संतुलित भोजन एवं उसके अवयव Components Of Balanced Diet In Hindi:- संतुलित आहार वह है जिसमें समस्त पोषक तत्व (कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, जल तथा खनिज लवण) उचित मात्रा में विद्यमान हो. उसे ही संतुलित भोजन/ आहार कहा जाता है.
एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए संतुलित भोजन का बड़ा महत्व है, बच्चें, बूढ़े, बड़े व महिलाओं सभी के समुचित विकास एवं वृद्धि के लिए संतुलित भोजन चार्ट के अनुसार खाना चाहिए.
कई बार इन पोषक तत्वों से युक्त भोजन न मिलने के कारण बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते है. आइयें जानते है, आखिर संतुलित भोजन क्या है संतुलित आहार के सात पोषक तत्व कौनसे है.
संतुलित भोजन व अवयव Components Of Balanced Diet In Hindi
कार्बोहाइड्रेट व वसा शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं. प्रोटीन कोशिकीय अवयवों की वृद्धि एवं निर्माण के लिए जरुरी है. खनिज तथा विटामिन कोशिकाओं एवं ऊतकों में जैव अभिक्रियाओं के लिए आवश्यक है.
जल कोशिकीय एवं जैव प्रकार्यों जैसे पाचन, उत्सर्जन तथा परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इन सबके साथ साथ पाचन के लिए कुछ रुक्षांश (Raughage) की भी आवश्यकता होती है.
रुक्षांश में मुख्यतः न पचने वाला सेलुलोस होता है जो पानी को सोखकर भोजन के परिमाण को बढ़ा देता हैं जिससे कब्ज नही होती हैं.
संतुलित भोजन के घटक (Components of balanced food In Hindi)
एक संतुलित आहार/भोजन के घटक/अवयव निम्न है.
कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate)– कार्बोहाइड्रेट (स्टार्च तथा शर्करा) हमारे शरीर के लिए ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है. यदपि ये बहुत सम्रद्ध स्रोत नहीं है, किन्तु ये ऊर्जा के सबसे सस्ते स्रोत है.
सामान्यतया कार्बोहाइड्रेट हमारे आहार में निहित कुल भोजन ऊर्जा का कुल 60% से 80% अंश प्रदान करता है.जब हम फल सब्जियां तथा अन्य वनस्पति पदार्थ खाते है,
तब हम बहुत मात्रा में वनस्पति कोशिकाएं ग्रहण करते है, जिनकी कोशिका भित्तियां, एक कार्बोहाइड्रेट, सेलुलोस से बनी होती है. इन पदार्थों के पाचन हेतु आवश्यक इन्जाइम हमारे शरीर में नही होते है. इसलिए रुक्षांश के रूप में कार्य करते है.
वसा (Fat)-वसा ऑक्सीकरण में कार्बोहाइड्रेट की तुलना में दुगुनी ऊर्जा प्रदान करते है. इसका कारण यह है, कि वसा अणुओं में कम ऑक्सीजन होती है.
ऊर्जा प्रदान करने के अतिरिक्त वे कोशिकाओं एवं ऊतकों के सरंचनातमक पदार्थों को बनाने में सहायता करते है. जैसे कि कोशिका झिल्ली तथा अन्य अंगक. वसा शरीर द्वारा बाद में उपयोग हेतु संचयित भी की जाती है.
यदि हम भोजन की इतनी मात्रा ले कि उससे उत्पन्न समस्त ऊर्जा का शरीर द्वारा किये गये कार्यों में उपयोग न हो सके तो अतिरिक्त ऊर्जा हमारी त्वचा के नीचे स्त्वचिय वसा के रूप में संचयित हो जाती है. हमें वसा मक्खन, घी, पनीर, दूध, अंडे की जर्दी, गिरी, मांस तथा सभी खाद्य तेलों से प्राप्त होती है.
प्रोटीन (Protein)– प्रोटीन उस पोषक वर्ग के सदस्य है जिनसे हमारा शरीर प्रमुखतया बना है. जीवद्रव्य में जल के अलावा शेष भाग अधिकाश प्रोटीन ही है.
हमारे शरीर को जिन एमिनो अम्लों की आवश्यकता होती है, उन्हें चयन कर पुनः संयोजित कर विशिष्ट प्रोटीन बनाता है. प्रोटीन एक पाचन क्षुद्रात्र में होता है.
