यालय बाड़मेर से 55 किमी दूर बायतु तहसील के बाटाडू गाँव में स्थित हैं.

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