तथा इस प्रक्रिया में उत्पन्न एमिनों अम्लों का आत्र द्वारा अवशोषण हो जाता है.तत्पश्चात वे नवीन समूहों में आबद्ध होकर शरीर की कोशिकाओं में विशेष प्रोटीन का निर्माण करती हैं. जिससे कोशिकाओं तथा ऊतक विकसित होते हैं. जैसे त्वचा पेशियां, रक्त तथा अस्थियाँ.
कार्बोहाइड्रेट तथा वसा की भांति प्रोटीन, कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के यौगिक है. किन्तु इनमें कुछ अन्य तत्व भी होते हैं, जैसे नाइट्रोजन तथा सल्फर जो अनेक जैविक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यदपि कुछ ऐसे भी प्रोटीन है जिनको हम सीधे ही भोजन द्वारा प्राप्त करते हैं.
समस्त पौधों में कुछ मात्रा में प्रोटीन होता हैं, किन्तु मूगफली, बीन, अन्न मक्का तथा गेहूं तथा दालें प्रोटीन के लिए सबसे अच्छे वनस्पति स्रोत हैं. मांस, मछली, अंडे तथा पनीर जन्तु प्रोटीन के स्रोत है.
जल और रुक्षांश (Water and sediment)- संतुलित भोजन में जल तथा रुक्षांश का बराबर महत्व है. जल. कोशिका द्रव्य, रुधिर प्लाज्मा तथा ऊतकों के अन्तः कोशिकीय द्रव में उपस्थित होता है.
जल हमारे शरीर के ताप को स्वेदन (पसीना) तथा वाष्पनद्वारा नियंत्रित करता है. और इस तरह शरीर के अपशिष्ट पदार्थ के उत्सर्जन हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
हमारे शरीर के लिए आवश्यक अधिकांश जल की आपूर्ति हमारे द्वारा पिए गये पानी तथा अन्य पेय पदार्थ जैसे चाय, कॉफ़ी, फलों के रस या दूध आदि से होती है. कुछ हल ऑक्सीकरण तथा अन्य अभिक्रियाओं में सहउत्पाद के रूप में भी उत्पन्न होता हैं.
सलाद, सब्जियां तथा फल जिनमें तना, छिलका तथा रेशा अधिक होता है. वे हमारे भोजन में प्रमुख रुक्षांश प्रदान करते हैं. भुट्टा तथा दलिया अन्य पोषक तत्वों के अतिरिक्त अच्छा रुक्षांश भी प्रदान करते हैं.
खनिज लवण (mineral salts)-हमें लोहा, जिंक, आयोडीन, नमक, कैलिशयम फास्फेट जैसे अनेक धातुओं तथा लवणों की आवश्यकता शरीर की विभिन्न अभिक्रियाओं के लिए होती है.
इन सबकों सम्मिलित रूप से खनिज कहते है. आपने अवश्य ध्यान दिया होगा कि गर्मियों में पसीने के कारण कपड़ो पर सफेद दाग लग जाते है.
यह मुख्य रूप से सोडियम क्लोराइड यानि नमक है. कैलिशयम के लवण भी हमारे शरीर में हड्डियों तथा दांतों को मजबूती प्रदान करते है.
तथा रक्त जमने में मदद करते है. सोडियम तथा पोटेशियम के लवण कोशिकाओं तथा ऊतक द्रव्य के प्रासरनी संतुलन के लिए आवश्यक है.
थाइराइड हार्मोन निर्माण के लिए बहुत कम मात्रा में आयोडीन आवश्यक हैं. प्रोटीन हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिए लोहे की आवश्यकता होती है. यह हीमोग्लोबिन ही ऊतकों तक ऑक्सीजन का परिवहन करता है.
फास्फोरस, क्लोरिन, तांबा, मैग्नीशियम तथा जिंक के अनेक यौगिक हमारे शरीर में महत्वपूर्ण अभिक्रियाओं के नियंत्रण के लिए सामान्य स्वास्थ्य एवं वृद्धि के लिए आवश्यक हैं.
विटामिन (Vitamins)– विटामिन हमारे पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. उपापचय में इसका महत्वपूर्ण योगदान हैं.
शरीर वृद्धि तथा शरीर परिवर्धन में यह तत्व सहायक हैं. खाद्य पदार्थों में यह बहुत ही कम मात्रा में पाए जाते हैं, लेकिन उनकी उपस्थति अनिवार्य होती हैं.